भोजेश्वर मंदिर या भोजपुर शिव मंदिर भोपाल मध्य प्रदेश - Bhojeshwar Temple or Bhojpur Shiv temple Bhopal Madhya Pradesh
भोजपुर शिव मंदिर मध्य प्रदेश का सबसे प्रसिद्ध मंदिर है। इस मंदिर में विश्व का सबसे बड़ा शिवलिंग विराजमान है। यह शिवलिंग एक ही पत्थर से बना हुआ है। यह मंदिर बहुत प्राचीन है। यह मंदिर करीब 1000 साल पुराना है। भोजपुर शिव मंदिर पूरी तरह पत्थरों से बना हुआ है। यह शिवलिंग बहुत विशाल है। यहां पर गार्डन भी बना हुआ है, जहां पर आप बैठ सकते हैं। शिवलिंग के सामने छोटे-छोटे मंदिर बने हुए हैं, जिनमें अन्य देवी-देवताओं की प्रतिमाएं विराजमान है। भोजपुर शिव मंदिर के अंदर स्तंभ देखने के लिए मिलते हैं, जो बहुत सुंदर लगते हैं। मंदिर के अंदर सुंदर नक्काशी भी देखने के लिए मिलती है। यह मंदिर अपनी भव्यता और विश्व के सबसे बड़े शिवलिंग के लिए जाना जाता है।
भोजपुर के शिव मंदिर को भोजेश्वर मंदिर के नाम से भी जाना जाता है। भोजपुर का शिव मंदिर मध्य प्रदेश का सबसे बड़ा शिव मंदिर है और मध्य प्रदेश का सबसे बड़ा शिवलिंग यहां पर विराजमान है। यहां पर दर्शन करने के लिए पूरे भारत से लोग आते हैं। भोजपुर के शिव मंदिर का निर्माण आधा अधूरा है। आधे अधूरे शिव मंदिर को लेकर अलग-अलग बातें कही जाती है। भोजपुर का शिव मंदिर अपने आधे अधूरे निर्माण के कारण भी लोगों के बीच में प्रसिद्धि का कारण है। यह मंदिर बहुत सुंदर है और बहुत ही अद्भुत लगता है। यहां पर बहुत सारी प्राचीन मूर्तियां देखने के लिए मिलती हैं। भोजपुर शिव मंदिर मध्य प्रदेश के रायसेन जिले के अंतर्गत आता है। यह मंदिर भोपाल से करीब 32 किलोमीटर दूरी पर स्थित है।
भोजपुर मंदिर का दर्शन - Bhojpur Mandir ka Darshan
भोजपुर का शिव मंदिर घूमने के लिए हम लोग भोपाल से सुबह के समय निकाल गए थे। भोपाल से भोजपुर की दूरी करीब 32 किलोमीटर है। मगर हम लोग डायरेक्ट भोजपुर मंदिर नहीं आए थे। हम लोग और भी जगह घूमने के लिए गए थे। हम लोग रामगढ़ धाम, अजनाल डैम, कंकाली माता का मंदिर भी घूमने के लिए गए थे। भोजपुर शिव मंदिर जाने वाली सड़क में हम लोगों को निखिल धाम भी देखने के लिए मिले था। निखिल धाम हनुमान जी का मंदिर है और यह मंदिर भोजपुर के पास ही में है और यह बहुत सुंदर मंदिर है। भोजपुर शिव मंदिर के पास में पार्वती गुफा मंदिर भी है। हम लोग इस मंदिर में भी घूमने के लिए गए थे। यह मंदिर भी बहुत सुंदर है और बेतवा नदी के किनारे बना हुआ है।
भोजपुर के पास पार्वती मंदिर घूमने के बाद, हम लोग भोजपुर शिव मंदिर गए थे। भोजपुर शिव मंदिर मुख्य सड़क में ही स्थित है। भोजपुर शिव मंदिर के की तरफ जाते समय बेतवा नदी भी देखने के लिए मिलती है। यहां पर बेतवा नदी का सुंदर दृश्य देखने के लिए मिलता है। बेतवा नदी में बने पुल को पार करके, हम लोग भोजपुर शिव मंदिर पहुंच गए। भोजपुर शिव मंदिर मुख्य सड़क से करीब 500 मीटर दूर होगा। यहां पर हम