कोल्हापुर जिले के दर्शनीय स्थल - Places to visit in Kolhapur / कोल्हापुर जिले के आसपास घूमने वाली प्रमुख जगह
कोल्हापुर महाराष्ट्र का एक प्रमुख राज्य है। कोल्हापुर महाराष्ट्र
की राजधानी मुंबई से करीब 387 किलोमीटर दूर है। कोल्हापुर पंचगंगा नदी के तट पर स्थित
है। कोल्हापुर के चारों तरफ से सह्यद्रि पर्वत श्रंखला देखी जा सकती है। कोल्हापुर
में प्राचीन किले , मंदिर और धार्मिक स्थान
के लिए प्रसिद्ध है, जो इस जगह की शोभा को बढ़ाते हैं। कोल्हापुर कोल्हापुरी चप्पल
के लिए प्रसिद्ध है। यह चप्पल यहां के कुशल कारीगरों के द्वारा बनाई जाती है। यह चप्पल
पूरे देश में सप्लाई की जाती है। कोल्हापुरी चप्पल के बारे में बॉलीवुड फिल्मों में
भी बताया गया है।
कोल्हापुर में श्री महालक्ष्मी का प्रसिद्ध मंदिर है, जिसे अंबा
माई मंदिर के नाम से जाना जाता है। इस मंदिर को लेकर प्राचीन मान्यताएं हैं। कोल्हापुर
जिले का नाम पौराणिक मान्यताओं से जुड़ा हुआ है। कहा जाता है, कि यहां पर कोल्हापुर
नाम का एक राक्षस हुआ करता था। कोल्हासुर नाम का एक राक्षस हुआ करता था, जो लोगों को
परेशान किया करता था। मां अंबा माई ने उस राक्षस का सर्वनाश किया। उस राक्षस की अंतिम
इच्छा थी, कि इस शहर का नाम, उसके नाम पर रखा जाए और इस शहर को कोल्हापुर नाम से जाना
जाने लगा। इस शहर में भोंसले राजाओं का राज हुआ करता था। छत्रपति शिवाजी महाराज भोंसले
साम्राज्य के वंशज थे। कोल्हापुर शहर बहुत सुंदर है और कोल्हापुर में घूमने के लिए
जगह है। चलिए जानते हैं - कोल्हापुर में घूमने लायक कौन कौन सी जगह है।
कोल्हापुर में घूमने की जगह - Kolhapur mein ghumne ki jagah
अंबा देवी मंदिर कोल्हापुर - Amba Devi Temple Kolhapur
अंबा देवी मंदिर कोल्हापुर का एक प्रसिद्ध मंदिर है। यहां से
पूरे देश में प्रसिद्ध है। यह मंदिर महालक्ष्मी जी को समर्पित है। इस मंदिर को दक्षिण
काशी के नाम से जाना जाता है। माना जाता है, कि यहां पर भगवान विष्णु और उनकी पत्नी
महालक्ष्मी निवास करते हैं। अंबा माता मंदिर मुख्य शहर में बना हुआ है। यह मंदिर रेलवे
स्टेशन से करीब 5 किलोमीटर दूर है। मंदिर जाने के लिए ऑटो आराम से मिल जाती है। माना
जाता है कि किसी व्यक्ति को यहां पर मोक्ष मिल सकता है। इस मंदिर का निर्माण सातवीं
शताब्दी में चालुक्य शासकों द्वारा किया गया है।
अंबा माई मंदिर प्राचीन है। पूरा मंदिर पत्थर से बना हुआ है।
मंदिर की दीवारों में सुंदर नक्काशी की गई है। मंदिर की एक दीवार में श्रीयंत्र बना
हुआ है। मंदिर के गर्भ गृह में माता की 3 फुट ऊंची प्रतिमा देखने के लिए मिलती है।
यह प्रतिमा बहुत ही सुंदर लगती है। ह मंदिर सुबह 4:00 बजे से खुल जाता है। 4:00 बजे
से यहां पर घंटियां बजने लगती है और आरती शुरू हो जाती है।
