नरसिंहगढ़ का किला (Narsinghgarh ka kila), राजगढ़ -
Narsinghgarh Fort Rajgarh
नरसिंहगढ़ का किला राजगढ़ जिले का एक प्रमुख पर्यटन स्थल है। नरसिंहगढ़ राजगढ़ जिले की तहसील है। नरसिंहगढ़ का किला एक ऊंची पहाड़ी पर बना हुआ है। किले के नीचे तालाब देखने के लिए मिलता है। किले और तालाब का दृश्य बहुत ही शानदार रहता है। हम लोग भोपाल से नरसिंहगढ़ घूमने के लिए आए थे। नरसिंहगढ़ में नरसिंहगढ़ वन्यजीव अभ्यारण घूमने के बाद, हम लोग नरसिंहगढ़ का किला घूमने के लिए गए। नरसिंहगढ़ का किला अब खंडहर में बदलता जा रहा है और इस किले की अच्छी तरह से देखभाल नहीं की जा रही है। पूरे किले में बड़ी-बड़ी घास उगी हुई थी। मगर फिर भी यह किला बहुत जबरदस्त लगता है। किले के चारों तरफ ऊंची पहाड़ियां हैं, जो इस किले को एक अलग ही सुंदरता प्रदान करती हैं।
हम लोग नरसिंहगढ़ के सबसे प्रसिद्ध मंदिर जल मंदिर घूमने के बाद, नरसिंहगढ़ का किला घूमने के लिए गए। नरसिंहगढ़ किले में जाने के लिए दो रास्ते हैं। एक रास्ते में पैदल जाना पड़ता है। वहां पर गाड़ी नहीं जाती हैं और दूसरे रास्ते में आपकी गाड़ी चली जाएगी। मगर वह रास्ता बहुत खराब है। हम लोग वैसे बहुत ज्यादा थक गए थे, तो हम लोग को पैदल जाने का इरादा नहीं था। इसलिए हम लोगों ने गाड़ी से जाना बेहतर समझा।
अगर आप पैदल जाना चाहते हैं, तो पारसनाथ झील के बाजू से ही रास्ता गया है। यहां पर पारसनाथ झील के पास ही में, कोने में हनुमान जी का मंदिर है। आप वही रास्ते से सीधा जाइएगा और आगे जाकर उल्टे हाथ की साइड मुड़ जाइए। आपको थोड़ा आगे जाकर नरसिंहगढ़ किले जाने का गेट देखने के लिए मिल जाता है और आपको अगर रास्ता समझ में नहीं आता है, तो आप यहां पर लोगों से पूछ कर नरसिंहगढ़ किला पहुंच सकते हैं। आपको नरसिंहगढ़ किले के गेट के पास में ही अपनी गाड़ी खड़ी करनी पड़ती है। उसके बाद बाकी का रास्ता आपको पैदल जाना पड़ता है। यह रास्ता करीब 1 किलोमीटर होगा। यहां पर रास्ता पक्का है, तो आपको ज्यादा तकलीफ नहीं होगी। मगर रास्ता चढ़ाई वाला है, तो आपकी सांसे जरूर फूलने लगेगी।
हम लोगों ने नरसिंहगढ़ किले में जाने के लिए सड़क वाला रास्ता चुना था, जहां पर हम अपनी गाड़ी से जा सकते हैं। इस रास्ते में हम लोगों को हनुमानगढ़ी मंदिर भी जाने का मौका मिला। मगर हमारे पास टाइम नहीं था। इसलिए हम लोग वहां पर नहीं गए। हम लोग सीधा नरसिंहगढ़ किले की और गए। यहां पर रास्ता ठीक-ठाक था। मगर किले के पास जाकर चढ़ाई वाला, जो रास्ता था। वह बहुत ही बेकार था। वहां पर बड़ी-बड़ी गिट्टी डाली थी और उन गिट्टी में गाड़ी लेकर चलना बहुत जोखिम भरा काम था। हम लोग तो गाड़ी से नीचे उतर गए और फिर अपनी गाड़ी को घसीटते हुए किले के पास तक लेकर गए थे। इसमें करीब हम लोग के आधे घंटे चले गए थे।
