इलाहाबाद का खुसरो बाग / खुसरो उद्यान / खुसरो बाग प्रयागराज - Khusro Bagh Prayagraj
खुसरो बाग या खुसरो उद्यान के नाम से मशहूर यह एक बहुत बड़ा उद्यान है। यह उद्यान इलाहाबाद का एक प्रसिद्ध उद्यान है। खुसरो बाग इलाहाबाद में प्रसिद्ध एक बहुत बड़ा गार्डन है। इस गार्डन में आपको देखने के लिए बहुत सारी चीजें मिलती है। इस बाग में आपके देखने के लिए प्राचीन इमारतें हैं। यहां पर खुसरो की कब्र आपको देखने के लिए मिलती है। उसके साथ-साथ यहां पर आपको बगीचे देखने के लिए मिलते हैं। यहां पर आपको बिही का बगीचा देखने के लिए मिलता है। आम का बगीचा देखने के लिए मिलता है। यहां पर नर्सरी भी बनाई गई है, जहां पर पौधे तैयार किए जाते हैं। इसके अलावा यहां पर आपको फव्वारा भी देखने के लिए मिलेगा, जो शायद शाम को चालू किया जाता है। हम लोग खुसरो बाग घूमने के लिए सुबह के समय गए थे। हम लोग सुबह 9 बजे के करीब इस बाग में पहुंच गए थे।
हम लोग इलाहाबाद जनवरी के समय घूमने के लिए गए थे। हम लोग माघ मेले में घूमने के लिए गए थे। जनवरी के समय आपको इलाहाबाद में बहुत ज्यादा कोहरा देखने के लिए मिलता है। हम लोग सुबह 9 बजे इस पार्क में गए थे, तो यहां पर बहुत ज्यादा कोहरा था। यहां पर हमारी एंट्री फ्री थी और हमें किसी भी तरह का यहां पर चार्ज देना नहीं पड़ा। हम लोग पार्क के अंदर गए। यह पार्क चारों तरफ बाउंड्री से घिरा हुआ है और बहुत ऊंची ऊंची बाउंड्री आपको इस पार्क के चारों तरफ देखने के लिए मिलेगी। हम लोग जैसे ही पार्क एंटर हुए, तो हम लोगों को सुंदर सुंदर फूल देखने के लिए मिले, जो बहुत ही आकर्षक लग रहे थे। अलग अलग टाइप के फूल यहां पर लगे हुए थे। यहां पर मॉर्निंग वॉक करने वालों के लिए पक्का रास्ता बनाया गया है। इस रास्ते के दोनों तरफ आपको सुंदर सुंदर फूल देखने के लिए मिलेंगे। यहां पर आपको सबसे पहले बिही का बगीचा देखने के लिए मिलेगा। बिही यहां पर बहुत ज्यादा लगी हुई थी। यहां पर इन बगीचों को संभालने के लिए कर्मचारी भी लगे हुए थे, जो इनकी देखभाल कर रहे थे। हम लोग आगे बढ़े तो हम लोगों के यहां पर आंवले के बहुत सारे पेड़ देखने के लिए मिले। हम लोगों को यहां पर आम का बगीचा भी देखने के लिए मिला। यहां पर अलग-अलग प्रकार के आम आपको देखने के लिए मिल जाएंगे।
खुसरो बाग में मॉर्निंग वॉक करने का एक अलग ही अनुभव है, क्योंकि यहां पर सुबह सुबह के समय बहुत शांति रहती है चिड़ियों की आवाज सुनने के लिए मिलती है जो बहुत अच्छी लगती है यहां पर आपको बहुत सारे स्टूडेंट देखने के लिए मिलेंगे जो यहां पर स्टडी करने के लिए आते हैं और बहुत अच्छा लगता है, यहां पर चारों तरफ हरियाली देखने के लिए मिलती है।
