पाटन (पाटण) जिले के दर्शनीय स्थल - Places to visit in Patan / पाटन (पाटण) जिले के आसपास घूमने वाली प्रमुख जगह
पाटन गुजरात राज्य का मुख्य जिला है। पाटन गुजरात की राजधानी गांधीनगर से करीब 111 किलोमीटर दूर है। पाटन जिला मेहसाना और बनासकांठा जिले के कुछ हिस्सों को मिलाकर बनाया गया है। यह जिला 1997 को एक नये जिले के रूप में स्थापित किया गया था। इस जिले में बहने वाली सरस्वती नदी, जिले के बीच से बहती है। इस जिले का मुख्यालय पाटन है। पाटन में सोलंकी राजा का शासन हुआ करता था। यह जिला बहुत प्राचीन है और इसका इतिहास बहुत रोचक है। पाटन जिला में पटोला सिल्क साड़ी बहुत प्रसिद्ध है। यह साड़ी पूरे देश में प्रसिद्ध है। पाटन जिला में घूमने की बहुत सारी जगह है। चलिए जानते हैं - पाटन जिले में घूमने लायक कौन कौन सी जगह है।
पाटन (पाटण) में घूमने की जगह - Patan mein ghumne ki jagah
रानी की वाव पाटन गुजरात - Rani Ki Vav Patan Gujarat
रानी की वाव गुजरात राज्य के पाटन में स्थित एक प्रसिद्ध पर्यटन स्थल है। यह एक विश्व प्रसिद्ध पर्यटन स्थल है। रानी की वाव विश्व धरोहर सूची में सम्मिलित है। इस बावड़ी की वास्तुकला अनोखी है। यह बावड़ी भारत में प्राचीन समय में जल प्रबंधन का महत्व को दिखाती है। यह बावड़ी देखने में बहुत सुंदर लगती है। इस बावड़ी का चित्रण आपको 100 रुपए के नोट में भी देखने के लिए मिल जाता है। 2018 में इस बावड़ी का चित्रण 100 रुपए के नोट में किया गया है।
रानी की वाव 7 मंजिला है। बावड़ी में नीचे जाने के लिए सीढ़ियां बनी हुई है। बावड़ी की दीवारों एवं स्तंभों में सुंदर नक्काशी की गई है। यहां पर अलग अलग पैटर्न देखने के लिए मिलते हैं। रानी की वाव का निर्माण 1063 ईसवी में सोलंकी राजवंश के राजा भीमदेव प्रथम की स्मृति में उनकी पत्नी उदयामती ने करवाया था। रानी उदयामती जूनागढ़ के चूड़ासमा शासक खेगार की पुत्री थी। यह बावड़ी 900 साल पुरानी है। इस बावड़ी की सुंदरता को देखने के लिए देश-विदेश से पर्यटक घूमने के लिए आते हैं। इस बावड़ी को 2014 में यूनेस्को की विश्व विरासत स्थल घोषित किया गया है।
रानी की वाव 64 मीटर लंबी, 20 मीटर चौड़ी और 27 मीटर गहरी है। वाव का कुआं पश्चिमी छोर पर स्थित है। इस वाव की दीवारों में महिषासुर मर्दिनी, पार्वती, शिव प्रतिमाएं विभिन्न मुद्राओं में, भगवान विष्णु की प्रतिमाएं, भैरव, गणेश, सूर्य, कुबेर, लक्ष्मी नारायण, अष्टदिगपाल एवं अन्य मूर्ति अलंकृत है। अप्सरा, नागकन्या, योगिनी आदि नारी प्रतिमाओं की कई मुद्राओं में चित्रण किया गया है।