लोग को मुख्य सड़क में ही प्रसाद वाले दुकान वाले लोग रोक रहे थे और गाड़ी खड़ी करने के लिए बोल रहे थे और प्रसाद लेने के लिए कह रहे थे। मगर हम लोगों ने यहां गाड़ी नहीं खड़ी करी। हम लोग गाड़ी सीधे भोजपुर मंदिर के गेट के पास ले गए। यहां पर पार्किंग के लिए जगह है, जहां पर हम लोगों ने अपनी गाड़ी खड़ी करी। भोजपुर मंदिर के मुख्य गेट के बाहर बहुत सारी दुकाने थे। इनमें से बहुत सारी दुकानें खाने-पीने की थी। प्रसाद की थी और सामानों की थी। हम लोगों ने प्रसाद लिया और उसके बाद मंदिर में प्रवेश किया। भोजपुर मंदिर दूर से ही देखने के लिए मिल रहा था। यह मंदिर ऊंचाई पर बना हुआ है। इसलिए मुख्य सड़क से ही यह मंदिर दिखने लगता है।
हम लोग भोजपुर मंदिर के एंट्री गेट से मंदिर में प्रवेश किया। यहां पर सिक्योरिटी गार्ड बैठे रहते हैं। मंदिर के अंदर जाते समय हम लोगों को बहुत सारे बंदर देखने के लिए मिले। यहां पर बहुत सारे बोर्ड भी लगे हुए थे, जिनमें मंदिर के बारे में बहुत सारी जानकारी दी हुई थी। हम लोग सबसे पहले मंदिर गए। मंदिर एक ऊंचे मंडप पर बना हुआ था। मंडप पर चढ़ने के लिए सीढ़ियां थी। हम लोग सीढ़ियों से चढ़कर ऊपर गए। ऊपर हमें मुख्य मंदिर के सामने तीन छोटे-छोटे अन्य मंदिर देखने के लिए मिले। इन मंदिरों में भी शंकर भगवान जी के शिवलिंग और नंदी भगवान विराजमान थे। हम लोग मुख्य मंदिर में गए। मुख्य मंदिर में शिव जी का बहुत बड़ा शिवलिंग देखने के लिए मिला।
भोजपुर शिव मंदिर का प्रवेश द्वार बहुत बड़ा है। मंदिर के अंदर जाते हैं, तो बहुत बड़े शिवलिंग के दर्शन करने के लिए मिलते हैं। यह विश्व के सबसे बड़े शिवलिंग है और मध्यप्रदेश के भी सबसे बड़े शिवलिंग है और यह शिवलिंग एक ही पत्थर से बना हुआ है। मंदिर के अंदर चार स्तंभ देखने के लिए मिलते हैं। यह चार स्तंभ के ऊपर ही मंदिर की छत टिकी हुई है। मंदिर की छत पर सुंदर नक्काशी देखने के लिए मिलती है। मंदिर की ऊपरी छत पर मधुमक्खी के छत्ते भी बने हुए हैं। मंदिर को आप देखेंगे, तो आपको समझ में आएगा। इसमें पत्थर के ऊपर पत्थर रखकर मंदिर को बनाया गया है और मंदिर बहुत ही सुंदर लगता है। मंदिर का ऊपरी भाग अधूरा है। यह मंदिर किन कारणों से अधूरा है। इसके बारे में अभी तक पुख्ता सबूत नहीं मिले हैं। मगर अलग-अलग लोगों की अलग-अलग राय है।
हम लोग ने अपने साथ जो भी प्रसाद और नारियल लाए थे। तो वह भोजपुर मंदिर के शिवलिंग पर चढ़ा दी है। उसके बाद हम लोगों ने इस शिवलिंग की परिक्रमा करें। उसके बाद हम लोग मंदिर के बाहर आ गए। मंदिर के बाहर प्रवेश द्वार के दोनों तरफ सुंदर मूर्तियां देखने के लिए मिलती है। यह मूर्तियां मंदिर की दीवारों पर पत्थर पर उकेर कर बनाई गई हैं और बहुत सुंदर लगती हैं। यहां पर बहुत सारी मूर्तियां देखने के लिए मिलती है। उसके बाद हम लोग मंदिर के सामने बने छोटे-छोटे मंदिर में शिवलिंग के दर्शन करें। यह मंदिर भी बहुत सुंदरता से बनाया गया है और इनमें भी बारीक नक्काशी की गई है।