हम लोग की स्कूटी थी, जो बहुत ही मुश्किल से किले के पास तक पहुंची थी। अगर आप स्कूटी से जा रहे हैं, तो थोड़ा सोच समझ कर जाइएगा। अगर आप बाइक से जाते हैं, तो बाइक आराम से चली जाती है। यहां पर कार भी चली जाती है। मगर वही है, कि अगर कार फस गई, तो बहुत दिक्कत हो सकती है। यहां पर बहुत ही बेकार रास्ता है। हम लोगों ने तो, आधी दूर से ही किले तक जाने के लिए मना कर दिया था, कि अब हम नहीं जाएंगे। मगर फिर हम लोगों ने सोचा, कि अब इतनी दूर आकर भी लौट गए ना, तो बहुत ज्यादा पछतावा होगा। इसलिए हम लोग ने सोचा, कि अब चला जाए। गाड़ी को घसीट के लेकर गए। मगर किले तक हम लोग गए। किले का जो गेट है, उसके पास ही में हनुमान जी की एक प्रतिमा देखने के लिए मिलती है और वहां से आपको चारों तरफ का दृश्य देखने के लिए मिलेगा, जो बहुत ही लाजवाब था और एक साइड पहाड़ का दृश्य था। यहां से दूर एक तालाब भी देखने के लिए मिलता है। बाईपास जाने के लिए रास्ता भी देखने के लिए मिलता है। यहां से चारों तरफ की हरी-भरी वादियां देखकर बहुत ही आनंद आता है। हम लोग यह सभी चीजें देखते हुए आगे बढ़े और किले तक पहुंच गए।
नरसिंहगढ़ किले में गार्ड लगे हुए हैं। यहां पर एक व्यक्ति का 10 रूपए लिया जाता है। नरसिंहगढ़ किले में एंट्री फीस 10 रूपए है। हम लोग किले में प्रवेश किए। किले में बड़ा सा आंगन देखने के लिए मिलता है। आंगन में छोटा सा पूल बना हुआ था। शायद प्राचीन समय में इस में पानी भरा रहता होगा। मगर अभी इसकी हालत बहुत खराब थी। यहां पर बड़ी बड़ी झाड़ियां उगी हुई थी। हम लोग आगे बढ़कर किले के अंदर गए। यहां पर हमको दो मंजिला महल देखने के लिए मिला। हम लोग किले के ऊपरी भाग में गए, जहां पर हम लोग खिड़की में जाकर फोटो खींचवाने लगे। वैसे यहां से चारों तरफ की वादियों का दृश्य बहुत ही शानदार दिखाई देता है।
हम लोग नरसिंहगढ़ किले के इस भाग को घूमने के बाद, हम लोग नरसिंहगढ़ किले के दूसरे भाग की तरफ गए। वहां पर हमें मंदिर देखने के लिए मिला। मंदिर बंद था। मंदिर के तरफ पुराने समय में कुछ शेड वगैरह बना होगा। मगर अभी यह कुछ नहीं है। यहां पर बैठकर हमने नरसिंहगढ़ शहर का दृश्य देखा। जो बहुत ही जबरदस्त था। हम लोग यहां पर करीब 4 से 5 बजे करीब गए थे और ठंड के समय में जल्दी शाम होने लगती है। इसलिए उस टाइम सूरज ढल रहा था और यहां पर बहुत ही अच्छा लग रहा था। हम लोगों ने बहुत सारी फोटो क्लिक करी। यहां पर बहुत सारे बंदर भी थे, तो अगर आपके पास कुछ सामान हो, तो आप संभाल कर रखें। नहीं तो बंदर आपसे छीन कर ले कर जा सकते हैं।
यहां पर नरसिंहगढ़ किले के बारे में किसी भी तरह की कोई भी इंफॉर्मेशन नहीं थी। कि वह आप पढ़ सके और आपको इस किले के बारे में जानकारी हो। यहां पर बाथरूम वगैरह या पानी की भी सुविधा नहीं थी। यहां पर आपको अपना पानी साथ लेकर आना पड़ेगा, क्योंकि यहां पर चारों तरफ पहाड़ियां हैं और जंगल है। गवर्नमेंट की तरफ से यहां कोई भी व्यवस्था नहीं की गई है। नरसिंहगढ़ का किला बहुत ही सुंदर तरीके से लोगों के सामने प्रस्तुत किया जा सकता है। मगर गवर्नमेंट कुछ नहीं कर रही है।
हम लोग नरसिंहगढ़ किला पूरा घूमने के बाद, वापस अपनी यात्रा के आगे के सफर में निकल गए। यहां पर जो पहाड़ी है। पूरी पहाड़ी में सीताफल के पेड़ बहुत ज्यादा लगे हुए हैं और हम लोग ठंड के समय गए थे। तो ठंड में सीताफल के फल लगने लगते हैं। वैसे पहाड़ी से सीताफल तोड़ना मना है। मगर आप यहां पर सीताफल खरीद कर खा सकते हैं। यहां पर एक व्यक्ति सीताफल बेच रहा था और ताजे सीताफल थे। हम लोगों ने भी यहां पर सीताफल लिया और अपने आगे के सफर की तरफ बढ़ चले।