सदियों तक की यह वाव जमीन के भीतर दफन रही। कालांतर में सरस्वती नदी में आई बाढ़ एवं उपेक्षा के कारण इसे काफी क्षति पहुंची। बीसवीं शताब्दी के छठे दशक तक किसी को इस अलंकृत एवं प्रतिभा युक्त वाव के अस्तित्व की जानकारी नहीं थी, क्योंकि तब तक वाव के ऊपरी हिस्से को छोड़कर पूरी तरह मिट्टी एवं रेत से ढक चुकी थी। 1958 में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण ने यहां पर उत्खनन का कार्य प्रारंभ किया। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के सतत प्रयास एवं उत्खनन के द्वारा मिट्टी में दबी हुई इस अमूल्य विश्वशिल्पी धरोहर को उसके वास्तविक स्वरूप में उजागर किया, जो प्रतिमाएं अपने मूल स्थान से अलग हो गई थी। उन्हें अत्यंत सावधानी पूर्वक स्थापना कर दिया गया। अपने नाम के अनुरूप ही रानी की वाव सर्वश्रेष्ठ है।
रानी की वाव में प्रवेश करने के लिए शुल्क लगता है। यहां पर बहुत बड़ा गार्डन है, जहां पर आप बैठ सकते हैं और इस जगह का आनंद ले सकते हैं। रानी की वाव घूमने के लिए आपको करीब एक से डेढ़ घंटा लग सकता है। यहां पर आकर आप बहुत अच्छा समय व्यतीत कर सकते हैं। यह पाटन में घूमने लायक जगह है।
पाटन म्यूजियम, पाटन - Patan Museum, Patan
पाटन म्यूजियम पाटन जिले का एक महत्वपूर्ण स्थल है। पाटन संग्रहालय में बहुत सारी वस्तुओं का संग्रह देखने के लिए मिल जाता है। यहां पर आपको प्राचीन मूर्तियों, पेंटिंग एवं समान देखने के लिए मिलते हैं। म्यूजियम के बाहर गार्डन बना है, जहां पर मूर्तियों का संग्रह देखने के लिए मिल जाता है। यहां पर बुद्धा एवं हिंदू धर्म की मूर्तियां देखने के लिए मिलती है। यहां पर आपको शिलालेख देखने के लिए मिलते हैं।
पाटन संग्रहालय में प्रवेश के लिए शुल्क लिया जाता है। यहां भारतीय वयस्क व्यक्ति के लिए 5 रुपए का का शुल्क लिया जाता है और विदेशी व्यक्ति के लिए 50 रुपए लिया जाता है। यहां पर फोटोग्राफी का चार्ज लिया जाता है। यह संग्रहालय 10:30 बजे से 5:30 बजे तक खुला रहता है और बुधवार को बंद रहता है। पब्लिक होलीडे के दिन यह संग्रहालय बंद रहता है। अगर आपको इतिहास में रुचि है, तो आप इस संग्रहालय में आकर विभिन्न वस्तुओं को देख सकते हैं और जानकारी हासिल कर सकते हैं। यह संग्रहालय बहुत अच्छी तरह से मैनेज किया गया है।
त्राण दरवाजा पाटन - Tran Darwaza Patan
त्राण दरवाजा पाटन शहर का एक महत्वपूर्ण स्मारक है। यह स्मारक पाटन शहर के बीचोबीच स्थित है। यह स्मारक पाटन शहर का एक मुख्य लैंड मार्क है। यहां पर मुख्य बाजार लगता है। इस स्मारक में 3 दरवाजे देखने के लिए मिलते हैं। इस दरवाजे से यातायात होता है। प्राचीन समय में, यह दरवाजा शहर में प्रवेश करने के लिए उपयोग होता था। इस दरवाजे के ऊपर एक बड़ी सी घड़ी भी लगी हुई है। इसलिए इस दरवाजे को क्लॉक टावर कहा जाता है।
पाटन का किला पाटन - Patan Fort Patan
पाटन का किला पाटन शहर का एक ऐतिहासिक स्थल है। यह किला अब यहां पर खंडहर अवस्था में है। इस किले में आपको किले की दीवार, इसके बुर्ज देखने के लिए मिल जाते हैं। इस किले की देखभाल सरकार की तरफ से नहीं की जा रही है। यह किला धीरे धीरे खत्म होता जा रहा है। आप यहां पर आ सकते हैं। किले में प्रवेश के लिए आपको एक विशाल दरवाजा देखने के लिए मिलता है, जो अच्छी अवस्था में है।
