पवित्र तुलसी का पौधा और तुलसी के फायदेPavitra Tulsi ka paudha aur Tulsi ke fayde
तुलसी का वानस्पतिक या वैज्ञानिक नाम - ओसीमम् सेंक्टम् तुलसी का अंग्रेजी का नाम - होली बेसिल
तुलसी का पौधा भारत में पूजा जाने वाला एक पवित्र पौधा है। तुलसी को भारत में तुलसी माता के नाम से जाना जाता है और इसे पूजा जाता है। ग्यारस में तुलसी विवाह किया जाता है, जिसमें तुलसी माता का विवाह किया जाता है और उनकी पूजा की जाती है और इनकी परिक्रमा की जाती है। तुलसी भारत के हिंदू घरों में आपको जरूर देखने के लिए मिलती है। तुलसी के लोग पूजा करते हैं और जल चढ़ाते हैं। जिस तरह तुलसी धार्मिक रूप से लोगों के लिए महत्वपूर्ण है। उस तरह से यह औषधीय रूप से भी लोगों के लिए महत्वपूर्ण है। यह लोगों के बहुत सारे रोगों को दूर करती है। इसलिए तुलसी का मानव जीवन में बहुत ज्यादा महत्व है।
तुलसी का पौधा 30 और 60 सेंटीमीटर तक का होता है। तुलसी का पौधा झाड़ी नुमा होता है। तुलसी के पौधे की पत्तियां छोटी छोटी होती है। तुलसी के पौधे में फल और फूल भी लगते हैं। तुलसी के पौधे के सभी भाग उपयोगी रहते हैं। इसके जड़, तना, पत्ती, फूल, फल औषधीय गुणों से भरपूर रहते हैं। तुलसी का पौधा में सफेद रंग के छोटे-छोटे फूल खिलते हैं, जो बहुत ही सुंदर दिखते हैं और इसके फल काले कलर के लगते हैं।
तुलसी का पौधा विटामिन और खनिज पोषक तत्वों से भरपूर रहता है। तुलसी के पौधे में एंटी बैक्टीरियल और एंटीफंगल के गुण पाए जाते हैं, जिससे हमारा वातावरण शुद्ध रहता है। यह वातावरण से हानिकारक बैक्टीरिया को मार देता है। इसलिए तुलसी के पौधों को घर के आंगन में लगाया जाता है, जिससे हमारा घर का वातावरण शुद्ध है।
तुलसी के पौधा वर्ष भर हरा भरा रहता है। इसका पौधा मार्च से जून तक लगाया जाता है। सितंबर और अक्टूबर में तुलसी के पौधे पर फूल उगते हैं और पौधा सुगंधित फूलों से भर जाता है। ठंड के दिनों में इसके बीज पकते हैं। तुलसी के पत्तों से बहुत तीव्र सुगंध आती है। इसके पुष्प बहुत कोमल होते हैं और लंबे होते हैं और बहुत सुंदर लगते हैं। तुलसी के बीज चपटे, छोटे, काले, अंडाकार होते हैं। तुलसी का पौधे की आयु 2 से 3 वर्ष तक रहती है। 2 से 3 वर्ष तक तुलसी फल, फूल और पत्तियां देता है। उसके बाद इसके पौधे में वृद्धावस्था आ जाती है और पौधे में पत्ते कम और छोटे होते हैं। आप तुलसी के पुराने पौधे को अलग करके नया पौधा लगा सकते हैं।
तुलसी का पौधा कितने प्रकार का होता है - How many types of Tulsi plant are there?
