चौसठ योगिनी मंदिर खजुराहो मध्य प्रदेश - Chausath Yogini Temple Khajuraho Madhya Pradesh
चौसठ योगिनी मंदिर खजुराहो का एक प्रसिद्ध मंदिर है। अब इस मंदिर में देखने के लिए खंडहर ही रह गए हैं। इस मंदिर में प्राचीन समय में चौसठ योगिनी के मंदिर थे, जो पत्थरों के बने थे और यह मंदिर खजुराहो में बने सभी मंदिरों में सबसे पहले बनाए गए हैं। प्राचीन समय में यहां पर 64 गर्भ ग्रह रहे थे, जिसमें हर एक में मूर्तियां विराजमान रही होंगी। यहां पर अन्य देवी देवताओं के भी मंदिर रहे होंगे। मगर अब यहां पर जितने भी गर्भ ग्रह हैं, उनमें किसी प्रकार की मूर्ति देखने के लिए नहीं मिलती। यहां पर बहुत सारे गर्भ ग्रह टूट गए हैं। यहां पर अब सिर्फ 35 गर्भ में बचे हैं, जो अच्छी हालत में है और देखने लायक है। मगर यह भी धीरे-धीरे टूट रहे हैं। इस मंदिर की सिर्फ एक गर्भ गृह में कुछ झंडे बंधे हुए थे और अंदर पत्थर की मूर्ति विराजमान थी। बाकी यहां पर सभी खंडहर हो गया है।
खजुराहो का 64 योगिनी मंदिर चंदेल वंश के अस्तित्व में आने से पहले बनाया गया है। यह करीब 300 साल पहले बनाया गया है। चंदेलओ के अस्तित्व में आने से पहले खजुराहो में तंत्र मंत्र का प्रयोग होता था। इस मंदिर में तांत्रिक क्रियाएं की जाती थी। यह मंदिर इस बात का प्रतीक है कि चंदेल वंश के अस्तित्व में आने से पहले खजुराहो में तंत्र दर्शन का बहुत प्रभाव था, क्योंकि चौसठ योगिनीओं की पूजा तांत्रिकों द्वारा की जाती थी।
64 योगिनी मंदिर पूरी तरह से लावा पत्थरों से बना हुआ है। यह मंदिर छठवीं शताब्दी में बनवाया गया था। यह मंदिर 5.4 मीटर ऊंचा है। ऊपर की ओर मंदिर खुला हुआ है तथा इसकी आकृति चकोर है।
चौसठ योगिनी मंदिर जाने का रास्ता शिव सागर झील के बाजू से है। आपको एक बड़ा सा बोर्ड मैन रोड में ही देखने के लिए मिलता है। हम लोग शिव सागर झील को देखने के बाद चौसठ योगिनी मंदिर घूमने के लिए गए थे। यहां पर एक वॉचमैन था। उससे हम लोगों ने पूछा कि हम लोग मंदिर जा सकते हैं। वॉचमैन ने कहा कि आप जा सकते हैं। मगर रास्ते में कहीं भी फोटो मत क्लिक करिएगा। आप मंदिर में ही जाकर फोटो क्लिक करिएगा। यहां पर कुछ गवर्नमेंट का काम चल रहा है। शायद इसलिए ही फोटो क्लिक करने की मनाही है। यहां पर शायद होटल वगैरह बन रहा है।
हम लोग चौसठ योगिनी मंदिर गए। 64 योगिनी मंदिर का जो रास्ता है। वह पक्का रास्ता है और चौसठ योगिनी मंदिर के पास एक वॉचमैन बैठा रहता है, जो चौसठ योगिनी मंदिर की रखवाली करता है। चौसठ योगिनी मंदिर एक चबूतरे के ऊपर बना हुआ है। चबूतरे में जाने के लिए सीढ़ियां है। यह सीढ़ियां पूरी पत्थर की बनी हुई है। मगर यह सीढ़ियां नियोजित ढ़ग से नहीं बनी है। सीढ़ियां उबड़ खाबड़ है और ऊपर की तरह बिल्कुल पतली सीढ़ियां हैं। हम लोग सीढ़ियों से ऊपर गए, तो हम लोगों को एक चैकोर चबूतरा देखने के लिए मिला। इस चबूतरे पर तीनों तरफ मंदिर देखने के लिए मिले। यहां पर सामने की तरफ जो मंदिर बने थे। उसमें मूर्ति भी रखी हुई थी। बाकी किसी भी मंदिर में मूर्ति विराजमान नहीं थी। यहां पर अधिकतर मंदिर टूट गए हैं। यहां पर करीब 67 मंदिर हुआ करते थे, जिसमें 64 मंदिर चौसठ योगिनीओ के मंदिर थे और अन्य मंदिर अन्य देवी-देवताओं को समर्पित थे। लेकिन अब केवल 35 मंदिर ही यहां पर देखने के लिए मिलते हैं। यह मंदिर भी अच्छी अवस्था में नहीं है। यहां पर हम लोगों ने रुक कर फोटो खींचा ।
उसके बाद हम लोगों ने चौसठ योगिनी मंदिर में, जो वॉचमैन था। उस से ललगुवा मंदिर के बारे में बात किया। उसने हम लोग को बताया कि ललगुवा मंदिर यहां से बहुत दूर है और आपको कुछ दूरी तक पैदल चलना पड़ेगा। गर्मी का टाइम था, इसलिए हम लोग ललगुवा मंदिर नहीं गए। आप अगर घूमने खजुराहो जाते हैं, तो और आपके पास समय है , तो आप ललगुवा मंदिर भी घूमने के लिए जा सकते हैं। ललगुवा मंदिर भी खजुराहो में बना हुआ सबसे पुराना मंदिर है।
चौसठ योगिनी मंदिर खजुराहो की फोटो - Photo of Chausath Yogini Temple Khajuraho
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