विक्रमादित्य सिंहासन बत्तीसी और राजा विक्रमादित्य का मंदिर उज्जैन मध्य प्रदेश - Vikramaditya sinhasan Battisi aur Raja Vikramaditya ka Mandir Ujjain Madhya Pradesh
सिंहासन बत्तीसी या विक्रमादित्य टीला उज्जैन का एक प्रमुख धार्मिक स्थल है। यह राजा विक्रमादित्य जी का मंदिर है। यहां पर उनका छोटा सा मंदिर बना हुआ है। आपने टेलीविजन में विक्रम बेताल और सिंहासन बत्तीसी का टीवी शो जरूर देखा होगा। उसी महान, बुद्धिमान, तेजस्वी, दयालु, महाराजा विक्रमादित्य के बारे में आपको यहां पर बहुत सारी जानकारियां मिल जाती है। सिंहासन बत्तीसी एक बड़े से तालाब के बीच में बना हुआ है। यहां पर तालाब के बीच में विक्रमादित्य की एक विशाल प्रतिमा के दर्शन करने के लिए मिलते हैं। महाराजा विक्रमादित्य की प्रतिमा के अलावा यहां पर उनके दरबार के नवरत्न भी देखने के लिए मिलते थे। जिनकी सलाह लेकर राजा विक्रमादित्य कोई भी फैसला किया करते थे। यह जगह बहुत ही खूबसूरत लगती है और मुंसिपल कारपोरेशन के द्वारा इस जगह को बहुत ही सुंदर तरीके से बनाया गया है। सिंहासन बत्तीसी महाकाल मंदिर के पास ही में है। आप जब भी महाकाल मंदिर घूमने के लिए जाते हैं, तो आपको इस जगह में महाराजा विक्रमादित्य जी के दर्शन जरूर करना चाहिए। महाराजा विक्रमादित्य की यहां पर बहुत सारी कहानियां लिखी गई है। वह कहानी आपको पढ़नी चाहिए।
हम लोग उज्जैन भ्रमण के सफर में राजा विक्रमादित्य के टीले में भी घूमने के लिए गए थे। विक्रमादित्य टीला महाकाल मंदिर के पास ही में है और जहां से मंदिर में प्रवेश और मंदिर से बाहर आया जाता है। वहीं से थोड़ा आगे बढ़कर, यह विक्रमादित्य टीला देखने के लिए मिल जाता है। मगर हम लोग को जानकारी नहीं थी। इसलिए हम लोग आगे के और भी मंदिर घूमने के बाद, विक्रमादित्य टीला घूमने के लिए आए थे।
सिहासन बत्तीसी या विक्रमादित्य का टीला एक बड़े से तलाब में बना हुआ है। यह तालाब के बीच में बना हुआ है और विक्रमादित्य के टीले में जाने के लिए पुल बना हुआ है। यह जो विशाल तालाब है। इस तालाब को रूद्र सागर तालाब के नाम से जाना जाता है और यह तालाब बहुत बड़े क्षेत्र में फैला हुआ है। मगर यह तालाब अपने अस्तित्व को धीरे-धीरे खोते जा रहा है। इस पूरे तालाब में चोई फैल गई है। इस तालाब में पानी, तो दिखाई नहीं देता है। तालाब को सफाई करवाने की बहुत ज्यादा जरूरत है। विक्रमादित्य के टीले के बाहर रोड में बहुत सारी दुकानें लगी थी, तो पार्किंग की जगह भी नहीं थी। हम लोगों ने अपनी गाड़ी बाहर खड़ी कर दिए और फिर हम लोग विक्रमादित्य का टीला देखने गए। यहां पर प्रवेश के लिए किसी प्रकार का शुल्क नहीं लिया जाता है। यहां पर निशुल्क प्रवेश किया जा सकता है।