यहां पर सुबह के समय बहुत सारे लोग क्रिकेट भी खेल रहे थे। यहां पर एक छोटा सा ग्राउंड जमीन के अंदर बनाया हुआ था। उसी में बहुत सारे युवा लोग क्रिकेट खेल रहे थे। हम लोग आगे बढ़े, तो हमें यहां पर एक मंदिर देखने के लिए मिला। एक पीपल का पेड़ लगा हुआ था। उसके बाजू में हनुमान जी का मंदिर था। मंदिर के पीछे हम लोगों को एक कुआं देखने के लिए मिला। पार्क में जगह-जगह पर आपको बैठने के लिए पत्थर के बेंच बनाए गए हैं, जहां पर आप बैठकर पार्क की खूबसूरती का आनंद उठा सकते हैं।
खुसरो बाग में हमें नर्सरी भी देखने के लिए मिली। नर्सरी में आम और बिही के बहुत सारे प्लांटों को तैयार किया जाता है। अलग-अलग नई नई प्रजातियों को तैयार किया जाता है। यहां पर बिही की बहुत सारी प्रजातियां आपको देखने के लिए मिलेगी और आम की भी यहां पर बहुत सारी प्रजातियां देखने के लिए मिल जाएगी। यहां पर एक बोर्ड लगा हुआ है, जिसमें आम की बहुत सारी प्रजातियां आपको पढ़ने के लिए मिल जाएंगी और बिही की भी बहुत सारी प्रजातियां की जानकारी आप पढ़ सकते हैं। आप आगे बढ़ेंगे, तो यहां पर कर्मचारियों के रहने के लिए घर बने हुए हैं। उसके बाद आगे बढ़ने पर हमे यहां पर फव्वारा देखने के लिए मिलता है। फव्वारा यहां पर शायद रात को चालू होता हो, क्योंकि हम लोग जब सुबह गए थे। तब यहां पर फव्वारा चालू नहीं था। थोड़ा और आगे बढ़ने पर हमें यहां पर प्राचीन इमारतें देखने के लिए मिली, जो यहां की खूबसूरती में चार चांद लगा देती है। यह इमारतें दूर से ही देखने में बहुत ही आकर्षक लग रही थी। खुसरो बाग के मध्य में आपको चार खूबसूरत इमारतें देखने के लिए मिलती हैं। यह सारी प्राचीन इमारतें हैं और यह मुगलों की कब्र हैं। इन इमारतों की बनावट बहुत ही आकर्षक है।
खुसरो बाग इलाहाबाद का इतिहास - Khusro Bagh Allahabad History
इलाहाबाद को प्राचीन समय में प्रयाग के नाम से जाना जाता था। प्रयाग में कई साम्राज्य एवं राजवंशों द्वारा नियंत्रण किया गया है। 1575 ईस्वी में मुगल सम्राट अकबर ने संगम के पवित्र तट पर एक किला बनवाया और इसे इल्हाबाद नाम दिया, जो बाद में इलाहाबाद बन गया। राजकुमार सलीम ने इलाहाबाद से ही अपने पिता अकबर के खिलाफ विद्रोह का नेतृत्व किया था। 1605 ईस्वी में अकबर की मृत्यु के पश्चात उसके पुत्र सलीम ने जहांगीर के नाम से सम्राट पद ग्रहण किया। जहांगीर उद्यानों का बहुत बड़ा प्रेमी था। अपने इलाहाबाद प्रवास के दौरान राजकुमार सलीम ने सरकार के लिए खुसरो बाग का निर्माण कराया था। खुसरो बाग में चार केंद्रीय संरक्षित स्मारक है, जिन्हें शाह बेगम का मकबरा, खुसरो का मकबरा, निसार बेगम का मकबरा एवं बीवी तमोलन का मकबरा के नाम से जाना जाता है।
शाह बेगम का मकबरा - Shah Begum's Tomb
