मंदाकिनी नदी चित्रकूट - Mandakini River Chitrakoot / मंदाकिनी नदी का उद्गम स्थल / Origin point of Mandakini river
मंदाकिनी नदी चित्रकूट की सबसे प्राचीन नदी है। मंदाकिनी नदी के किनारे ही चित्रकूट शहर बसा हुआ है। चित्रकूट में बहुत सारे धार्मिक स्थल मौजूद है। चित्रकूट में वनवास काल के दौरान ही राम जी आए थे और उन्होंने यहां पर अपना अधिकांश समय बिताया है। जब राम जी वनवास काल के दौरान चित्रकूट आए थे, तो उन्होंने मंदाकिनी नदी में ही स्नान किया था। इसलिए यहां पर रामघाट बना हुआ है।
मंदाकिनी नदी का उद्गम स्थल - Mandakini Nadi ka Udgam sthal
मंदाकिनी नदी का उद्गम स्थल चित्रकूट के सती अनसूया का मंदिर है। यह मंदिर पहाड़ों के और जंगलों के बीच में बना हुआ है। यहां पर ही मंदाकिनी नदी का उद्गम हुआ है। कहा जाता है कि अत्रि ऋषि की पत्नी माता अनसूया के तपोबल के द्वारा ही मंदाकिनी नदी का उद्गम हुआ है। यहां पर आपको पहाड़ों से आता हुआ पानी देखने के लिए मिलेगा, जो एक जलकुंड में आता है।
अब यह जलकुंड पक्का बना दिया गया है। आप यह जलकुंड देख सकते हैं और पहाड़ों से आता हुआ पानी भी आपको यहां पर देखने के लिए मिलता है। आप यहां से मंदाकिनी नदी का जल अपनी बोतलों में भर सकते हैं। मंदाकिनी नदी को गंगा नदी भी कहा जाता है।
मंदाकिनी को चित्रकूट की गंगा नदी कहा जाता है। मंदाकिनी नदी का पानी का रंग हरे रंग का है। यहां पर परमहंसी आश्रम भी बनाया गया है। यहां पर सारा पक्का निर्माण कर दिया गया है, तो अब पहाड़ों से पाइप से पानी रिस कर इस कुंड में आता है। आप यहां से मंदाकिनी नदी का जल अपनी बोतल में भर सकते हैं।
मंदाकिनी नदी का पानी हरे कलर का आपको देखने के लिए मिलता है। यहां पर मंदाकिनी नदी गहरी है। आपको यहां पर ढेर सारी मछलियां भी देखने के लिए मिल जाती है। बहुत सारे लोग यहां पर मछलियों का दाना भी बेचते हैं। आप मछलियों को दाना भी डाल सकते हैं।
मंदाकिनी नदी यहां से आगे बढ़ती है, तो मंदाकिनी नदी के किनारे आपको स्फटिक शिला देखने के लिए मिलती है। स्फटिक शिला के बारे में कहा जाता है, कि यहां पर राम जी और सीता जी स्फटिक शिला के ऊपर बैठकर प्रकृति के नजारो का आनंद लेते थे। यहां पर भी मंदाकिनी नदी गहरी है और यहां का जो नजारा है। बहुत ही खूबसूरत है। यहां पर भी आपको बंदर देखने के लिए मिल जाते हैं।
मंदाकिनी नदी यहां से आगे बढ़ती है, तो मंदाकिनी नदी के किनारे आपको जानकीकुंड देखने के लिए मिल जाता है। जानकी कुंड बारे में कहा जाता है कि माता सीता यहां पर स्नान कर किया करती थी और माता सीता के पिता जी का नाम जनक था। इसलिए माता सीता को जानकी के नाम से जाना जाता था और इस जगह को जानकीकुंड कहा गया है।
मंदाकिनी नदी आगे बढ़ती है, तो मंदाकिनी नदी के किनारे आपको रामघाट देखने के लिए मिलता है। रामघाट में बहुत सारे मंदिर हैं, जो आप देख सकते हैं। रामघाट पर तुलसीदास जी की भव्य प्रतिमा भी मंदाकिनी नदी के किनारे बनाई गई है। वह भी आप देख सकते हैं।
मंदाकिनी नदी की आरती - Aarti of Mandakini river
मंदाकिनी नदी की आरती शाम के समय 6 बजे की जाती है। मंदाकिनी नदी की आरती रामघाट में की जाती है। रामघाट में शाम के समय मंदाकिनी नदी के बीच में स्थित फव्वारा चालू किया जाता है, जिससे मंदाकिनी नदी का दृश्य और ज्यादा आनंदमई हो जाता है और मंदाकिनी नदी की आरती भी बहुत ही आनंदमई रहती है। आप यहां पर आकर मंदाकिनी नदी की आरती का आनंद उठा सकते हैं। यहां पर पंडित जी एक बड़े से चबूतरे में खड़े होकर मंदाकिनी नदी की आरती करते हैं। यह पर आरती करीब 1 घंटे तक चलती है और आप इस आरती में आकर देख सकते हैं, जो बहुत ही अच्छी लगती है। मंदाकिनी नदी की आरती में बहुत सारे लोग शामिल होते हैं। बहुत ही भव्य आरती होती है।
रामघाट से निकलने के बाद मंदाकिनी नदी राजापुर के पास में यमुना नदी से मिल जाती है और यमुना नदी में समाहित हो जाती है।
मंदाकिनी नदी की फोटो - Photo of Mandakini river
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