पंचमुखी हनुमान मंदिर पाटन - Panchmukhi Hanuman Temple Patan
पंचमुखी हनुमान मंदिर पाटन जिले का एक मुख्य धार्मिक स्थल है। यह मंदिर पाटन बस स्टैंड के पास में स्थित है। इस मंदिर में आपको हनुमान जी की पंचमुखी प्रतिमा देखने के लिए मिलती है, जो बहुत सुंदर लगती है। इस मंदिर में बहुत सारे भक्त हनुमान जी के दर्शन करने के लिए आते हैं। यह मंदिर प्राचीन है। यहां पर आकर अच्छा लगता है।
श्री गायत्री माता मंदिर पाटन - Shri Gayatri Mata Mandir Patan
श्री गायत्री माता मंदिर पाटन का एक प्रसिद्ध मंदिर है। यह मंदिर पाटन में आनंद सरोवर के पास में स्थित है। यह मंदिर गायत्री माता को समर्पित है। मंदिर बहुत सुंदर है। मंदिर में गायत्री माता की प्रतिमा देखने के लिए मिलती है। यहां पर आकर बहुत अच्छा लगता है। आप यहां पर माता के दर्शन कर सकते हैं। यहां पर सभी प्रकार की सुविधाएं उपलब्ध है। मंदिर के बाजू में ही आपको आनंद सरोवर देखने के लिए मिलता है और पार्क देखने के लिए मिलता है। आप यहां पर अपना अच्छा समय बिता सकते हैं।
रीजनल साइंस म्यूजियम पाटन - Regional Science Museum Patan
रीजनल साइंस म्यूजियम पाटन जिले में घूमने वाली एक मुख्य जगह है। रीजनल साइंस म्यूजियम सामलपति गांव के पास शिहोरी रोड में स्थित है। आप यहां पर घूमने के लिए आ सकते हैं। यहां पर आपको बहुत सारी वस्तुओं के बारे में जानकारी मिलती है। यहां पर आपको ह्यूमन साइंस, ऑप्टिकल गैलरी, नोबेल प्राइज गैलरी और डायनासोर के बारे में जानकारी मिलती है।
यहां पर डायनासोर के बहुत सारे स्टेचू देखने के लिए मिलते हैं, जो बहुत ही जबरदस्त लगते हैं। यहां पर बच्चों को बहुत मजा आएगा। इस पार्क में प्रवेश के लिए शुल्क लिया जाता है। यह पार्क बहुत अच्छी तरह से विकसित किया जा रहा है। यहां पर आपको एक छोटी झील देखने के लिए मिलती है, जिसे सरस्वती झील कहा जाता है। यहां पर आप आकर अपना अच्छा समय व्यतीत कर सकते हैं।
रूद्र महालय पाटन - Rudra Mahalaya Patan
रूद्र महालय पाटन जिले का एक ऐतिहासिक स्थल है। यह जगह पाटन जिले में सिद्धपुर में स्थित है। यहां पर आपको एक प्राचीन शिव मंदिर देखने के लिए मिलता है। यह मंदिर खंडहर अवस्था में यहां पर स्थित है। इस मंदिर का निर्माण प्राचीन काल में राजा मूला के द्वारा शुरू किया गया था। इस मंदिर का निर्माण 943 में शुरू हुआ था और इस मंदिर का काम 1140 में राजा जयसिंह के द्वारा पूरा किया गया। यह मंदिर बहुत सुंदर है। इस मंदिर को दिल्ली के सुल्तान अलाउद्दीन खिलजी ने 13वीं शताब्दी में खंडित कर दिया था।
इस मंदिर को देखने से पता चलता है, कि यह मंदिर बहुमंजिला हुआ करता था। मंदिर में स्तंभ और छतों में भी नक्काशी देखने के लिए मिलती है, जो बहुत ही अद्भुत है। यहां पर तोरण द्वार देखने के लिए मिलता है। मंदिर में शिव भगवान जी का शिवलिंग देखने के लिए मिलता है। यहां पर शिवलिंग गर्भ गृह में विराजमान है और नंदी भगवान जी की प्रतिमा मंडप में विराजमान है। यहां पर आपको बहुत सारे देवी देवताओं अप्सराओं, दिगपाल, फूल पत्तियों की मूर्तियां देखने के लिए मिल जाती है, जो दीवार पर उकेरी गई हैं।
