गिलोय बेल की जानकारी और गिलोय के फायदे
गिलोय का अंग्रेजी नाम - इण्डियन टिनोस्पोरा, हार्ट लीव्ड टिनोस्पोरा
गिलोय का वैज्ञानिक या वनस्पतिक नाम - टिनोस्पोरा कॉर्डिफोलिया
गिलोय एक बेल है। यह बेल औषधीय गुणों से भरपूर रहती है। इस बेल के औषधीय गुणों के कारण इसे अमृत के समान माना गया है और इसे अमृता कहा जाता है। गिलोय बेल की तासीर गर्म रहती है। गिलोय बेल पहाड़ों, चट्टानों, पेड़ों में लिपटी हुई रहती है। गिलोय बेल से बहुत सारी बीमारियां ठीक होती है। 2019 और 2020 के समय गिलोय बेल को बहुत प्रसिद्ध मिली। गिलोय बेल के उत्पाद बाजार में पहले से मिलते रहे हैं। मगर लोग पहले गिलोय बेल के बारे में इतना नहीं जानते थे। जितना कोरोना जैसी विशाल बीमारी के आने के बाद, लोगों में इस बेल के बारे में जानकारी बढ़ी है और लोग इसे अपने घर में लगाने लगे हैं। इस बेल का उपयोग करने लगे हैं। इस बेल के उपयोग से रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है। कोरोना कि समय लोगों की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने के लिए, इस बेल ने बहुत मदद की है।
गिलोय की पत्तियां हृदयाकार की रहती हैं। गिलोय की पत्तियां हरी रंग की होती है। गिलोय की पत्तियों के पीछे शिराएं साफ देखने के लिए मिलती हैं। गिलोय की पत्तियां का डंठल भूरे कलर का रहता है। गिलोय के डंठल का बाहरी परत निकालते हैं, तो अंदर हरे कलर का डंठल देखने के लिए मिलता है। इसी डंठल का प्रयोग बहुत सारे औषधीय कामों के लिए किया जाता है। गिलोय में लाल रंग के फल लगते हैं। प्रारंभ में यह फल हरे कलर के रहते हैं और बाद में, यह पककर लाल कलर के हो जाते हैं। अगर आप इस बेल को तोड़ कर कहीं फेंक दें, तो यह बेल कुछ दिनों में अंकुरित हो जाती है। इसलिए ऐसे अमृता भी कहा जाता है।
गिलोय का पौधा जिस वृक्ष को आधार बनाता है। उस वृक्ष के गुण गिलोय में आ जाते हैं। गिलोय का पौधा आम और नीम के पेड़ों में आराम से लिपटकर बड़ा होता है। गिलोय पौधा नीम के पेड़ में अगर लिपटकर बड़ा होता है, तो इस पौधे को ज्यादा फायदेमंद माना जाता है। क्योंकि नीम के गुण गिलोय पौधे में आ जाते हैं। गिलोय बेल की पत्तियां हरे कलर की होती हैं। यह पत्नियां तीन के समूह में होती हैं। गर्मियों में यह पौधा हरा भरा रहता है।
गिलोय के पौधे को आयुर्वेद में कई नामों से जाना जाता है। इसे अमृता, गुडूची, चक्रांगी नाम से जाना जाता है। गिलोय का पौधा एक बहुवर्षीय लता है। गिलोय बुखार की एक महान औषधि माना जाता है। गिलोय से डेंगू और मलेरिया का बुखार उतर जाता है। गिलोय की बेल छोटी उंगली से लेकर अंगूठे जितना मोटा होता है। बहुत पुराने गिलोय में अलग-अलग स्थानों से जड़ निकलकर नीचे झूलती हैं। गिलोय के पत्ते स्वाद में कड़वा और तीखे होते हैं। गिलोय का उपयोग वात पित्त और कफ दोष को ठीक करने के लिए किया जाता है। गिलोय के तना में औषधीय गुण सबसे ज्यादा रहते हैं और यह औषधीय कामों के लिए उपयोग किया जाता है। इसके अलावा इसके पत्ते औषधी में प्रयोग किया जाता है।