इस मंदिर का डिजाइन बहुत सुंदर है। नवरात्रि में यहां पर बहुत
ज्यादा भीड़ रहती है। वहां पर मां के दर्शन करने के लिए लोग आते हैं। यहां पर आपको
बड़ी-बड़ी दीपस्तंभ देखने के लिए मिलते हैं,
जो पत्थरों से बनाए गए हैं। मंदिर परिसर में बहुत सारे देवी देवताओं की मूर्तियां भी
रखी गई है। मंदिर के बाहर पार्किंग के लिए जगह बनाई गई है, जहां पर आप अपनी गाड़ी खड़ी
कर सकते हैं और मंदिर में मां के दर्शन कर सकते हैं। यहां पर बहुत सारे देवी देवताओं
के दर्शन करने के लिए मिल जाएंगे। यहां पर भगवान शिव, बालाजी, गणेश जी, नवग्रह, मां
भवानी जी, दुर्गा जी के दर्शन कर सकते हैं. यह मंदिर दोपहर 12 बजे बंद हो जाता है और
शाम को 4:00 बजे खुलता है। मंदिर के आसपास ठहरने के लिए बहुत सारे होटल एवं धर्मशाला
है। यहां पर खाने पीने के लिए भी बहुत सारी व्यवस्था है।
छत्रपति शाहूजी महाराज महल कोल्हापुर - Chhatrapati Shahuji Maharaj Mahal Kolhapur
छत्रपति शाहूजी महाराज महल कोल्हापुर का फेमस टूरिस्ट प्लेस
है। यह महल कोल्हापुर में महालक्ष्मी मंदिर के पास में स्थित है। इस महल का वास्तुकला
बहुत ही अनोखी है। यहां पर आप घूमने के लिए आ सकते हैं। यहां पर आपको महल के अंदर बहुत
सारे जानवरों देखने के लिए मिलेंगे, जिन्हें भूसा भरकर यहां पर रखा गया है। यह जानवर
बहुत ही सुंदर लगते हैं और रियल लगते हैं। यहां पर और भी बहुत सारी वस्तुएं देखी जा
सकती है। इस महल में बहुत कम हिस्सा पर्यटकों को घूमने दिया जाता है। यह महल मुख्य
शहर में बना हुआ है। इस महल में स्कूल चलाया जाता है। इस महल को डोनेट कर दिया गया
है। आप महल के कुछ हिस्से को घूम सकते हैं। आपको महाराज शाहूजी जी के बारे में बहुत
सारी जानकारी यहां पर मिलेगी।
खासबाग मैदान कोल्हापुर - Khasbag Ground Kolhapur
खासबाग मैदान कोल्हापुर का एक हिस्टोरिकल प्लेस है। यह जगह छत्रपति
शाहू जी महाराज के द्वारा बनाई गई थी। यह जगह एक कुश्ती के लिए प्रसिद्ध है। महाराजा
छत्रपति शाहूजी कुश्ती जैसे खेल को प्रोत्साहित करने के लिए, इस जगह का निर्माण किया
है। यहां पर प्रतियोगी कुश्ती सीखते हैं और कुश्ती का मैच लड़ते हैं।
रांकला झील कोल्हापुर - Rankla Lake Kolhapur
रंकाला झील कोल्हापुर में घूमने का एक मुख्य स्थान है। यह झील
मुख्य शहर में बनी हुई है। यह महालक्ष्मी मंदिर से 1 किलोमीटर दूर है। इसका निर्माण
महाराजा श्री साहू जी छत्रपति के द्वारा किया गया है। यह झील बहुत बड़े एरिया में फैली
हुई है। झील के चारों तरफ सुंदर गार्डन बनाया गया है। यहां पर चौपाटी भी बनी हुई है,
जहां पर खाने पीने का बहुत सारा सामान मिलता है। यहां पर शाम के समय बहुत सारे लोग
आकर अपना समय व्यतीत करते हैं। यहां पर बोटिंग का आनंद भी लिया जा सकता है। यहां पर