तुलसी का पौधा पांच प्रकार का होता है - रामा तुलसी, श्यामा तुलसी, वन तुलसी, लेमन तुलसी, श्वेत तुलसी। रामा तुलसी और श्यामा तुलसी आपको आसानी से देखने के लिए मिल जाते हैं। रामा तुलसी हरे रंग का होता है और श्यामा तुलसी का रंग डार्क भाटीले रंग का होता है। घरों में भी अधिकतर रामा तुलसी और श्यामा तुलसी को लगाया जाता है।
तुलसी के पौधे के औषधीय गुण, महत्व और फायदे - Medicinal properties, importance and benefits of Tulsi plant
तुलसी का पौधा एक पवित्र पौधा है और तुलसी के पौधे की पूजा प्राचीन काल से हो रही है। तुलसी आयुर्वेदिक गुणों से भरपूर रहती है। तुलसी का पौधा वायु को शुद्ध करने वाला है। यह वातावरण को शुद्ध करता है। तुलसी का पौधा अन्य पौधों से सबसे ज्यादा ऑक्सीजन को प्रोड्यूस करता है। तुलसी का पौधा हमारी धरती में पाए जाने वाले कुछ मुख्य पौधों में से एक है। तुलसी के पौधे में ऐसे गुण रहते हैं, कि इस पौधे के आसपास मच्छर एवं अन्य जीव नहीं आते हैं। यह कीटाणुओं को मारता है। तुलसी के पौधे में रोग प्रतिरोधक क्षमता होती ,है जिससे हमारे शरीर बीमार नहीं पड़ता है। तुलसी के पौधे का उपयोग बहुत सारे कामों में कर सकते हैं। तुलसी में पित्तकारक और कफ वातनाशक का गुण पाया जाता है। तुलसी के पौधों को क्वीन ऑफ हर्ब के नाम से भी जाना जाता है। तुलसी के पौधे के आयुर्वेदिक फायदे बहुत ज्यादा है, जो हमारे शरीर के रोगों को ठीक करते हैं।
तुलसी के औषधीय उपयोग - medicinal uses of basil
तुलसी की पत्तियों के फायदे
- तुलसी की पत्तियों का उपयोग कफ को हटाने के लिए किया जाता है। तुलसी की पत्तियों का सेवन करने से कफ को दूर किया जा सकता है।
- तुलसी की पत्तियों का उपयोग से शरीर ठंडा रहता है। अगर किसी के शरीर में गर्मी बढ़ जाती है, तो इसकी पत्तियों का उपयोग करना चाहिए।
- तुलसी की पत्तियों के रस से दाद रोग में राहत मिलता है। आप इसके रस को दाद की जगह पर लगा सकते हैं। जिससे दाद में होने वाली जलन ठीक हो जाती है और दाद भी ठीक हो जाता है।
- तुलसी के पत्ते के उपयोग से पेट के कीड़े मर जाते हैं।
- तुलसी की पत्तियां दुर्गंध नाशक होती है। यह मुख की दर्गंध को दूर करती है।
- कुष्ठ रोग में भी तुलसी की पत्तियों का प्रयोग किया जा सकता है। इसकी पत्तियों का रस निकालकर आपको कुष्ठ रोग वाली जगह पर लगाएंगे, जिसको आपको फायदा पहुंचेगा।
- तुलसी रस में मलेरिया बुखार के कारण प्रोटोजोआ पैरासाइट और मच्छरों को नष्ट करने की अद्भुत क्षमता रहती है। यह हवा में पाए जाने वाले जीवाणुओं को नष्ट कर देता है। इसलिए आप तुलसी का प्रयोग मलेरिया के बुखार में कर सकते हैं।
- तुलसी की बनी माला पहनने से शरीर में विद्युत शक्ति का प्रभाव बढ़ता है तथा बहुत से जीवाणु शरीर में आक्रमण करने के पूर्व ही नष्ट हो जाते हैं और व्यक्ति की आयु बढ़ती है।
तुलसी के चूर्ण या पाउडर का प्रयोग - Use of Tulsi powder
