वराह मंदिर खजुराहो - Varaha Mandir Khajuraho
वराह मंदिर खजुराहो का एक प्रसिद्ध मंदिर है। यह मंदिर विष्णु भगवान के वराह अवतार को समर्पित है। यहां पर विष्णु भगवान के वराह अवतार की बहुत ही आकर्षक प्रतिमा देखने के लिए मिलती है। इस पूरे प्रतिमा में देवी-देवताओं की प्रतिमाएं उकेरी गई है, जो बहुत ही आकर्षक लगती है। यह प्रतिमा बलुआ पत्थर की बनी हुई है और बहुत बड़ी प्रतिमा है। वराह अवतार की प्रतिमा में आपको बहुत ही बारीक नक्काशी देखने के लिए मिलती है। पूरी प्रतिमा में नक्काशी की गई है। वराह प्रतिमा के नीचे की तरफ आपको पृथ्वी माता देखने के लिए मिलती है। पृथ्वी माता के चरण चिन्ह यहां पर देखने के लिए मिलते हैं। प्रतिमा के नीचे शेषनाग की प्रतिमा है। यह प्रतिमा बहुत ही अद्भुत है और बहुत ही भव्य लगती है।
वराह मंदिर खजुराहो के पश्चिमी मंदिर समूह का एक मंदिर है। यह मंदिर बहुत खूबसूरत है। यह मंदिर 14 स्तंभों में खड़ा हुआ है। मंदिर के ऊपर एरिया या छत में खूबसूरत नक्काशी की गई है। छत में फूलों की नक्काशी देखने के लिए मिलती है, जो बहुत ही सुंदर है। यह मंदिर एक ऊंचे मंडप पर बना हुआ है। मंदिर तक पहुंचने के लिए सीढ़ियां बनी हुई है। वराह मंदिर लक्ष्मण मंदिर के सामने स्थित है। शेषनाग की प्रतिमा को खंडित कर दिया गया है और पृथ्वी माता की प्रतिमा भी यहां पर खंडित अवस्था में मौजूद है। आप इनके दर्शन कर सकते हैं। शेषनाग के सर का भाग खंडित हो गया है। पूरा वराह मंदिर बलुआ पत्थर का बना हुआ है।
वराह मंदिर की विशेषता
वराह प्रतिमा बहुत ही आकर्षक है। वराह प्रतिमा की विशेषता यह है कि इस प्रतिमा में अनगिनत देवी देवताओं की प्रतिमा बनी हुई है और इतनी बारीकी से नक्काशी की गई है, कि यह प्रतिमा बहुत ही आकर्षक लगती है। यह प्रतिमा 2.6 मीटर लंबी है। इस प्रतिमा में विष्णु भगवान का वराह अवतार है। वराह अवतार में विष्णु भगवान ने हिरण कश्यप नामक राक्षस का वध किया था और पृथ्वी को पताल से निकाल कर लाए थे। पृथ्वी माता के चरण चिन्ह आपको यहां पर देखने के लिए मिल जाते हैं, जो वराह की मूर्ति के नीचे हैं। वराह भगवान के नीचे आपको शेषनाग के भी दर्शन करने के लिए मिल जाते हैं तथा शेषनाग के सिर पर पृथ्वी को दिखाया गया है। मंदिर की छत पर सुंदर कमल फूल की आकृति को बनाया गया है। वराह अवतार के मुख के सामने के तरफ सरस्वती जी की प्रतिमा बनाई गई है। सरस्वती जी की छोटी सी प्रतिमा है, जो वीणा लिए हुए हैं।
वराह मंदिर की छत में जो कमल के फूल की आकृति को बनाया गया
है। वह बहुत ही सुंदर तरीके से बनाया गया है। कमल की एक-एक पंखुड़ियों को
उकेरकर अलग-अलग बनाया गया है, जो बहुत ही खूबसूरत लगती हैं। मंदिर का शिखर
पिरामिड नुमा है।
खजुराहो का वराह मंदिर कब बना
वराह मंदिर मतंगेश्वर मंदिर के पश्चात तथा लक्ष्मण मंदिर के पहले निर्मित हुआ है। मंदिर का निर्माण 900 से 925 ईसवी के मध्य हुआ था।
वराह मंदिर खजुराहो की फोटो - Photo of Varaha Temple Khajuraho
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