हम लोग मंदिर में दर्शन करने के बाद नीचे आ गए। हम लोग यहां पर गर्मी के समय गए थे। पूरे मंदिर में नीचे जमीन में चीप बिछी हुई है, जिससे हम लोगों के पैर बहुत जल रहे थे। हम लोग जल्दी से नीचे आए हैं और अपनी चप्पल पहने हैं। उसके बाद हम लोग मंदिर के बाजू में बने गार्डन में घूमने के लिए गए। यहां पर सुंदर गार्डन बना हुआ है। पेड़ पौधे लगे हुए हैं और फूल लगे हुए हैं। यहां पर बहुत सारे बंदर भी थे। यहां पर जो भी लोग घूमने आते हैं। इन बंदर को कुछ ना कुछ खिलाते हैं। यहां पर बंदरों की बहुत ज्यादा मजे हैं। उन्हें भरपेट खाना मिलता है। यहां पर पेयजल का एक फिल्टर लगा हुआ था। बाथरूम वगैरह की सुविधा भी उपलब्ध थी। मंदिर के पीछे की तरफ आपको रैंप देखने के लिए मिलता है। जिसका उपयोग प्राचीन समय में पत्थरों को ठोकर लाने में किया जाता होगा।
भोजपुर मंदिर का दृश्य बहुत ही सुंदर है। भोजपुर मंदिर से आप चारों तरफ की सुंदर पहाड़ियों को देख सकते हैं। यह मंदिर ऊंचाई पर स्थित है। इसलिए चारों तरफ का सुंदर दृश्य देखने के लिए मिलता है। भोजपुर मंदिर का नक्शा भी देख सकते हैं। नक्शे में आपको मंदिर के आसपास की सभी चीजों के बारे में जानकारी मिल जाती है। भोजपुर मंदिर के पास जैन मंदिर भी है, जो बहुत प्रसिद्ध है और यह मंदिर भी बहुत प्राचीन है। मगर हम लोग जैन मंदिर नहीं गए थे। हम लोग भोजपुर मंदिर बस घूमे थे। भोजपुर मंदिर से लौटते समय हम लोगों को एक पेड़ में एक बंदर बैठा हुआ देखा। जो इस तरह से बैठा हुआ था। जैसे उसे कोई टेंशन नहीं है और मस्त बिस्किट निकाल कर खा रहा था। हम लोग को बंदर देख कर बहुत मजा आया और उसके बाद हम लोग भोजपुर मंदिर से बाहर आ गए और अपने आगे के सफर की तरफ चल दिया।
भोजपुर का मेला - Bhojpur ka mela
भोजपुर मंदिर पूरे भारत देश में प्रसिद्ध है। भोजपुर मंदिर में वैसे हर दिन मेले जैसा यह माहौल रहता है, क्योंकि यहां पर बहुत सारे लोग भगवान शिव के दर्शन करने के लिए आते हैं। मगर भोजपुर मंदिर में मकर संक्रांति के दिन और महाशिवरात्रि के दिन मेला लगता है। यहां पर मेले में बहुत सारे लोग शामिल होते हैं और बहुत सारे लोग भगवान शिव के दर्शन करने के लिए आते हैं। मेले में तरह-तरह की दुकानें लगती है। यहां पर अलग-अलग सामान मिल जाता है। यहां पर झूला और समान की अलग-अलग तरह की दुकान मिल जाती है, जहां पर आप इन दुकानों से सामान ले सकते हैं और झूलों का मजा ले सकते हैं।
भोजपुर शिव मंदिर का इतिहास - History of Bhojpur Shiv Temple
यह भव्य मंदिर भोपाल से लगभग 32 किलोमीटर दक्षिण पूर्व में बेतवा नदी के दाहिने तट पर एक ऊंची चट्टान पर स्थित है। यह अद्वितीय मंदिर किसी अज्ञात कारणवश अपूर्ण रहा। इसके निर्माण का श्रेय मध्य भारत के परमार वंश के राजा भोज देव को आता है, जो कला एवं स्थापत्य एवं विद्या के महान संरक्षक थे। राजा भोज देव एक सुप्रसिद्ध लेखक है थे। उन्होंने 11 सौ से अधिक पुस्तकें लिखी।
