चिड़ीखो वन्यजीव अभयारण्य या नरसिंहगढ़ वन्यजीव अभयारण्य नरसिंहगढ़, राजगढ़
Chidikho Wildlife Sanctuary or Narsinghgarh Wildlife Sanctuary Narsinghgarh, Rajgarh
चिड़ीखो वन्यजीव अभयारण्य नरसिंहगढ़ तहसील का एक मुख्य आकर्षण स्थल है। चिड़ीखो अभयारण्य राजगढ़ जिले के अंतर्गत आता है। नरसिंहगढ़ राजगढ़ जिले की एक तहसील है। नरसिंहगढ़ को मालवा का कश्मीर भी कहा जाता है। यहां पर चारों तरफ आपको ऊंचे ऊंचे पहाड़ देखने के लिए मिल जाते हैं। यहां पर वन्य जीवन एवं वनस्पतियों को संरक्षित रखने के लिए इस अभयारण्य को बनाया गया है। यहां पर आपको शाकाहारी और मांसाहारी बहुत सारे जंगली जानवर देखने के लिए मिल जाते हैं। इस अभयारण्य को चिड़ीखो अभयारण्य इसलिए कहा जाता है, कि यहां पर आपको विशाल झील देखने के लिए मिलती है। इस झील का आकार चिड़िया के आकार का है। इसलिए इस अभयारण्य को चिड़ीखो अभयारण्य के नाम से जाना जाता है।
चिड़ीखो अभयारण्य को अलग-अलग नामों से जाना जाता है। इस अभयारण्य को नरसिंहगढ़ वन्यजीव अभयारण्य, नरसिंहगढ़ अभयारण्य, चिड़िया खोह अभ्यारण, चिड़ीखो सेंचुरी, चिड़ीखो वाइल्डलाइफ सेंचुरी जैसे नामों से लोग जानते हैं। यहां पर भोपाल और राजगढ़ से बहुत आसानी से पहुंचा जा सकता है। हम लोग भी यहां पर भोपाल से आए थे। भोपाल से चिड़ीखो अभयारण्य करीब 100 किलोमीटर दूर पड़ता है। नरसिंहगढ़ में बहुत सारी जगह देखने के लिए मिलती है। उसमें चिड़ी खोह अभयारण्य भी एक मुख्य जगह है।
चिड़ीखो अभयारण्य में प्रवेश के लिए टिकट लगता है। यह अभयारण्य मुख्य हाईवे सड़क पर स्थित है। यह अभयारण्य भोपाल नरसिंहगढ़ हाईवे सड़क पर स्थित है। यहां पर सबसे पहले टिकट लेना पड़ता है। प्रत्येक वाहन के लिए अलग-अलग टिकट रहता है। हम लोग स्कूटी में थे। इसलिए हम लोगों का 100 रूपए लगा था। यहां पर बाहर आपको कैंटीन देखने के लिए मिल जाती है, जहां से आप खाने पीने का सामान ले सकते हैं। जैसे ही आप अभयारण्य के अंदर प्रवेश करेंगे। आपको एक छोटा सा संग्रहालय देखने के लिए मिलता है, जहां पर बहुत सारी जानकारी दी गई है। आप चाहे, तो यहां पर जाकर जानकारी ले सकते हैं।
हम लोग अपनी स्कूटी में नरसिंहगढ़ वन्यप्राणी अभयारण्य के अंदर चल पड़े। यहां पर सड़क कच्ची है और जो यहां के रेंजर लोग थे। उन्होंने हमको बोला था, कि आप सीधे जाइएगा। जंगल में कहीं भी नहीं जाएगा। क्योंकि जंगली जानवर कहीं भी मिल सकता है। इसलिए हम लोग सीधे गए और हम लोग को झील देखने के लिए मिली। नरसिंहगढ़ वन्यप्राणी अभयारण्य एंट्री गेट से कुछ ही दूरी पर हमें झील मिल गया था। झील बहुत बड़े क्षेत्र में फैली हुई है। झील के किनारे चलते हुए हम लोग गेस्ट हाउस के पास पहुंच गए।
चिड़ीखो झील के किनारे हम लोगों ने अपनी गाड़ी खड़ी करी और रेंजर्स ने हम लोगों से परिचय पत्र दिखाने के लिए कहा, उसके बाद हमारा नाम और फोन नंबर रजिस्टर में दर्ज किया। उसके बाद उन्होंने हम लोगों को घूमने का एरिया बताया, कि आप चिड़ीखो झील के किनारे घूम सकते हैं और ऊपर जाकर वॉच टावर से चारों तरफ का दृश्य देख सकते हैं। गेस्ट हाउस के पास पीपल का बड़ा सा पेड़ लगा हुआ था। उसके नीचे बहुत सारी प्राचीन मूर्तियां रखी हुई थी। यह मूर्तियां 10वीं और 11वीं शताब्दी की थी और बहुत सुंदर लग रही थी। मूर्तियां देखने के बाद हम लोग पहाड़ी की ओर ऊपर वॉच टावर की तरफ गए। यहां पर हम लोगों के रास्ते में बहुत सारे बंदर भी थे। मगर हम लोगों ने कुछ सामान नहीं लिया था। सारा सामान हमारा स्कूटी में ही रखा था। बंदरों ने हमारा कोई नुकसान नहीं किया और यहां पर हम लोग वॉच टावर पर चढ़ गए। वॉच टावर से चारों तरफ का बहुत ही सुंदर दृश्य देखने के लिए मिला। वॉच टावर से झील, जंगल, पहाड़ों का अद्भुत दृश्य देखने मिला था।
