सती अनसूया चित्रकूट / सती अनुसुइया / सती अनसूया मंदिर / परमहंस आश्रम चित्रकूट
सती अनसूया मंदिर चित्रकूट की एक अद्भुत जगह है। यहां पर आपको प्रकृति का अनोखा दृश्य और एक भव्य मंदिर देखने के लिए मिलता है, जो माता सती अनुसुइया को समर्पित है। यहां पर परमहंसी आश्रम आपको देखने के लिए मिलता है। परमहंसी आश्रम में माता सती अनुसुइया जी का मंदिर है। मंदिर के अंदर आपको संतों की प्रतिमा देखने के लिए मिलती है। मंदिर की दीवारों पर आपको रामायण के बहुत सारे दृश्यों को चित्रों के माध्यम से और मूर्तियों के माध्यम से दर्शाया गया है।
सती अनुसुइया का महत्व - Importance of Sati Anusuiya
मान्यताओं के अनुसार त्रिदेव पूज्य महर्षि अत्रि एवं माता अनसूया की तपोस्थली है। इसी स्थान पर माता अनुसुइया ने अपने तप के बल से ब्रह्मा जी विष्णु जी और शंकर जी को बालक के रूप में परिवर्तित कर दिया था और यहीं पर माता अनुसुइया ने माता सीता को पति धर्म के गूढ उपदेश दिए थे। यहीं पर माता अनुसुइया के तपोबल से मंदाकिनी गंगा का उद्गम हुआ था।
सती अनसूया मंदिर हम लोग ऑटो से गए थे। ऑटो वाले ने हम लोगों को सती अनसूया मंदिर से कुछ आगे ही छोड़ दिया था। उसके बाद हम लोगों को पैदल जाना था। यहां पर हम लोगों को रास्ते में बहुत सारी दुकानें देखने के लिए मिलती है, जहां पर आपको अलग-अलग प्रकार के सामान मिल जाते हैं। यहां पर आपको काले घोड़े की नाल की अंगूठी मिल जाती है, जो मात्र 10 रूपए में मिलती है और यहां पर दावा यह किया जाता है, कि यह अंगूठी पहनने से आपके सभी प्रकार की तकलीफ से दूर हो जाएगी। यहां पर बहुत सारे सामान मिलते हैं, पर मुझे यह अंगूठी की बात रुचिकर लगी। इसलिए मैंने आपको इसके बारे में बताया।
जब हम लोग रास्ते से आ रहे थे। तब हमको एक बंदर ने पकड़ लिया था। वह हम लोगों से चने मांग रहा था। वहां पर एक व्यक्ति चने बेच रहा था, तो वह बंदर हम लोगों से चने मांग रहा था, तो हम लोगों ने बंदर को चने दिए। तब उस बंदर ने हम लोगों को छोड़ा। इस रास्ते में आपको बहुत सारे खाने पीने की दुकानें भी मिल जाती है। हम लोग भी एक दुकान में चाय पिए।
हम इस बाजार के रास्ते से होते हुए सती अनसूया मंदिर पहुंच गए। यहां पर सबसे पहले हम लोगों को मंदाकिनी नदी देखने के लिए मिली, जिसका दृश्य बहुत अच्छा था। यहां पर हम लोगों को बहुत सारे बंदर देखने के लिए मिले। अगर आपके पास कुछ सामान है, खाने पीने का। तो आप उसे अपने बैग में संभाल कर रखें। अगर आपने हाथ में पकड़े रहेंगे, तो आपसे सामान बंदर छीन लेंगे। यहां पर बहुत सारे लोग हाथों में लाठी लेकर चल रहे थे, ताकि बंदर पास में आए, तो वह उन्हें मार सके। मगर लाठी को देखकर बंदर पास में आते ही नहीं थे। दूर ही रहते थे।
सती अनसूया पर परमहंसी आश्रम या मंदिर बहुत बड़ा और बहुत ही भव्य है। इस मंदिर के सबसे ऊपर आपको सप्त ऋषि देखने के लिए मिलते हैं। यह सप्त ऋषि के नाम भी लिखे हुए हैं। यहां पर आपको सात अलग-अलग खंड देखने के लिए मिलते हैं। आप मंदिर के एक तरफ देखते हैं, तो आपको एक विशाल रथ देखने के लिए मिलता है। यह रथ बहुत ही खूबसूरती से यहां पर बनाया गया है। इस रथ में राम जी सवार हैं। इस रथ को इंद्र जी ने राम जी को तब दिया था। जब राम जी रावण से युद्ध करने के लिए गए थे।
