वीर दुर्गादास जी की छतरी (समाधि) उज्जैन - Chhatri (Samadhi) of Veer Durgadas ji, Ujjain
दुर्गादास की छतरी उज्जैन शहर का एक प्रमुख पर्यटन स्थल है। यह जगह ऐतिहासिक है। यह पर एक समाधि है। यहां पर दुर्गा दास जी का समाधि स्थल है। यह समाधि स्थल बहुत अच्छी तरीके से बनाया गया है और यहां पर छोटा सा गार्डन बना हुआ है, जहां पर आराम से बैठा जा सकता है। दुर्गादास की छतरी उज्जैन में शिप्रा नदी के किनारे पर बनी हुई है, जिससे आपको यहां पर बहुत शांति महसूस होगी। यहां पर ज्यादा भीड़ भाड़ नहीं रहती है। बहुत कम ही लोग यहां पर घूमने के लिए आते हैं और हम लोग भी यहां पर घूमने के लिए गए थे। अपनी उज्जैन की यात्रा में हम लोग इस जगह पर गए थे।
हमारे उज्जैन के सफर में रामघाट घूमने के बाद, हम लोग दुर्गादास की छतरी जाने के लिए अपनी गाड़ी स्टार्ट किए और मोबाइल में गूगल मैप लगाया और मैप की दिशा की ओर चल दिए। मगर गूगल ने हम लोगों को कहीं और ही पहुंचा दिया। गूगल ने हम लोगों को रामघाट के सीधे सीधे चलते हुए यहां पर शमशान पहुंचा दिया, जहां पर मुर्दे जल रहे थे। यहां पर कुछ लोग थे। जिन लोगों से हम लोग ने पूछा, कि हम लोगों को दुर्गादास की छतरी जानी है और हम लोगों कहां से जाना चाहिए। फिर उन्होंने हम लोगों को बताया, कि आप लोग यहां से भी जा सकते हैं। थोड़ा आगे जाकर नदी के किनारे गाड़ी खड़ी कर दीजिए और पहाड़ी के ऊपर आपको चढ़ना पड़ेगा और आप दुर्गादास की छतरी पहुंच जाएंगे। मगर जलते हुए मुर्दों के बीच से जाना ठीक नहीं है। इसलिए आप वहां से नहीं जाये। उन लोगों ने हमें ऊपर से घूम कर जाने के लिए कहा। वहां से हम लोगों को सही रास्ता मिल जाता और हम लोग लोगों से पूछते पूछते दुर्गा दास जी की छतरी की तरफ चल दिए।
मां गढ़कालिका मंदिर जाने वाली मुख्य सड़क में ही हम लोगों को दुर्गा दास जी की छतरी जाने के लिए एक साइन बोर्ड दिखा। हम वहां से साइन बोर्ड की तरफ गाड़ी मोड़ी और सीधे चल दिए। करीब एक डेढ़ किलोमीटर बस्ती के अंदर से जाते हुए, हम लोग दुर्गादास की छतरी में पहुंच गए। यह छतरी बहुत ही सुंदर तरीके से बनी हुई है और गार्डन बना हुआ है और आप थोड़ा आगे जाएंगे, तो शिप्रा नदी का सुंदर दृश्य भी देखने के लिए मिलता है। यहां पर नीचे साइट श्मशान घाट है, जहां पर हम लोग पहले पहुंच गए थे। यहां पर ज्यादा लोग नहीं थे। बहुत कम लोग थे। यहां पर छतरी की देखभाल करने वाले एक व्यक्ति थे। यहां पर बैठने के लिए कुर्सियां बनी हुई थी। पेड़ पौधे लगे हुए थे और बहुत अच्छा लग रहा था।
दुर्गा दास जी की छतरी एक ऊंचे मंडप पर बनी हुई है। मंडप पर चढ़ने के लिए सीढ़ियां बनी हुई है। मंडप के दोनों तरफ हाथी और घोड़े की मूर्तियां देखने के लिए मिलती है। मंडप के बीच में छतरी बनी हुई है और छतरी के मध्य में शिला लगी हुई है, जिसमें घोड़े पर सवार दुर्गा दास जी की प्रतिमा को अंकित किया गया है और उनके बारे में जानकारी लिखी हुई है। यह छतरी 8 खंभों पर सुंदरता से रखी हुई है और इसकी छत भी बहुत सुंदर है। ऊपर गुंबद बना हुआ है और फूलों की नक्काशी देखने के लिए मिलती है। दुर्गादास जी की छतरी घूमने के बाद, हम लोग अपने उज्जैन के आगे के सफर की तरफ निकल गए।