- अगर शरीर में कमजोरी है, तो तुलसी के चूर्ण का प्रयोग करना चाहिए, जिससे शरीर बलवान बनता है।
- तुलसी के सूखे पत्ते के चूर्ण का प्रयोग साइनोसाइटिस के लिए किया जाता है।
तुलसी के बीजों का उपयोग - Uses of basil seeds
- तुलसी के बीज वीर्य को गाढ़ा बनाते हैं।
- तुलसी के बीज का प्रयोग, मूत्रदाह व विसर्जन में कठिनाई होती है। तब तुलसी के बीजों के चूर्ण का प्रयोग किया जा सकता है, जो फायदा पहुंचाता है।
- तुलसी के बीज का प्रयोग पथरी में किया जाता है। जिस से पथरी टूट कर निकलने लगती है।
- तुलसी के बीज के चूर्ण के प्रयोग से मूत्राशय की सूजन में फायदा मिलता है।
- तुलसी के तेल का प्रयोग कानों के दर्द के लिए किया जाता है। जब कानों में दर्द हो, तो इसके तेल की एक या दो बूंद कानों में डालने चाहिए, जिससे आराम मिलता है।
- तुलसी वातावरण को शुद्ध रखती है। इसलिए इसे घरों के आसपास लगाया जाता है
- तुलसी अगर आपके घर के आस-पास लगी हुई है, तो मच्छर एवं अन्य कीट पतंगे आपके घर नहीं आएंगे।
तुलसी का नुकसान - Tulsi ke nuksan
तुलसी की पत्तियों को चबाकर नहीं खाना चाहिए। तुलसी की पत्तियों में पारा रहता है। अगर आप तुलसी की पत्तियां खाते हैं, तो इसे पानी से निगल जाना चाहिए।
तुलसी के पौधे को कैसे उगाया जा सकता है - how to grow basil plant
तुलसी के पौधे को, तुलसी के बीज के द्वारा उगाया जा सकता है। तुलसी का बीज जब पूरी तरह से परिपक्व हो जाता है, तो तुलसी के बीज को मिट्टी में छिड़काव कर देते हैं, जिससे तुलसी के पौधे उग जाते हैं। तुलसी को लगाने का सबसे अच्छा समय बरसात का रहता है। तुलसी का पौधा, जहां पर भी लगा रहता है। अगर उसके बीज जमीन में गिर जाते हैं। तुलसी के पौधे, अपने आप उग जाते हैं। तुलसी के पौधे वही उग आते हैं, तो आप उन पौधों को अलग से मिट्टी तैयार करके लगा सकते हैं।
रामा तुलसी और श्यामा तुलसी - Rama Tulsi and Shyama Tulsi
रामा तुलसी और श्यामा तुलसी, तुलसी की ही अलग-अलग प्रजातियां हैं। रामा तुलसी में, तुलसी का डंठल और पत्तियां हरे कलर की रहती हैं और श्यामा तुलसी में, तुलसी का डंठल भाटीले कलर का रहता है। इसकी पत्तियां भी भाटीले कलर की रहती हैं। किसी किसी तुलसी का डंठल भाटीले कलर का रहता है और पत्तियां भी भाटीले रंग की होती है। दोनों ही तुलसी में समान गुण रहते हैं। आप दोनों ही तुलसी का अपने स्वास्थ्य के रोगों में उपयोग कर सकते हैं। तुलसी के सभी भाग उपयोगी रहते हैं।
मरुआ तुलसी - Marua tulsi
मरुआ तुलसी, तुलसी की एक प्रजाति है। मरुआ तुलसी संपूर्ण भारत में पाई जाती है। मरुआ तुलसी का पौधा में बहुत ज्यादा सुगंध रहती है, जिससे इसे अगर घरों के आसपास लगाया जाए, तो पूरा घर सुगंधित हो जाता है। मरुआ तुलसी लगाने का एक फायदा यह होता है, कि इससे मच्छर घर पर नहीं आते हैं। क्योंकि इसकी सुगंध बहुत तेज रहती है।