मंदिर के बाहर आपको राम भगवान जी की खूबसूरत प्रतिमा भी देखने के लिए मिलती है, जो दीवार पर बनाई गई है। मंदिर के बाहर एक शिवलिंग विराजमान हैं। आप उनके दर्शन कर सकते हैं। शिवलिंग के दर्शन करके आप मंदिर में प्रवेश करते हैं।
सबसे पहले आपको यहां पर संत के दर्शन करने के लिए मिलते हैं। संत का मुझे नाम याद नहीं है। मगर यहां पर आपको ढेर सारे संतो के दर्शन करने के लिए मिलते हैं। यहां पर संतो के दर्शन करने से मन को शांति मिलती है और अच्छा लगता है। इसके अलावा यहां पर आपको सती अनसूया माता का मंदिर देखने के लिए मरता है। यहां पर सती माता की बहुत ही सुंदर प्रतिमा विराजमान है। यहां पर सती अनसूया माता जी सीता माता को सतीत्व का पाठ पढ़ाया था। आपको यहां पर सीता माता की और सती अनसूया माता की प्रतिमा देखने के लिए मिल जाती है। जब सती अनसूया माता सीता माता को सतीत्व का पाठ पढ़ा रही थी। यहां पर मूर्ति के द्वारा उस दृश्य का चित्रण किया गया है। वह प्रतिमा भी बहुत अच्छी लगती है। इसके अलावा यहां पर रामायण के बहुत सारे घटनाओं का उल्लेख करते हुए चित्र को बनाया गया है और मूर्तियों को बनाया गया है। वह भी आप यहां पर देख सकते हैं।
इस मंदिर में आपको वजन नापने की मशीन भी मिलती है, जिसमें आपको पैसे डालने पड़ते हैं और आपका वजन मशीन बता देती है। हम लोगों ने भी अपना यहां पर वजन चेक किया। इसके बाद हम लोग मंदिर के बाहर आ गए और मंदाकिनी नदी के दृश्य को देखने लगे। यहां पर मंदाकिनी नदी बहुत ही खूबसूरत लगती है।
इसके बाद हम लोग मंदिर परमहंसी आश्रम के आगे बढ़े , तो हम लोगों को यहां पर मंदाकिनी नदी में ढेर सारी मछलियां देखने के लिए मिली। हम लोगों ने मछलियां का दाना लिए थे, तो मछलियों को डालने के लिए दाना खोलने लगे, इतने में एक बंदर अचानक से आया और हम लोग पर झपट पड़ा। हम लोग ने वह मछली का दाना नदी में ही फेंक दिया, क्योंकि हम लोग डर गए थे और वह बंदर नदी में कूद गया और दाना लेकर चला गया। उसके बाद हम लोग आगे बढ़े, तो हम लोगों को यहां पर मंदाकिनी नदी का उद्गम स्थल देखने के लिए मिला। और आगे बढ़ने पर हमको प्राचीन माता सती अनसूया का मंदिर देखने के लिए मिला।
यहां पर श्री माता महा सती अनसूया जी का प्राचीन मंदिर है और यहां पर अत्रि ऋषि और दत्तात्रेय जी का भी मंदिर देखने के लिए मिल जाता है। यहां पर हनुमान जी का मंदिर भी आपको देखने के लिए मिल जाता है। जब हम लोग यहां पर गए थे। तब आरती हो रही थी। हम लोग कुछ देर आरती में खड़े हुए उसके बाद हम लोग वापस आए। हम लोग सती अनसूया मंदिर में घूम कर अपने ऑटो में वापस आ गए और अगले यात्रा स्थल गुप्त गोदावरी की ओर बढ़ चले।
सती अनुसुइया चित्रकूट की फोटो - Photo of Sati Anusuiya Chitrakoot
सती अनसूया मंदिर के सामने का भाग |
सती अनसूया मंदिर के ऊपर स्थित सप्त ऋषि |
सती अनसूया मंदिर के सामने का प्रवेश भाग |
माता सती अनसूया का प्राचीन मंदिर |
मंदाकिनी नदी का विहंगम दृश्य |
सती अनसूया मंदिर के सामने स्थित धर्म रथ |
सती अनसूया मंदिर जाने का रास्ता |
मंदाकिनी नदी का अद्भुत दृश्य |
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