आंवला (आमला) का पौधा - Aanwala (Amla) ka Paudha
आंवले का अंग्रेजी नाम - इंडियन गूसबेरी, एम्बलिक मायरोबालान ट्री आमले का वैज्ञानिक नाम - एंब्लिका ओफ्फीचिनालिस
आंवला एक मुख्य औषधीय पौधा है। आंवला एक खाद्य पदार्थ है। आंवले को आमला, अमला के नाम से भी जाना जाता है। आंवले का उपयोग बहुत सारे कामों में किया जाता है। आंवला का फल बहुत पौष्टिक होता है और इसमें विटामिन सी बहुत अधिक मात्रा में होता है। आंवले का फल को प्रतिदिन आप खाएंगे, तो आपको आयरन की कमी नहीं होगी, आंखों की रोशनी बरकरार रहेगी, बाल काले रहेंगे और आपके शरीर में बहुत सारे फायदे होंगे। आंवला का फल आपने बाजार में जरूर देखा होगा। घरों में आंवले का अचार रखा जाता है। आंवला बहुत महत्वपूर्ण है। आंवले का जूस, ड्राई आंवला, आंवला कैंडी, आंवला पाउडर, आंवले का मुरब्बा और भी बहुत सारी चीजें बनाकर, आंवले का उपयोग किया जाता है। आज हम आंवले के बारे में बहुत सारी बातें जानेंगे।
आंवला का पौधा - amla plant
आंवले का पौधा आपने जरूर देखा होगा। आंवले का पौधा 20 से 25 फुट ऊंचा रहता है। आंवले की जो पत्तियां रहती हैं। वह छोटी-छोटी रहती हैं। आंवला नवंबर से मार्च तक बाजार में मिलता है। आंवले की पत्ती इमली की पत्ती की तरह रहती है। मगर यह इमली की पत्ती से बड़ी रहती है। आंवले के पौधे में आंवला गुच्छों में लगता है। इसके फल का आकार पहले छोटा रहता है और फल जब पक जाता है। तब फल का आकार बढ़ जाता है और इसका रंग पीले और लाल कलर का हो जाता है।
आंवले के फल में आपको 6 रेखाएं देखने के लिए मिलती है। जब आंवले को आप उबलते हैं, और आंवला को हल्के से दबाते है। तब आँवला छह भागों में विभक्त हो जाता है। इसके पौधे में मार्च-अप्रैल में नई पत्तियां आती है। आंवला भारत में सर्वत्र पाया जाता है।
आंवले के प्रकार - Gooseberry type
आंवला दो प्रकार का होता है
बागी बाग - बगीचों में लगाने वाले आमले को बागी आंवला कहते हैं। बगीचों में, जो आंवला लगाया जाता है। उसको दो प्रकार की विधियों के द्वारा लगाया जाता है - एक कलमी और दूसरा बीज
कलमी विधि से, जो आमला लगाया जाता है। उसके फल बड़े रहते हैं और आंवले के पौधे से ही आंवले की कलम तैयार की जाती है। कलमी विधि से तैयार किए गए पौधे, जल्दी बड़े हो जाते हैं और आंवले जल्दी मिलते हैं और इनके फल बड़े होते हैं।
बीज विधि - बीज विधि से लगाए गए आंवले आकार में छोटे होते हैं और यह पौधे बीजों के द्वारा लगाए जाते हैं।
जंगली आंवला - जंगली आंवला मुख्य रूप से जंगलों में पाया जाता है और यह जंगल परिवेश में ही उगता है। जंगली आंवला में बागी आमला से ज्यादा औषधीय गुण रहते हैं और इसमें ज्यादा पोषण रहता है। यह आंवला आकार में छोटा रहता है और बहुत ज्यादा कसैला रहता है।
आंवले का उपयोग - Use of gooseberry
आंवला एक मुख्य औषधि गुण वाला पौधा रहता है। आंवले के पेड़ के सभी भाग उपयोगी रहते हैं। आंवले के पेड़ के सभी भागों का उपयोग किया जाता है। आंवले के फल, पत्तियां, तने और छाल का उपयोग विभिन्न प्रकार के औषधीय दवा बनाने में किया जाता है। आंवले का उपयोग खाने के सामान, सौंदर्य के समान, और दवाइयों में किया जाता है। इसके फल में बहुत सारे पोषक तत्व रहते हैं, जो मानव शरीर के लिए महत्वपूर्ण है।
