नीलकंठ मंदिर मांडू, धार (नीलकंठेश्वर मंदिर मांडव) - Neelkanth or Neelkantheshwar Temple Mandu, Dhar (Mandav)
नीलकंठ मंदिर मांडव शहर का एक प्राचीन धार्मिक स्थल है। इस मंदिर को नीलकंठेश्वर मंदिर के नाम से भी जाना जाता है। यह मंदिर शिव भगवान जी को समर्पित है। यह मंदिर प्राचीन काल में अकबर के द्वारा बनवाया गया था। यह मंदिर मांडू की सुंदर वादियों के बीच में बना हुआ है। मंदिर में झरना भी देखने के लिए मिलता है। यहां पर शिवलिंग पर 24 घंटे पानी गिरता रहता है। यहां का दृश्य बहुत ही जबरदस्त है। मंदिर में जल कुंड है। इस जल कुंड के पास ही में एक प्राचीन आकृति देखने के लिए मिलती है, यह आकृति गोलाकार है। गोलाकार आकृति में जल बहता है। यह बहुत ही अद्भुत लगती है। नीलकंठ मंदिर, नीलकंठ महल में बना हुआ है। यह महल अकबर के द्वारा बनवाया गया था।
हम लोगों की मांडू यात्रा में, हम लोगों को सबसे पहले नीलकंठ मंदिर देखने के लिए मिला था। हम लोग महेश्वर घूमने के बाद, मांडू घूमने के लिए आए थे। महेश्वर से मांडू करीब 40 किलोमीटर दूर है। मांडू आने वाला सड़क बहुत ही अच्छा था। कहीं कहीं पर सड़क बेकार था। महेश्वर से मांडू आने वाले रास्ता, ज्यादातर रास्ता गांव से होकर गुजर रहा था और गांव का माहौल बहुत अच्छा था। हम लोगों को खेत देखने के लिए मिल रहे थे। छोटी छोटी नदियां देखने के लिए मिल रही थी, जो बहुत बढ़िया लग रहा था और इसी तरह हम लोग खेत और नदियां देखते हुए मांडू की सुंदर घटिया तक पहुंच गए।
मांडू की सुंदर घाटियों में हम लोग रोड के माध्यम से आगे बढ़ रहे थे। यह घाटी बहुत ही बढ़िया लग रही थी। यह घाटी सर्पाकार थी। हम लोग धीरे-धीरे घाटी के ऊपर चढ़ते जा रहे थे। यहां पर 1 पॉइंट पर रुकने के लिए जगह बनी हुई थी, जहां पर हम लोगों ने अपनी गाड़ी खड़ी करी और यहां पर हम लोग थोड़ी देर खड़े होकर, इस सुंदर घाटी को देखें। यह घाटी का नजारा बहुत ही जबरदस्त था। यहां पर एक छोटा सा मंदिर पर बना हुआ था। यह मंदिर हनुमान जी का था। हम लोग घाटी में कुछ देर खड़े होकर फोटोग्राफी किए। इस घाटी में सेफ्टी के लिए किसी भी तरह का इंतजाम नहीं किया गया है। यहां पर अगर थोड़ी सी लापरवाही की गई, तो लोगों की जान तक जा सकती है। क्योंकि यहां पर बहुत गहरी खाई है और उस खाई में गिर सकते हैं। यहां पर हम लोग ने फोटो खींचकर, वापस अपनी गाड़ी में बैठ कर आगे के सफर में चल दिए। थोड़ी दूर जाकर ही हमें भगवान भोलेनाथ का दर्शन करने के लिए मिले। यहां पर हम लोग नीलकंठ मंदिर पहुंच गए थे।