गिलोय बेल के औषधीय गुण, महत्व और फायदे - Medicinal properties of Giloy Bel, importance and benefits
गिलोय एक औषधीय पौधा है। गिलोय के पौधों में बहुत सारे गुण विद्यमान रहते हैं, जिससे यह अनेक रोगों से हमारे शरीर की रक्षा करता है। गिलोय में पायरेटिक, एंटी इंफ्लेमेटरी, एंटी ऑर्थरिटिक और एंटीऑक्सीडेंट के गुण मौजूद रहते हैं, जो हमारे स्वास्थ्य से संबंधित अनेक समस्याओं को फायदे पहुंचाते हैं। गिलोय में पाचन से संबंधित समस्या, सूजन, रक्त शोधन, दर्द आदि से छुटकारा दिलाता है। गिलोय से हृदय संबंधी बीमारी से राहत मिल सकती है। गिलोय से एनीमिया, कुष्ठ रोग, पीलिया जैसे रोगों का उपचार किया जा सकता है। गिलोय डेंगू और स्वाइन फ्लू को जड़ से खत्म करने में भी मदद करती है। गिलोय के बहुत सारे फायदे हैं। गिलोय में कुछ कमियां भी हैं, जो आपको जाननी चाहिए। उसके बाद इसका इस्तेमाल करना चाहिए।
गिलोय के फायदे - Benefits of giloy
इम्मुनिटी बढ़ाने में गिलोय का प्रयोग
गिलोय का प्रयोग इम्मुनिटी बढ़ाने में किया जाता है। गिलोय की बेल में रोग प्रतिरोधक क्षमता होती है। अगर आप गिलोय के जूस को पीते हैं, तो इससे आपकी रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ेगी और आप बीमार कम होंगे। गिलोय का जूस को पीने से खून साफ होता है। यह शरीर के बैक्टीरिया को मारता है और हेल्थी कोशिकाओं को मेंटेन करके रखता है। अगर आप प्राकृतिक तरीके से अपने शरीर की इम्मुनिटी को बढ़ाना चाहते हैं, तो आप गिलोय का प्रयोग कर सकते हैं।
बुखार के लिए गिलोय का प्रयोग
बुखार के लिए गिलोय का उपयोग किया जा सकता है। गिलोय में एंटीपायरेटिक गुण पाया जाता है, जो बुखार को कम करता है और खून में श्वेत कोशिकाओं की संख्या को बढ़ाता है। डेंगू, बुखार और मलेरिया बुखार में यह मुख्य भूमिका निभाता है।
पेट संबंधित समस्या में गिलोय के फायदे
आजकल के समय में खाने पीने के कारण पेट में गड़बड़ी होना एक आम बात हो गई है। मगर इसका एक प्राकृतिक उपाय है। गिलोय का जूस का सेवन किया जाए, तो यह सब समस्या आसानी से दूर हो जाती है। पेट संबंधित समस्या में गिलोय का उपयोग किया जा सकता है। गिलोय के जूस के सेवन से पेट से संबंधित बहुत सारी बीमारियां ठीक हो सकती है। गिलोय के जूस से पेट में दर्द, कब्ज, गैस आदि की समस्या दूर होती है। अगर किसी को भूख नहीं लगती है, तो गिलोय के जूस से भूख लगने लगती है। जी मचलना, उल्टी, एसिडिटी की समस्या दूर हो जाती है।
डेंगू में गिलोय का प्रयोग
डेंगू में गिलोय का प्रयोग किया जा सकता है। डेंगू का बुखार दौरान व्यक्ति को बहुत तेज बुखार रहता है। गिलोय में एंटीपायरेटिक गुण पाए जाते हैं, जिससे बुखार ठीक हो जाता है। इसलिए डेंगू में गिलोय का उपयोग किया जा सकता है। आप गिलोय के जूस का उपयोग कर सकते हैं, जिससे डेंगू ठीक हो जाता है।