श्री सिद्धेश्वर महादेव मंदिर पाटन - Shri Siddheshwar Mahadev Temple Patan
श्री सिद्धेश्वर महादेव मंदिर पाटन में घूमने वाली एक मुख्य जगह है। यह मंदिर पाटन जिले में सिद्धपुर में स्थित है। यहां मंदिर सिद्धपुर में सरस्वती नदी के पास बना हुआ है। यहां पर आपको प्राचीन मंदिर देखने के लिए मिलता है। यह मंदिर बहुत सुंदर है।
मंदिर के गर्भगृह में शिवलिंग के दर्शन करने के लिए मिलते हैं और मंदिर के मंडप में नंदी भगवान जी के दर्शन करने के लिए मिलते हैं। यह मंदिर बहुत ही सुंदर बना हुआ है। मंदिर की दीवारों पर नक्काशी देखने के लिए मिलती है। मंदिर की छत में सुंदर काम किया गया है। आप यहां पर घूमने के लिए आ सकते हैं।
मातृगया तीर्थ पाटन - Matrugaya Tirtha Patan
मातृगया तीर्थ पाटन जिले का एक मुख्य धार्मिक स्थल है। यह मंदिर पाटन जिले के सिद्धपुर में स्थित है। यह मंदिर पूरे देश में प्रसिद्ध है। इस मंदिर में श्राद्ध की क्रिया होती है। मातृगया श्राद्ध स्थल में सिर्फ माता का श्राद्ध किया जाता है। यहां पर आपको मंदिर देखने के लिए मिलते हैं। यहां पर आपको श्री कर्दम ऋषि भगवान, श्री देवभूति माता, श्री कपिल महामुनी भगवान और श्री गया गदाधर भगवान (मातृगया के मुख्य देवता) के दर्शन करने के लिए मिलते हैं। यह मंदिर बहुत ही सुंदर बने हुए हैं और इस जगह को बहुत अच्छी तरह से बनाया गया है।
यहां पर मुख्य बिंदु सरोवर देखने के लिए मिलता है। इस सरोवर में लोग स्नान करते हैं। इस सरोवर के चारों तरफ सीढ़ियां बनी हुई है और यह सरोवर पक्का बना है। इस सरोवर का पानी साफ रहता है। इस जगह को बहुत अच्छी तरह से मैनेज किया जा रहा है। इस मंदिर में ठहरने के लिए अतिथि गृह बनाया गया है, जहां पर पर्यटक आकर ठहर सकते हैं। यह मंदिर रेलवे स्टेशन के पास ही में स्थित है और आप यहां पर बहुत आसानी से आ सकते हैं। यह मंदिर पालनपुर मेहसाणा हाईवे सड़क से थोड़ी ही दूरी पर स्थित है।
सिद्धपुर संग्रहालय - Sidhpur Museum
सिद्धपुर संग्रहालय पाटन जिले का एक मुख्य आकर्षण स्थल है। यहां पर बहुत सारी प्राचीन वस्तुओं का संग्रह देखने के लिए मिल जाता है। यह संग्रहालय पुरातत्व विभाग के द्वारा मैनेज किया जाता है। यहां पर सुंदर गार्डन देखने के लिए मिलता है, जहां पर आप बैठ सकते हैं। यहां पर आपको प्राचीन मूर्तियां देखने के लिए मिलती हैं और यहां पर पाटन जिले के बारे में बहुत सारी जानकारियां मिलती है।
इस संग्रहालय में एंट्री की फीस लिया जाता है, जो बहुत कम है। यहां पर सिर्फ 5 रुपए लिया जाता है। इस संग्रहालय में अगर आप फोटो क्लिक करते हैं, तो उसका चार्ज अलग लिया जाता है। यह संग्रहालय सुबह 10 बजे से 5 बजे तक खुला रहता है। यह संग्रहालय बुधवार को बंद रहता है। यह संग्रहालय सिद्धपुर में मुख्य हाईवे सड़क पर स्थित है। आप यहां पर आकर घूम सकते हैं।