वीर दुर्गादास जी का परिचय - Introduction of Veer Durgadas ji
जोधपुर के राजा जसवंत सिंह के वीर सेनापति दुर्गादास राठौर का मालवा के इतिहास में महत्वपूर्ण स्थान है। वीर दुर्गादास जीवन के अंतिम काल में उज्जैन में रहे तथा चक्रवर्ती तीर्थ के उत्तर में मरणोउपरांत उनका दाह संस्कार हुआ। राठौर दुर्गा दास जी का जन्म जिला जोधपुर में गांव सालवा में 1695 में, दिन सोमवार को हुआ था। इनके पिता महाराजा जसवंतसिंह जी (प्रथम) के यहां पर प्रधान पद पर आसीन थे और इनकी माता का नाम केल्हण भटियाणी था।
वीर दुर्गादास जी स्मृति में जोधपुर के शासक ने इस छतरी का निर्माण 18वीं शताब्दी में करवाया था। यह छतरी राजपूत शैली में बनी हुई है। यह छतरी लाल बलुआ पत्थर से बनी हुई है। 1 मीटर ऊंचे वर्गाकार निर्मित चबूतरे पर यह छतरी बनाई गई है। छतरी का अधिष्ठान अष्टकोणीय है। अष्ट स्तंभों पर आधारित इस छतरी में मानव तथा देवी-देवताओं, हाथी, घोड़े, मयूर का सुंदर अंकन है। इस छतरी पर सुंदर बेल बूटेदार नक्काशी है। चबूतरे पर सम्मुख में गणपति प्रतिमा है। दूसरे खंड में शिव, रामलीला, हनुमान, गजलक्ष्मी, का अंकन देखने के लिए मिलता है। इसी तरह अन्य खंडों में सैनिक नृत्य दृश्य, मृदंग वादक, दुर्गा, गोवर्धन, कृष्ण का अंकन, समुद्र मंथन का दृश्य, नरसिंह अवतार के दृश्य, स्त्री शिवलिंग का पूजन करते हुए, शेषशैया विष्णु का अंकन, अप्सराएं का अंकन देखने के लिए मिलती है। यह शिखर युक्त छतरी उत्तर मध्यकालीन राजपूत कला का एक उत्कृष्ट उदाहरण है।
दुर्गादास की छतरी कहां पर है - Where is the Chhatri of Durgadas
दुर्गादास की छतरी उज्जैन शहर का एक प्रमुख ऐतिहासिक पर्यटन स्थल है। दुर्गादास की छत्री उज्जैन में शिप्रा नदी के किनारे बनी हुई है। दुर्गादास की छत्री में पहुंचने के लिए गढ़कालिका मंदिर की मुख्य सड़क से ही मार्ग छतरी की तरफ जाता है। यह मार्ग बस्ती से होते हुए जाता है। इस मार्ग के अंत में दुर्गादास जी की छतरी देखने के लिए मिल जाती है। यह छतरी मुख्य मार्ग से करीब 1 या डेढ़ किलोमीटर अंदर स्थित है। दुर्गादास की छत्री रामघाट से सीधा जाने पर भी पड़ती है। वहां पर शिप्रा नदी के किनारे आप गाड़ी से जा सकते हैं और शिप्रा नदी के किनारे गाड़ी खड़ी कर सकते हैं और आपको चढ़ाई चढ़ने पड़ेगी। यहां पर रास्ते में श्मशान घाट भी पड़ता है। दुर्गादास की छतरी के पास में पार्किंग के लिए अच्छी जगह है और दुर्गादास की छतरी तक आप कार या बाइक से जा सकते हैं।
वीर दुर्गादास जी की छतरी की फोटो - Photo of Veer Durgadas ji's Chhatri
दुर्गादास छतरी का सामने से दृश्य
दुर्गादास छतरी की कलाकृति |
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