किसी प्रकार का एंट्री फीस नहीं है। शाम के समय यहां पर सूर्यास्त का दृश्य देखने लायक
रहता है। यह पर आप आकर कोल्हापुर के फेमस व्यंजनों को खा सकते हैं।
झील के बीच में एक प्राचीन स्ट्रक्चर देखने के लिए मिलता है।
यह स्ट्रक्चर पत्थरों का बना हुआ है और यह झील के बीच में बना हुआ है। इसे संध्या मठ
के नाम से जाना जाता है। यह झील में ईस्ट साइड पर बना हुआ है। यहां पर भगवान गणेश का
स्टेचू देखने के लिए मिलता है। गर्मी के समय यहां पर पानी कम होता है, तो यह स्ट्रक्चर
देखने के लिए मिलता है। बरसात में यह डूब जाता है।
श्री क्षेत्र नृसिंहवाडी कोल्हापुर - Sri Kshetra Nrsinghwadi Kolhapur
श्री क्षेत्र नृसिंहवाडी कोल्हापुर का एक प्रमुख धार्मिक स्थल
है। नृसिंहवाडी कोल्हापुर से करीब 45 किलोमीटर दूर कृष्णा और पंचगंगा नदियों के संगम
स्थल पर स्थित है। यह दत्त भगवान जी को मानने वालों के लिए एक पवित्र जगह है। यहां
पर दत्तगुरु की स्वयंभू पादुका के दर्शन करने के लिए मिलते हैं। यहां पर श्री दत्तगुरु
के वास्तविक तीसरे अवतार श्री नृसिंह सरस्वती जी की प्रतिमा के दर्शन करने के लिए मिलते
हैं। उन्होंने यहां पर समाधि ली थी। वहां पर तपस्या किया करते थे। यह जगह बहुत सुंदर
है। यहां पर बहुत बड़ा मंदिर बना हुआ है। यहां पर आप आकर मंदिर घूम सकते हैं। यहां
पर सभी प्रकार की व्यवस्थाएं हैं। यहां पर नदी का सुंदर दृश्य देखने के लिए मिलता है,
जो बहुत ही आकर्षक लगता है।
यहां पर दत्त जयंती और नरसिंह जयंती के समय बहुत बड़ा उत्सव
मनाया जाता है और दूर-दूर से लोग यहां पर आते हैं। यहां पर भोजनालय बना हुआ है, जहां
पर प्रसाद बांटा जाता है और सभी लोग ग्रहण कर सकते हैं। यहां पर ठहरने की सुविधा भी
उपलब्ध है। आप कोल्हापुर से यहां आने का प्लान बना सकते हैं। यहां पर आपको 1 दिन घूमने
में लग जाएगा। इस मंदिर को नरसोबाची वाडी मंदिर के नाम से भी जाना जाता है। यहां पर
लोग मछलियों को खाना खिलाते हैं।
सरसेनापती संताजी घोरपडे समाधी स्थळ कोल्हापुर - Sarsenapati Santaji Ghorpade Samadhi Sthal Kolhapur
सरसेनापती संताजी समाधि स्थल कोल्हापुर में स्थित एक प्रमुख
स्थल है। यह समाधि स्थल कोल्हापुर में कुरुंदवाड के पास कृष्णा और पंचगंगा नदी के संगम
के किनारे बना हुआ है। यहां पर आप घूमने के लिए आ सकते हैं। यहां पर आपको संगम का सुंदर
दृश्य देखने के लिए मिल जाएगा और समाधि स्थल भी देखने के लिए मिलेगा। यहां पर मंदिर
भी बने हुए हैं, जो आप देख सकते हैं। यह जगह बहुत सुंदर लगती है। बरसात के समय यह समाधि
स्थल पानी से डूब जाते हैं। मगर बाकी मौसम में यहां पर आप समाधि स्थल को देख सकते हैं।
संताजी घोरपड़े छत्रपति शिवाजी के सेनापति थे, जो युद्ध में शहीद हो गए थे। उन्हें
