उदयगिरि की गुफाएं एवं पहाड़ी विदिशा मध्य प्रदेश - Udayagiri Caves and Hill Vidisha Madhya Pradesh
उदयगिरि की गुफाएं विदिशा शहर का एक प्रमुख ऐतिहासिक धरोहर है। यहां पर आपको प्राचीन गुफाएं देखने के लिए मिलती है। यह गुफाएं जैन और हिंदू धर्म से संबंधित है। इन गुफाओं में आपको प्राचीन लोक कथाओं के बारे में और मूर्तियां देखने के लिए मिलती हैं। इन मूर्तियों की नक्काशी बहुत ही सुंदर है। यह गुफाएं उदयगिरि की पहाड़ियों में फैली हुई हैं। यहां पर कुल 20 गुफाएं हैं। यहां पर 18 गुफाएं हिंदू धर्म की है और 2 गुफाएं जैन धर्म की है। यह गुफाएं चौथी और पांचवी शताब्दी की है। इन गुफाओं को बनाने का मकसद हिंदू और जैन धर्म का प्रसार करना था। यहां पर आपको उदयगिरि की पहाड़ियां देखने मिलती है। यहां पर हरियाली देखने के लिए मिलती है। बेस नदी (हलाली नदी) का सुंदर दृश्य देखने के लिए मिलता है। चारों तरफ यहां पर खेत है। उदयगिरि की पहाड़ी की सबसे ऊंची चोटी से आप सुंदर दृश्य देख सकते हैं।
विदिशा की उदयगिरि गुफाओं के दर्शन - Vidisha ki Udaygiri Gufa ke Darshan
उदयगिरि की गुफाओं में हम लोग अपनी गाड़ी से गए थे। यहां पर पार्किंग के लिए अच्छी जगह है। उदयगिरी जाने का जो रास्ता है। वह भी बहुत अच्छा है। दोनों तरफ आपको खेत देखने के लिए मिलते हैं और खेतों के बीच से होते हुए आप का रास्ता उदयगिरि तक जाता है। उदयगिरि पहुंचकर सबसे पहले टिकट लेना पड़ता है। यहां पर पार्किंग के लिए बहुत बड़ी जगह है। गाड़ी पार्क करके हम लोग उदयगिरि की गुफा देखने के लिए गए। यहां पर आप चाहे, तो पहले यहां का प्राकृतिक दृश्य को देख सकते हैं या प्राचीन गुफा देख सकते हैं।
हम लोग पहले गुफा देखने के लिए गए। गुफा देखने के लिए हम लोग को कुछ दूर तक चलना था। यहां पर गुफा तक जाने के लिए रास्ता अच्छा था। पेड़ पौधे लगे हुए थे और रोड के दूसरी तरफ गांव था। यहां पर दुकान थी , जहां से कोल्ड ड्रिंक वगैरह भी मिल जाती है। हम लोग गुफा के पास पहुंच गए। यहां पर सबसे पहले हम लोगों एक गुफा देखने के लिए मिली। यह गुफा देखने में बहुत ही अजीब लग रही थी।
हम लोगों को उदयगिरि की गुफा नंबर 7 देखने के लिए मिली। गुफा नंबर 7 को तवा गुफा के नाम से जाना जाता है। इस गुफा के ऊपरी भाग में एक बड़ी गोलाकार सपाट तल वाली शिला है, जो कि देखने में तवे की तरह लगती है। यहीं पर चंद्रगुप्त द्वितीय के मंत्री वीरसेन द्वारा उत्कीर्ण गुप्तकालीन ब्राह्मी लिपि में अभिलेख है, जिसके अनुसार दुनिया को जीतने के लिए सम्राट चंद्रगुप्त द्वितीय निकले थे। यह अभिलेख एकमात्र लिखित साक्ष्य है, जिसमें सम्राट चंद्रगुप्त द्वितीय की विजय यात्रा का वर्णन मिलता है।
फिर हम लोगों को उदयगिरि की गुफा नंबर 12 देखने के लिए मिली। यह गुफाएं आले की तरह दिखाई देती है। इस गुफा के दोनों तरफ मुख्य देवता के नीचे की ओर द्वारपाल खड़े हैं। यह गुफा भगवान विष्णु के नरसिंह अवतार को समर्पित है, जिसको अब तक की सबसे प्राचीन नरसिंह की प्रतिमा माना गया है। इस गुफा के पास शंख लिपि में लिखा हुआ लेख प्राप्त हुआ है। जिसको अभी तक पढ़ा नहीं जा सका है। कुछ विद्वानों का मानना है कि शंख लिपि में उत्कीर्ण लेख गुप्त काल से पहले के हैं।
