खजुराहो का मतंगेश्वर मंदिर - Matangeshwar Mandir Khajuraho
मतंगेश्वर महादेव मंदिर खजुराहो का एक प्रसिद्ध शिव मंदिर है। मतंगेश्वर मंदिर में बहुत बड़े शिवलिंग स्थापित है। यह शिवलिंग विश्व के सबसे बड़े शिवलिंग में से एक है। इस मंदिर में सोमवार के दिन बहुत सारे भक्त भगवान शिव के दर्शन करने के लिए आते हैं और बेलपत्र और फूल चढ़ाते हैं। यह मंदिर एक ऊंचे चबूतरे पर बना हुआ है। मंदिर तक पहुंचने के लिए सीढ़ियां बनी हुई है। वर्तमान समय में भी इस मंदिर में पूजा होती है। यहां पर लोग शिवजी को फूल और जल चढ़ाते हैं। यह मंदिर बहुत ही सुंदर है।
हम लोग इस मंदिर में सोमवार के दिन गए थे। सोमवार के दिन इस मंदिर में बहुत सारे भक्त आते हैं। प्रसाद की दुकान मंदिर के बाहर लगती है। आपको प्रसाद लेना है, तो मंदिर के बाहर से ही आ प्रसाद ले सकते हैं। फूल और बेलपत्र की दुकान भी मंदिर के बाहर लगती है। आप मंदिर के गेट से प्रवेश करते हैं, तो आपको एक और मूर्ति देखने के लिए मिलती है। कहा जाता है कि यह भैरव बाबा की मूर्ति है। इस मूर्ति को सिंदूर से पूरी तरह रंग दिया गया है। आप अंदर जाते हैं, तो आपको मतंगेश्वर मंदिर देखने के लिए मिलता है। आप सीढ़ियां चढ़ते हैं, तो चबूतरे के ऊपर आपको गणेश जी की आकर्षक प्रतिमा देखने के लिए मिलती है। बहुत सारे लोग गणेश जी को पुष्प और बेलपत्र चढ़ाते हैं और जल भी चढ़ाते हैं।
सोमवार के दिन यहां पर बहुत सारे लोग भगवान शिव के लिए भी जल भरकर लाते हैं। यहां पर बहुत सारी दुकानों में लौटे रेंट पर दिए जाते हैं। ताकि आप जल भरकर शिवजी को चढ़ा सके, जिसकी जैसी श्रद्धा है। वह उस तरह से शिव भगवान जी की पूजा करता है।
मतंगेश्वर शिव मंदिर में हम लोग सीढ़ियों से चढ़कर पहुंचे। यहां पर पहुंचकर हम लोगों को शिव भगवान जी के दर्शन हुए हैं। यहां शिव भगवान जी का शिवलिंग इतना बड़ा है, कि देखते ही बनता है। हम लोग मंदिर के अंदर गए, तो हम लोगों को यह समझ में नहीं आ रहा था। कि शिव भगवान जी के हम लोग फूल, बेल पत्री कैसे चढ़ाएं। फिर हम लोग को पंडित जी ने बताया, कि आप साइड से रास्ता है। साइड से होते हुए आप आइए, तो आप जलहरी के ऊपर आ जाएंगे। शिवजी की जलहरी यहां पर इतनी विशाल है, कि यह मंदिर का अधिकतम स्थान घेरे हुए हैं। हम लोग जलहरी के ऊपर चढ़ गए और शिवजी को बेलपत्र और फूल चढ़ाया। यहां पर पंडित जी बैठते हैं। हम लोगों ने उनसे प्रसाद लिए। मंदिर के अंदर हम लोगों को ढेर सारी घंटियां देखने के लिए मिली, जो आरती के समय बजाई जाती होंगी। यहां पर इलेक्ट्रॉनिक नगाड़े भी रखे हुए थे, जो आरती के समय बजाए जाते होंगे। मंदिर की छत छत गोलाकार है और इसमें खूबसूरत नक्काशी है।
मतंगेश्वर मंदिर खजुराहो का इतिहास - History of Matangeshwar Temple Khajuraho
मतंगेश्वर मंदिर चंदेल राजाओं के द्वारा बनाया गया सबसे पहला मंदिर है। इस मंदिर का निर्माण हर्षवर्मन ने 920 ईसवी के लगभग करवाया था। यह खजुराहो का पवित्रतम मंदिर है।
इस मंदिर में उत्तर भारत के विशालतम शिवलिंग में से एक स्थापित है। यह खजुराहो के मंदिर में पुजमान्य माना जाता है तथा वर्तमान में यह पूजा की जाती है। यह मंदिर एक ऊंचे चबूतरे पर स्थित है तथा योजना में ब्रह्म मंदिर से समानता रखता है। यह मंदिर अंदर से वर्गाकार तथा बाहर से क्रॉस के आकार का है एवं इसका शिखर पिरामिड नुमा है। यह मंदिर अलंकार हीन है, जो खजुराहो के विकसित मंदिरों में अपना अलग ही स्थान रखता है।
मतंगेश्वर मंदिर में स्थित शिवलिंग की जंघा का व्यास 7.2 मीटर है एवं इसमें स्थित शिवलिंग 2.5 मीटर ऊंचा है तथा 1.1 मीटर व्यास का लिंग है, इस तरह का एक ही है।
मतंगेश्वर मंदिर में आपको किसी भी तरह की मूर्तिकला देखने के लिए नहीं मिलती हैं। यहां पर मंदिर के अंदर जो खंबे हैं। उनमें भी नक्काशी नहीं की गई है। वह भी साधारण खंभे हैं। मंदिर के बाहर गणेश जी की भव्य प्रतिमा देखने के लिए मिलती है। मंदिर के चबूतरे के ऊपर से उल्टे हाथ की तरफ देखने पर आपको एक संग्रहालय की तरह देखने के लिए मिलता है। मगर यहां जाने की अनुमति नहीं थी। जब हम लोग गए थे। यहां पर ढेर सारी पत्थर के कलाकृतियां रखी गई हैं। मंदिर के उल्टे हाथ की तरफ एक और मंदिर है, जो छोटा सा है और यह भी शिव मंदिर है। यह भी प्राचीन मंदिर है। आप भी इस मंदिर के जाकर दर्शन कर सकते हैं। मंदिर परिसर में एक पीपल का पेड़ देखने के लिए मिलता है। इसके नीचे भी भगवान शिव जी के शिवलिंग रखे हुए हैं। यहां पर आ कर बहुत अच्छा लगा शांति मिली और मन धन्य हो गया।
मतंगेश्वर मंदिर खजुराहो की फोटो - Photo of Matangeshwar Temple Khajuraho
मतंगेश्वर मंदिर की तरफ जाने वाला रास्ता |
गणेश जी की पूजा करते हुए लोग |
मतंगेश्वर मंदिर की फोटो |
मतंगेश्वर मंदिर परिसर में स्थित हनुमान जी की मूर्ति |
मंदिर परिसर में स्थित शिवलिंग |
मंदिर परिसर में स्थित शिव जी का अन्य मंदिर |
मतंगेश्वर मंदिर के पीछे की दीवार पर सुंदर शिल्प कला |
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