आंवले का उपयोग खाद्य सामान बनाने में किया जाता है। आंवले से आचार, आंवले का मुरब्बा, आंवला जैम, आंवला कैंडी, सूखा आंवला, आंवला पाउडर यह सभी चीजें बनाई जाती है। यह सभी चीजें बाजार में आप खरीद सकते हैं। अगर आप चाहे, तो आप इन सभी चीजों को घर में भी बना सकते हैं। आंवला बहुत स्वादिष्ट रहता है और इन सभी चीजों को आप प्रतिदिन उपयोग कर सकते हैं।
सौंदर्य प्रसाधन में आंवले का उपयोग किया जाता है। आंवले का पाउडर बनाया जाता है, जिसका उपयोग आप शैंपू की तरह बालों में लगाने में कर सकते हैं। इस पाउडर को खाया भी जा सकता है। मेहंदी पाउडर के साथ आंवले पाउडर को मिलाकर बालों में लगाया जाता है। रीठा, आंवला, शिकाकाई को मिलाकर आप शैंपू बना सकते हैं। इस शैंपू का उपयोग आप कर सकते है। आंवला औषधि के रूप में उपयोग किया जाता है। आंवले से विभिन्न प्रकार की औषधि बनाई जाती है।
आंवले का प्राइस - Gooseberry price
आंवले का प्राइस अलग अलग राज्य में अलग अलग रहता है। मगर आंवला बाजार में आसानी से मिल जाता है। आंवले का फल हरे रंग का रहता है। कच्चा आंवला हरे रंग का रहता है और पका हुआ अगला पीले रंग का रहता है। कच्चा आंवला बहुत ज्यादा कसैला रहता है। आंवले बाजार में आंवला 100 रुपए किलो के हिसाब से मिल जाता है। बाकी प्राइस अलग-अलग राज्यों के हिसाब से अलग-अलग रहता है। अलग-अलग मंडी के हिसाब से प्राइस बदलता रहता है। ड्राई आंवले का प्राइस भी अलग रहता है।
आंवले के औषधीय गुण - Medicinal properties of amla
आंवले में बहुत सारे औषधीय गुण रहते हैं। आंवले के कच्चे फल और सूखे हुए आंवले का प्रयोग बहुत अधिक मात्रा में किया जाता है। एक आंवला फल में 20 संतरे के बराबर विटामिन सी की मात्रा विद्यमान रहती है। आंवले से शरबत, च्यवनप्राश, मुरब्बा तथा चटनी बनाई जाती है और इनका प्रयोग किया जाता है। आंवले के प्रयोग करने से बहुत सारे रोग ठीक होते हैं। चलिए आंवले के प्रयोग के बारे में जानते है।
कच्चे आंवले का प्रयोग - Use of raw gooseberry
कच्चे आंवले का प्रयोग आप बहुत सारे सामान बनाने में कर सकते हैं। कच्चे आंवले को आप कच्चा ही खा सकते हैं। कच्चा आंवला खाने में पहले कसैला लगता है। उसके बाद हल्का सा मीठापन लगता है। कच्चा आंवला का उपयोग अचार बनाने में किया जाता है। कच्चा आंवला को उबालकर खाया जा सकता है। कच्चा आंवला का जूस बनाया जा सकता है। कच्चा आंवला का मुरब्बा, जैम, चटनी बनाई जा सकती है। कच्चे आंवले के प्रयोग से आंखों की रोशनी तेज होती है। इससे कब्ज रोग दूर होता है और खाना पचाने में आसानी होती है। आंवला का रस शरीर को ठंडा करता है। आंवला के जूस को आंख में डालने से आंखों के रोग दूर होते हैं।
सूखा आंवला या ड्राई आंवले का उपयोग - Use of dry amla
सूखे हुए आंवले का उपयोग खाने के लिए किया जा सकता है। ड्राई आंवले का उपयोग मुख्य तौर पर शैंपू के तौर पर किया जा सकता है। रीठा आंवला और शिकाकाई को पानी में भिगोकर 1 दिन के लिए रखा जाता है और इसके बाद इसको मसल कर इसका शैंपू बनाया जाता है। इसको मसलने से झाग निकलता है, जिससे आप बाल धो सकते हैं।
आंवला पाउडर या आंवला चूर्ण का प्रयोग - Use of Amla Powder
आंवला पाउडर का प्रयोग बहुत सारे कामों में किया जाता है। सूखा हुआ आंवला या ड्राई पाउडर बाजार में आसानी से मिल जाता है। आमला पाउडर का उपयोग मेहँदी में किया जा सकता है। आंवला पाउडर का उपयोग बाल धोने में भी किया जा सकता है। आंवला पाउडर के प्रयोग से बाल लंबे होते हैं और घने होते हैं और बाल सुंदर दिखाई देते हैं।