नीलकंठ मंदिर के बाहर ऊपर की तरफ बहुत सारे लोग की भीड़ लगी हुई थी। यहां पर बहुत सारे लोग भगवान नीलकंठ के दर्शन करने के लिए आए थे। यहां पर बहुत सारी दुकानें भी थी, जहां पर प्रसाद, खाने पीने का सामान और भी बहुत सारा सामान मिल रहा था। यहां पर प्रसाद मिल रहा था। प्रसाद 10 रूपए का था। यहां पर प्रसाद में फूल, बेल पत्री थी। मगर यहां पर हम लोगों को एक स्पेशल वस्तु देखने के लिए मिली। यहां पर हम लोगों को मांडू की फेमस इमली देखने के लिए मिली। इस इमली का टेस्ट खट्टा भी था और हल्का सा मीठा भी था। मगर उतना अच्छा नहीं था। आपने पक्की खट्टी इमली खाई होगी। उसका टेस्ट खट्टा मीठा रहता है और वह बहुत ही बढ़िया लगता है। मगर इसका टेस्ट खट्टा मीठा दोनों था। मगर उतना अच्छा नहीं था। यहां पर 10 रूपए का एक पैकेट मिल रहा था, तो हम लोगों ने टेस्ट करने के लिए ले लिया था। यह पैकेट अभी भी मेरे घर में रखा हुआ है। कोई नहीं खा रहा है, बस रखा हुआ है। हम लोगों ने प्रसाद लिया। हम लोगों की गाड़ी में हम लोगों का सामान रखा था, तो हम लोगों ने दुकान वाले को अपना सामान देखने के लिए कह दिया और दुकान वाले के पास अपनी गाड़ी खड़ी कर दी और नीलकंठ मंदिर में भगवान के दर्शन करने के लिए हम लोग चले गए।
नीलकंठेश्वर मंदिर घाटी में थोड़ा नीचे तरफ स्थित है। मंदिर जाने के लिए सीढ़ियां उतर कर जाना पड़ता है। यहां पर ऊपर एक छोटा सा जलकुंड हम लोगों को देखने के लिए मिला। जलकुंड से आगे बढ़ते हैं, तो सीढ़ियां मिली। सीढ़ियों के पास गणेश जी की मूर्ति देखने मिलती है। यहां पर करीब 60 सीढ़ियां हैं। 60 सीढ़ियां उतरने के बाद, हम लोगों को बहुत ही अच्छा घाटियों का दृश्य देखने के लिए मिला। यहां पर बहुत सुंदर विंध्याचल पर्वत श्रंखला देखने के लिए मिली। बरसात के समय यह जगह स्वर्ग से भी सुंदर लगती होगी। हम लोग पर्वत श्रंखला का दृश्य देखने के बाद, भगवान भोलेनाथ के दर्शन करने के लिए गए। यहां पर भोलेनाथ का मंदिर महल के अंदर बना हुआ है।
नीलकंठेश्वर मंदिर के ठीक सामने एक बड़ा सा कुंड बना हुआ है। इस कुंड में बहुत सारी मछलियां थी। यह कुंड गहरा है। इस कुंड के पास में ही एक गोलाकार आकृति बनी हुई थी। जब कुंड में पानी भर जाता है। तब पानी गोलाकार आकृति से होकर बहता है। और लोग इस गोलाकार आकृति में बेलपत्र डालते हैं। बेलपत्र बहुत तेजी से पानी के बहाव के साथ बहता है। यह देखना बहुत ही अद्भुत रहता है। वैसे जब हम लोग गए थे। तब यहां पर पानी ज्यादा नहीं था और गोलाकार आकृति से पानी नहीं बह रहा था। मगर कुछ लोग यहां पर एक बर्तन के माध्यम से पानी डाल रहे थे और बेलपत्र को बहाने की कोशिश कर रहे थे। मगर ऐसा कुछ नहीं हुआ। यह बरसात के समय ही देखने के लिए मिलता है।
हम लोग यह सभी चीजें देखकर, भगवान शिव के दर्शन करने के लिए गए। यहां नीलकंठ महल के अंदर भगवान शिव का मंदिर बना हुआ है और मंदिर तक जाने के लिए सीढ़ियां चढ़ना था। सीढ़ियां चढ़कर हम लोग ऊपर गए। यहां पर एक भूमिगत गोलाकार कुंड बना हुआ है। कुंड के अंदर भगवान शिव का शिवलिंग विराजमान है और यह ऊपर से झरना बहता है। झरने का पानी सीधे शिव भगवान जी के ऊपर गिरता है। यहां पर शिव भगवान जी का अभिषेक होता रहता है। गर्मी के समय पानी की मात्रा कम हो