फिर हमने उदयगिरि गुफा की गुफा नंबर 4 देखा। इस गुफा को वीणा गुफा के नाम से जाना जाता है, क्योंकि दरवाजे के ऊपरी भाग में बने पांच छोटे गोलाकार पट्टिकाओं में से एक बाई पाट्टिका में एक मानव आकृति को वीणा बजाते हुए, जबकि दाएं तरफ वाली पट्टिका में एक मानव आकृति को सारंगी बजाते हुए दिखाया गया है। इस गुफा के गर्भ गृह में भगवान शिव का प्रतीक एक मुखी शिवलिंग विराजमान है। यहां पर शिवलिंग एक चाकोर पाठ पीठ पर स्थापित है। शिव के चेहरे पर अद्भुत सौंदर्य का भाव है। इनके गले में हार है तथा जटाओं की लड़ियां गर्दन के दोनों ओर फैली हुई हैं।
फिर हमने उदयगिरी की गुफा नंबर 3 देखा। यह गुफा भगवान शिव के पुत्र कार्तिकेय को समर्पित है। इस गुफा एवं इसके प्रवेश द्वार को शिल्पी ने बहुत ही सामान तरीके से बनाया है। अमेरिकी शोधकर्ता जेम्स हार्ले ने अंदर स्थित कार्तिकेय की प्रतिमा को पांचवीं शताब्दी ईस्वी की सबसे सुंदर प्रतिमा बताया है। यह कार्तिकेय को खड़ा होने की मुद्रा में दर्शाया गया है। इनके दाएं हाथ में भाला और बाएं हाथ कमर के पास रखा है। कार्तिकेय के बालों को तीन लड़ियों में दर्शाया गया है।
फिर हमने उदयगिरि की गुफा नंबर 5 को देखा। उदयगिरि की गुफा नंबर 5 के बाहर बहुत ही सुंदर एक पौराणिक कथा से संबंधित दृश्य को दिखाया गया है। यहां पर विष्णु भगवान के वराह अवतार की कथा को बताया गया है। जब दानव हिरण कश्यप भूदेवी को गहरे पानी में लेकर चला गया था। तब भगवान विष्णु ने वराह के रूप में अवतार लिया तथा भूदेवी को दानव से बचाया था। दानव का वध करके भूदेवी की रक्षा की तथा उन्हें अपने दांत से उठाकर ब्रह्मांड में उनकी जगह पर स्थापित किया। यह दृश्य बहुत ही सुंदर लगता है। यहां पर विष्णु भगवान जी का वराह अवतार का शरीर मानव अवतार है और सिर वराह का है। यहां पर हमने देखा, कि जब विष्णु भगवान जी भूदेवी को समुद्र से निकाल कर ले जा रहे थे। तब सभी देवी देवता और भगवान ब्रह्मा जी और शंकर जी उन पर फूलों की बरसात कर रहे थे। आप यहां पर आकर इन सभी चीजों को गौर से देख सकते हैं। यहां पर आपको विष्णु भगवान जी का वराह अवतार देखने के लिए मिलता है। यहां पर नीचे की तरफ नाग देवता को भी आप देख सकते हैं यहां पर वरुण देव को भी दिखाया गया है।
इसके बाद हमें गुफा नंबर 6 देखने के लिए मिली। इस गुफा को सनकणिका गुफा के नाम से जाना जाता है। यहां सनकणिका नाम की स्थानीय जनजाति के मुखिया का एक अभिलेख मिला है। जिसमें उत्तर पूर्वी मालवा पर चंद्रगुप्त द्वितीय की विजय का उल्लेख किया गया है। यह गुफा भगवान शंभू को समर्पित है। वर्तमान में एक योनिपीठ के ऊपर एक शिवलिंग स्थापित है। यहां पर महिषासुर मर्दिनी का संभवत पहली बार अंकन किया गया, जिसमें महिषासुर को दो भागों में चीरते हुए दर्शाया गया है। इस गुफा के पास में एक छोटी गुफा में मातृकाओ की खंडित प्रतिमाएं हैं, जिनके साथ वीरभद्र या शिव का अंकन है। गणेश का भी यहां पर मूर्ति रूप में प्रारंभिक अंकन देखने को मिलता है। यह सभी गुफाएं पास पास में बनी हुई है। इसलिए आप इन सभी गुफाओं की जानकारी पढ़ सकते हैं और इन गुफाओं को देख सकते हैं। इन गुफाओं में सबसे अच्छा दृश्य हम लोग को पौराणिक कथा का लगा, जिसमें विष्णु भगवान जी के वराह अवतार भूदेवी को उनकी जगह में स्थापित करते हैं।
