रानी दमयंती बाई का किला या रानी दमयंती पुरातात्विक संग्रहालय - Rani Damayanti Bai Fort or Rani Damayanti Archaeological Museum
रानी दमयंती बाई का किला दमोह सिटी की एक प्राचीन जगह है। यह किला दमोह जिले में कोतवाली थाने के सामने स्थित है। यह किला मुख्य सड़क में स्थित है और हम लोग इस किले में शिवरात्रि के समय घूमने गए थे। मगर हम लोग इस किले के अंदर नहीं जा पाए थे। मगर इस किले के बारे में मैं आपको कुछ जानकारी दे देती हूं।
रानी दमयंती बाई का किला को अब संग्रहालय में बदल दिया गया है और आपको इस किले में बहुत सारी पत्थर की मूर्तियां देखने के लिए मिल जाती हैं, जो देखने में बहुत ही अद्भुत लगती है। इस किले में आपको पेंटिंग भी देखने के लिए मिल जाती हैं। यहां पर आपको गणेश जी की पत्थर की प्रतिमा देखने के लिए मिलती है, जो आकर्षक लगती है। इसके अलावा यहां पर आपको बहुत सारे पत्थर के स्टैचू देखने के लिए मिलते हैं। इसके अलावा यहां पर आपको बुद्ध भगवान की पत्थर की प्रतिमा देखने के लिए मिल जाती हैं। यह किला भी बहुत खूबसूरत है। किले के बाहर बहुत ही सुंदर बगीचा बना हुआ है, जो देखने में आकर्षक लगता है। यहां पर बड़े-बड़े पेड़ लगे हुए हैं और गमलों से पूरा बगीचे को सजाया गया है।
रानी दमयंती किले के बाहर जो बगीचा बना है। वहां पर भी बहुत सारी पत्थर की प्रतिमाएं रखी हुई है। आप बाहर से ही इस किले के बड़े-बड़े प्राचीर देख सकते हैं। इस किले में जाने के लिए एंट्री टिकट लगता है। इस किले के खुलने का समय सुबह 10 बजे से 5 बजे तक का है और सरकारी छुट्टी के दिन यह किला बंद रहता है।
रानी दमयंती बाई के किले में हम लोग अपने वाहन से गए थे। आप भी यहां पर अपने वाहन से आ सकते हैं या ऑटो या टैक्सी से भी इस जगह पर पहुंच सकते हैं। इस किले के सामने एक बोर्ड लगा हुआ है, जिसमें इस किले के बारे में जानकारी लिखी हुई है। इस किले में प्रवेश के लिए लोहे का एक छोटा सा गेट लगा हुआ है। आप अंदर जाते हैं, तो सीधा रास्ता किले में जाता है और इस रास्ते के दोनों तरफ पेड़ पौधे लगे हुए हैं। मुख्य किला चारों तरफ से दीवारों से घिरा हुआ है और एक छोटा सा गेट लगा हुआ है, जिससे आप किले के अंदर प्रवेश करते हैं।
रानी दमयंती पुरातात्विक संग्रहालय का इतिहास - History of Rani Damayanti Archaeological Museum
ऐतिहासिक पृष्ठभूमि - अनुश्रुतियों के अनुसार पर दमोह नगर को राजा नल की रानी दमयंती के द्वारा बसाया गया माना जाता है। इस संदर्भ में विद्वानों की धारणा है कि दमोह नाम संस्कृत के दमकनपुर का रूपांतरण है। इसकी पुष्टि चैपड़पट्टी ग्राम से प्राप्त शिलालेख से होती है। जिस पर दमकनपुर का उल्लेख प्राप्त है।
दिल्ली के मुसलमान शासकों ने अपने नायाब का मुख्यालय दमोह के पास बटियागढ़ निश्चित किया था। 15 वीं सदी में जब मालवा के खिलजियों के हाथ में यह क्षेत्र आया। उस समय नायाब का मुख्यालय बटियागढ़ से दमोह निश्चित किया गया एवं उसी समय से दमोह की श्री वृद्धि प्रारंभ हुई और यह एक किले के निर्माण किया गया।
25 अगस्त 1989 को इस किला भवन में संग्रहालय अवधारणा का प्रारंभ किया गया।
रानी दमयंती बाई का किला एवं संग्रहालय कहां स्थित है - Where is the fort and museum of Rani Damayanti Bai
रानी दमयंती बाई का किला एवं संग्रहालय दमोह जिले का प्रसिद्ध किला है। यह किला दमोह जिले के कोतवाली थाने के सामने स्थित है। इस किले में आप बहुत ही आसानी से पहुंच सकते हैं। यह किला जटाशंकर मंदिर के बहुत करीब है। आप यहां पर घूमने के लिए आ सकते हैं। यहां पर बहुत सारी जगह है, जहां पर आप घूम सकते हैं।
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