भोजपुर शिव मंदिर का स्थापत्य - Architecture of Bhojpur Shiva Temple
भोजपुर शिव मंदिर पश्चिम दिशा की ओर सम्मुख यह विशाल मंदिर 106 फीट लंबा, 77 फीट चौड़ा एवं 17 फीट ऊंचे एक चबूतरे पर निर्मित है। इसके गर्भ ग्रह का पूर्ण शिखर 40 फीट ऊंचे विशालकाय चार स्तंभों और 12 अर्ध स्तंभों पर आधारित है। योजना में वर्गाकार गर्भ ग्रह में चमकदार पॉलिश युक्त एक विशाल शिवलिंग प्रतिष्ठित है। इसके पश्चिम दिशा से प्रवेश हेतु सीढ़ियां हैं, जिनका श्री गणेश चंद्रशिला से होता है। गर्भ ग्रह की द्वार शाखा के दोनों ओर नदी देवी गंगा और यमुना की प्रतिमाओं का अलंकरण है। गर्भ ग्रह के विशाल शीर्ष स्तंभ उमा महेश्वर, लक्ष्मीनारायण, ब्रह्मा सावित्री एवं सीताराम की प्रतिमाओं से अलंकृत है। अलंकरण की दृष्टि से मंदिर के अग्रभाग को छोड़कर शेष बाह्य भाग लगभग सादा है। यद्यपि मंदिर की तीनों ओर गवाक्षों की कार्यात्मक उपयोगिता नहीं है, किंतु यह सादी दीवारों की नीरसता को विराम देती है। संभवतया इन गवाक्षों में कभी शैव संप्रदाय के परिवार देवता समायोजित थे, जो अब मंदिर के चारों ओर बिखरे हुए हैं।
भोजपुर मंदिर का रहस्य - Bhojpur mandir ka rahasya
भोजपुर मंदिर के बारे में अलग-अलग लोग अलग-अलग तरह की बातें करते हैं। इस मंदिर के बारे में अलग-अलग राय दी जाती है। इस मंदिर का अधूरा शिखर लोगों की जिज्ञासा का कारण है। लोगों का मानना है कि इस मंदिर को एक रात में ही पूरा बनकर तैयार होना था। मगर सुबह हो गई और मंदिर का शिखर अधूरा ही रह गया। तब से इस मंदिर का शिखर आज तक अधूरा ही है। वह पूरा नहीं किया गया।
एक अन्य जनश्रुति के अनुसार भोजपुर मंदिर का निर्माण पांडवों के द्वारा किया गया है। पांडवों ने इस मंदिर का निर्माण अपने वनवास काल के दौरान किया था। यहां पर पांडवों ने शिवजी की उपासना किया था। यहीं पर कुंती ने अपने पुत्र कर्ण को बेतवा नदी में बहा दिया था।
भोजपुर मंदिर की मुख्य विशेषता - Highlights of Bhojpur Temple
भोजपुर मंदिर में विराजमान शिवलिंग योनिपीठ सहित 22 फीट ऊंचा है। यह शिवलिंग दुनिया का सबसे ऊंचे और विशालतम शिवलिंग में से एक है। एक ही पत्थर से बने विशाल योनिपीठ के ऊपर छत का एक बड़ा पत्थर गिरने से यह दो भागों में टूट गया था और इस प्रकार सदियों तक इस मंदिर की टूटी हुई योनिपीठ एवं छत आकाश की ओर खुली रही। किंतु बाद में योनिपीठ को अति सावधानी पूर्वक जोड़ दिया गया एवं छत का खुला भाग अधोकमल से अलंकृत फाइबर ग्लास की चादर से ढक दिया गया, जोकि छत के मूल स्थापत्य अवशेषों के समारूप है।
मंदिर के पृष्ठ भाग में एक रपटा विद्यमान है। जिसका उपयोग मंदिर निर्माण के समय विशाल पत्थरों को ढोने के लिए किया जाता किया गया था। विश्व में कहीं भी इस प्रकार की प्राचीन भवन निर्माण तकनीक का उदाहरण विद्यमान नहीं है। यदि इस रपटे का अस्तित्व ना होता, तो यह तथ्य एक रहस्य ही रह जाता, कि कैसे मंदिरों के निर्माणकर्ताओं ने लगभग 35 * 5 * 5 फीट तक के बड़े एवं लगभग 70 टन तक भारी वाले पत्थरों को मंदिर शीर्ष तक पहुंचाया।
