गढ़कालिका मंदिर और श्री स्थिरमन गणेश मंदिर उज्जैन - Gadkalika Temple and Shri Sthir Man Ganesh Mandir Ujjain
गढ़कालिका मंदिर उज्जैन शहर का एक प्रमुख धार्मिक स्थल है। गढ़कालिका मंदिर एक प्रमुख शक्तिपीठ है। यह देवी गढ़कालिका को समर्पित है। यह मंदिर प्राचीन है। इस मंदिर के बारे में कहा जाता है, कि कवि कालिदास मां गढ़कालिका के अनन्य भक्त थे और मां गढ़कालिका की कृपा दृष्टि से ही कालिदास जी को इतनी बुद्धि प्राप्त हुई थी, कि उन्होंने महान ग्रंथों की रचना की। गढ़कालिका जी का मंदिर प्राचीन है। गढ़कालिका जी की मूर्ति बहुत ही सुंदर लगती है। गढ़कालिका जी की मूर्ति में, उनका चेहरा ही देखने के लिए मिलता है। मां की मूर्ति गहनों और कपड़ों से सुसज्जित है। गढ़कालिका मंदिर में मंदिर के पीछे विष्णु भगवान जी के और हनुमान जी के दर्शन करने के लिए मिलते हैं विष्णु भगवान जी और हनुमान जी की मूर्ति दीवार में बनी हुई है और पूरी तरह सिंदूर रंग से रंगी हुई है। हम लोग अपने उज्जैन के सफर में गढ़कालिका माता के दर्शन करने के लिए भी आए थे।
हमारे उज्जैन की यात्रा में दुर्गादास जी की छतरी घूमने के बाद, हम लोग गढ़कालिका मंदिर घूमने के लिए गए थे। गढ़कालिका मंदिर, श्री काल भैरव मंदिर जाने वाली सड़क में ही है। गढ़कालिका माता जी का मंदिर महाकालेश्वर मंदिर से करीब 4 किलोमीटर दूर है। हम लोग अपनी स्कूटी से गढ़कालिका माता जी का मंदिर पहुंच गए। गढ़कालिका मंदिर के पहले हम लोगों को गणेश जी का एक प्रसिद्ध मंदिर देखने के लिए मिला। यह प्रसिद्ध श्री स्थिरमन गणेश मंदिर के नाम से प्रसिद्ध है। यह मंदिर मुख्य सड़क में स्थित है। इस मंदिर के बाजू से श्री काल भैरव मंदिर जाने के लिए सड़क जाती है और गणेश मंदिर के थोड़ा आगे जाकर ही माता गढ़कालिका जी का मंदिर देखने के लिए मिलता है। हम लोग पहले गणेश जी के दर्शन करने के लिए रुके।
श्री स्थिरमन गणेश मंदिर का भी बहुत महत्व है। इस मंदिर के बारे में कहा जाता है, कि इस मंदिर में अगर आपका मन स्थिर नहीं है और आप इस मंदिर में आएंगे, तो आपका मन शांत हो जाएगा। प्राचीन समय में राजा विक्रमादित्य का मन स्थिर नहीं रहता था। तब वह इसी मंदिर में आकर अपना समय बिताया करते थे। इस मंदिर में गौशाला भी है, जहां पर अच्छी नस्ल की गाय देखने के लिए मिलती है। इस मंदिर में देखने के बाद, हम लोग आगे बढ़े और गढ़ कालिका मंदिर में पहुंच गए।
माता गढ़ कालिका के मंदिर में बहुत सारे भक्त माता के दर्शन करने के लिए आए थे। गढ़कालिका मंदिर के बाहर बहुत ज्यादा गाड़ियां खड़ी थी और यहां पर बहुत सारी दुकानें भी थी, जहां पर खाने पीने का सामान मिल रहा था और मां को चढ़ाने के लिए प्रसाद मिल रहा था। यहां पर दुकान वाले, जो भी पर्यटक यहां पर मां के दर्शन करने के लिए आ रहे थे। उन्हें प्रसाद बेच रहे थे। हमें प्रसाद खरीदना नहीं था। इसलिए हम लोगों ने प्रसाद नहीं लिया। हम लोग माता के दर्शन करने के लिए गए। मां का मंदिर बहुत सुंदर है और मां के मंदिर में जब हम लोग गए। तब भजन चल रहे थे।