इसके बाद हम लोग उदयगिरी की पहाड़ियों की तरफ बढ़े, यहां पर हमें विष्णु भगवान जी की एक प्रतिमा देखने के लिए मिली। यहां पर हमें गुफा नंबर 13 देखने के लिए मिली। जिसमें एक बड़े से पत्थर को काटकर विष्णु भगवान जी की प्रतिमा को बनाया गया है। इसमें विष्णु भगवान जी शेष शैया में विराजमान है। भगवान विष्णु जी शेष नाग के ऊपर लेटे हुए दर्शाया गया है। उनके वाहन गरुण को भी पक्षी रूप में बैठे दिखाया गया है। यह शेष शैया विष्णु की प्राचीनतम एवं बड़ी प्रतिमाओं में से एक है। विष्णु भगवान जी की यह प्रतिमा कांच से पूरी तरह कवर की गई थी, ताकि कोई भी इसे हाथ ना लगाएं।
यहां पर ऊपर की तरफ शेड बना दी गई है, ताकि धूप ना लगे। यहां पर आपको और भी जानकारी मिलते ही है। यहां पर आपको शंखलिपि देखने के लिए मिलती है। शंखलिपि चट्टानों पर लिखी हुई है। यहां पर आपको और भी प्राचीन वस्तु देखने के लिए मिलती है। यहां पर सीढ़ियां दी गई है, पहाड़ी की तरफ जाने के लिए। जहां से आप प्राकृतिक दृश्य देख सकते हैं। हम लोग यहां से पहाड़ियां तरफ चले गए। यहां पर उदयगिरी की पहाड़ी जाने के लिए सीढ़ियां भी बनी हुई है। सीढ़ियों से हम लोग पहाड़ी के सबसे ऊपरी हिस्से में पहुंच गए। यहां पर बहुत अच्छी हवा चल रही थी और मोर की आवाज आ रही थी। मगर मोर दिखाई नहीं दे रहा था। यहां पर हम लोग कुछ देर चट्टान में बैठ गए और हम लोग को बहुत अच्छा लगा।
यहां पर हम लोगों को हरियाली देखने के लिए मिल रही थी। उदयगिरि की पहाड़ियों में आगे की तरफ और भी प्राचीन गुफाएं हैं। आप चाहे तो वहां पर भी घूमने के लिए जा सकते हैं। मगर हम लोग वहां पर नहीं गए थे। हम लोग यहां पर बैठकर ही उन गुफाओं के देख रहे थे। यहां पर कुछ देर बैठने के बाद, हम लोग आगे बढ़े। यहां पर हमें सीढ़ियां चढ़ना था और हम लोग चलते चलते एक मंदिर के अवशेष के पास पहुंच गए। यह मंदिर गुप्तकालीन था। यह मंदिर उदयगिरि की पहाड़ियों की सबसे ऊंची चोटी पर स्थित है। 1914 में इस मंदिर के अवशेषों की खोज की गई थी। इस गुप्तकालीन मंदिर के विषय में अभी जानकारी नहीं है। अनुमान है कि यह नचना के पार्वती मंदिर तथा भूमरा के शिव मंदिर की तरह होगा।
गुप्त काल के मौलिक विषय वस्तु शिल्प मंदिर प्राय ऊंचे चबूतरे पर बनाए जाते थे। इनमें चपटी छत एवं खाली सपाट दीवार के साथ-साथ प्रदक्षिणा पथ भी होता था। यहां पर बड़े से चबूतरे के अवशेष है साथ ही एक स्तंभ के कुछ अवशेष है।
उदयगिरि में रंग बिरंगी चतुर चिड़िया बहुत संख्या में पाई जाती है। यहां पर आसपास इन चिड़िया को उड़ते हुए देखा जा सकता है। जैसा नाम वैसा काम। यह चिड़िया मधुमक्खियों का शिकार करती हैं। मधुमक्खी के ढंक से बचने के लिए मक्खी को पकड़ कर डाली पर पटक देती हैं, जिससे डंक गिर जाता है और चिड़िया अपना भोजन कर लेती हैं। यह चिड़िया बहुत सुंदर है।