जहांगीर के समय में यह कई महत्वपूर्ण इमारतों का निर्माण हुआ, जिसमें उनकी पहली पत्नी मानबाई का मकबरा प्रमुख है। जहांगीर ने अपने पुत्र खुसरो के जन्म के पश्चात मान भाई को शाह बेगम की उपाधि दी थी। इसी कारण इस मकबरे का नाम शाह बेगम का मकबरा है। मानबाई आमेर के राजा भगवंत दास, जो उस समय पंजाब के गवर्नर थे, की पुत्री थी और राजपूत राजा मानसिंह की बहन थी। 1584 ईसवी में उनका विवाह सलीम के साथ हुआ और 1587 इसमें उन्होंने खुसरो को जन्म दिया। सलीम मुगल शासक जहांगीर के बचपन का नाम था। शाह बेगम ने 1603 ईसवी में इलाहाबाद में अफीम की अत्याधिक मात्रा में सेवन करके आत्महत्या कर ली थी। वह पिता और पुत्र के बीच कड़वाहट को लेकर बहुत चिंतित और दुखी थी। उनकी कब्र इसी बाग में निर्मित है, जिसे बाद में खुसरो बाग के नाम से जाना जाने लगा। इस मकबरे का नक्शा जहांगीर के सबसे प्रमुख कलाकार अक्का रजा ने 1606 से 1607 ईसवी के बीच तैयार किया था। यह एक तीन मंजिला इमारत है। इसकी छत पर खड़ी है, जिसके ऊपर एक बड़ी छतरी है। इसके ठीक नीचे शाह बेगम की कब्र है। मकबरे पर अभिलेख जहांगीर के प्रसिद्ध लेखाकार मीर अब्दुल मुस्कीन कलाम द्वारा बेल बूटे जैसा दिखने वाले अरबी अभिलेखों से सजा है।
खुसरो का मकबरा - Khusro's Tomb
खुसरो (१५८७ - १६२२ ) जहांगीर और शाह बेगम का बड़ा बेटा था। खुसरो सुशिक्षित और अपने शिष्ट व्यवहार एवं निर्वाचित व्यक्तित्व के कारण जनता में लोकप्रिय था। 1607 ईस्वी में अकबर बुरी तरह से बीमार पड़े और तब खुसरो के साथियों ने उनके ससुर मिर्जा अजीज कोका और उनके मामा आमेर के राजा मान सिंह के नेतृत्व में खुसरो को गद्दी पर बैठाने का भरपूर प्रयास किया। परंतु अकबर ने अपने अंतिम समय में सलीम को गद्दी पर नियुक्त किया और सलीम को जहांगीर की पदवी से नवाजा। जहांगीर की गद्दी पर बैठने के कुछ महीनों बाद खुसरो ने विद्रोह कर दिया, परंतु वह जहांगीर द्वारा परास्त कर दिया गया। उसे गिरफ्तार कर अंधा कर दिया गया। अपने भाई खुर्रम (जिन्हें बाद में शाहजहां के नाम से जाना गया )की देखरेख में बंदी रहते हुए ही 1622 ईस्वी में उनकी मृत्यु हो गई। उन्हें खुसरो बाग में ही उनकी मां के मकबरे के बगल में दफनाया गया। खुसरो का मकबरा उनकी बहन सुल्तान निसार बेगम ने बनवाया था। मेहराबदार दीवारों वाली यह इमारत अष्टकोण आकार की संरचना पर बने स्तंभों पर टिके विशाल गुंबद से ढकी है, जिसके कोने पर छोटी छतरियां बनी है। इस कक्ष के भीतरी हिस्से पुष्प और सनोबर की डिजाइन से सजे हैं। गुंबद पर व्रत और तारों का शैली में चित्रण किया गया है, जो एतादउल्ला के मकबरे में बनी शैली से काफी समानता रखता है।
निसार बेगम का मकबरा - Tomb of Nisar Begum
निसार बेगम खुसरो की बहन थी। निसार बेगम का मकबरा शाह बेगम के मकबरे के समीप स्थित है। इस मकबरे का निर्माण 1624 से 1625 में उन्हीं के द्वारा खुसरो के मकबरे के निर्माण के समय ही किया गया था। यह मकबरा कभी समाधि के रूप में प्रयोग नहीं किया गया। इस मकबरे की वास्तु संरचना बहुत ही प्रभावशाली है। यह मकबरा एक ऊचे चबूतरे पर बना हुआ है।
बीवी तमोलन का मकबरा - Biwi Tamolan's Tomb