इसके अतिरिक्त कहीं भी विस्तार से मंदिर के रेखा चित्र जैसे की भू विन्यास एवं अर्ध विन्यास, स्तंभ एवं अर्ध स्तंभ, शिखर एवं कलश चट्टानों की सतह पर आयु लेख इस तरह उत्कीर्ण नहीं किए हुए हैं। इससे स्पष्ट होता है कि मंदिर निर्माण के पूर्व उनके विन्यास एवं अर्थ विन्यास चट्टानों पर उत्कीर्ण किए जाते थे। यहां विद्यमान रपटा, चट्टानों पर उत्कीर्ण स्थापत्य खंड, गर्भ ग्रह के प्रतिष्ठित विशाल एवं भव्य शिवलिंग मानव जाति को यहां की अद्वितीय विरासत के विषय में बताते हैं।
भोजपुर मंदिर के खुलने का समय - Bhojpur temple opening Timing
भोजपुर मंदिर सूर्यास्त से खुल जाता है एवं सूर्यास्त तक खुला रहता है। सूर्यास्त के बाद मंदिर में प्रवेश बंद कर दिया जाता है।
भोजपुर का शिवलिंग - Shivling of Bhojpur
भोजपुर मंदिर में विराजमान संपूर्ण शिवलिंग की ऊंचाई 5.5 मीटर है। शिवलिंग का व्यास 2.3 मीटर है और केवल लिंग की ऊंचाई 3.85 मीटर है।
भोजपुर मंदिर कहां स्थित है - Where is Bhojpur temple located
भोजपुर का मंदिर रायसेन जिले के अंतर्गत आता है। भोजपुर शिव मंदिर रायसेन जिले के भोजपुर शहर में स्थित है। भोजपुर भोपाल से करीब 32 किलोमीटर दूर है। भोजपुर भोपाल से होशंगाबाद जाने वाली सड़क में पड़ता है। भोजपुर बेतवा नदी के किनारे पर बसा हुआ है। भोजपुर शिव जी का मंदिर मुख्य सड़क में स्थित है। यह मंदिर ऊंची पहाड़ी पर स्थित है। इस मंदिर में आसानी से पहुंचा जा सकता है।
भोजपुर मंदिर कैसे आ सकते हैं - How to reach Bhojpur Temple
भोजपुर मंदिर बाइक और कार के द्वारा आसानी से पहुंचा जा सकता है। भोजपुर मंदिर में सड़क के माध्यम से आसानी से आ सकते हैं। भोजपुर मंदिर तक आने के लिए अच्छी सड़क उपलब्ध है। भोजपुर मंदिर में आने के लिए आप टैक्सी या कैब बुक करके भी आ सकते हैं। यहां पर आने के लिए टैक्सी वगैरह भी चलती हैं। अगर आप भोजपुर मंदिर किसी दूसरे स्टेट से आ रहे हैं, तो भोपाल में आप हवाई मार्ग और रेल मार्ग दोनों से पहुंच सकते हैं और उसके बाद भोजपुर मंदिर के लिए आप सड़क मार्ग से आ सकते हैं। भोपाल से भोजपुर मंदिर की दूरी करीब 32 किलोमीटर है। रायसेन जिले से भोजपुर मंदिर की दूरी 50 किलोमीटर है और अब्दुल्लागंज से भोजपुर मंदिर की दूरी 18 दूर है।
भोजपुर के मंदिर की फोटो - Bhojpur Temple Images
भोजेश्वर मंदिर |
भोजपुर मंदिर का शिवलिंग |
भोजपुर मंदिर का संपूर्ण शिवलिंग |
भोजपुर मंदिर की ऊपरी छत |
भोजेश्वर मंदिर |
भोजपुर मंदिर के सामने स्थित अन्य छोटे-छोटे मंदिर |
भोजपुर मंदिर से चारों तरफ का सुंदर दृश्य |
भोजपुर मंदिर से चारों तरफ का सुंदर दृश्य |
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