महाराजा छत्रसाल का संग्रहालय (धुबेला संग्रहालय) और किला, धुबेला, मऊ सहानिया छतरपुर - Maharaja Chhatrasal Fort or Maharaja Chhatrasal Museum (Dhubela Museum) Mau Sahania Chhatarpur
महाराजा छत्रसाल का किला एवं महाराजा छत्रसाल का संग्रहालय मध्य प्रदेश का एक प्रसिद्ध स्थल है। महाराजा छत्रसाल संग्रहालय को धुबेला म्यूजियम के भी नाम से जाना जाता है। यह संग्रहालय धुबेला झील के किनारे बना हुआ है। इसलिए इसे धुबेला संग्रहालय कहा जाता है। छतरपुर जिले को छत्रसाल की नगरी के नाम से जाना जाता है। छतरपुर जिले को महाराजा छत्रसाल के द्वारा बसाया गया था। छतरपुर जिले के मऊ सहानिया में महाराजा छत्रसाल का किला एवं संग्रहालय स्थित है। आपको महाराजा छत्रसाल संग्रहालय में जो इमारत देखने के लिए मिलती है। वह महाराजा छत्रसाल ने अपने निवास स्थान के लिए बनाया था और इसे धुबेला महल के नाम से भी जाना जाता है। यह महल धुबेला झील के किनारे स्थित है। इस इमारत का निर्माण 18वीं शताब्दी में किया गया था और महाराजा छत्रसाल के द्वारा यह इमारत बनाई गई थी। यह इमारत बुंदेला वास्तु कला में बनाई गई है। महाराजा छत्रसाल महल को 1955 में संग्रहालय में बदल दिया इस संग्रहालय का उद्घाटन पंडित जवाहरलाल नेहरु के द्वारा किया गया था
महाराजा छत्रसाल म्यूजियम में आपको बहुत सारी गैलरी देखने के लिए मिलती है। हर गैलरी में आपको अलग-अलग वस्तुओं का संग्रह देखने के लिए मिल जाता है। यहां पर आपको प्राचीन लिपियों की गैलरी देखने के लिए मिलेगी। बौद्ध मूर्तियों की गैलरी देखने के लिए मिली थी। यहां पर पुरानी मूर्तियों का भी संग्रह करके रखा गया है। यहां पर राजा के वस्त्र एवं उनके द्वारा उपयोग की गई बहुत सारी वस्तुओं का संग्रह करके रखा गया है। आपको यहां पर महाराजा छत्रसाल की फोटो और उनकी जीवनी और इसके अलावा अलग-अलग रियासतों के राजाओं और उनके बारे में जानकारी भी मिल जाती है। यहां पर आपको छत्रसाल शस्त्रागार भी देखने के लिए मिलता है। यहां पर ओपन एरिया में भी बहुत सारी मूर्तियों को रखा गया है, जो अलग-अलग शताब्दियों की है।
महाराजा छत्रसाल महल एवं छत्रसाल म्यूजियम के दर्शन - Visit of Maharaja Chhatrasal Palace and Chhatrasal Museum
महाराजा छत्रसाल म्यूजियम एवं महल छतरपुर के मऊ सहानिया में है। मऊ सहानिया छतरपुर से 20 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। हम लोग मऊ सहानिया में अपनी गाड़ी से आए थे। हम लोग मऊ सहानिया के जगत सागर तालाब में घूमने के बाद धुबेला संग्रहालय घूमने के लिए आए थे। मगर संग्रहालय बंद था। संग्रहालय 10 बजे के बाद खुलता है। इसलिए हम लोगों के पास समय था, तो हम लोग हृदय शाह महल में घूमने चले गए। उसके बाद यहां पर छोटी सी कैंटीन थी, जो किसी लोकल लोगों के द्वारा ऑपरेट की जाती रही थी, तो वहां पर हम लोगों ने चाय पी और स्नेक्स लिया।छत्रसाल म्यूजियम 10 बजे के बाद खुला और हम लोग म्यूजियम के अंदर गए।
महाराजा छत्रसाल म्यूजियम के प्रवेश द्वार में ही टिकट काउंटर है। सबसे पहले हम लोगों ने टिकट लिया। यहां पर एक व्यक्ति का 20 रूपए लगता है। हम लोग टिकट लेकर अंदर गए, तो हम लोगों सबसे पहले प्राचीन लिपियों की गैलरी देखने के लिए मिली। इस गैलरी में बहुत सारी प्राचीन लिपियों को संभाल कर रखा गया था। उसके बाद हम लोग का प्राचीन बौद्ध मूर्तियों के संग्रह को देखने के लिए गए। इस गैलरी में बहुत सारी मूर्तियों को संभाल कर रखा गया था। यहां पर आपको भगवान आदिनाथ की प्रतिमा देखने के लिए मिल जाती है, जो बहुत बड़ी प्रतिमा थी। मगर खंडित अवस्था में यहां पर मौजूद थी।