आंवला पाउडर का उपयोग सर दर्द में, कब्ज में, बवासीर में, बदहजमी में किया जा सकता है। आंवला चूर्ण को त्रिफला चूर्ण के रूप में भी प्रयोग किया जाता है, जिसमें अन्य औषधियां मिलाकर खाई जाती है और इससे फायदा मिलता है। आप लोग आंवला फल का प्रयोग रक्त की कमी, रक्त स्त्राव, पीलिया को भी दूर करता है।
आंवला के बीज का प्रयोग - use of amla seeds
आंवला के बीज से तेल निकाला जाता है, जिसका प्रयोग बालों को लंबा और घना बनाने में किया जाता है। इसके बीज का उपयोग श्वशन और अस्थमा रोगों को ठीक करने में किया जाता है।
आंवला की छाल का प्रयोग - use of amla bark
आंवला की छाल में टेनिंग में किया जाता है और औषधि निर्माण में किया जाता है।
आंवला के पत्तों का प्रयोग - use of amla leaves
आंवले के पत्तों का प्रयोग, आंखों के आंतरिक रोगों को ठीक करने में किया जाता है। इसके पत्तों का प्रयोग उदरशूल, पेंचिस जलन रोगों को ठीक करता है।
इसके अलावा आंवले का उपयोग और भी बहुत सारे रोगों में किया जाता है। आंवले का उपयोग हिचकी और उल्टी में किया जाता है। रक्तपित्त और रक्त वमन में किया जाता है। आंवले का उपयोग अम्ल पित्त बनने की स्थिति में किया जाता है। आंवले का उपयोग इंद्रिय दुर्बलता, मानसिक दुर्बलता, बाबासीर, हृदय रोग, खांसी, श्वास रोग, महिलाओं के प्रमेह रोगों में यह उपयोगी है। इससे शरीर का चर्म रोग रोग दूर होते हैं। आंवला एक समग्र औषधि है, जो इन सभी रोगों को दूर करती है। यकृत की दुर्बलता, पीलिया निवारण के लिए आंवले का प्रयोग किया जाता है।
आंवले के प्रयोग से क्या नुकसान होता है - What are the disadvantages of using gooseberry
आंवले के प्रयोग से नुकसान कुछ नहीं होता है। मगर आंवले की तासीर ठंडी होती है। इसलिए इसका प्रयोग करने से सर्दी हो जाती है। इसका प्रयोग ठंड के मौसम में ना किया जाए, तो अच्छा रहता है।
आंवले की पौधे को कैसे उगाया जाता है - आंवले के पौधे को कैसे उगाया जाता है
आंवले के पौधे को बीज के द्वारा और कलम के द्वारा उगाया जा सकता है। आंवले के पौधे को बीज के द्वारा उगाने के लिए सबसे पहले पका हुआ, आंवले लाना पड़ता है और उसके गूदे को निकालना पड़ता है। इसके बाद उसके बीज निकालने पड़ते हैं और बीजों को मिट्टी और वर्मी कंपोस्ट के मिश्रण में लगाना पड़ता है। इसके लिए छोटे गड्ढे करने पड़ते हैं, ज्यादा बड़े गड्ढे ना करें। इसके बाद आप आंवले के बीज को लगा दें और इस में नियमित तरीके से पानी डालते रहे। 20 और 25 दिन के बाद, आपको एक छोटा सा पौधा देखने के लिए मिलता है, जो धीरे-धीरे बड़ा होता है।
अगर आप कलम के द्वारा आंवले के पौधे लगाते हैं, तो इसके लिए आपको सही आंवले का चुनाव करना चाहिए, जो स्वस्थ हो और उसके बाद एक डाली तोड़ लीजिए और उसके 7 इंच लंबे डाली के टुकड़े कर दीजिए। उसके बाद कलम के निचले भाग को ब्लेड से तिरछा काट दीजिए और उसको जमीन में लगा दीजिए। कलम की सारी पत्तियां तोड़ दीजिए और इसे समय-समय पर पानी देते रहें। कलम के ऊपर पन्नी या कपड़े से ढक दें। कुछ दिनों बाद आपको इसमें पत्तियां आते हुए, देखने के लिए मिलती हैं।
Please do not enter any spam link in comment box