Narmada Gau Kumbh, Jabalpur
नर्मदा गौ कुंभ मेला, जबलपुर
नर्मदा गौ कुंभ नर्मदा नदी के किनारे लगा हुआ है। नर्मदा कुंभ में देश के कोने-कोने से साधु-संत सम्मिलित हुए हैं। नर्मदा गौ कुंभ मेले में आपको बहुत सारी अनोखी चीजों के दर्शन करने मिल जाएंगे, नर्मदा गौ कुंभ का मेला कई सालों में आयोजित किया जाता है। इस बार यह कुंभ मेला फरवरी महीने की 23 तारीख से शुरू होकर 3 मार्च तक चला है। नर्मदा गौ कुंभ मेलें में शामिल होने के लिए दूर-दूर से लोग आए हैं।
नर्मदा गौ कुंभ मेले में अयोजन मध्यप्रदेश के जबलपुर जिले में ग्वारीघाट के गीताधाम मंदिर के सामने वाले मैदान में किया गया था। इस मेले में बहुत से मंदिर बनाये गये थें जहां पर मूर्तियां की स्थापना की गई थी। यहां पर मां दुर्गा, श्री राम चन्द्र, माता नर्मदा जी का मंदिर बनाये गए थे।
Narmada Gau Kumbh, Jabalpur |
नर्मदा गौ कुंभ मेले में अयोजन मध्यप्रदेश के जबलपुर जिले में ग्वारीघाट के गीताधाम मंदिर के सामने वाले मैदान में किया गया था। इस मेले में बहुत से मंदिर बनाये गये थें जहां पर मूर्तियां की स्थापना की गई थी। यहां पर मां दुर्गा, श्री राम चन्द्र, माता नर्मदा जी का मंदिर बनाये गए थे।
ग्वारीघाट के नर्मदा कुंभ में आपको साधु संतो के दर्शन करने मिलेंगे, और इस कुंभ के मेले में ग्वारीघाट के नर्मदा नदी के घाटों पर हजारों लोग श्रद्धा की डुबकी लगने देश के कोने से लोग आये हुए थे। नर्मदा गौ कुंभ का आयोजन का मुख्य उद्देश्य नर्मदा नदी को स्वच्छ बनाए रखना और गौ माता की रक्षा करना है।
नर्मदा गौ कुंभ मेले में सभी प्रकार की व्यवस्था की गई थी। नर्मदा गौ कुंभ मेले में देश के कोने कोने से संत और साधु लोग आए हुए थे। कुंभ मेले का आयोजन का मुख्य उद्देश्य नर्मदा नदी की सफाई एवं गौ माता की रक्षा करना है। जिस तरह लोग नर्मदा नदी को दूषित करते जा रहे है, लोगों में जगरूकता फैलाना था कि नर्मदा नदी को स्वच्छ बनाए रखें। जिस तरह लोग नर्मदा नदी में कचरा डाल देते हैं, पुरानी मूर्तियां विसर्जित कर देते हैं और शैंपू और साबुन का यूज करते है, यहां तक कि नर्मदा नदीं में जानवरों के शव को भी बहा दिया जाता है। इन सभी क्रियाकलापों से नर्मदा नदी को दिन-ब-दिन प्रदूषित होती जा रही है। लोगों को इस कुंभ के माध्यम से जागरूक करना है कि नर्मदा नदी को स्वच्छ रखें क्योकि जल ही जीवन है और नर्मदा नदी का उदगम हमारे मध्यप्रदेश में हुआ है। नर्मदा नदी मध्यप्रदेश की भूमि को हरा भरा बनाते हुए बहती है तो इसकी स्वच्छता में हमें अपनी भागदारी दिखनी चहिए।
नर्मदा गौ कुंभ उद्देश्य गाय की रक्षा करना था। हमारे देश में गाय को माता का दर्जा दिया गया है। गाय की रक्षा परम धर्म है, नर्मदा गौ कुंभ में बताया गया है कि गाय इंसानों के लिए क्यों महत्वपूर्ण है, गाय क्यों पालना चाहिए, गाय पालने से क्या क्या फायदे हैं, गाय का दूध पीने से शरीर में क्या फायदे होते है, इन सभी बातों की जानकारी यहां पर उपस्थिति साधु-संतों के द्वारा बताया गया है।