खांसी में गिलोय का प्रयोग
अगर आपकी खांसी ठीक नहीं हो रही है, तो आप गिलोय का प्रयोग कर सकते हैं। आप गिलोय का काढ़ा बनाकर इस्तेमाल कर सकते हैं, जिससे आपकी खांसी ठीक हो सकती है।
पीलिया में गिलोय का प्रयोग
पीलिया में गिलोय बहुत फायदा पहुंचाता है। पीलिया के मरीजों को गिलोय के पत्तों का रस पिलाने से पीलिया जल्दी ठीक होता है।
एनीमिया में गिलोय का प्रयोग
एनीमिया में व्यक्ति को खून की कमी हो जाती है। एनीमिया से महिलाएं विशेष तौर पर पीड़ित रहती है। एनीमिया से पीड़ित महिलाओं को गिलोय का रस पीना चाहिए। गिलोय का रस खून की कमी को दूर करता है और रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है।
त्वचा की खूबसूरती बढ़ाने में गिलोय का प्रयोग
आजकल बहुत सारे लोगों की समस्या कील मुंहासे होते हैं। यह बहुत बड़ी समस्या है और गिलोय के प्रयोग से इससे छुटकारा मिल सकता है। गिलोय के पत्ते का पेस्ट बनाकर उपयोग किया जा सकता है।
गठिया में गिलोय का प्रयोग
गठिया से हाथ, पैर और जोड़ों में बहुत ज्यादा दर्द रहता है। यह दर्द बूढ़े व्यक्तियों को ज्यादा रहता है। गठिया के दर्द में गिलोय का उपयोग किया जा सकता है। गठिया से आराम पाने के लिए गिलोय जूस और गिलोय के काढ़े का उपयोग कर सकते हैं।
अस्थमा में गिलोय का प्रयोग
गिलोय से अस्थमा ठीक किया जा सकता है। गिलोय से सांस से संबंधित बीमारियों में आराम दिलाता है। गिलोय से कफ को भी नियंत्रित किया जा सकता है।
गिलोय के नुकसान - Disadvantages of Giloy
- गिलोय पाचन से संबंधित समस्याओं को दूर करता है। मगर इसके लगातार प्रयोग से कभी-कभी पेट में समस्या भी पैदा हो जाती है। पेट में जलन होने लगती है। अगर आपको पेट में जलन हो रही है, तो आप गिलोय का इस्तेमाल ना करें या डॉक्टर से पूछ कर करें।
- गिलोय का उपयोग 5 वर्ष से कम उम्र के बच्चों के लिए नहीं करना चाहिए, क्योंकि यह उनके लिए घातक हो सकता है।
- गिलोय का सेवन प्रेगनेंट लेडी को नहीं करना चाहिए, क्योंकि इससे गर्भपात की संभावना बढ़ जाती है।
- स्तनपान कराने वाली महिलाओं को गिलोय का उपयोग नहीं करना चाहिए।
- कोई भी एलर्जी होने पर इसका सेवन नहीं करना चाहिए।
- मधुमेह के रोगियों को गिलोय का उपयोग सावधानी पूर्वक करना चाहिए, क्योंकि यह रक्त में शुगर की मात्रा को प्रभवित करता है। इसलिए मधुमेह के रोगियों को अपना शुगर लेवल चेक करते रहना चाहिए।
गिलोय के पाउडर कैसे बनाएं - How to make Giloy powder
गिलोय का पाउडर बनाने के लिए, गिलोय के बेल को तोड़ लीजिए और बेल को आप छोटे-छोटे टुकड़ों में काट लीजिए। गिलोय बेल का बाहरी परत निकाल लीजिए, तो आपको हरा डंठल देखने के लिए मिलेगा। इस बेल को आप 4 से 5 दिन छांव में सूखा लीजिए। जब यह बेल पूरी तरह से सूख जाए, तो आप इसे मिक्सी में पीस लीजिए और इसका पाउडर बना लीजिए। इस पाउडर को आप छान दीजिए। आपको बारीक पाउडर मिल जाएगा।