मरुआ तुलसी का पौधा एक से 2 फीट ऊंचा रहता है। इसके पत्ते तुलसी से थोड़े बड़े रहते हैं और लंबे रहते हैं। मरुआ तुलसी में बैंगनी रंग के छोटे-छोटे पुष्प लगते हैं, जो बहुत ही सुंदर लगते हैं। मरुआ का पौधा बहु वर्षीय पौधा है।
मरुआ तुलसी के फायदे - benefits of marua tulsi
मरुआ तुलसी का पौधा बहुत ही फायदेमंद है। इसका पौधा आपको अपने घर के आस-पास जरूर लगाना चाहिए, क्योंकि इसके पौधे से बहुत तेज सुगंध आती है, जिससे मच्छर दूर रहते हैं। मरुआ तुलसी का पौधा ऑक्सीजन को भी साफ रखता है। मरुआ तुलसी के और भी बहुत सारे उपयोग है, जो मानव शरीर के रोगों से बचाते हैं।
मरुआ तुलसी के उपयोग - Uses of Marua Tulsi
- मरुआ तुलसी का उपयोग बच्चों के पेट के कीड़े को समाप्त करने के लिए किया जाता है। मरुआ तुलसी के रस को बच्चों को पिलाने से पेट के कीड़े समाप्त होते हैं।
- मरुआ तुलसी का उपयोग सिर दर्द में किया जाता है। मरुआ तुलसी के पत्तों का पेस्ट बनाकर सिर में लगाने से, सिर दर्द समाप्त होता है।
- पेट के विकारों के लिए मरुआ तुलसी का उपयोग किया जा सकता है।
- मरुआ तुलसी खांसी की समस्या में भी लाभकारी है। खांसी की समस्या में मरुआ तुलसी के पत्तों के रस को शहद के साथ खाने से फायदा मिलता है।
नींबू तुलसी - Lemon Basil
नींबू तुलसी का पौधा, तुलसी के पौधे के समान रहता है। यह रामा तुलसी और श्यामा तुलसी के समान ही रहता है। मगर नींबू तुलसी के पौधे में एक विशिष्ट गुण यह रहता है, कि नींबू तुलसी के पौधे में हमेशा नींबू के समान सुगंध आती है। इसलिए इस तुलसी को नींबू तुलसी के नाम से जाना जाता है।
लोगों के घरों में नींबू तुलसी का पौधा बहुत ही कम देखने के लिए मिलता है। नीम तुलसी का पौधे की ऊंचाई 2 से 3 फीट तक रहती है। नींबू तुलसी की पत्तियां तुलसी की पत्तियों के समान ही रहती हैं। नींबू तुलसी की पत्तियों ऊपर से चिकनी और नीचे से खुरदरी रहती हैं। नींबू तुलसी का उपयोग बहुत सारे कामों में किया जाता है।
नींबू तुलसी के फायदे - benefits of lemon basil
- नींबू तुलसी का उपयोग हम अपने डेली जीवन में कर सकते हैं। नींबू तुलसी को चाय में प्रयोग किया जा सकता है। नींबू तुलसी को चाय में प्रयोग करने से, चाय में नींबू की सुगंध आती है इसका टेस्ट नहीं रहता है मगर नींबू की सुगंध आती है।
- नींबू तुलसी का प्रयोग सैलेड में किया जा सकता है। नींबू तुलसी का प्रयोग सलाद में कर सकते हैं। सलाद में नींबू तुलसी का प्रयोग करने से, इसकी सुगंध बहुत ही जबरदस्त हो जाती है। नींबू तुलसी से और भी बहुत सारे लाभ होते हैं। इससे पेट दर्द में लाभ होती है।
- नींबू तुलसी से खांसी में लाभ होता है।
वन तुलसी - Van Tulsi