नर्मदा नदी से सवा करोड़ शिवलिंग इकट्ठा किए गए थे, और उन्हें एक स्थान पर रखा गया था, इसके अलावा यहां पर एक विशाल शिवलिंग का भी निर्माण किया गया था, जो देखने में बहुत ही खूबसूरत था, उस विशाल शिवलिंग के सामने नंदी भगवान की मूर्ति रखी गई थी। नर्मदा गौ कुंभ का दूसरा आकर्षण यहां पर शिव भगवान और माता पार्वती की अर्धनारीश्वर प्रतिमा थी, जो बहुत विशाल थी और देखने में बहुत ही आकर्षक थी। अर्धनारीश्वर प्रतिमा के पास ही में शिव भगवान जी की एक अलग प्रतिमा रखी गई थी, यह प्रतिमा बहुत विशाल थी, शिव भगवान की प्रतिमा के सिर से गंगा जी को बहाया गया था। इन दोनों प्रतिमा के चारों तरफ फव्वारे लगाये गये थे। इस प्रतिमा को देखने के लिए दूर-दूर से लोग आए हुए थे। यहां प्रतिमाएं नर्मदा गौ कुंभ मेले का मुख्य आकर्षण थी, इन प्रतिमाएं के साथ सभी लोगों ने फोटोग्राफी किया है।
सहस्त्रधारा जलप्रपात, मंडलाप्रियदर्शिनी प्वांइट पचमढ़ी, होशंगाबादरूपनाथ धाम, कटनी
नर्मदा गौ कुंभ मेले का तीसरा आकर्षण यहां पर लगने वाला मेला था। यहां पर लगने वाले मेले में भिन्न-भिन्न तरह की दुकानें लगी थी। आपको यहां पर बहुत सारे झूले देखने मिल जाते हैं। यहां पर तरह-तरह के झूले लगे हुए थे जो शायद ही अपने जबलपुर में किसी अन्य स्थान पर लगे हुए देखे होंगे। आप यहां पर झूला झूल सकते हैं और आपको झूलों की सवारी करके बहुत आनंद आएगा। यहां पर झूलों का चार्ज भी सामान्य ही था जैसे हर जगह होता है। नर्मदा कुंभ मेले में झूले मुख्यतः दो स्थलों पर लगे हुए थे, आयुर्वेदिक कॉलेज के बाजू में जो मैदान है वहां पर झूले और विभिन्न प्रकार की दुकानें लगाई गई थी । इसके अलावा श्री सिद्ध गणेश मंदिर के सामने जो मैदान है वहां पर भी झूले लगे हुए थे। इस जगह पर मौत के कुआं जिसमें दीवार पर गाडी चलाई जाती है, वहां भी यही लगा था। इस जगह पर भी तरह-तरह के झूले लगे हुए थे। नर्मदा कुंभ मेले में रोड के दोनों तरफ बहुत सारी दुकान लगी हुई थी। जहां आपको सस्ता सस्ता सामान मिल जाता है। नर्मदा गौ कुंभ मेले पर झूलों के अलावा बहुत सारी दुकानें थी, जहां पर आप सामान खरीद सकते थे।
नर्मदा गौ कुंभ मेले लंदन के टाॅवर ब्रिज की प्रतिकृति भी बनाई गई थी। लंदन के टाॅवर ब्रिज बहुत बडा और फैमस है। इस टाॅवर ब्रिज के बीच से नदी से जहाज भी निकल सकते है। जब जहाज ब्रिज से बीच से निकलता है तो ब्रिज के बीच के हिस्सा उठ जाता है जिससे जहाज निकल जाते है।
Narmada Gau Kumbh, Jabalpur |
नर्मदा गौ कुंभ मेले लंदन के टाॅवर ब्रिज की प्रतिकृति भी बनाई गई थी। लंदन के टाॅवर ब्रिज बहुत बडा और फैमस है। इस टाॅवर ब्रिज के बीच से नदी से जहाज भी निकल सकते है। जब जहाज ब्रिज से बीच से निकलता है तो ब्रिज के बीच के हिस्सा उठ जाता है जिससे जहाज निकल जाते है।
नर्मदा गौ कुंभ मेले में साधु संतों के रुकने के लिए भी स्थान बनाया गया था। यहां पर बहुत सारे साधु एकत्र हुए थे, और यहां पर नागा साधु भी एकत्र हुए थे। इन साधु और नागा साधु के रूकने के लिए उत्तम व्यवस्थाए की गई थी। यहां पर उनके टेंट बनाया गया था और उनके खाने-पीने की अच्छी व्यवस्था थी। शौचालय की भी अच्छी व्यवस्था थी और हर जगह पीने के पानी की अच्छी व्यवस्था थी।
नर्मदा गौ कुंभ मेले सांस्कृतिक कार्यक्रम के लिए भी अलग स्टेज बनाया गया था। जहां पर सांस्कृतिक कार्यक्रम किए गए थे, यहां पर गौंडी नृत्य और विभिन्न प्रकार की नृत्य की प्रस्तुति भी गई थी।