हम लोग वॉच टावर से नीचे आकर, आजू-बाजू पहाड़ी का एरिया घूमने लगे। उसके बाद हम लोग नीचे आए। नीचे आकर हम लोग झील वाले एरिया में घूमने के लिए गए। झील के किनारे हम लोग घूम रहे थे। झील के किनारे बेरी के बहुत सारे पेड़ लगे हुए थे। मगर यह जंगली बेरी थी। यह खाने में कड़वी लग रही थी। मगर इसे खा सकते हैं। यह जहरीली नहीं होती है। उसके बाद हम लोग झील के सबसे अंतिम छोर पर पहुंच गए। जहां पर झील का पानी ओवरफ्लो होता है और बहता है। हम लोग, खासकर मै, जहां से झील का पानी बहता है। वहां पर मैं सीढ़ियों से नीचे उतर गई।
यहां से चिड़ीखो झील का पानी बहता है। मगर अभी यहां पर पानी नहीं बह रहा था। यहां पर पानी कहीं से लीक हो रहा था। जो नीचे के साइड बह रहा था और यहां पर पानी एकत्र था और थोड़ा गहरा भी था। यहां पानी में ढेर सारी मछलियां थी, जो साफ साफ दिखाई दे रही थी और बहुत ही सुंदर लग रही थी। मैं नीचे तक चली गई थी और मछलियां देख रही थी। यहां पर चारों तरफ का दृश्य बहुत ही शांत था। यहां पर आकर बहुत ज्यादा ही शांति महसूस हो रही थी और इस तरह की जगह में जाकर बहुत अच्छा लगता है। मैं कम से कम 5 से 10 मिनट यहां पर रुकी थी। उसके बाद मैं ऊपर आ गई और मैं और मेरे साथ ही दोनों गेस्ट हाउस की तरफ चले गए।
हम लोग चिड़ीखो के गेस्ट हाउस के पास पहुंचे। तो रेंजर ने हम लोगों के लिए पकोड़े और चाय बना कर रखा था। हम लोगों ने चाय और पकौड़े खाए। यहां पर हमें पकोड़े और चाय थोड़ा मंहगा मिला। उसके बाद हम लोग चिड़ीखो झील के पास में गए। यहां पर हम लोगों को बहुत बड़ा कछुआ देखने के लिए मिला। मैंने पहले जितने भी कछुए देखे हैं। यह उन सब से बहुत बड़ा था और यह कछुआ हम लोगों की आवाज सुनकर, हम लोगों के पास आने की कोशिश कर रहा था। वह शायद सोच रहा होगा, कि हम लोग उसको कुछ खाने को देंगे। मगर यहां पर पानी बहुत ज्यादा था। इसलिए हम लोग उसके पास नहीं गए और रेंजर्स ने भी हम लोगों को पानी में जाने से मना किया था। यहां पर रेंजर्स लोगों ने गेस्ट हाउस के पास एक पेड़ में झूला भी बांधा था। हम लोगों ने कुछ टाइम झूला भी झूला। उसके बाद, हम लोग अपनी आगे की यात्रा में चल दिए, क्योंकि अभी हमें बहुत दूर जाना था।
चिड़ीखो अभयारण्य की एंट्री फीस - Entry fee of Chidikho Sanctuary
चिड़ीखो अभयारण्य में प्रवेश करने के लिए शुल्क लिया जाता है। चिड़ीखोह अभयारण्य मुख्य भोपाल नरसिंहगढ़ हाईवे सड़क पर ही है और एंट्री गेट बना हुआ है। जहां से आप प्रवेश शुल्क देकर चिड़ीखो अभयारण्य में प्रवेश कर सकते हैं। यहां पर दो पहिया वाहन का 100 रूपए लिया जाता है। ऑटो रिक्शा का 200 रूपए लिया जाता है और हल्के निजी वाहन जैसे कार, जीप, और जिप्सी वगैरा का 300 रूपए लिया जाता है। बस और मिनी बस का 600 रूपए लिया जाता है।
चिड़ीखो अभयारण्य या वन्यप्राणी अभयारण्य नरसिंहगढ़ में पाए जाने वाले पशु पक्षी - Animals and birds in Chidikho Sanctuary or Wildlife Sanctuary Narsinghgarh
