Akshay vat Allahabadअक्षय वट इलाहाबाद
अक्षय वट इलाहाबाद (प्रयागराज) में स्थित एक प्रसिद्ध धार्मिक स्थल है। यहां पर आपको एक प्राचीन वटवृक्ष देखने के लिए मिलता है। वट वृक्ष का मतलब होता है बरगद का पेड़। इस वट वृक्ष को ही अक्षय वट के नाम से जाना जाता है। अक्षय वट का अर्थ होता है, कि कभी नष्ट नहीं होने वाला वटवृक्ष। यह वटवृक्ष आज भी हरा-भरा आपको देखने के लिए मिलेगा। यह वटवृक्ष सतयुग में भी उपस्थित था और सतयुग में इस वटवृक्ष के नीचे श्री राम जी ने विश्राम किया था। द्वापर युग में इस वट वृक्ष के नीचे श्री कृष्ण जी ने विश्राम किया था। यह वटवृक्ष त्रेता युग में भी था। यह वटवृक्ष कलयुग में भी विद्यमान है और आप इस वटवृक्ष प्रयागराज में जाकर देख सकते हैं।
अक्षय वट इलाहाबाद शहर में प्रयागराज (इलाहाबाद ) किले के अंदर स्थित है। प्रयागराज (इलाहाबाद) किला गंगा नदी और यमुना नदी के संगम के पास ही में स्थित है। अक्षय वट के दर्शन करने के लिए किले के अंदर जाने के लिए रास्ता बना हुआ है। इस रास्ते में विकलांग लोग भी आराम से जा सकते हैं। छोटे से रास्ते से होते हुए आप मंदिर के परिसर में पहुंचते हैं। यहां पर आपको विशाल अक्षय वट वृक्ष देखने के लिए मिलता है। इसके साथ ही पताल पुरी मंदिर भी आपको यहां पर देखने के लिए मिलता है। आप पताल पुरी मंदिर के प्रवेश द्वार से मंदिर में प्रवेश करते हैं और पताल पुरी मंदिर के दर्शन करते हुए आप ऊपर आते है। आप अक्षय वट की परिक्रमा कर सकते हैं। अक्षय वट के नीचे आपको बहुत सारे भगवान जी की प्रतिमा देखने के लिए मिलते हैं। यहां पर श्री कृष्ण जी की आकर्षक प्रतिमा आपको देखने के लिए मिल जाएगी और भगवान शंकर जी की भी मूर्ति आपके यहां पर देखने के लिए मिल जाएगी। यहां पर अक्षय वट के बारे में बताया भी गया है, कि अक्षय वट सतयुग में इतने वर्षों इसकी आयु रही है। द्वापर युग में इतने वर्षों इसकी आयु रही है। त्रेता युग में अक्षयवट वृक्ष की आयु इतनी रही है और कलयुग में भी आप इस अक्षयवट को हरा भरा देख सकते हैं। इस अक्षयवट वृक्ष के बाजू में ही एक चबूतरा बना हुआ है। उस चबूतरा में दाना डाला जाता है, जिसमें बहुत सारे पक्षी आकर उस दाने को चुनते हैं। आपको अच्छा लगेगा यह देखकर मिट्ठू और कबूतर आकर उस दाने को चुनते हैं। यहां पर आपको बहुत सारे पंडित जी भी बैठे हुए देखने के लिए मिलते हैं।
अक्षय वट इलाहाबाद (प्रयागराज) की फोटो
अक्षय माधव की प्रतिमा |
अक्षय वट वृक्ष |
अक्षय वट वृक्ष के दर्शन |
अब कुछ बातें पातालपुरी मंदिर एवं अक्षयवट के बारे में इतिहास से जुड़ी हुई जानते हैं। जिसकी जानकारी एक बोर्ड में दी थी।
शस्त्रागार के उत्तरी दीवार के निकट ही प्राचीन तथा प्रसिद्ध पातालपुरी मंदिर है, जिसमें किले के पूर्वी द्वार से पहुंचा जाता है। और जैसा कि नाम से ही संकेत मिलता है। यह मंदिर भूमि के नीचे है। सन् 644 ईस्वी में चीनी यात्री हेनसांग यहां आया था। तब यह मंदिर एक ऊंचे टीले पर स्थित था और इसमें एक प्रांगण था। जिसमें प्रसिद्ध अक्षय वट यह कभी क्षय न होने वाला एक पेड़ खड़ा था, जहां से मोक्ष की प्राप्ति चाहने वाले हिंदू जो यह विश्वास करते थे, कि प्रयाग में मरने से स्वर्ग प्राप्त होता है। वह नीचे पथरीले आंगन में कूद जाते थे। इतिहासकारों तथा भूगोलवेत्ता ने इस वृक्ष का उल्लेख किया है। यह भी कहा जाता है कि इसके निकट एक गहरा जल कूप था। जिसमें धार्मिक श्रद्धालु मोक्ष प्राप्ति करने के हेतु कूद जाते थे। यह भी कहा जाता है कि अपने एक पूर्व जन्म में सम्राट अकबर एक साधु था और यहां पर निर्वाण प्राप्ति के समय उसने अपने अगले जन्म में भारत का सम्राट बनने की कामना की थी। सन 1906 में मंदिर में प्रकाश व्यवस्था कर दी गई और बेहतर प्रकाश व्यवस्था हेतु यहां जाने का पुराना तंग मार्ग के बदले एक नया तथा आसान मार्ग बना दिया गया, जो लगभग 25.60 मीटर लंबा तथा लगभग 15 मीटर चैड़ा है। छत जो पत्थर की फर्श से 1.97 मीटर ऊंची है। छत स्तंभों पर टिकी हुई है। अक्षय वट का अवशेष स्वरूप अब जो वृक्ष है। वह एक भूमिगत शहतीर के ऊपर स्थित गहरी सुरंग में है। जिस सुरंग के बारे में यह कहा जाता है, कि यह त्रिवेणी तक जाती है। मंदिर में अनेक मूर्तियां हैं, जो इसकी दीवारों में व्यवस्थित रूप से लगी है, जिनमें अधिकतर मध्यकालीन है, जो अन्य मंदिरों से लाई गई है, जो कभी इस क्षेत्र में थे।
अक्षय वट को सनातन प्राचीन अक्षय वट और प्रयाग का प्राचीन अक्षयवट के नाम से भी जानते हैं और अक्षय वट की सभी लोग परिक्रमा करते हैं। आपको यहां पर अक्षय माधव की प्रतिमा भी देखने के लिए मिलती है, जो बहुत ही भव्य है। यहां पर हनुमान जी की प्रतिमा भी आपको देखने के लिए मिलती है, जो छोटे से एक आल्हा में रखे हुए हैं। यहां पर पातालपुरी मंदिर के वेंटिलेशन के लिए छोटे-छोटे चेंबर बने हुए हैं। आप वह भी देख सकते हैं।
हमारा पातालपुरी मंदिर और अक्षय वट वृक्ष के दर्शन करने का अनुभव बहुत अच्छा रहा है। अगर आप इलाहाबाद घूमने के लिए आते हैं, तो आप इस मंदिर में भी घूमने के लिए आ सकते हैं। यहां आकर आपको अच्छा लगेगा और शांति मिलेगी।
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