मंदिर के अवशेष देखने के बाद, हम लोग आगे बढ़े। हम लोगों को यहां पर एक रेस्ट हाउस देखने के लिए मिला। इस रेस्ट हाउस में यहां के कर्मचारी लोग रहते होंगे। आगे बढ़ने पर हम लोगों को गुफा नंबर 20 देखने के लिए मिली। उदयगिरि पहाड़ी के उत्तर पूर्वी भाग पर स्थित यह प्रथम गुफा 23वें जैन तीर्थकर पार्श्वनाथ को समर्पित है। इस गुफा के भीतरी भाग में प्रवेश द्वार के दोनों तरफ पद्मासन पर बैठे हुए कुल 4 जैन तीर्थकारों की प्रतिमाएं उत्कीर्ण की गई है, जिनके नीचे चक्र दर्शाया गया है। इन प्रतिमाओं के अतिरिक्त गुफा की दीवारों पर कुछ आधी अधूरी नक्काशी में शेर, हाथी, मानव, गधे आदि की आकृतियां खुदी हुई है। गुफा के गर्भ गृह के प्रवेश द्वार की बाईं तरफ उत्कीर्ण शिलालेख गुप्त कालीन है। जिसमें आचार्य गोसरमन के एक शिष्य शंकर द्वारा सर्पछत्र युक्त 23वें जैन तीर्थ कर पार्श्वनाथ की प्रतिमा स्थापित करवाने का उल्लेख मिलता है।
उदयगिरि की गुफा नंबर 20, उदयगिरि की सबसे बड़ी गुफा पत्थर की खोह में बनाई गई है। यहां सीढ़ियां उतरकर बाई और 2 कमरे हैं। यहां मूर्तियों के सुरक्षा के लिए दीवार तथा खिड़कियां बनाई गई है। पहाड़ी पर पहुंचने वाली सीढ़ियों से यहां देखा भी जा सकता है। यह गुफा चमगादड़ओं का भी घर है। इस गुफा में जैन तीर्थकारों की मूर्तियां तथा एक शिलालेख है। उदयगिरि की किसी भी गुफा के अंदर अभी इस समय नहीं जा सकते हैं। यहां पर बहुत सारी चमगादड़ भी लटकी हुई थी। यहां पर पत्थरों में एक जलकुंड भी बना हुआ था। यहां से दृश्य बहुत ही शानदार दिखाई दे रहा था। चारों तरफ हरियाली थी और यहां पर हलाली नदी का दृश्य भी अद्भुत था।
प्राचीन समय में पत्थरों को किस तरह से काटा जाता था। वह भी यहां पर बताया गया है। यहां पर एक घड़ी नुमा यंत्र बना है, जिसे शंकु यंत्र कहते हैं। प्राचीन समय में यहां के, जो भी ठेकेदार रहते होंगे। वह इन्हें अपने मजदूरों को छुट्टी देने के लिए बनाए होंगे।
हम लोगों का गुफा नंबर 20 देखने के बाद नीचे आए, तो हम लोग को उदयगिरि की गुफा नंबर 19 देखने मिली। इस गुफा को अमृत गुफा के नाम से जाना जाता है, क्योंकि इस गुफा के द्वार के ऊपरी भाग में अमृत मंथन या समुद्र मंथन के विख्यात कहानी का चित्रण मिलता है, जिसमें मेरु पर्वत को कछुए की पीठ के मध्य भाग में खड़ा करके वासुकी नामक सर्प को रस्सी बनाकर देव और दानवों द्वारा समुद्र मंथन करते हुए दिखाया गया है। इस गुफा के द्वार के ऊपरी भाग में ही एक तरफ मकर वाहिनी गंगा और दूसरी तरफ कुर्मवाहनी यमुना को दिखाया गया है। इस गुफा से 11वीं शताब्दी का अभिलेख भी मिला है, जिस की भाषा संस्कृत तथा लिपि नागरी है।
उदयगिरि की बहुत सारी गुफाएं एवं प्राकृतिक दृश्य देखने के बाद हम लोग मुख्य गेट में पहुंच गए और यहां से हम लोग बाहर आए। पार्किंग स्थल पर आए। यहां पर म्यूजियम भी बना हुआ है। म्यूजियम में आपको गुफाओं के बारे में जानकारी मिलती है। आप यहां पर आकर जैन और हिंदू धर्म की गुफाओं के बारे में जान सकते हैं। यहां पर आकर आप उदयगिरि का इतिहास के बारे में भी जान सकते हैं।
