उज्जैन का जंतर मंतर या शासकीय जीवाजी वेधशाला - Jantar Mantar or Government Jiwaji Observatory of Ujjain
जंतर मंतर उज्जैन का एक प्रमुख पर्यटन स्थल है। यह एक प्राचीन स्थल है। यह एक वेधशाला है। इस वेधशाला में बहुत सारे प्राचीन यंत्र देखने के लिए मिलते हैं, जिनका उपयोग करके प्राचीन समय में, समय और ग्रह नक्षत्रों की चाल का पता लगाया जाता था। इस वेधशाला को शासकीय जीवाजी वेधशाला के नाम से भी जाना जाता है और इस वेधशाला का निर्माण जयपुर के महाराजा सवाई जयसिंह द्वितीय ने किया था। यहां पर बहुत बड़ा ग्लोब भी रखा गया है। इस ग्लोब में आपको पृथ्वी में स्थित सारे देश देखने के लिए मिल जाते हैं। हमारा भारत देश भी देखने के लिए मिलता है और हमारा समुद्री एरिया भी देखने के लिए मिलता है। यह वेधशाला उज्जैन में शिप्रा नदी के किनारे बनी हुई है और हमारे उज्जैन के सफर में हम लोग इस वेधशाला में भी घूमने के लिए गए थे।
उज्जैन का जंतर मंतर त्रिवेणी संग्रहालय से करीब 1 किलोमीटर दूर है और हम लोग त्रिवेणी संग्रहालय से जंतर-मंतर अपनी स्कूटी से पहुंच गए। जंतर-मंतर के बाहर ही गाड़ी खड़ी करने के लिए, पार्किंग के लिए अच्छी जगह है। तो हम लोगों ने अपनी गाड़ी वहां पर खड़ी कर दी। जंतर मंतर में प्रवेश के लिए टिकट लगता है। यहां पर एक व्यक्ति का 10 रूपए लगता है। हम लोगों ने टिकट लेकर जंतर मंतर में प्रवेश किया। सबसे पहले हम लोगों को यहां पर सन डायल यंत्र देखने के लिए मिला। इस यंत्र में सूर्य से, जो धूप आती है। उस धूप से समय की गणना की जाती है और इस यंत्र से बिल्कुल सही टाइम का पता चलता है। अगर आप यहां पर गाइड करते हैं, तो गाइड आपको यंत्रों की पूरी जानकारी देगा और यंत्र को प्राचीन समय में किस तरह से उपयोग किया जाता था। उसकी भी पूरी जानकारी देगा। यहां पर गाइड के बारे में, आप यहां के स्टाफ से पता कर सकते हैं।
जंतर मंतर में हमें और भी यंत्र देखने के लिए मिले। यहां पर हमें सम्राट यंत्र, शंकु यंत्र, नाडीवलय यंत्र, और दिगश यंत्र देखने के लिए मिले। इन यंत्रों को किस तरह से उपयोग किया जाता है। उसके बारे में हमें जानकारी नहीं है। मगर यह यंत्र काम क्या करते हैं। इसके बारे में जानकारी आपको यहां पर लेख लिखा हुआ है। उससे मिल सकती है। हर यंत्र के बाजू में उनके बारे में जानकारी लिखी हुई है, जिसके अनुसार आप उस यंत्र के बारे में जान सकते हैं। यहां पर हम लोगों को सौरमंडल का मॉडल देखने के लिए मिला, जो बहुत अच्छी तरीके से बनाया गया था और अच्छी तरह से समझ में आ रहा था। यहां पर एक्यूप्रेशर ट्रैक भी बनाया गया था। एक्यूप्रेशर ट्रैक में चलकर अपने शरीर के जो भी रोग रहते हैं। उन से छुटकारा पा सकते हैं।
एक्यूप्रेशर के बारे में जानकारी - information about acupressure
एक्यूप्रेशर शरीर के विभिन्न हिस्सों के महत्वपूर्ण बिंदुओं पर दबाव डालकर रोग निदान करने की विधि है। हमारे शरीर के मुख्य अंगो के दबाव केंद्र या प्रेशर पॉइंट पैरों के तलवों और हथेलियों में होते हैं। अगर इन दबाव केंद्रों की मालिश की जाए या दबाव डाले जाएं। तो प्रेशर पॉइंट जिस अंग से संबंधित है। वह स्वस्थ होता है।