चिड़ीखो वन्यजीव अभयारण्य में विभिन्न प्रकार के पशु पक्षी एवं वनस्पति पाई जाती है। अभयारण्य में पाए जाने वाले सर्वाहारी जानवरों में कुछ जानवर इस प्रकार हैं - गोह, जिसे मॉनिटर लिजर्ड कहते हैं। पान सिवेट, पैंगोलिन, नेवला, जंगली सूअर। यह सभी जीव जंतु सर्वाहारी में आते हैं। अर्थात यह मांस एवं वनस्पति दोनों खा लेते हैं।
चिड़ीखो अभयारण्य में पाए जाने वाले शाकाहारी वन्य प्राणी इस प्रकार हैं - चीतल, सांभर, भेड़की या बारकिंग डियर, नीलगाय, काला हिरण, लंगूर, खरगोश, बंदर, सैंडी, गिलहरी, चौसिंगा और चिंकारा, यह सभी शाकाहारी प्राणी है। अर्थात यह वनस्पतियों पर ही निर्भर रहते हैं।
चिड़ीखो अभयारण्य में पाए जाने वाले मांसाहारी वन्य प्राणी इस प्रकार है - तेंदुआ, लकड़बग्घा, लोमड़ी, स्मॉल इंडियन सिवेट, अजगर, क्रेत (जो एक प्रकार का सांप होता है) कोबरा या नाग, जंगली बिल्ली, सियार। यह सभी मांसाहारी जानवर नरसिंहगढ़ अभयारण्य में पाए जाते हैं।
नरसिंहगढ़ अभयारण्य में नेचर ट्रेल - Nature Trail in Narsinghgarh Sanctuary
नरसिंहगढ़ अभयारण्य में आप नेचर ट्रेल में भी घूम सकते हैं। नेचर ट्रेल में आपको बहुत सारे जंगली जानवर और वनस्पतियां देखने के लिए मिल जाती हैं। यहां पर आपको बहुत सारी जानकारियां भी देखने के लिए मिलती हैं, जो आप पढ़ सकते हैं। यहां पर तेंदुआ के पद चिन्ह व खरोच के निशान भी मिलते हैं। विभिन्न मौसम में फलने फूलने वाली वनस्पतियां देखी जा सकती हैं। यहां पर तीन अलग-अलग पेड़ों कि डाले एक दूसरे से जुड़ी है, जो पर्यटक को आश्चर्य में डाल देती है। यह चीज देखना बहुत ही ज्यादा अलग अनुभव होता है। वैसे हम लोगों को यह देखने के लिए नहीं मिला। क्योंकि शायद उस टाइम जाना माना था, तो आप यहां पर आकर नेचुरल ट्रेल का भी मजा ले सकते हैं।
चिड़ीखो अभयारण्य के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी - Important information about Chidikho Sanctuary
चिड़ीखो अभयारण्य या वन्यप्राणी अभयारण्य नरसिंहगढ़ राजगढ़ जिले के नरसिंहगढ़ तहसील के अंतर्गत आता है। यह अभयारण्य ब्रिटिश काल में शिकारगाह के रूप में प्रसिद्ध था और इसका उपयोग शिकार के लिए किया जाता था। नरसिंहगढ़ अभयारण्य को 1974 को अभयारण्य घोषित किया गया था। जिससे हमारी आने वाली पीढ़ी को प्राकृतिक सुंदरता देखने का मौका मिल सके। यह अभ्यारण भोपाल और राजगढ़ जिले के वन एरिया में फैला हुआ है। यह अभ्यारण 57 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में फैला हुआ है।
नरसिंहगढ़ अभयारण्य में, जो तालाब देखने के लिए मिलता है। वह चिड़ीखो तालाब और चिड़ीखो झील के नाम से जाना जाता है। यह तालाब मानव निर्मित है और यह तालाब चिड़िया के आकार के समान प्रतीत होता है। इसलिए इस तालाब को चिड़ीखो के नाम से जाना जाता है। यह तालाब 22 हेक्टेयर के क्षेत्र में फैला हुआ है और चारों तरफ से हरे भरे वृक्षों और पहाड़ियों से ढका हुआ है।
नरसिंहगढ़ अभयारण्य के पूर्वी कोने में पार्वती नदी बहती है। पश्चिमी क्षेत्र में बाड़ाबेदर तथा बड़ोदिया तालाब अभयारण्य की सुंदरता को बढ़ाते हैं। नरसिंहगढ़ अभ्यारण बुधवार के दिन बंद रहता है और सरकारी छुट्टियों के दिन शायद बंद रहता हो। आप यहां पर कभी भी घूमने के लिए आ सकते हैं। यह बहुत अच्छी जगह है और बरसात के समय, यहां पर बहुत ज्यादा अच्छा लगता होगा। क्योंकि बरसात में यहां पर बहुत सारी जगह झरने देखने मिलते होंगे। जो बहुत मजेदार रहते हैं। हम लोगों को यहां पर बहुत मजा आया और अनुभव बहुत ही जबरदस्त रहा।
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