याद करने के लिए यहां पर उनका समाधि स्थल बनाया गया है।
श्री ज्योतिबा मंदिर कोल्हापुर - Shri Jyotiba Mandir Kolhapur
श्री ज्योतिबा मंदिर कोल्हापुर का एक प्रसिद्ध मंदिर है। यह
मंदिर वाडी रत्नागिरी में स्थित है। यह मंदिर बहुत ही आकर्षक है। यह मंदिर कोल्हापुर
शहर से 18 किलोमीटर दूर है। मंदिर के बारे में मान्यता है, कि यहां पर तीनों देवताओं
ब्रह्मा, विष्णु और महेश ने ज्योतिबा का रूप धारण करके रत्नासुर नामक राक्षस को वध
किया था। यहां पर ज्योतिबा के दर्शन करने के लिए मिलते हैं। यहां पर गुलाल मूर्तियों
को चढ़ाया जाता है। यहां पर मूर्तियां और दीवारों हर जगह पर गुलाल ही गुलाल देखने के
लिए मिलेगा। इस मंदिर का निर्माण प्राचीन समय में नवाजी शायद द्वारा करवाया गया था
यहां पर चैत्र वैशाख महीने में मेला आयोजित किया जाता है, जिसमें बहुत सारे भक्त यहां
पर आते हैं और गुलाबी गुलाल को अपने माथे पर लगाते हैं और भगवान को चढ़ाते हैं।
कनेरी मठ कोल्हापुर - Kaneri Math Kolhapur
कनेरी मठ कोल्हापुर में स्थित एक प्रमुख स्थान है। यहां पर आपको
धार्मिक और ऐतिहासिक स्थान दोनों ही स्थल देखने के लिए मिलते हैं। यहां का इतिहास करीब
1200 साल पुराना है। यहां पर शिव भगवान जी का मंदिर बना हुआ है। यहां शिव भगवान जी की बहुत सुंदर मूर्ति के दर्शन करने के
लिए मिलता है। यहां पर संग्रहालय बना हुआ है।
यह संग्रहालय बहुत बड़े एरिया में फैला हुआ है। यहां पर गांव के ग्रामीण जीवन को दिखाया
गया है। यहां पर गांव के बारे में बहुत सारी बातों को दिखाया गया है, कि किस तरह लोग
प्राचीन समय में काम किया करते थे, अपने जीवन को जिया करते थे, किस तरह शिक्षा प्राप्त
करते थे, व्यवसाय किया करते थे। यह सभी चीजें यहां पर दिखाई गई है।
यह सभी चीजों मूर्तियों के माध्यम से बहुत ही सुंदर तरीके से
दिखाई गई है। यहां पर महाभारत और रामायण ग्रंथ के दृश्यों को भी मूर्तियों के माध्यम
से दिखाया गया है। यहां पर आकर बहुत अच्छा अनुभव कर सकते हैं। यहां पर किसान के जीवन
को भी दिखाया गया है। कनेरी मठ कोल्हापुर जिले में कोल्हापुर बंगलौर हाईवे सड़क पर
स्थित है। यहां पर आप अपने वाहन से आसानी से पहुंच सकते हैं।
विशालगढ़ किला कोल्हापुर - Vishalgarh Fort Kolhapur
विशालगढ़ किला कोल्हापुर का एक ऐतिहासिक स्थल है। यह किला कोल्हापुर
में गजापुर गांव में बना हुआ है। यह किला एक ऊंची पहाड़ी पर बना हुआ है। यह किला सह्यद्रि
पर्वतमाला में बना हुआ है। यह से चारों तरफ का दृश्य बहुत ही जबरदस्त रहता है। यह किला
समुद्र तल से 3500 फीट की ऊंचाई पर स्थित है। यहां पर आप घूमने के लिए आ सकते हैं।
यहां पर पहुंचने के लिए ट्रेकिंग करना पड़ता है। यह किला बहुत विशाल क्षेत्र में फैला
हुआ है और बहुत सुंदर लगता है।