विक्रमादित्य का टीला या सिहासन बत्तीसी एक बड़े से मंच के ऊपर बनाया गया है। इस मंच के ऊपर जाने के लिए सीढ़ियां बनी हुई है। मंच के नीचे सीढ़ियों के पास काल भैरव जी की प्रतिमा के दर्शन करने के लिए मिलते हैं। काल भैरव की प्रतिमा के सामने उनके वाहक स्वान (कुत्ते) की मूर्ति बनी हुई है। हम लोगों ने काल भैरव जी के दर्शन किए। उसके बाद सीढ़ियों से मंच के ऊपर गए। मंच के ऊपर राजा विक्रमादित्य जी की छोटा सा मंदिर देखने के लिए मिलता है। इस मंदिर में जब हम लोग गए थे। तब हवन चल रहा था। यहां पर एक पत्थर देखने के लिए मिलता है, जिसे असली सिहासन माना जाता है। मंदिर के पीछे यहां पर राजा विक्रमादित्य की बहुत बड़ी मूर्ति देखने के लिए मिलती है और यह मूर्ति बहुत ही सुंदर लगती है।
विक्रमादित्य टीला का मंच को गोलाई में बनाया गया है। इस मंच में राजा विक्रमादित्य के दरबार के 9 नवरत्न और राजा की मूर्ति की स्थापना की गई है। इन नौ रत्नों की सलाह लेकर ही राजा बड़े बड़े फैसले किया करते थे। यह नवरत्न इस प्रकार हैं - बेतालभट्ट, अमरसिंह, शंकु, कालिदास, वररुचि, घटखर्पर, क्षणपक, धन्वन्तरि, वराहमिहिर । नवरत्नों में से, कुछ नवरत्न के बारे में हमें जानकारी है। जैसे कालिदास, जो महान कवि थे और जिन्होंने बहुत सारे प्रसिद्ध ग्रंथों की रचना की है और वराहमिहिर, जो प्रसिद्ध ज्योतिष थे और उन्होंने ग्रह नक्षत्र के बारे में अध्ययन किया था। यह प्रसिद्ध नवरत्न यहां पर विराजमान है। हम लोग इन सभी नवरत्नों की मूर्तियां देखें। राजा विक्रमादित्य जी के बारे में पढ़े। उनका सिहासन बहुत ही सुंदर तरीके से बनाया गया है और बहुत ही अच्छा लगता है।
महाराजा विक्रमादित्य की यह मूर्ति 30 फीट ऊंची है। राजा विक्रमादित्य जी की मूर्ति, देखने के बाद, हम लोग नीचे आए। यहां पर नीचे 32 पुतलियों की बनी हुई है और यहां पर आपको 32 कहानियां पढ़ने के लिए मिलती है। इन कहानियां में राजा विक्रमादित्य जी की दानवीरता और बुद्धिमत्ता के बारे में जानकारी मिलती है, कि राजा विक्रमादित्य कितने दानवीर थे और कितने दयालु थे। यह सारी कहानियां आपने टीवी शो में जरूर देखी होगी। यहां पर विक्रम बेताल की कहानी भी पढ़ने मिल जाएगी। यह 32 पुतलियां मंच के चारों तरफ बनी हुई है और मंच की दीवारों में राजा विक्रमादित्य और उनके मंत्रियों, राजा विक्रमादित्य की विजय यात्रा, प्रजाजनो में विक्रमादित्य, हाथियों, पुरानी मुद्राओं इन सभी के चित्र बने हुए हैं, जो बहुत ही सुंदर लगते हैं। यहां पर हमें बहुत अच्छा लगा और आपको यहां पर घूम कर पुराने बचपन की यादें ताजा हो जाएगी। जब हम विक्रम बेताल की कहानी देखा करते थे।
विक्रमादित्य का टीला या सिंहासन बत्तीसी खुलने का समय - Vikramaditya Ka Tila or Throne Battisi timings