अगर आप निम्न दाब में तीन परिक्रमा, मध्यम दाब की दो परिक्रमा और उच्च दाब की एक परिक्रमा करके इसी परिक्रमा क्रम से वापस आते है, तो आपके स्वास्थ्य लाभ प्राप्त होता है। आपका रक्त संचार अच्छा होता है। मांसपेशियों में मजबूती आती है। स्नायु तंत्र भी मजबूत होता है और उससे संबंधित अंग में स्वास्थ्य लाभ प्राप्त होता है। एक्यूप्रेशर बहुत महत्वपूर्ण है और आपको एक्यूप्रेशर जरूर करना चाहिए, जिससे आप स्वस्थ रहें।
जंतर मंतर में हमने एक्यूप्रेशर ट्रैक देखा। मगर हमने एक्यूप्रेशर ट्रैक में भ्रमण नहीं किया। यहां पर हम लोगों को राशियों से संबंधित बहुत सारी जानकारी मिली। यहां पर हमें वर्ल्ड क्लॉक देखने के लिए मिली और भी यहां पर महत्वपूर्ण यंत्र देखने के लिए मिले। यहां शिप्रा नदी बाजू से बहती है, तो यहां पर घाट भी बना हुआ है, जहां पर जाया जा सकता है। मगर जब हम लोग यहां पर गए थे। तब वह बंद था। हम लोग शिप्रा नदी के घाट नहीं गए।
यहां पर बहुत बड़ा ग्लोब बना हुआ है। ग्लोब में बहुत सारे देशों को देखा जा सकता है और इंडियन ओशन देखा जा सकता है। यह ग्लोब बहुत सुंदर है और यहां पर बगीचा भी बना हुआ है, जहां पर तरह तरह के पेड़ लगे हुए हैं। बैठने के लिए अच्छी जगह है, जहां पर आप शांति से बैठ सकते हैं। महाराजा सवाई जयसिंह द्वितीय की प्रतिमा भी देखने के लिए मिलती है। यहां पर पुस्तकालय है, जहां पर आप विभिन्न तरह की पुस्तकें पढ़ सकते हैं। यहां टेलिस्कोप है, जिससे आप ग्रह नक्षत्र देख सकते हैं। हम लोगों ने यहां पर ग्लोब देखा। उसके बाद थोड़ा देर यहां पर बैठे और उसके बाद अपने आगे के सफर के तरफ निकल गए।
हम लोग जंतर-मंतर से बाहर आए। जंतर मंतर के ठीक सामने एक छोटा सा मंदिर है। हम लोग वहां पर बैठे गए। पेड़ के नीचे बैठने के लिए कुर्सियां बना दी गई है, तो बहुत अच्छा लग रहा था। जंतर मंतर के थोड़ा आगे जाएंगे, तो यहां पर शिप्रा नदी का घाट देखने के लिए मिलता है। घाट में मंदिर पर बना हुआ है, तो अगर आप घूमना चाहते हैं, तो जा सकते हैं। अगर आप उज्जैन आते हैं और जंतर-मंतर आते हैं, तो आप शिप्रा नदी का घाट भी जाकर घूम सकते हैं। मगर हम लोग यहां पर शिप्रा नदी का घाट घूमने के लिए नहीं गए थे। हम लोग जंतर-मंतर के सामने ही मंदिर के पास कुछ समय बैठे रहे। हम लोगों को बहुत अच्छा लगा। यहां पर अगर आपको भूख लगी है, तो सामने एक छोटा सा होटल है, जहां पर समोसे, आलू बंडा, जलेबी, नमकीन, बिस्किट यह सब मिल रहा था। तो आप यह भी खा सकते हैं और अपने टाइम को इंजॉय कर सकते हैं। कुछ देर बैठने के बाद, हम लोग अपने आगे के सफर की तरफ चल दिए।
आइए नाड़ीवलय यंत्र के बारे में जानते हैं - विषुवत वृत्त के धरातल में निर्मित इस यंत्र के उत्तर दक्षिण में दो भाग है। 6 माह तक जब सूर्य उत्तरीय आधे गोले में रहता है, उत्तर का गोला भाग प्रकाशित रहता है तथा दूसरे 6 माह तक जबकि दक्षिणीय आधे गोले में रहता है। दक्षिण का गोला भाग प्रकाशित रहता है। इन दोनों भागों के बीच में पृथ्वी की धुरी के समानांतर लगी कील की छाया से उज्जैन का स्पष्ट समय मालूम होता है।
कोई भी ग्रह अथवा नक्षत्र उत्तरीय आधे गोले में है या दक्षिणी आधे गोले में है। यह जानने के लिए इस यंत्र का उपयोग किया जाता है। उत्तरीय भाग के गोल किनारे के किसी उपयुक्त बिंदु से सीधे अभीष्ट ग्रह नक्षत्र को देखिए। यदि वह दिखाई देता है, तो इसे उत्तरी गोलार्ध में अन्यथा दक्षिणी गोलार्ध में समझिए। इसी प्रकार दक्षिणी भाग से भी जानकारी होती है। यह नाड़ी वलय यंत्र के बारे में जानकारी है।