इस किले में पीर शबद मलिक रेहान बाबा की दरगाह के लिए प्रसिद्ध
है। यहां पर बहुत सारे लोग आकर दरगाह के दर्शन करते हैं। यहां पर मनोकामनाएं पूरी होती
है। किले के अंदर प्राचीन मंदिर, दीवारें, बुर्ज, भवन, प्रवेश द्वार यह सभी देखे जा
सकते हैं और यह बहुत सुंदर लगते हैं। यहां पर बरसात के समय आएंगे, तो आपको और भी ज्यादा
मजा आएगा।
श्री कुंभोजगीरी तीर्थ कोल्हापुर - Shri Kumbojgiri Teerth Kolhapur
श्री कंभोजगिरी तीर्थ कोल्हापुर का एक प्रसिद्ध जैन तीर्थ स्थल
है। यहां पर एक जैन मंदिर देखने के लिए मिलता है। यह मंदिर बहुत बड़ा और बहुत सुंदर
है। यह मंदिर एक पहाड़ी पर बना हुआ है। यह मंदिर कोल्हापुर जिले के हठकानागले शहर से
करीब 8 किलोमीटर दूर स्थित है। यहां पर भगवान बाहुबली की 28 फीट ऊंची पत्थर की प्रतिमा
बनाई गई है, जो बहुत ही सुंदर लगती है। यह प्रतिमा सफेद मार्बल से बनी है। यह प्रतिमा
खड़ी हुई अवस्था में बनी हुई है। इस प्रतिमा की स्थापना 1963 में की गई थी। यह प्रतिमा
बहुत सुंदर है।
यह मंदिर पहाड़ी पर बना है। मंदिर में पहुंचने के लिए सीढ़ियां
बनाई गई है। मंदिर में पहुंचकर बहुत अच्छा लगता है। मंदिर से चारों तरफ का बहुत ही
सुंदर दृश्य देखने के लिए मिलता है। यहां पर सभी धर्मों के लोग घूमने के लिए आते हैं।
यहां पर धर्मशाला और भोजशाला भी बनी हुई है। यहां पर आप कोल्हापुर से घूमने के लिए
आते हैं, तो आप का 1 दिन का प्लान बनाकर आइएगा।
जहाज मंदिर कुंभोज गिरी - Jahaj Temple Kumboj Giri
जहाज मंदिर कंभोजगिरी तीर्थ स्थल के पास में स्थित एक मुख्य
स्थान है। इस मंदिर का आकार जहाज के समान है। इसलिए इस मंदिर को जहाज मंदिर के नाम
से जाना जाता है। यह मंदिर बहुत सुंदर है। इस मंदिर में भगवान संभव नाथ के दर्शन करने
के लिए मिलते हैं। यहां पर म्यूजियम बना हुआ है, जहां पर आप घूम सकते हैं। यहां पर
बहुत सारी वस्तुओं के बारे में जानकारी मिलती है। यहां पर गार्डन बना हुआ है, जो बहुत
सुंदर है। इसमें प्रवेश के लिए 10 रूपए का शुल्क लिया जाता है। यहां आकर बहुत अच्छा
अनुभव कर सकते हैं। यहां पर आपको विभिन्न जैन तीर्थकार की मूर्तियां देखने के लिए मिलती
है।
श्री कोपेश्वर महादेव मंदिर कोल्हापुर - Shri Kopeshwar Mahadev Temple Kolhapur
श्री कोपेश्वर महादेव मंदिर कोल्हापुर का फेमस मंदिर है। यह
मंदिर प्राचीन है। यह मंदिर कोल्हापुर जिले में खिद्रापूर गांव में बना हुआ है। यह
मंदिर कृष्णा नदी के किनारे बना हुआ है। यह मंदिर महाराष्ट्र और कर्नाटक बॉर्डर पर
स्थित है। इस मंदिर का नाम कोपेश्वर मंदिर रखा गया है। कहा जाता है, कि इस मंदिर में
जब सती माता दक्ष प्रजापति के यज्ञ में अपनी आहुति दी थी। तब शिव भगवान बहुत ज्यादा
क्रोधित हो गए थे और उनके क्रोध को शांत करने के लिए भगवान विष्णु ने शिव भगवान को