हम लोग छत्रसाल महल के बाहरी हिस्से में स्थित बौद्ध मूर्तियों की गैलरी और लिपियों की गैलरी देखने के बाद, छत्रसाल महल के अंदर गए। महल के अंदर जाने का एक सुंदर दरवाजा बना हुआ था और सीढ़ियों का रास्ता था। हम लोग इस रास्ते से होते हुए महल के अंदर गए, तो यहां बहुत बड़ा ओपन एरिया था या आंगन था। इस आंगन के चारों तरफ कमरे बने हुए थे और इस ओपन एरिया में बहुत सारी मूर्तियों को रखा गया था। यहां पर हम लोगों को महाराजा छत्रसाल की मूर्ति देखने के लिए मिली, जो यहां पर आने वाले हर पर्यटकों को आकर्षित करती है। हम लोग मूर्ति के पास जाकर मूर्ति को देखें। मूर्ति के नीचे लिखा था
बुंदेलखंड केसरी महाराजा छत्रसाल बुंदेला
ओपन एरिया में और भी मूर्तियां हम लोगों को देखने के लिए मिली, जो बहुत ही प्राचीन है और अलग-अलग शताब्दियों की है। इसके बाद हम लोग यहां पर प्राचीन मूर्तियों की गैलरी घूमने के लिए गए। यहां पर बहुत सारी देवी देवताओं की मूर्तियां थी। यह मूर्तियां अलग-अलग शताब्दियों की थी। यहां पर हमे उमा महेश्वर की मूर्ति, विष्णु भगवान जी की शेष शैया में लेटी हुई मूर्ति, कापालिका की मूर्ति, नंदी भगवान जी की मूर्ति, देखने के लिए मिली, जो बहुत सुंदर थी। यहां पर हमको नागर लिपि का विकास क्रम देखने के लिए मिला। जो बहुत ही बढ़िया था। इसमें आप गुप्त काल से लेकर वर्तमान काल तक नागर लिपि का विकास क्रम देख सकते हैं। गुप्त काल में अ को किस तरह लिखा जाता था। वह देख सकते हैं। इसमें सभी शब्दों का गुप्त काल से लेकर अभी तक का विकास क्रम देखने के लिए मिल जाता है।
यहां पर हम लोगों ने कपालिका की मूर्ति देखी। कपालिका के बारे में कहा जाता है, कि कापालिका एक देवी हैं, जो शक्ति की देवी हैं और उनकी सारी शक्ति उनके हाथ में स्थित कपाल में होती है। कपाल को तंत्र मंत्र से जागृत किया जाता है। कपाल का मतलब आप समझ रहे होंगे, जो हमारा मस्तिष्क रहता है, उसे ही कपाल कहते हैं। मरने के बाद बहुत सारे तांत्रिक लोग मस्तिष्क को जागृत करते हैं, तो उसमें शक्तियां आती हैं। ऐसा पुराने समय में किया जाता है। अभी के समय में भी इस तरह की चीजें की जाती हैं। आप बहुत सारी जगह पर सुनते होंगे, की लाशों के जो सर रहते हैं। वह गायब कर दिए जाते हैं, तो बहुत सारे तांत्रिक यह सभी तांत्रिक क्रिया करके, जो कपाल रहता है, उन्हें जागृत करते हैं। कपालीका देवी जो रहती हैं। वह सभी प्रकार की गतिविधियां इसी कपाल के द्वारा करती थी। कपालिका मूर्ति के बारे में हम लोगों को जानकारी यहां पर एक गार्ड ने दी थी। हम लोगों को यह जानकारी बहुत अच्छी लगी। यहां पर हम लोगों को एक गिफ्ट शॉप भी देखने के लिए मिली, जहां से सोविनयर ले सकते हैं।
इसके बाद हम लोग मूर्तियों की गैलरी से बाहर आए और दूसरे गैलरी में घूमने के लिए गए। यहां पर हम लोगो को महाराजा छत्रसाल के द्वारा उपयोग किए जाने वाली बहुत सारी वस्तुएं देखने के लिए मिली। यहां पर महाराजा छत्रसाल के कपड़े देखने के लिए मिले, उनके कपड़े अभी तक यहां पर संभाल के रखे गए हैं। यहां पर ट्रॉफी देखने के लिए मिले। शंख देखने के लिए मिले। छोटे मिनिएचर घर देखने के लिए मिले और बहुत सारे डिजाइनर शोपीस देखने के लिए मिले। यहां पर आकर आप राजा महाराजा के द्वारा उपयोग किए जाने वाले बहुत सारे सामान देख पाएंगे, जो बहुत पुराने हैं। हम लोगों ने यह पूरी गैलरी देखी।