वटेश्वर महादेव मंदिर पाटन - Vateshwar Mahadev Temple Patan
वटेश्वर महादेव मंदिर पाटन जिले में घूमने लायक एक मुख्य जगह है। यह मंदिर पाटन जिले में सिद्धपुर तहसील के देथली गांव में स्थित है। यह मंदिर प्राचीन है। इस मंदिर में शिव भगवान जी के दर्शन करने के लिए मिलते हैं। यह मंदिर सरस्वती नदी के किनारे बना हुआ है। इस मंदिर में आपको एक प्राचीन कुंड देखने के लिए मिलता है। इस कुंड के चारों तरफ सीढ़ियां बनी हुई है। यह कुंड देखने में बहुत सुंदर लगता है। यहां पर मुख्य गर्भगृह में आपको शिवलिंग के दर्शन करने के लिए मिलते हैं। यहां पर शिवलिंग और नाग देवता की प्रतिमा विराजमान है। मंडप पर आपको नंदी भगवान जी के दर्शन करने के लिए मिलते हैं। यह मंदिर अच्छी तरीके से बनाया गया है। यहां पर आकर अच्छा अनुभव होता है।
कहा जाता है, कि इस मंदिर का संबंध महाभारत काल से रहा है। यहां पर दधीचि ऋषि का आश्रम हुआ करता था और यहां पर पांडव अपने वनवास काल के दौरान आए थे। इस मंदिर में आपको बहुत सारी नक्काशीदार मूर्तियां देखने के लिए मिलती है, जो बहुत ही सुंदर लगती है। मुख्य गर्भ गृह में शिवलिंग के दर्शन करने के लिए मिलते हैं। आप यहां पर घूमने के लिए आ सकते हैं।
श्री छत्रपाल वीर महाराज मंदिर पाटन - Shri Chhatrapal Veer Maharaj Mandir Patan
श्री छत्रपाल वीर महाराज मंदिर पाटन जिले में स्थित एक धार्मिक स्थल है। यहां पर आपको छत्रपाल महाराज के दर्शन करने के लिए मिलते हैं। यह मंदिर पाटन जिले में सरस्वती नदी के किनारे बना हुआ है। यहां पर बहुत सुंदर मंदिर बना हुआ है। यहां पर आप आकर छत्रपाल महाराज के दर्शन कर सकते हैं।
लोटेश्वर महादेव मंदिर पाटन गुजरात - Loteshwar Mahadev Temple Patan Gujarat
लोटेश्वर महादेव मंदिर पाटन का एक प्रसिद्ध मंदिर है। यह मंदिर शिव भगवान जी को समर्पित है। यह मंदिर प्राचीन है। यह मंदिर पाटन जिले में लोटेश्वर गांव में है। इस मंदिर के पास एक तालाब भी देखने के लिए मिलता है। यह तालाब बहुत बड़े क्षेत्र में फैला हुआ है। इस मंदिर में एक बावड़ी देखने के लिए मिलती है। यह बावड़ी बहुत सुंदर है। यहां पर प्राचीन समय में एक छोटा सा मंदिर हुआ करता था। मंदिर के गर्भगृह में शिवलिंग विराजमान है। फिर यहां के गांव वालों ने यहां पर मंदिर का विस्तार किया और एक भव्य मंदिर का निर्माण किया।
इस मंदिर के बारे में कहा जाता है, कि प्राचीन समय में जब पांडव यहां पर अपने वनवास काल के दौरान आए थे। तब कुंती माता शिव भगवान की पूजा किए बिना भोजन ग्रहण नहीं करती थी और भीम को भूख बहुत लगती थी, मगर अपनी माता के बिना खाए, वह भोजन ग्रहण नहीं कर सकते थे। इस क्षेत्र में माता को शिवलिंग नहीं मिल रहे थे। तब भीम ने लोटे को उल्टा करके शिव भगवान जी का स्वरूप बना दिया और कुंती माता को पूजा करने के लिए कहा और उसके बाद भीम ने भोजन ग्रहण किया। इसके बाद इस शिवलिंग को लोटेश्वर महादेव के नाम से जाना जाने लगा। इस मंदिर को लोटेश्वर महादेव मंदिर कहा जाता है और इस पूरे क्षेत्र को लोटेश्वर गांव के नाम से जाना जाता है। यहां पर आपको एक तालाब देखने के लिए मिलता है, जो लोटेश्वर तालाब के नाम से प्रसिद्ध है। यहां महाशिवरात्रि और सावन सोमवार में बहुत सारे लोग आते हैं।
