पीपल के पेड़ की जानकारी और पीपल के आयुर्वेदिक फायदेPeepal tree information and benefits of Peepal in hindi
पीपल का वैज्ञानिक या वनस्पतिक नाम - फाइकस् रिलीजिओसापीपल का अंग्रेजी में नाम - पिपल ट्री, द ट्री ऑफ़ इंटेलिजेंस
पीपल (Peepal) एक मुख्य औषधीय पौधा है। पीपल भारत में पाया जाने वाला एक मुख्य पौधा है। पीपल संपूर्ण भारत में पाया जाता है और पीपल के पेड़ (Peepal ke ped) को आपने जरूर देखा होगा, क्योंकि यह पेड़ हमारे आसपास मंदिरों में, मैदानों में, खेतों में आसानी से देखने के लिए मिल जाता है। इस पेड़ को पूजनीय माना जाता है। लोग इसकी पूजा करते हैं और धागा बांधते हैं। पीपल के पेड़ को लोग अपने घरों में गमले में भी लगाते हैं। पीपल का पेड़ (Peepal ka ped) सदाबहार पेड़ है। पीपल के पेड़ की पत्तियां हल्के हरे रंग की होती है। पीपल का पेड़ पूजनीय होने के साथ-साथ औषधीय गुणों से भी भरपूर है।
आयुर्वेद में 3 पौधे बहुत महत्वपूर्ण है - नीम, बरगद और पीपल। इन तीनों पौधे के औषधीय फायदे बहुत ज्यादा हैं। पीपल का पेड़ हमें बहुत सारे रोगों से छुटकारा दिलाता है। इसके अलावा यह रात में भी ऑक्सीजन उत्पन्न करता है। पृथ्वी में पाए जाने वाले बहुत कम ऐसे पौधे जो रात में ऑक्सीजन उत्पन्न करते हैं। मगर पीपल रात में ऑक्सीजन उत्पन्न करता है। इसलिए पीपल के पौधे का रोपण अधिक से अधिक करना चाहिए, जिससे हमारे पर्यावरण में वायु प्रदूषण कम है और हमारी वायु शुद्ध रहे।
पीपल के पेड़ की छांव बहुत ठंडी रहती है। पीपल का पेड़ 10 से 25 मीटर ऊंचा होता है। पीपल का पेड़ बहुत विशाल रहता है। पीपल की पत्तियों का आकार दिल के आकार का होता है। यह देखने में बहुत ही सुंदर लगती है। पीपल की पत्तियां चिकनी होती है। पीपल की पत्तियां हल्के हरे रंग की होती है। पीपल की पत्तियां ऊपरी सिरा चिकना होता है और निचले सिरे में इसकी शिराएं साफ देखने के लिए मिलती हैं। पीपल की पत्ती जब सूख जाती है। तब इसकी शिराएं ही पत्ती में शेष बचती है। पीपल की पत्तियों की शिराएँ सफेद रंग की होती है।
पीपल का एक मुख्य तना देखने के लिए मिलता है। तने के ऊपर आपको इसकी शाखाएं देखने के लिए मिलती हैं, जो बहुत घनी रहती है। पीपल का पेड़ कई वर्षों तक जिंदा रहता है। पीपल की तने की बाहरी परत अर्थात इसकी छाल सफेद रंग की होती है। पीपल के नए पत्ते चिकने और हल्के लाल रंग के होते हैं। बाद में यह पत्ते हरे रंग के हो जाते हैं। पीपल के पेड़ में फल भी लगते हैं। पीपल के पेड़ में छोटे-छोटे गोलाकार फल लगते हैं। इसके फल चिकने होते हैं। कच्ची अवस्था में यह फल हरे रंग के होते हैं और पकने पर यह फल बैगनी रंग के हो जाते हैं।