आप अगर इसे पत्थर में कूटकर पाउडर बनाते हैं, तो बहुत अच्छा रहता है। मिक्सी में इसके बहुत सारे गुण नष्ट हो जाते हैं। पत्थर में कूटकर बनाएंगे, तो यह बहुत उपयोगी रहेगा। आप इस पाउडर का उपयोग अपने शरीर के रोगों को नष्ट करने के लिए कर सकते हैं।
गिलोय का जूस या गिलोय का रस कैसे बनाया जाता है - How to make Giloy juice
गिलोय का ताजा जूस या गिलोय का रस बनाने बहुत ही आसान है। इसे हम अपने घर में बना सकते हैं। इसके लिए हमें गिलोय लेना है और गिलोय को काटकर इसके छोटे-छोटे पीस कर लेने हैं। हम गिलोय के ताजे जूस में और भी औषधीय पौधे ले सकते हैं। इसमें हम नीम, एलोवेरा, तुलसी डाल सकते हैं, जिससे इसकी गुणवत्ता और भी ज्यादा बढ़ जाती है।
इन सभी औषधीय पौधों को लेकर हमें गिलोय को मिक्सी में पीस लेना है। मिक्सी में पीस ने के बाद, इसे प्लास्टिक की छलनी से छान लेना है, जो भी जूस निकलता है। वह गिलोय का ताजा जूस रहता है और इस जूस का उपयोग आप 2 दिन तक कर सकते हैं। इस जूस को आप फ्रिज में रख सकते हैं। ताकि यह जूस 2 दिनों तक सुरक्षित रहे और उसमें आप पानी मिलाकर इसका उपयोग कर सकते हैं।
गिलोय जूस के फायदे - Benefits of Giloy juice
गिलोय जूस के बहुत सारे फायदे हैं। अगर आप गिलोय जूस का सेवन करते हैं, तो आपकी रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है। गिलोय जूस में एंटी ऑक्सीडेंट बहुत अधिक मात्रा में रहते हैं। इसमें आयरन, मैग्नीशियम और कैल्शियम जैसे तत्व रहते हैं, जो शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाते हैं।
गिलोय जूस का उपयोग आप बुखार को कम करने में कर सकते हैं। गिलोय जूस को आप बुखार के समय पीते हैं, तो इससे बुखार कम हो जाता है।
गिलोय का काढ़ा कैसे बनाएं - how to make giloy Kadha
गिलोय का काढ़ा बनाने के लिए गिलोय के ताजे कण्ड को तोड़ देना चाहिए और इसे छोटे-छोटे पीस में काट लेना चाहिए। इस कण्ड को कुचल लेना चाहिए और इसे पानी में उबाल लेना चाहिए। आपने जो पानी लिया है। वह साफ रहना चाहिए और इसे मध्यम आंच पर पका लेना चाहिए। जब यह पानी आधा हो जाए, तो आप इस काढ़े का उपयोग कर सकते हैं।
गिलोय कैसी होती है या गिलोय को कैसे पहचाना जा सकता है - How is Giloy or how can Giloy be recognized
गिलोय का पौधा एक बेल है और गिलोय का पौधा, अन्य पौधों पर लिपटकर पौधों के ऊपर चढ़ती है। नीम पर चढ़ी हुई गिलोय बहुत ही उपयोगी रहती है। नीम गिलोय का उपयोग बहुत लाभकारी रहता है। नीम गिलोय में नीम के गुण भी समाहित हो जाते हैं। गिलोय के पत्ते डार्क हरे कलर के रहते हैं। गिलोय के पत्ते हृदय आकार के होते है। गिलोय की, जो बेल रहती है। वह भूरे रंग की होती है। गिलोय में लाल कलर के छोटे-छोटे फल लगते हैं, जो बहुत ही सुंदर लगते हैं। नीम पर चढ़ी गिलोय बहुत फायदेमंद होती है। नीम गिलोय का फायदा बहुत ज्यादा है। गिलोय पीने से फायदा बहुत ज्यादा है।
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