कांच भवन यज्ञशाला और 64 योगिनी मंदिर मऊ सहानिया छतरपुर - Kanch Bhawan Yagyashala and 64 Yogini Temple Mau Sahania Chhatarpur
कांच भवन यज्ञशाला और 64 योगिनी मंदिर छतरपुर का एक प्रसिद्ध स्थल है। यह दोनों जगह आजू-बाजू स्थित है। कांचभवन यज्ञशाला और 64 योगिनी मंदिर छतरपुर के मऊ सहानिया में स्थित है। यह मंदिर जगत सागर तालाब के किनारे में बना हुआ है। इस मंदिर में घूमने के लिए आया जा सकता है। यह मंदिर पत्थरों का बना हुआ है। मंदिर बहुत सुंदर है। मंदिर में हनुमान जी की मूर्ति देखने के लिए मिलती है और।
कांच भवन यज्ञशाला एवं चौसठ योगिनी मंदिर जगत सागर तालाब के किनारे स्थित है। हम लोग इस मंदिर में घूमने के लिए गए थे। 64 योगिनी मंदिर में जाने का रास्ता बिहारी जू मंदिर के सामने से ही गया है। यह रास्ता कच्चा है। इस रास्ते में आपकी गाड़ी आराम से चली जाएगी। यहां पर दोपहिया वाहन आराम से चला जाता है। हम लोग भी यहां पर अपनी स्कूटी से गए थे। चौसठ योगिनी मंदिर बिहारी जू मंदिर से करीब 500 से 600 मीटर दूर होगा। हम लोग जब यहां पहुंचे, तो हम लोगों को यहां पर दो मंदिर देखने के लिए मिले। यहां पर सुनसान था चारों तरफ कोई नहीं था।
हम लोगों ने अपनी स्कूटी खड़ी करी और मंदिर घूमने के लिए चले गए। यहां पर जो चौसठ योगिनी मंदिर बना हुआ है। चौसठ योगिनी मंदिर पत्थरों का बना हुआ है। यह मंदिर बलुआ पत्थरों से बना हुआ है और मंदिर में आपको देवी की प्रतिमा देखने के लिए नहीं मिलती है। यहां पर सिर्फ एक ही देवी विराजमान है और चौसठ योगिनी जो मंदिर है, उसमें एक लाइन से मंदिर बना हुआ है। मगर यह नष्ट हो गए हैं। प्राचीन समय में यहां पर गर्भ ग्रह बने होंगे। मगर यहां पर अब आपको 64 योगिनी मंदिर नहीं देखने मिलेगा। सिर्फ एक ही मंदिर यहां पर देखने के लिए मिलता है। यहां पर गेट लगा हुआ है और गेट बंद रहता है। आप यहां पर गेट खोल कर अंदर जा सकते हैं और मंदिर में दर्शन कर सकते हैं। हम लोग 64 योगिनी मंदिर में दर्शन करने के बाद बाहर आए और बाहर हम लोगों को एक और मंदिर देखने के लिए मिला। इस मंदिर को शायद कांच भवन यज्ञशाला कहा जाता है।
हमें बाहर कांच भवन यज्ञशाला देखने के लिए मिली। अब इसे कांच भवन यज्ञशाला क्यों कहते हैं, इसके बारे में हमें जानकारी नहीं है। मगर यहां पर हमें हनुमान जी का एक मंदिर देखने के लिए मिला। यह मंदिर 10 वीं सदी में बनाया गया था और इस मंदिर को चंदेल राजाओं के द्वारा बनाया गया था। इस मंदिर में के गर्भ गृह में हनुमान जी की प्रतिमा विराजमान थी। यह मंदिर बलुआ पत्थर से बना हुआ था। मंदिर में आपको शिखर देखने के लिए मिल जाएगा। यह मंदिर पत्थरों के ऊपर पत्थर रखकर बनाया गया था। इसे चिपकाने के लिए कुछ नहीं लगाया गया है। यह मंदिर एक ऊंचे चबूतरे पर बना हुआ है। मंदिर के प्रवेश द्वार पर ऊपर की तरफ आपको कुछ नक्काशी देखने के लिए मिल जाती है। यह मंदिर भी बहुत सुंदर लगा। इस मंदिर में भी हम लोग घूमने के बाद हम लोग अपनी गाड़ी की तरफ आए। यहां पर बरगद का बहुत बड़ा पेड़ था। यहां से हम लोगों ने जगत सागर तालाब का सुंदर दृश्य को देखें कुछ यहां पर हम लोग खड़े रहे।
हमें यहां पर जगत सागर तालाब के दृश्य को देख रहे थे। तब यहां पर कुछ लोग आए। वह शायद यहां पर मछली पकड़ने के लिए आए थे और यहां के ग्रामीण लोग थे। हम लोगों ने उन लोगों से यहां मंदिर से आगे जाने का रास्ता पूछा, तो उन लोगों ने हम लोगों को मंदिर में नीचे की तरफ जाने के लिए कहा और हमें बताया कि आपको नीचे पक्की सड़क मिल जाएगी और आप सीधा सड़क से छत्रसाल संग्रहालय में पहुंच जाएंगे। हम लोग मंदिर से नीचे की तरफ आ गए और यहां पर सीधी रोड से हम लोग छत्रसाल संग्रहालय पहुंच गए।
कांच भवन यज्ञशाला और 64 योगिनी मंदिर प्राचीन स्मारक है। मगर इन जगहों में किसी भी तरह की देखभाल नहीं की जा रही है। सरकार की तरफ से इन जगहों को अनदेखा किया जा रहा है। कुछ दिन इसी तरह से रहाए तो यह सभी चीजें नष्ट हो जाएंगे।
कांच भवन यज्ञशाला और 64 योगिनी मंदिर छतरपुर की फोटो - Photo of Kanch Bhawan Yagyashala and 64 Yogini Temple Chhatarpur
चौसठ योगिनी मंदिर का प्रवेश द्वार |
हनुमान जी का मंदिर या कांच भवन यज्ञशाला |
चौसठ योगिनी मंदिर |
बरगद का बड़ा सा पेड़ |
महाराजा हृदय शाह का महल छतरपुर
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