पीपल की जड़ जमीन में बहुत सारी उप जड़ों में विभक्त होती है। पीपल में बरगद के समान ही जटा निकलती हैं। पीपल के पुराने तने पर जटाएं निकलती हैं। इन जटाओं को पीपल की दाढ़ी के नाम से जाना जाता है। यह जटाएं मोटी होती है और जमीन में नीचे तक जाती हैं। पीपल के तने, शाखाओं या इसके पत्तों को तोड़ने से दूध के सामान पदार्थ निकलता है, जिसे पीपल का दूध कहते हैं।
पीपल वृक्ष का सभी भाग उपयोगी रहता है। पीपल वृक्ष का जड़, तना, पत्तियां और फल यह सभी उपयोगी रहता है। फल का चूर्ण बनाकर प्रयोग किया जाता है। पीपल वृक्ष के भागों से शरीर की बहुत सारी बीमारियों को ठीक किया जाता है। पीपल का वृक्ष भारत में आसानी से मिल जाता है। मगर इस पेड़ के औषधीय गुणों के बारे में लोगों को जानकारी नहीं है, जिससे वह पीपल का उपयोग नहीं कर पाते हैं। आप इस ब्लॉग को पढ़िए, आपको पीपल के बारे में संपूर्ण जानकारी मिलेगी।
पीपल का वृक्ष औषधीय गुण, उपयोग और फायदे - Medicinal properties, uses and benefits of peepal
पीपल पेड़ के आयुर्वेदिक फायदे बहुत सारे हैं। पीपल शरीर के बहुत सारे रोगों में फायदा करता है। पीपल के जड़, तना, पत्तियां और फल का उपयोग शरीर के रोगों को दूर करने के लिए किया जाता है।
पीपल के पेड़ के फायदे - Benefits of Peepal Tree
- पीपल वृक्ष की पत्तियां आयुर्वेदिक तरीके से गुणकारी होती है। पीपल की पत्तियों का उपयोग बहुत सारे कामों में किया जाता है। पीपल के पत्ते का उपयोग आंखों के रोग ठीक करने में किया जाता है। पीपल के पत्तों से, जो दूध निकलता। उसे आंखों में लगाने से, आंखों में होने वाला दर्द ठीक हो जाता है।
- दांत के रोगों में पीपल का वृक्ष बहुत फायदा करता है। दांत के रोगों में आपको पीपल वृक्ष की टहनी को दातुन बनाकर प्रतिदिन उपयोग कर सकते हैं। इससे दांत दर्द, मसूड़ों में सूजन, मुंह से दुर्गंध आना जैसी समस्याएं समाप्त हो जाती हैं।
- पीपल का प्रयोग दमा रोग के इलाज के लिए कर सकते है। पीपल के छाल एवं पके हुए फल के चूर्ण को मिलाकर, इस चूर्ण का सेवन करने से दमा में फायदा मिलता है।
- भूख बढ़ाने के लिए पीपल का प्रयोग किया जा सकता है। अगर आपको भूख कम लगती है, तो पीपल वृक्ष के पके हुए फलों के सेवन से भूख कम लगने की समस्या में समाधान होता है।
- मूत्र रोग में पीपल का प्रयोग किया जा सकता है। पीपल की छाल का काढ़ा पीने से मूत्र रोग की समस्या से छुटकारा मिलता है।
- मधुमेह में पीपल के पेड़ का प्रयोग किया जा सकता है। मधुमेह में पीपल के पेड़ की छाल का काढ़ा बनाकर पीने से मधुमेह में लाभ मिलता है।
- बांझपन की समस्या में पीपल का इस्तेमाल किया जा सकता है। बांझपन की समस्या में पीपल वृक्ष के सूखे हुए फल के चूर्ण को कच्चे दूध के साथ लेने से बांझपन की समस्या मिटती है।
- चर्म रोग में पीपल के उपयोग से फायदा मिलता है। अगर चर्म रोग की परेशानी है, तो पीपल के कोमल कोपलें खाने से, त्वचा में खुजली में राहत मिलती है और चर्म रोग खत्म होता है। पीपल की पत्तियों का काढ़ा बनाकर भी पिया जा सकता है। पीपल की छाल का काढ़ा बनाकर पीने से खाज खुजली की समस्या ठीक होती है।