विक्रमादित्य का टीला प्रातः 7 बजे से रात्रि 9:30 बजे तक खुला रहता है। आप यहां पर किसी भी समय घूमने के लिए आ सकते हैं। यहां सुबह के समय ज्यादा भीड़ रहती है। शाम के समय कम भीड़ रहती है।
राजा विक्रमादित्य के बारे में जानकारी - Information about King Vikramaditya
राजा विक्रमादित्य एक महान राजा थे। राजा विक्रमादित्य उज्जैन के राजा थे। उज्जैन को प्राचीन समय में उज्जैनी और अवंतिका के नाम से जाना जाता था। उज्जैनी नरेश राजा विक्रमादित्य के दानवीर, न्यायशील एवं तेजस्वी व्यक्तित्व की कीर्ति और कथाएं शताब्दियों से जनमानस में प्रतिष्ठित है। राजा विक्रमादित्य दो ईसा पूर्व भारत में शासन किया करते थे। लोगों के अनुसार शको पर विजय प्राप्त करने की स्मृति में विक्रमादित्य ने 57 ईसा पूर्व विक्रम संवत का आरंभ किया। विक्रमादित्य की सभा उच्च कोटि के विद्वानों से सुशोभित थी, जो नवरत्न के नाम से विख्यात हुए हैं। सिहासन बत्तीसी और बेताल पच्चीसी की प्रसिद्धि कथाएं महाराजा विक्रमादित्य की कीर्ति और पुरुषार्थ का वर्णन करती हैं। भारत के कई राजाओं ने विक्रमादित्य को अपना आदर्श माना और उनके नाम की उपाधि की तरह धारण किया।
राजा विक्रमादित्य की मृत्यु कैसे हुई - How did King Vikramaditya die?
लोगों के द्वारा कहा जाता है कि, राजा विक्रमादित्य मां हरसिद्धि के बहुत बड़े भक्त थे और वह हर 12 साल में मां हरसिद्धि को अपना शीश अर्पित करते थे। मगर माता की कृपा से उनका शीश, उनके शरीर से जुड़ जाता था और वह जीवित हो जाते थे। यह क्रिया उन्होंने 11 बार करी और 11 बार उनका शीश जुड़ गया। मगर 12वीं बार उन्होंने जब अपना सर माता को अर्पित किया, तो उनका सर दोबारा उनके शरीर से नहीं जुड़ा और उनकी मृत्यु हो गई। इस प्रकार राजा विक्रमादित्य की मृत्यु हुई थी।
विक्रमादित्य टीला या सिंहासन बत्तीसी कहां पर है - Where is Vikramaditya Tila or Throne Battisi
विक्रमादित्य का टीला या सिंहासन बत्तीसी उज्जैन में स्थित एक प्रसिद्ध जगह है और यह महाकालेश्वर मंदिर के पास में स्थित है। महाकालेश्वर मंदिर से कुछ ही कदमों की दूरी पर आपको विक्रमादित्य टीला देखने के लिए मिल जाता है। यहां पर बाहर पार्किंग की सुविधा नहीं है। आप अगर यहां पर गाड़ी लेकर जाते हैं, तो अपनी गाड़ी को ध्यान से खड़ा करें। रुद्रसागर के बाजू में पार्किंग की व्यवस्था है, तो आप अपने गाड़ी, वहां खड़ी करके बाकी सारे मंदिर घूम सकते हैं। मगर आप अगर अपनी बाइक या स्कूटी लेकर घूम रहे हैं, तो उसका ध्यान आपको रखना पड़ेगा।
सिंहासन बत्तीसी की फोटो - Photo of Singhasan Battisi
महाराजा विक्रमादित्य |
कवि कालिदास की मूर्ति |
सिंहासन बत्तीसी की 32 पुतलियां |
श्री काल भैरव जी की प्रतिमा |
सिंहासन बत्तीसी |
माँ हरसिद्धि मंदिर उज्जैन मध्य प्रदेश
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