जाती है। मगर पानी गिरता है। यहां पर, जो पानी गिरता है। यह भूमिगत है और यह पानी 24 घंटे शिव भगवान जी के ऊपर गिरता रहता है। हम लोगों ने शिव भगवान जी के दर्शन किए और बेलपत्र चढ़ाएं और जल अभिषेक किए। यहां पर शिव भगवान जी के ऊपर जो जल गिरता है। उसके लिए रास्ता बनाया गया है। यहां पर भूमिगत जल के बहाव के लिए एक रास्ता बनाया गया है और यह भी देखने लायक है। यह भी प्राचीन तरीके से बनाया गया है। पूरी तरह पत्थर से बनाया गया है। यह चीज आपको महल के बाहर के कुंड के पास भी देखने के लिए मिलती है। इस रास्ते से सीधे पानी शिव भगवान जी के ऊपर गिरता है। भूमिगत कुंड में उतरने के लिए सीढ़ियां बनाई गई है।
हम लोग नीलकंठेश्वर शिवलिंग के दर्शन करने के बाद बाहर आए और बाहर आकर हम लोगों ने यहां पर 10-15 मिनट आराम से बैठे और इस सुंदर नजारे का लुफ्त उठाया। बहुत अच्छा लग रहा था। यहां पर बहुत सारे लोग भगवान शिव के दर्शन करने के लिए आए थे। उसके बाद हम लोगों ने फोटो खींचे और हम लोग अपने मांडू की यात्रा में आगे बढ़े।
नीलकंठेश्वर या नीलकंठ मंदिर का इतिहास - History of Neelkantheshwar or Neelkanth Temple
नीलकंठेश्वर मंदिर एक ऐतिहासिक मंदिर है। इस मंदिर का निर्माण सम्राट अकबर के द्वारा किया गया था। इस मंदिर की वास्तुकला मुगल है। यह मंदिर बहुत ही सुंदर बना हुआ है। यह मंदिर पत्थर को तराश कर बनाया गया है। नीलकंठ मंदिर का निर्माण सम्राट अकबर के राज्य में 16वीं शताब्दी में किया गया था। यह मंदिर लाल पत्थर से बना हुआ है। इस भवन का निर्माण प्रमोद स्थल के रूप में किया गया था। यह भवन वास्तुकला की दृष्टि से किसी भी प्रकार का दावा नहीं रखता है। परंतु उसकी शैली अकबर के समय की विशिष्ट शैली है। यहां पर दो शिलालेख देखने के लिए मिलते हैं, जो अकबर के समय के माने जाते हैं। इस भवन का डिजाइन शाहबाग खान ने किया था। इस भवन में सम्राट अकबर ठहरे हुए थे।
नीलकंठ मंदिर कहां पर स्थित है - Where is Neelkanth Temple
नीलकंठ मंदिर मांडू शहर का एक प्रसिद्ध धार्मिक स्थल है। यह मंदिर मुख्य मांडव शहर से करीब 3 किलोमीटर दूर होगा। यह मंदिर अगर महेश्वर नगर से घूमने के लिए आते हैं, तो यह मंदिर सबसे पहले देखने के लिए मिलता है और अगर आप धार शहर से घूमने के लिए आते हैं, तो यह मंदिर में जाने के लिए मुख्य मांडव शहर से करीब 3 किलोमीटर चलना पड़ता है। इस मंदिर तक कार और बाइक आराम से जा सकती है। मंदिर के पास पार्किंग की व्यवस्था उपलब्ध है। यहां पर निशुल्क पार्किंग सुविधा उपलब्ध है। यहां पर बाइक और कार से पहुंचा जा सकता है। मंदिर तक पहुंचने के लिए पक्की सड़क बनी हुई है।
नीलकंठ मंदिर मांडू की फोटो - Neelkanth Temple Mandu image
नीलकंठेश्वर मंदिर धार |
मंदिर का गर्भ ग्रह |
मंदिर के सामने स्थित कुंड |
मांडू की सुंदर वादियां |
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