- पीपल का प्रयोग घाव को ठीक करने के लिए किया जा सकता है। पीपल के वृक्ष के पत्ते एवं पीपल की छाल के चूर्ण को घाव में लगाने से जल्दी आराम मिलता है और घाव भरने लगता है।
- अगर खून में अशुद्धि हो, तो पीपल का पेड़ का प्रयोग किया जा सकता है। पीपल के छाल से खून की अशुद्धि दूर होती है। पीपल की छाल का काढ़ा बना सकते हैं और इसे उपयोग कर सकते हैं। पीपल के छाल के प्रयोग से भी खून साफ होता है।
- अगर कोई विषैला जीव काट लिया हो, तो उसमें भी पीपल का प्रयोग किया जा सकता है। पीपल के पत्तों की रस का प्रयोग किया जा सकता है। विष के प्रभाव को कम किया जा सकता है।
- पीपल के पेड़ के प्रयोग से पेट साफ रहता है
- पीपल का पेड़ का उपयोग त्वचा के रंग को निखारने के लिए भी किया जा सकता है। पीपल की छाल का लेप करने से या इसके पत्तों का प्रयोग करने से त्वचा का रंग में निखार आता है। यह त्वचा की झुर्रियों को भी कम करता है।
पीपल वृक्ष का धार्मिक महत्व - religious significance of peepal
पीपल का पेड़ औषधीय महत्व के साथ-साथ धार्मिक महत्व रखता है। पीपल के पेड़ में भगवान श्री हरि विष्णु जी निवास करते हैं। पीपल के वृक्ष को अक्षय वृक्ष कहा जाता जाता है, जिसके अनुसार पीपल के पत्ते कभी समाप्त नहीं होते हैं। पतझड़ के समय पीपल के पत्ते झड़ने लगते हैं। मगर एक साथ पूरे पत्ते नहीं झड़ते हैं और फिर नए पत्ते आते हैं और पीपल का पेड़ हरा भरा हो जाता है। पीपल के वृक्ष के नीचे बैठकर कई संत महात्माओं ने तपस्या की है।
स्कंद पुराण में पीपल की विशेषता और उसके धार्मिक महत्व का उल्लेख किया गया है, कहा जाता है कि पीपल के जड़ में विष्णु भगवान जी, तने में केशव, शाखाओं में नारायण, पत्तों में श्री हरी और फलों में सभी देवताओं के साथ अच्युत देव निवास करते हैं। इस पेड़ को श्रद्धा से प्रणाम करने से सभी देवता प्रसन्न होते हैं। हमारे शास्त्रों में पीपल के पेड़ का बहुत महत्व है। इसे देव वृक्ष कहा गया है। पीपल के वृक्ष के भीतर सभी देवताओं का वास होता है।
गीता में भगवान कृष्ण ने पीपल को अपना ही स्वरूप बताया था। पीपल के पेड़ के नीचे बैठकर ही बहुत सारे यज्ञ और अनुष्ठान किए जाते हैं। पीपल वृक्ष के नीचे शिव भगवान जी की स्थापना की जाती है। आपने बहुत सारी जगह देखा होगा, जहां पर पीपल वृक्ष के नीचे शिवलिंग विराजमान रहता है। पीपल वृक्ष की पूजा बहुत सारी औरतें करती हैं और पीपल वृक्ष में धागा बांधती है। इसका भी अपना महत्व है। पीपल वृक्ष के पास होने से मानसिक तनाव कम हो जाता है। पीपल वृक्ष की पूजा करने से शनि भगवान जी की साढ़ेसाती से बचा जा सकता है। पीपल वृक्ष के और भी धार्मिक महत्व है।
पीपल के पेड़ को घर में लगाना शुभ है या अशुभ - Is it auspicious or inauspicious to plant Peepal tree in the house?
