उज्जैन के कृष्ण सुदामा संदीपनी आश्रम, गोमती कुंड और कुंडेश्वर महादेव के दर्शन - Krishna Sudama Sandipani Ashram, Gomti Kund and Kundeshwar Mahadev
महर्षि सांदीपनि का आश्रम उज्जैन का एक प्रमुख धार्मिक स्थल है। यह मुख्य रूप से कृष्ण जी का पाठशाला है। यहां पर भगवान श्री कृष्ण ने 64 दिनों में 16 विद्या और 64 कलाएं का अध्ययन किया था। यहां पर प्राचीन नंदी भगवान जी की अद्भुत खड़ी हुई मूर्ति देखने के लिए मिलती है, जो एकमात्र यहीं पर देखने के लिए मिलती है। यहां पर धन कुबेर जी की मूर्ति देखने के लिए मिलती है और यहां बलराम, सुदामा, श्री कृष्ण जी की प्राचीन मूर्तियां देखने के लिए मिलती है। यहां वामन देव की मूर्ति भी देखने के लिए मिलती है। यहां पर श्री कृष्ण जी और सुदामा जी का मिलन हुआ था और उनकी गहरी दोस्ती यहीं पर हुई थी। सुदामा जी एक गरीब ब्राह्मण थे। यहां पर गोमती कुंड देखने के लिए मिलता है, जो श्री कृष्ण जी ने स्वयं अपने हाथों से बनाया था। यहां पर कुंडेश्वर महादेव मंदिर है और सर्वेश्वर महादेव मंदिर देखने के लिए मिलता है। यहां पर एक म्यूजियम बना हुआ है, जहां पर श्री कृष्ण जी ने 64 प्रकार की विद्या की जानकारी दी गई है। यहां पर खूबसूरत बगीचा है, जहां पर बहुत अच्छा लगता है। हम लोग अपनी उज्जैन की यात्रा में महर्षि सांदीपनि जी के आश्रम भी घूमने के लिए गए थे। महर्षि सांदीपनि जी का आश्रम हमारे उज्जैन के सफर का सबसे आखरी यात्रा का स्थल रहा। उसके बाद हम लोग इंदौर चले गए थे।
हमारे उज्जैन के सफर में बावन कुंड और कालियादेह पैलेस घूमने के बाद, हम लोग अपनी आखिरी डेस्टिनेशन में घूमने के लिए गए थे और वह था महर्षि सांदीपनि मुनि आश्रम। जहां पर श्री कृष्ण जी ने शिक्षा ग्रहण की थी। यह आश्रम मुख्य सड़क में था और यहां पर बहुत ज्यादा भीड़ लगी थी। गाड़ियां सड़क के बीच में खड़ी थी। मतलब गाड़ियों की पार्किंग स्थल सड़क के बीच में था और आजू बाजू से गाड़ियां निकल रही थी। महर्षि सांदीपनि आश्रम के ठीक सामने यहां पर बहुत सारी खाने पीने की दुकानें थी। हम लोग अपनी गाड़ी पार्किंग में खड़ी करके और श्री कृष्ण जी के दर्शन करने के लिए गए।
यहां पर हमने मंदिर में प्रवेश किया। यहां पर चप्पल स्टैंड बना हुआ था। जहां पर हमने अपनी चप्पल उतारी और यहां पर एक छोटी सी दुकान थी, जहां पर बहुत सारे सुंदर-सुंदर सामान मिल रहे थे और महाकाल मंदिर में, जो सामान मिल रहे थे। यहां पर मिलने वाले सामानों का प्राइस कम था। महाकाल मंदिर में, जो सामान रहते हैं। वहां का प्राइस थोड़ा ज्यादा था। मगर हमने समान नहीं देखा। हम लोग पहले मंदिर के दर्शन करने के लिए गए। सबसे पहले हम लोगों को श्री कृष्ण जी की पाठशाला देखने के लिए मिली। श्री कृष्ण जी की पाठशाला में श्री कृष्ण जी और ऋषि सांदीपनि जी की मूर्ति देखने के लिए मिली। यहां पर लड्डुओं का प्रसाद भी आप चढ़ा सकते हैं। यहां पर अंदर ही प्रसाद मिल रहा था। यहां पर सुदामा और बलराम जी की मूर्तियों के भी दर्शन करने के लिए मिले। श्री कृष्ण जी की पाठशाला के ठीक सामने ही कुंडेश्वर महादेव मंदिर है। यह मंदिर 84 महादेव मंदिरों में से एक है और इस मंदिर को लेकर भी एक बहुत प्रसिद्ध कथा प्रचलित है, जो आप यहां पर आकर पढ़ सकते हैं।
कुंडेश्वर महादेव मंदिर में खड़े हुए नंदी की प्रतिमा के दर्शन करने के लिए मिलते हैं और यहां पर प्राचीन प्रतिमाओं के दर्शन करने के लिए मिलते हैं। कुंडेश्वर मंदिर में वामन देव और धन कुबेर की प्राचीन प्रतिमा के दर्शन करने के लिए मिलते हैं। यहां पर श्री कृष्ण जी, बलराम जी, सुदामा जी और गुरु संदीपनी के प्रतिमा के दर्शन करने के लिए भी मिलते हैं।