उदयगिरि की गुफाएं का इतिहास - History of Udayagiri Caves
उदयगिरि की गुफाएं गुप्त शासक के समय खोदी गए थे। भारत के राजनैतिक मानचित्र और गुप्त साम्राज्य चौथी शताब्दी ईस्वी में एक शक्ति के रूप में उभर कर सामने आया था। श्री गुप्त नामक एक छोटे शासक ने मगध में गुप्त साम्राज्य की नींव रखी , जिसकी राजधानी पाटलिपुत्र थी। प्रयाग प्रशस्ति में वर्णन मिलता है, कि इस समय समुद्रगुप्त ने पूर्वी मालवा के नाग शासकों को परास्त किया था। तत्पश्चात इस क्षेत्र पर राम गुप्त नामक गुप्त शासक ने शासन किया। जिसका पता मुद्राओं तथा जैन तीर्थ कर प्रतिमाओं पर मिले अभिलेखों से चलता है। गुप्त वंश के अगले शासक चंद्रगुप्त द्वितीय ने पश्चिम के शासकों के विरुद्ध सैन्य अभियान चलाया। अपने इस अभियान के दौरान चंद्रगुप्त द्वितीय ने सामंतो एवं मंत्रियों के साथ लंबे समय तक पूर्वी मालवा में रुका था। चौथी एवं पांचवी शताब्दी में यह क्षेत्र सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक, सांस्कृतिक, धार्मिक परिदृश्य में भारी बदलाव का साक्षी रहा है।
उदयगिरि का अर्थ - Meaning of Udayagiri
उदयगिरि का अर्थ - उदयगिरि का अर्थ होता है उगता हुआ सूर्य। उदयगिरि पर्वत को उगते सूर्य वाले पर्वत की संज्ञा दी गई है।
उदयगिरि एवं सांची का भू विज्ञान - Geology of Udayagiri and Sanchi
10,000 लाख वर्ष पूर्व यहां पर नदी या समुद्र था। हवा व पानी से यह पर मिट्टी समुद्र तल में जम गई तथा ठोस होने लगी। 5000 लाख वर्ष पूर्ण समुद्र तल की भूमि ऊपर उठ गई एवं विंध्याचल पर्वत श्रृंखला का निर्माण हुआ। इन्हीं के साथ उदयगिरी की पहाड़ी एवं क्षेत्रों के अन्य पहाड़ों का भी निर्माण हुआ। अभी भी आपको यहां पर समुद्र की लहरों का दृश्य देखने के लिए मिल जाएगा। यहां पर चट्टानों में समुद्र होने के निशान आज भी मौजूद है। उदयगिरि के पहाड़ 5000 लाख वर्ष पूर्व पुराने हैं और डायनासोर 1800 लाख पुराने है।
उदयगिरि की गुफा कहां पर स्थित है - Where is Udayagiri Cave located?
उदयगिरि की गुफाएं मध्य प्रदेश राज्य का एक प्रसिद्ध ऐतिहासिक स्थल है। उदयगिरि की गुफाएं मध्य प्रदेश के विदिशा जिले में स्थित है। यह विदिशा जिले से करीब 3 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। उदयगिरि की गुफाएं में आप कार से और बाइक से आराम से जा सकते हैं। इन गुफाओं तक जाने के लिए अच्छी सड़क है। यहां पर पार्किंग की व्यवस्था भी अच्छी है। आप यहां पर अपनी कार और बाइक से जा सकते हैं।
उदयगिरि की गुफाएं एवं मूर्ति की फोटो - Photo of Udayagiri Caves and Statue
विष्णु भगवान का वराह अवतार |
वराह अवतार की मूर्ति का भाग |
गणेश जी की प्रतिमा |
देवता की प्रतिमा |
विष्णु भगवान की शेष शैया में लेटे हुए प्रतिमा |
गुफा नंबर 6 |
सनकणिका गुफा |
उदयगिरि पहाड़ी से सुंदर दृश्य |
उदयगिरि के ऊपर से सुंदर दृश्य |
गुप्तकालीन मंदिर के अवशेष |
अमृत गुफा |
गुफा नंबर 20 |
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