जंतर मंतर के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी - Important information about Jantar Mantar
चलिए जानते हैं, जंतर मंतर के इतिहास के बारे में, इस वेधशाला (जंतर मंतर) का निर्माण जयपुर के महाराजा सवाई जयसिंह, ने जब वे सन 1711 में दिल्ली के सम्राट मुहम्मद शाह के शासनकाल में मालवा के गवर्नर होकर उज्जैन में रहे, तब किया था। महाराजा जयसिंह शूरसेनानी, राजनीतिज्ञ और व्यवस्थापक तो थे ही, विशेष रूप से विद्वान भी थे। आपने तत्कालीन उपलब्ध पर्शियन और अरबी भाषा में लिखित ज्योतिष गणित ग्रंथों का भी अनुशीलन किया था। स्वयं ही ज्योतिष ग्रंथों की रचना की।
समरकंद में तैमूरलंग के नाती मिर्जा उलूक बेग ने जो ज्योतिष शास्त्र के मर्मज्ञ थे, वे वेधशाला बनवाई थी। सम्राट मुहम्मद शाह की आज्ञा से भारत में राजा जयसिंह ने उज्जैन, जयपुर, दिल्ली, मथुरा तथा वाराणसी में वेधशाला बनवाई। इन वेधशाला में राजा जयसिंह ने अपनी योग्यता से नए यंत्रों का निर्माण करवाकर स्थानीय वेधशाला पर उन्होंने करीब 8 वर्षों तक स्वयं ग्रह नक्षत्रों के वेध लेकर ज्योतिष गणित के अनेक प्रमुख उपकरणों में संशोधन किया।
तत्पश्चात दो शताब्दियों तक यह वेधशाला उपेक्षित रही। सिद्धांतवागीश स्वर्गीय नारायण व्यास और गणक चूर्णमणि, स्वर्गीय श्री गो. स. आपटे वेधशाला के प्रथम अधीक्षक थे। उनके प्रस्तावानुसार स्वर्गीय महाराजा माधवराव सिंधिया ने सन 1923 में इसका पुनरुत्थान करवाकर वेधशाला को उपयोग करने के लिए आर्थिक व्यवस्था की। तभी से यह वेधशाला निरंतर कार्य कर रही है।
वेधशाला पर सम्राट, नाड़ीवलय, दिगंश और भित्ति यह चार यंत्र महाराजा जयसिंह द्वारा निर्मित है। शंकु यंत्र स्वर्गीय गो.स. आपटे महोदय के निर्देशन में तैयार किया गया था। अपनी स्थिति के अंतिम क्षणों को प्राप्त दिगंश यंत्र का पुनर्निर्माण सन 1974 में एवं शंकु यंत्र का पुनः निर्माण सन 1982 में हुआ। यंत्रों की जानकारी देने वाले संगमरमर की सूचना पटल हिंदी व अंग्रेजी में सन 1983 में लगाए गए।
जंतर मंतर में प्रवेश के लिए प्रवेश शुल्क - Fee for entry to Jantar Mantar
जंतर मंतर में प्रवेश के लिए शुल्क लिया जाता है। यहां पर भारतीय पर्यटक के लिए 10 रूपए लिए जाते हैं। विद्यार्थी के 5 रूपए लिए जाते हैं और विदेशी व्यक्ति के लिए 100 रूपए लिए जाते हैं। यहां पर तारामंडल का शुल्क 20 रूपए प्रति व्यक्ति है और विद्यार्थी के लिए 10 रूपए है और आप टेलिस्कोप का उपयोग करते हैं, तो उसके लिए 20 रूपए है। वैसे अभी कोविड-19 में टेलीस्कोप का उपयोग नहीं किया जा रहा था।
वेधशाला के खुलने का समय - Observatory opening hours
वेधशाला के खुलने का समय सुबह 10:30 से शाम 5:30 बजे तक है।
जंतर मंतर कहां पर स्थित है - Where is Jantar Mantar located?
जंतर मंतर उज्जैन शहर का एक प्रमुख पर्यटन स्थल है। जंतर मंतर उज्जैन में शिप्रा नदी के किनारे पर बना हुआ है। जंतर-मंतर महाकाल मंदिर से करीब 3 किलोमीटर दूर होगा और यहां पर आप कार या बाइक से पहुंच सकते हैं। यहां पर पार्किंग की अच्छी व्यवस्था है।
जंतर मंतर उज्जैन की फोटो - Photos of Jantar Mantar Ujjain
महाराजा सवाई जयसिंह द्वितीय की मूर्ति |
स्टार ग्लोब |
भित्ति यंत्र |
सम्राट यंत्र |
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