उसके बाद हम दूसरी गैलरी में घूमने के लिए गए। हम लोगों को इस गैलरी में महाराजा छत्रसाल की पेंटिंग देखने के लिए मिली। इसके अलावा इस गैलरी में बहुत सारे अन्य रियासतों के राजाओं की पेंटिंग देखने के लिए मिल जाएगी और उनके बारे में जानकारी भी यहां पर लिखी हुई है। यहां पर हमें रीवा के महाराज की भी पेंटिंग देखने के लिए मिली। यहां पर हम लोगों को एक आईने का रूम देखने के लिए मिला। इस कमरे में अलग-अलग तरह के आईने लगे हुए थे, जिस पर प्रतिबिंब उल्टा सीधा दिखाई दे रहा था। यहां पर अलग-अलग आईने लगे हुए थे और सभी आईनों में अलग-अलग प्रतिबंध दिखाई दे रहा था। हम लोगों ने बहुत सारे आईने में अपना प्रतिबंध देखा और बहुत ज्यादा हम लोग को यहां पर मजा आया। इस आईने वाले कमरे का कुछ नाम था। वह मुझे याद नहीं है। मगर यहां पर हमें मजा आया। उसके बाद हम लोग इस गैलरी से बाहर आए और आगे बढ़े, तो हम लोगों को शस्त्रागार गैलरी देखने के लिए मिली। मगर इसमें ताला लगा हुआ था। हम इसके अंदर नहीं जा सकते थे, तो हम लोग बाहर बनी ओपन एरिया में रखी मूर्तियों को देखें। उसके बाद हम लोग संग्रहालय से बाहर आ गए। यहां पर हम फोटो नहीं खींचे, क्योंकि फोटो के अलग चार्ज लेते हैं, इसलिए हमने फोटो नहीं लिया।
संग्रहालय की सभी गैलरी घूमने के बाद हम लोग बाहर आ गए। बाहर पीने के पानी के लिए एक वाटर कूलर लगा हुआ है। हम लोगों ने वहां से पानी भरा और हम लोग बाहर आ गए।
महाराजा छत्रसाल संग्रहालय के समीप स्थित पुरातात्विक एवं दर्शनीय स्थल - Archaeological and scenic sites located near Maharaja Chhatrasal Museum
तिंदनी दरवाजा (Tindni darwaja )
भीमकुंड मंदिर समूह (Bhimkund Temple Group)
कमला पंत की समाधि (Kamala Pant's tomb)
बादल महल (Badal Mahal)
महेबा गेट (Maheba Gate)
शीतल गढ़ी (sheetal garhi)
छत्रसाल की समाधि (Chhatrasal's tomb)
बेरछा रानी का मकबरा (Berachha rani ka maqbara)
सवाई सिंह का मकबरा (Sawai Singh's Tomb)
बिहारी जू का मंदिर (Bihari Ju Temple)
चौसठ योगिनी मंदिर (Chaisath Yogini Temple)
गणेश मंदिर (Ganesh Temple)
नाग मंदिर (Nag Temple)
कबीर आश्रम (Kabir Ashram)
गौरैया माता देवी मंदिर (Gauraiya mata devi mandir)
सूर्य मंदिर (Sun temple)
महाराजा छत्रसाल संग्रहालय या धुबेला संग्रहालय खुलने का समय - Maharaja Chhatrasal Museum or Dhubela Museum timings
महाराजा छत्रसाल संग्रहालय खुलने का समय सुबह 10 बजे से शाम 5 बजे तक है। प्रत्येक सोमवार एवं राजपत्रित अवकाश के दिन संग्रहालय बंद रहता है।
महाराजा छत्रसाल संग्रहालय या धुबेला संग्रहालय का प्रवेश शुल्क - Entrance fee of Maharaja Chhatrasal Museum or Dhubela Museum
महाराजा छत्रसाल संग्रहालय का प्रवेश शुल्क भारतीय पर्यटकों के लिए 20 रूपए विदेशी पर्यटकों के लिए 200 रूपए है। अगर आप फोटोग्राफी करते हैं, तो आपके 100 रूपए एक्स्ट्रा लगेंगे और अगर आप वीडियोग्राफी करते हैं, तो आपके 400 रूपए एक्स्ट्रा लगेंगे। 15 वर्ष तक के बच्चों एवं विकलांगों के लिए प्रवेश निशुल्क है।
महाराजा छत्रसाल का संग्रहालय या धुबेला संग्रहालय कहां स्थित है - Where is the Maharaja Chhatrasal Museum or Dhubela Museum
महाराजा छत्रसाल महल एवं संग्रहालय छतरपुर में मऊ सहानिया में स्थित है। मऊ सहानिया छतरपुर झांसी सड़क में स्थित है। आप यहां पर बहुत आसानी से पहुंच सकते हैं। आप यहां पर कार या अपनी स्कूटी से आ सकते हैं। हम लोग भी इस जगह पर अपनी स्कूटी से आए थे। इस जगह पर बहुत सारे प्राचीन एवं धार्मिक स्थल मौजूद है, जहां पर आप घूम सकते हैं।
महाराजा छत्रसाल संग्रहालय की फोटो - Photo of Maharaja Chhatrasal Museum
महाराजा छत्रसाल संग्रहालय का बाहर से दृश्य |
महाराजा छत्रसाल संग्रहालय का एंट्री गेट |
महाराजा छत्रसाल संग्रहालय की तरफ जाने वाला रास्ता |
महाराजा छत्रसाल की समाधि छतरपुर
64 योगिनी मंदिर मऊ सहानिया छतरपुर
Please do not enter any spam link in comment box