नरसिंहगढ़ किले के खुलने का समय सूर्योदय से सूर्यास्त तक है। आप सूर्यास्त होने के बाद, यहां पर नहीं आ सकते हैं। वैसे मैंने कई वेबसाइट में देखा। यहां पर नाइट कैंपिंग की सुविधा दे रहे थे। मगर उसके बारे में मुझे जानकारी नहीं है।
नरसिंहगढ़ किले की अन्य शहरों से दूरी - Distance of Narsinghgarh Fort from other cities
भोपाल से नरसिंहगढ़ की दुरी करीब 80 किलोमीटर होगी। यह भोपाल एयरपोर्ट से करीब 70 किलोमीटर दूर होगा। नरसिंहगढ़ का किला अगर आप रोड के माध्यम से जाते हैं, तो आपको 5 किलोमीटर और ज्यादा चलना पड़ेगा। क्योंकि इस किले में जाने का जो रास्ता है। वह घुमावदार है, तो पहाड़ियों से घूम कर इस किले के लिए तक जाना पड़ता है और आप पैदल जाते हैं, तो आप मुख्य शहर से ही नरसिंहगढ़ किले में जा सकते हैं।
ब्यावरा से नरसिंहगढ़ की दुरी करीब 35 किलोमीटर है।
राजगढ़ से नरसिंहगढ़ की दूरी 60 किलोमीटर है।
उज्जैन से नरसिंहगढ़ की दूरी करीब 180 किलोमीटर है। हम लोग नरसिंहगढ़ से रोड के माध्यम से उज्जैन गए थे। तो यह तो हम आराम से बता सकते हैं। आप देवास से नरसिंहगढ़ भी घूमने के लिए आ सकते हैं।
नरसिंहगढ़ का किला किसने बनवाया था - Who built the fort of Narsinghgarh
नरसिंहगढ़ किले का निर्माण नरसिंहगढ़ रियासत के राजा दीवान पारस राम जी ने करवाया था। रावत पारसराम जी ने ही नरसिंहगढ़ रियासत की स्थापना की थी और उन्होंने इस राज्य का नाम श्री नरसिंह भगवान जी के नाम पर रखा था। यहां पर उन्होंने पारसराम तालाब का निर्माण करवाया था। जिसको आप अभी भी देख सकते हैं और इस तालाब का नाम पारसराम नरसिंहगढ़ के संस्थापक के नाम पर ही रखा गया है। उन्होंने यहां पर बहुत से मंदिर बनाये।
नरसिंहगढ़ किले का इतिहास - History of Narsinghgarh Fort
नरसिंहगढ़ का किला नरसिंहगढ़ रियासत में शासन करने वाले शासकों का निवास स्थान था। यहां पर शासक लोग रहा करते थे। यह किला करीब 300 साल पुराना है। यह किला मुगल और मालवा शैली में बनाया गया है। यह किला बहुत बड़े क्षेत्र में फैला हुआ है। यह किला मध्य प्रदेश का तीसरा सबसे बड़ा किला है।
नरसिंहगढ़ किला कहां पर है - Where is Narsinghgarh Fort
नरसिंहगढ़ किला राजगढ़ जिले का एक प्रमुख पर्यटन आकर्षण स्थल है। नरसिंहगढ़ किला राजगढ़ जिले के नरसिंहगढ़ तहसील में स्थित है। इस किले तक पहुंचना बहुत ही आसान है। नरसिंहगढ़ तहसील में पहुंचकर, नरसिंहगढ़ किले तक पहुंचना बहुत ही आसान है। नरसिंहगढ़ किले तक जाने के लिए दो रास्ते हैं। एक रास्ते से आप पैदल पहुंच सकते हैं और एक रास्ते से आप अपनी गाड़ी से जा सकते हैं। गाड़ी से जाने वाला, जो रास्ता है। वह बहुत खराब है और यहां पर आप कार, बाइक, स्कूटी से जा सकते हैं। वह आप अपने रिस्क में जा सकते हैं, क्योकि रास्ता बहुत ज्यादा खराब है और यहां पर पार्किंग के लिए अच्छी जगह है। आप नरसिंहगढ़ किले तक बहुत आसानी से पहुंच सकते हैं, क्योंकि यह किला पहाड़ी के ऊपर है, तो आपको सभी जगह से दिख जाता है।
नरसिंहगढ़ किला की फोटो - Photos of Narsinghgarh Fort
नरसिंहगढ़ किला |
नरसिंहगढ़ किला |
नरसिंहगढ़ किले से जल मंदिर का दृश्य |
नरसिंहगढ़ किले का दृश्य |
नरसिंहगढ़ किला |
नरसिंहगढ़ किला |
नरसिंहगढ़ किले के पास पहाड़ी और तालाब |
नरसिंहगढ़ किले की तरफ जाने वाली रोड |
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