गढ़कालिका जी का मंदिर बहुत ही सुंदर है। गढ़कालिका मंदिर के गर्भ गृह में माता की बहुत सुंदर प्रतिमा के दर्शन करने के लिए मिलते हैं। माता गढ़कालिका मां दुर्गा का ही एक रूप है। यह भारत के विभिन्न हिस्सों में अलग-अलग रूपों में विराजमान है। उज्जैन में यह गढ़कालिका के रूप में विराजमान है। माता की मूर्ति के सामने शेर की प्रतिमा विराजमान है, जो गढ़कालिका जी के वाहक है। गर्भग्रह में माता का चेहरा ही यह देखने के लिए मिलता है। उनका चेहरा सिंदूरी रंग से रंगा गया है। माता गहनों से सुसज्जित है माता को नथनी, बाली, बिंदी पहनाया गया है। सर पर माता ने चुनरी ओढ़ी हुई है।
यहां पर हम लोगों ने माता के दर्शन किये। उसके बाद हम लोग मंदिर के पीछे की तरफ गए। मंदिर के पीछे हनुमान जी और विष्णु जी की प्रतिमा के दर्शन करने के लिए मिले। यह मूर्तियां भी सिंदूरी रंग से रंगी हुई थी। उन मूर्तियों में लोग सिक्के चिपका रहे थे और स्वास्तिक बना रहे थे। लोगों की यहां पर अलग-अलग मान्यताएं है। यहां पर दीवार पर लिखा गया था, कि दीवार को गंदा ना करें और स्वास्तिक वगैरह ना बनाएं। मगर लोग यहां पर स्वास्तिक बना रहे थे और अपनी इच्छाओं को मांग रहे थे। हम लोग ने विष्णु भगवान जी और हनुमान जी के दर्शन करने के बाद, मंदिर के बाहर आ गए और अपने आगे के सफर में चल रही है।
गढ़ कालिका मंदिर का इतिहास - History of Garh Kalika Temple
श्री गढ़कालिका लोक परंपरा के अनुसार गढ़कालिका माता महाकवि कालिदास की इष्ट देवी मानी जाती है। इस मंदिर के शुंगकाल ईसा पूर्व प्रथम शताब्दी गुप्त काल चौथी शताब्दी तथा परमार काल दसवीं से बारहवीं शताब्दी की प्रतिमाएं एवं नीव प्राप्त हुई है। सम्राट हर्षवर्धन ने सातवीं शताब्दी में इस मंदिर का जीर्णोद्धार करवाया था। परमार राज्यकाल 10 वीं शताब्दी में करवाए गए जीर्णोद्धार के अवशेष भी मिले हैं। बीसवीं शताब्दी में परंपरागत पुजारी श्री सिद्धनाथ जी महाराज ने विक्रम संवत 2001 में जीर्णोद्धार करवाया था।
श्री गढ़कालिका मंदिर कहां पर है - Where is Shri Gadkalika Temple
श्री गढ़कालिका मंदिर उज्जैन का प्रसिद्ध मंदिर है। यह मंदिर उज्जैन में भर्तृहरि गुफा की ओर जाने वाले रास्ते में स्थित है। यह मंदिर मुख्य सड़क में स्थित है और इस मंदिर में कार और बाइक से आराम से जाया जा सकता है। मंदिर के बाहर पार्किंग के लिए जगह है। मंदिर के बाहर बहुत सारी दुकानें हैं, जहां पर आपको खाने पीने की बहुत सारी वस्तुएं मिल जाती है।
श्री गढ़कालिका मंदिर की फोटो - Photos of Shri Gadkalika Temple
गढ़ कालिका मंदिर का बाहर से दृश्य |
गढ़ कालिका मंदिर |
गढ़कालिका मंदिर की दीवार पर बनी हुई मूर्तियां |
गढ़कालिका मंदिर की दीवार पर बनी हुई मूर्तियां |
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