नर्मदा गौ कुंभ मेले पर लोगों को फ्री चाय बांटने का भी इंतजाम किया गया था। यहां पर भंडारे का भी आयोजन भी किया गया था । आम लोग भी भंडारा जाकर ले सकते थे उसके लिए लोगों को लाइन लगाना पड़ता था।
Narmada Gau Kumbh, Jabalpur |
नर्मदा गौ कुंभ साधु-संतों से प्रवचन सुनने के लिए अच्छी व्यवस्था की गई थी। यहां पर मंच बनाया गया था, जिसमें से साधु-संतों कथा सुनाते थे और यहां पर लोगों के बैठने के लिए कुर्सी की व्यवस्था की गई थी।
नर्मदा गौ कुंभ में अलग अलग यज्ञशाला में बनाई गई थी जिनकी परिक्रमा आम लोग कर सकते हैं। यहां पर नर्मदा जी की अलग यज्ञशाला बनी थी। गाय की रक्षा के लिए अलग यज्ञशाला बनी थी।
नर्मदा गौ कुंभ में लाइट और साउंड शो का भी आयोजन किया गया था। आपको यहां पर अपने मध्य प्रदेश के बारे में जानकारी लेजर शो के माध्यम से दी जा रही थी। लाइट और साउंड शो के माध्यम से बहुत अच्छी जानकारी दी जा रही थी।
नर्मदा गौ कुंभ में दूर से जो भी लोग कुंभ में शामिल होने आए हैं, उनके लिए विशेष रहने की सुविधा की गई थी । यहां पर अलग से टेंट लगाया गया था, जिससे दूर से आने वाले लोग यहां पर रह सके।
नर्मदा गौ कुंभ के अवसर पर पूरी सड़कों को खूबसूरती से सजाया गया था। गोरखपुर और रामपुर के चैरहे पर नर्मदा मैया की भव्य मूर्ति रखी गई थी। गोरखपुर से ग्वारीघाट तक की दीवारों पर खूबसूरत पेटिंग उकरी गई थी। ग्वारीघाट में भी अच्छी सफाई की गई थी। ग्वारीघाट के अवधपुरी काॅलोनी के पास से ही गाडी को रोकी जा रही थी। रेतनाके पास से ही ग्वारीघाट की सडक को बहुत खूबसूरती से सजाया गया था। यहां पर खूबसूरत लाइटे लगाई गई थी।
नर्मदा गौ कुंभ 24 फरवरी को आरंभ किया गया था। नर्मदा गौ कुंभ का शुभ आंरभ शास्त्री ब्रिज के नरसिंह मंदिर से किया गया था। शास्त्री ब्रिज के नरसिंह मंदिर साधु संतों की पेशवाई की गई थी। यहां पर साधु संत का स्वागत बहुत भव्य तरीके से किया गया था और शास्त्री ब्रिज से गीता धाम तक सड़क में जगह-जगह पर मंच लगाया गया था और साधु संतों का स्वागत किया गया था। संतों के स्वागत के लिए बहुत सारे झाकियां निकाली गई थी।
नर्मदा गौ कुंभ मेले में ग्वारीघाट के नर्मदा नदी के घाटों को भी खूबसूरती से सजाया गया था। नर्मदा घाट की अच्छी साफ सफाई की गई थी, इस कुंभ में जो भी लोग आए थे। वह नर्मदा नदी में जरूर डुबकी लगाए थे और उसके बाद संतो के द्वारा की गई कथा को ग्रहण किया था।
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नर्मदा गौ कुंभ मेले में विभिन्न प्रकार के फूड स्टाल लगाए गए थे। जहां से अलग अलग तरह के फास्टफूड और चाय काफी का मजा ले सकते है। यहां पर पीने के पानी की भी अच्छी व्यवस्थाएं की गई थी, जगह-जगह पर पानी की व्यवस्था थी। इसके अलावा यहां पर शौचालय की जगह जगह पर व्यवस्था थी और यहां पर सफाई पर विशेष ध्यान दिया गया था । यहां पर पार्किंग में भी विशेष ध्यान दिया गया था, यहां पर पार्किंग की बहुत अच्छी व्यवस्था थी, दशहरा ग्राउंड में पार्किंग की व्यवस्था की गई थी। यहां ग्राउंड बहुत बड़ा है और इस ग्राउंड में पार्किंग की व्यवस्था की गई थी। नर्मदा गौ कुंभ मेला 3 तारीख को समाप्त हो गया है, मगर यहां का झूले का सेक्शन 8 तारीख तक चलेगा।
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