पीपल के पेड़ को घर में क्यों नहीं लगाना चाहिए ? या लोग यह कहते हैं, कि पीपल का पेड़ शुभ है या अशुभ। पीपल का पेड़ धार्मिक रूप से बहुत महत्वपूर्ण है। मगर इसे घर में नहीं लगाया जाता है, क्योंकि इसके पीछे बहुत सारे कारण हैं। कुछ कारण धार्मिक है और कुछ कारण साइंटिफिक है। चलिए जानते हैं -
पीपल के पेड़ को घर में क्यों नहीं लगाना चाहिए
- पीपल का वृक्ष बहुत घना रहता है और पीपल का वृक्ष की छाया ठंडी रहती है। मगर धार्मिक ग्रंथों में पीपल की छाया घरों में नहीं पड़ना चाहिए। इससे घर में कलेश होता है और घर में बहुत सारी परेशानियां भी आती है। घर की प्रगति में अवरोध उत्पन्न हो जाता है। घर में समस्याएं पैदा होती हैं।पीपल का वृक्ष अपने आप में एकांत और निर्धनता पैदा करता है। जिस घर में पीपल का पेड़ होता है। वहां के लोगों पर संकट आते हैं और उनकी आयु दीर्घायु नहीं होती है।
- पीपल का वृक्ष वंश वृद्धि के लिए भी उचित नहीं है। इससे संतान को कष्ट हो सकता है।
- पीपल के वृक्ष की आयु जितनी बढ़ती है। पीपल का वृक्ष उतना विशाल बनता है। इसलिए पीपल के वृक्ष घर के पास होने पर घर को हानि होती है, क्योंकि पीपल की तने बहुत मोटे मोटे हो जाते हैं और यह तने आंधी, तूफान या भूकंप की स्थिति में घरों पर गिरते हैं, जिससे घरों में बहुत हानि हो सकती है। इसलिए पीपल के पेड़ को घरों में नहीं लगाया जाता है।
- पीपल के पेड़ के बारे में एक अवधारणा यह भी है, कि पीपल के पेड़ में भूत प्रेतों का निवास रहता है। इसलिए पीपल के पेड़ को घर के आस-पास नहीं लगाया जाता है।
- पीपल के पेड़ की जड़ बहुत बड़ी होती है। पीपल की जड़ का फैलाव बहुत ज्यादा रहता है। पीपल की पेड़ की जड़ घरों की दीवारों और फर्श को हानि पहुंचा देती हैं। इसलिए पीपल को घर के आस-पास नहीं लगाया जाता है।
- पीपल के वृक्ष के नीचे बहुत सारे धार्मिक अनुष्ठान और कर्मकांड किए जाते हैं। अगर पीपल का पेड़ घर में लगा रहता है, तो पीपल के पेड़ धार्मिक तरह से विधिवत तरीके से पूजन नहीं होता है। जिससे घर में अशांति फैलती है। इसलिए पीपल के पेड़ों को घर में नहीं लगाया जाता है।
- पीपल के पेड़ की आयु भी बहुत ज्यादा रहती है। इसलिए पीपल के पास आप निर्माण करवाते हैं, तो आपको आने वाले समय में अगर कुछ दूसरा निर्माण करवाना हो, तो आपको पेड़ काटना ही पड़ेगा। इसलिए लोग पीपल के पेड़ को घर के आसपास नहीं लगाते हैं।
- पीपल के पेड़ में बहुत सारे जीव जंतुओं का घर रहता है, क्योंकि पीपल के पेड़ से जीवो को खाना पीना और रहना सब मिलता है। इसलिए बहुत सारे जीव पीपल में निवास करते हैं। मगर जीवो के निवास करने से घर वालों को परेशानी हो जाती है, क्योंकि घर में बहुत ज्यादा कचरा होता है। इसलिए भी पीपल के पेड़ को घर के आस-पास नहीं लगाया जाता है।
पीपल का फल - Peepal fruit