वन तुलसी, तुलसी की एक प्रमुख प्रजाति है। वन तुलसी का वानस्पतिक नाम ओसीमम ग्राटिस्सुम होता है। वन तुलसी की कुल लैमियासी है। वन तुलसी के पहाड़ी तुलसी, जंगली तुलसी, बर्बरी तुलसी के नाम से जाना जाता है। वन तुलसी का पौधा भी बहुत लाभकारी होता है। वन तुलसी का पौधा लोगों के घरों में नहीं पाया जाता है, क्योंकि लोग इसे अपने घरों में नहीं लगाते हैं। वन तुलसी का पौधा की पत्तियों के द्वारा आप इसे आसानी से पहचान सकते हैं। इसकी वजह हमारे घरों में पाई जाने वाली रामा तुलसी और श्यामा तुलसी की पत्तियों से बड़ी होती है। इसकी पत्तियां करीब 4 सेंटीमीटर तक बड़ी हो जाती हैं। इन पत्तियों की शिराएं आपको साफ देखने के लिए मिलती है।
वन तुलसी का पौधा दो से 3 फीट ऊंचाई का रहता है। इसका पौधा खाद मिलने की अवस्था में 4 फीट की ऊंचाई का हो जाता है। वन तुलसी के पौधे में छोटे-छोटे फूल उगते हैं, जो तुलसी के फूलों के समान ही रहते हैं। वन तुलसी के बीज खसखस के समान रहते हैं।
वन तुलसी के फायदे - Benefits of Van Tulsi
- वन तुलसी के उपयोग से पेट दर्द में फायदा होता है। वन तुलसी का पतियों का प्रयोग पेट दर्द में किया जा सकता है।
- भूख ना लगने की स्थिति में भी वन तुलसी प्रयोग की जा सकती है। आप वन तुलसी का प्रयोग करते हैं, तो भूख लगने लगती है।
विमला तुलसी - Vimala Tulsi
विमला तुलसी का पौधा एक विशिष्ट पौधा है और यह तुलसी की सारी प्रजातियां में सबसे श्रेष्ठ माना जाता है। विमला तुलसी की ऊंचाई 4 से 5 फीट तक होती है। विमला तुलसी के पौधा की पत्तियां, जो हमारे घरों में तुलसी पाई जाती है, रामा तुलसी और श्यामा तुलसी। उन पत्तियों से बड़ी होती है। विमला तुलसी की पत्तियां मरुआ तुलसी के समान होती है। विमला तुलसी के पौधे की जड़ बहुत गहराई तक जाती है।
विमला तुलसी के पौधे से भीनी भीनी खुशबू आती है। विमला तुलसी में, आपको छोटे-छोटे इसके फूल देखने के लिए मिलते हैं, जो सफेद कलर के रहते हैं और इसमें बीज भी लगते हैं। इसके फूल एवं बीज, जो हमारे घरों में तुलसी पाई जाती है। उनके समान ही रहते हैं। विमला तुलसी के पत्ते खाने के बाद, अगर शक्कर खाई जाए तो उसका स्वाद नहीं लगता है। विमला तुलसी का पौधा, हमारे घरों में नहीं पाया जाता है, क्योंकि हमारे घरों में इसे नहीं लगाया जाता है। मगर यह तुलसी बहुत ही फायदेमंद रहती है।
विमला तुलसी के उपयोग - Uses of Vimala Tulsi
विमला तुलसी का उपयोग बहुत सारे हैं। विमला तुलसी शरीर के बहुत सारे रोगों को दूर करती है।
- विमला तुलसी का उपयोग डायबिटीज के लिए किया जाता है। क्योंकि विमला तुलसी डायबिटीज को पूरी तरह से खत्म कर देती है। विमला तुलसी के एक एक पत्ते को अगर रोज खाया जाए, तो यह डायबिटीज को समाप्त कर देती है।
- विमला तुलसी धातु रोग में भी बहुत महत्वपूर्ण है। अगर आप विमला तुलसी का सेवन करते हैं, तो धातु रोग में फायदा होता है।
- विमला तुलसी के उपयोग यौन कमजोरी दूर होती है। तुलसी का उपयोग यौन समस्या में किया जा सकता है। इसके पत्तों का प्रयोग कर सकते हैं।
तुलसी के पेड़ का चित्र - picture of basil tree
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