श्री 108 पार्श्वनाथ भक्ति विहार जैन मंदिर पाटन - Shree 108 Parshvanath Bhakti Vihar Jain Temple Patan
108 पार्श्वनाथ भक्ति विहार जैन मंदिर पाटन में स्थित एक मुख्य धार्मिक स्थल है। यह जैन धार्मिक स्थल है। यह मंदिर पाटन जिले में शंखेश्वर तहसील में स्थित है। यह मंदिर बहुत सुंदर है। मंदिर बहुत बड़े क्षेत्र में फैला हुआ है और बहुत ही भव्य है। मंदिर में आपको सुंदर नक्काशी देखने के लिए मिलती है। यहां पर आपको पार्श्वनाथ भगवान जी की बहुत सुंदर मूर्ति देखने के लिए मिलती है। यह मंदिर मुख्य हाईवे सड़क से थोड़ी ही दूरी पर स्थित है। आप यहां पर आसानी से पहुंच सकते हैं। यहां पर सभी प्रकार की सुविधा उपलब्ध है। आप यहां पर आएंगे, तो यहां पर ठहरने के लिए रूम मिल जाते हैं। अगर आप पर्यटक हैं, तो यहां पर रुक सकते हैं। यहां पर भोजशाला भी है, जहां पर खाने के लिए सात्विक खाना मिल जाता है। यह मंदिर बहुत बड़े क्षेत्र में फैला हुआ है और यहां पर देखने के लिए बहुत सारी जगह है।
श्री मेघ माया मंदिर पाटन - Sri Megh Maya Mandir Patan
श्री मेघ माया मंदिर पाटन शहर का एक प्राचीन मंदिर है। इस मंदिर को लेकर एक कहानी जुड़ी हुई है, जो आप यहां पर आकर जान सकते हैं। यह मंदिर एक ऊंची टेकरी पर बना हुआ है। इस मंदिर को वीर माया टेकरी के नाम से भी जाना जाता है। यहां पर आकर आपको सुंदर सूर्यास्त का दृश्य देखने के लिए मिल जाता है। यहां पर आपको मेघ माया महाराज जी के दर्शन करने के लिए मिलते हैं।
सहस्त्रलिंग तालाब पाटन - Sahastraling Pond Patan
सहस्त्रलिंग तालाब पाटन जिले का एक प्रमुख आकर्षण स्थल है। यह तालाब पाटन जिले में रानी की वाव के पास स्थित है। यह तालाब भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण द्वारा संरक्षित है। यह तालाब प्राचीन है। इस तालाब को दुर्लभ सरोवर के नाम से भी जाना जाता है। इसका निर्माण राजा दुर्लभ के द्वारा किया गया था। इसका निर्माण 1093 से 1143 ईस्वी के दौरान किया गया था।
इस तालाब की मरम्मत राजा सिद्धराज के द्वारा भी की गई थी। यह तालाब सोलंकी काल के सबसे बड़े तालाबों में से एक है। आप यहां पर घूमने के लिए आ सकते हैं। आपको एक गोलाकार तालाब देखने के लिए मिलेगा, जो बहुत सुंदर लगता है। तालाब के चारों तरफ सीढ़ियां बनी हुई है। यहां पर सुंदर गार्डन देखने के लिए मिलता है। यहां पर प्राचीन संरचनाएं देखने के लिए मिलती है। यह जगह बहुत सुंदर है।
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