पीपल का फल बहुत ही उपयोगी रहता है। पीपल के फल में औषधीय गुण विद्यमान रहते हैं। पीपल का फल, पीपल के तनों में छोटे-छोटे हरे कलर के लगते हैं। पीपल के फल पकने के बाद भूरे कलर का हो जाता है। पीपल के फल चिड़िया पंछी बड़े ही चाव से खाते हैं। पीपल के फल के उपयोग से शरीर के बहुत सारे रोग ठीक हो जाते हैं।
पीपल के फल के फायदे - benefits of peepal fruit
- पीपल के फल का उपयोग आप अपने रक्त को शुद्ध करने के लिए कर सकते हैं। पीपल के फल का पाउडर बना लो और इस पाउडर को आप अगर शहद के साथ सेवन करते हैं, तो आपका रक्त शुद्ध हो जाएगा और आपकी त्वचा संबंधी जो भी परेशानी रहती है। वह समाप्त हो जाएगी।
- पीपल के फल को खाने से कब्ज की समस्या भी दूर होती है।
पीपल का पेड़ की तासीर गर्म रहता है या ठंडा - Peepal ka ped ki taseer garam hota hai ya thanda
पीपल के वृक्ष की तासीर गरम रहती है। इसलिए पीपल के पेड़ का प्रयोग आप करते हैं, तो आपको सावधानी बरतनी चाहिए। पीपल के किसी भाग का उपयोग करते हैं, तो उसके बाद किसी भी तरह का तला हुआ पदार्थ और जंक फूड खाने से बचना चाहिए।
पीपल के पत्ते का काढ़ा कैसे बना सकते हैं - Peepal ke patte ka kadha kaise bana sakte hain
पीपल का पत्ते का काढ़ा बनाने के लिए, ताजे पीपल की पत्तियों को तोड़ लें। इन पत्तियों को पानी से धो लें। इन पत्तियों को आप एक बर्तन में पानी डालकर चढ़ा दें और पानी में उबाल आने दें। उबाल आने के बाद गैस को मंद कर दे। जब पानी आधा हो जाए, तो इस पानी का उपयोग आपका काढ़े के रूप में कर सकते है।
गमले में पीपल का पौधा कैसे लगा सकते हैं - how to plant peepal plant in pot
गमले में पीपल का पौधा बहुत ही आसानी से लगाया जा सकता है। वैसे पीपल का पौधा हर जगह आसानी से प्राप्त हो जाता है। पीपल का पौधा बीज से अंकुरित होता है। पीपल के पौधे को आप गमले में लगा सकते हैं। पीपल पौधे के लिए आपको एक मध्यम आकार का गमला लेना है और इस गमले में आपको मिट्टी और गोबर खाद को मिश्रित करके भर लेना है। इस मिश्रण में आपको पीपल के छोटे पौधे को लगाना है और इसे समय अनुसार पानी देना है। पीपल का पौधा कुछ दिनों में बड़ा हो जाएगा। पीपल का छोटा पौधा आपको कहीं पर भी आसानी से मिल जाएगा, क्योंकि पीपल का फल बहुत सारे पक्षी लोग खाते हैं और बीट करते हैं, जिससे पीपल का पौधा कहीं पर भी उग जाता है, तो पीपल का पौधा आपको ढूंढने में दिक्कत नहीं होगी।
इसके अलावा आप पीपल के बीज के द्वारा पीपल के पौधे को लगा सकते हैं। आप पीपल के बीज को मिट्टी में दबा दीजिए। पीपल का पौधा कुछ दिनों बाद निकल जाएगा। पीपल के पौधे को बोनसाई बनाकर घर में भी रखा जाता है। यह बहुत सुंदर लगता है और आप इस तरह से पीपल के पौधे को गमले में उगा सकते हैं।
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