कुंडेश्वर महादेव के दर्शन करने के बाद, हम लोग मंदिर के बाहर आए। बाहर हम लोगों को श्री महाप्रभुजी की बैठक देखने के लिए मिली। श्री महाप्रभुजी की बैठक भारत में कुछ जगह में स्थित है, जिनमें से उज्जैन भी एक है। हम महाप्रभुजी की बैठक के दर्शन करके आए। महाप्रभुजी की बैठक के बाहर ही गोमती कुंड बना हुआ है। गोमती कुंड के चारों तरफ ग्रिल लगी हुई है और कुंड के चारों तरफ सीढ़ियां बनी हुई है। कुंड में जाना मना है। कुंड को ऊपर से देख सकते हैं। हम लोग भी कुंड के पास जाकर बहुत सारी फोटो खींचे। उसके बाद हम लोग सर्वेश्वर महादेव मंदिर गए।
सर्वेश्वर महादेव मंदिर घूमने के बाद, हम लोग कृष्ण जी का यहां पर छोटा सा म्यूजियम बना हुआ है, जहां पर कृष्ण जी ने जो भी विद्या और कला यहां पर सीखी थी। उनका संग्रह किया गया है। यहां पर बहुत ही सुंदर पेंटिंग देखने के लिए मिलती है, जो बहुत ही आकर्षक है। हम लोगों को यहां पर बहुत अच्छा लगा। यहां पर फोटो खींचना मना है। आप पेंटिंग देख सकते हैं। हम लोग पेंटिंग देख कर बाहर आया। यह जगह बहुत अच्छी है और यहां पर आकर अच्छा लगता है।
सांदीपनि आश्रम उज्जैन का इतिहास - History of Sandipani Ashram Ujjain
महर्षि सांदीपनि काशी के निवासी थे। मगर अपने पुत्रों की मृत्यु होने के बाद, वह उज्जैन में आकर रहने लगे। उज्जैन में उस समय बहुत ज्यादा त्राहि-त्राहि मची हुई थी। जब लोगों को पता चला, कि इतने महान ऋषि उनके नगर में आए हैं, तो लोग संदीपनी ऋषि से मिलने के लिए गए। संदीपनी ऋषि ने लोगों से पूछा, कि आप लोग इतने उदास क्यों हो। लोगों ने संदीपनी ऋषि को बताया कि उज्जैनी नगर में त्राहि-त्राहि मची हुई है। अकाल पड़ा हुआ है। लोग बीमारी से मर रहे हैं, तो संदीपनी ऋषि ने लोगों को आश्वासन दिया, कि सब ठीक हो जाएगा और वह भगवान शिव की तपस्या करने लगे और भगवान शिव प्रसन्न होकर संदीपनी ऋषि के सामने प्रकट हुए। उन्होंने वरदान मांगने के लिए कहा - संदीपनी ऋषि ने वरदान में मांगा की उज्जैन की सारी समस्याएं समाप्त हो जाए और भगवान शिव ने कहा कि जब तक मै उज्जैन में निवास करुँगा। तब तक उज्जैन में किसी भी तरह की समस्याएं नहीं होगी। भगवान शिव ने उन्हें एक और वरदान मांगने के लिए कहा - उन्होंने अपने मृत पुत्र को वरदान में मांगा। भगवान शिव ने कहा कि द्वापर युग में आपके पास दो शिष्य शिक्षा ग्रहण करने के लिए आएंगे। आप गुरु दक्षिणा में उनसे अपने पुत्र को मांगना। द्वापर युग में श्री कृष्ण जी ऋषि संदीपनी जी के यहां पर शिक्षा ग्रहण करने के लिए आए और शिक्षा पूरी होने के बाद, संदीपनी ऋषि ने श्री कृष्ण से गुरु दक्षिणा में अपने पुत्र को मांगा। श्री कृष्ण जी ने संदीपनी ऋषि जी के पुत्र को ला कर दिया।
संदीपनी आश्रम कहां स्थित है - where is sandipani ashram
संदीपनी आश्रम उज्जैन में स्थित एक प्रमुख धार्मिक स्थल है। यह आश्रम मंगलनाथ मंदिर जाने वाली मुख्य सड़क में स्थित है। इस आश्रम में बहुत आसानी से पहुंचा जा सकता है, क्योंकि यह आश्रम मुख्य सड़क में स्थित है और यहां पर कार और बाइक से लोग आ सकते हैं। यह महाकाल मंदिर से करीब 5 किलोमीटर दूर होगा। यहां पर आने के लिए अच्छी सड़क उपलब्ध है। यहां पर पार्किंग के लिए बहुत सारी जगह है और यहां पर पार्किंग के लिए किसी भी तरह का शुल्क नहीं लिया जाता है।
संदीपनी आश्रम की फोटो - Sandipani Ashram Photos
श्री कृष्ण जी की पाठशाला |
गोमती कुंड |
कुंडेश्वर महादेव मंदिर |
श्री महाप्रभुजी की बैठक |
कुंडेश्वर महादेव मंदिर |
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