यहां स्थित चतुर्थ मकबरा बीवी तमोलन का है, जो परिसर के पश्चिमी भाग में स्थित है। इस मकबरे को किसी प्रकार का लेख अंकित नहीं है। यह मान्यता है कि यह मकबरा फतेहपुर सीकरी के इंस्तांबुल बेगम से संबंधित है। खुसरो कि किसी बहन ने अपने लिए यह मकबरा बनवाया था। परंतु उनको वहां पर दफनाया नहीं गया था।
शाह बेगम का मकबरा बहुत ही खूबसूरत है और मकबरे के आप ऊपर जा सकते हैं। ऊपर जाने के लिए सीढ़ियां बनाई हुई है। इन सभी मकबरे पर आपको पत्थर पर खूबसूरत कारीगरी देखने मिलती है। आप मकबरे के चारों तरफ घूम सकते हैं। यह मकबरा एक ऊंचे मंडप पर बना हुआ है, मकबरे के बीच में शाह बेगम की कब्र है। वहां पर ताला लगा रहता है। आप कब्र के पास नहीं जा सकते हैं। बाकी आप ऊपर से पूरा मकबरा घूम सकते हैं। उसके बाद हमे निसार बेगम का मकबरा देखने के लिए मिलता है। इस मकबरे के भी आप ऊपर जा सकते हैं। ऊपर जाने के लिए सीढ़ियां दी गई है। यह मकबरा भी बहुत ही खूबसूरती से बना हुआ है। शाह बेगम के मकबरे और निसार बेगम के मकबरे के बीच में आपको एक छोटा सा कुंड देखने के लिए मिलता है। यह शायद प्राचीन समय में इस में पानी भरा जाता होगा। सबसे अंतिम में आपको खुसरो का मकबरा देखने के लिए मिलता है। खुसरो का मकबरा एक मंडप पर बना हुआ है और आप मकबरा के चारों तरफ से घूम सकते हैं। मकबरे में ऊपर की तरफ छोटी-छोटी छतरियां बनी हुई है, जो बहुत ही खूबसूरत लगती है। मकबरे के प्रवेश द्वार पर आपको पेंटिंग भी देखने के लिए मिलती है, जो बहुत लाजवाब है। इन मकबरों की जानकारी भी आपको इनके सामने बोर्ड लगा हुआ है, उनमें लिखी हुई मिलती है। यह तीनों मकबरे देखने के बाद हम लोग चौथे मकबरे की तरफ बढ़े, जो बीवी तमोलन का मकबरा था। बीबी तमोलन का मकबरा गोलाकार है। इस मकबरे में जाने वाले रास्ते में दोनों तरफ पेड़ लगे हुए थे और मकबरे में जालीदार खिड़कियां लगी हुई थी, जो बहुत खूबसूरत लग रहा था। यहां पर आपको बहुत सारे कपल्स भी देखने के लिए मिलते हैं, जो यहां पर बैठे रहते हैं।
खुसरो बाग इलाहाबाद की फोटो - Khusro Bagh Allahabad Image
खुसरो बाग का प्रवेश द्वार |
खुसरो बाग में बने मकबरे |
खुसरो बाग की सुंदर रास्ता |
शाह बेगम का मकबरा |
शाह बेगम का मकबरा |
खुसरो बाग में बना बिही का बगीचा |
खुसरो बाग में मॉर्निंग वॉक का रास्ता |
बीबी तमोलन का मकबरा |
बीबी तमोलन का मकबरा |
खुसरो का मकबरा |
खुसरो बाग घूमने में हम लोगों को बहुत मजा आया। हम लोग सुबह सुबह उठकर आए थे, तो हम लोगों को बहुत ठंडी लग रही थी, क्योंकि यहां पर जनवरी के समय में बहुत ज्यादा ठंडी रहती है और ओस गिर रही थी। कोहरा चारों तरफ छाया हुआ था। मगर हम लोग की पूरी ठंडी इस बगीचे में घूमने से चली गई। खुसरो बाग सूर्योदय से सूर्यास्त तक खुला रहता है। आप सुबह आ जाइए और शाम को सूरज ढलने तक घूम सकते है। हम लोगों को खुसरो बाग घूमने में करीब 1 से डेढ़ घंटा लगा था। आप भी यहां पर आकर घूम सकते हैं।
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