इस मंदिर में लाए थे। इसलिए इस मंदिर को कोपेश्वर मंदिर के नाम से जाना जाता है।
इस मंदिर का निर्माण सातवीं शताब्दी में चालुक्य राजाओं के द्वारा
किया गया था। यह मंदिर बलुआ पत्थर से बना हुआ है। इस मंदिर में 4 भाग है। यहां पर स्वर्ग
मंडप, सभा मंडप, अंतराल, गर्भगृह देखने के लिए मिलता है। स्वर्ग मंडप बहुत ही यूनिक
तरीके से बना हुआ है। यहां पर 48 सुंदर पिलर बने है। यह पिलर बहुत सुंदर है, इनमे नक्काशी
की गई है और यहां पर जो छत बनाया गया है। वह खुला हुआ है, जिससे धूप और चांद की रोशनी
आकर भगवान शिव के ऊपर पड़ती है। यह मंदिर बहुत सुंदर है। आप यहां जायेंगे, तो गाइड
को साथ लेकर जाएं। ताकि गाइड आपको इस जगह के बारे में डिटेल जानकारी दे सके।
मंदिर के गर्भ गृह में भगवान विष्णु और भगवान शिव की प्रतिमा
देखने के लिए मिलती है। इस मंदिर को बहुत ही सुंदर तरीके से बनाया गया है। इस मंदिर
में भगवान गणेश, कार्तिकेय, यमराज, कुबेर, इंद्रदेव की प्रतिमाएं भी बनाई गई है। इस
मंदिर का पुनर्निर्माण 12 वीं शताब्दी में शिलाहार राजा के द्वारा किया गया था। यह
कोल्हापुर से करीब 60 किलोमीटर दूर है और सांगली जिले से 40 किलोमीटर दूर है।
श्री आदिनाथ दिगंबर जैन मंदिर कोल्हापुर - Shri Adinath Digambar Jain Temple Kolhapur
श्री आदिनाथ दिगंबर जैन मंदिर कोल्हापुर में स्थित एक प्रसिद्ध
मंदिर है। यह मंदिर प्राचीन है। इस मंदिर का निर्माण 12 वीं शताब्दी में शीलाहार शासक
के द्वारा किया गया है। यह मंदिर बहुत सुंदर है। मंदिर के गर्भ गृह में आदिनाथ भगवान
जी की प्रतिमा के दर्शन करने के लिए मिलते हैं। यह मंदिर कोल्हापुर में खिद्रापूर गांव
में बना हुआ है। यह गांव महाराष्ट्र और कर्नाटक के बॉर्डर में स्थित है। आप यहां पर
आकर घूम सकते हैं और इस सुंदर मंदिर को देख सकते हैं।
पन्हाला का किला कोल्हापुर - Panhala Fort Kolhapur
पन्हाला का किला कोल्हापुर का एक मुख्य पर्यटन स्थल है। यह एक
ऐतिहासिक किला है। यह किला कोल्हापुर जिले में, कोल्हापुर रत्नागिरी मार्ग पर स्थित
है। पन्हाला दुर्ग को पन्हालगढ़, पनाला और पहाला नामों से जाना जाता है। यह किला कोल्हापुर
जिले से 20 किलोमीटर दूर स्थित है। पन्हाला एक छोटा सा शहर और हिल स्टेशन है। इस जगह
का इतिहास महाराज शिवाजी महाराज से जुड़ा हुआ है। यह किला बहुत सारे शासकों के अधीन रह चुका है।
1673 में इस पर शिवाजी महाराज का अधिकार हो गया था। शिवाजी महाराज इस किले में सबसे
अधिक समय तक रहे। उन्होंने यहां पर 500 से भी ज्यादा दिन बताए हैं। बाद में इस किले
में अंग्रेजों का अधिकार हो गया।
पन्हाला दुर्ग को सांपों का किला कहा जाता है, क्योंकि इसकी
बनावट टेढ़ी-मेढ़ी है। ऐसा लगता है, जैसे कोई साप चल रहा है। किले के अंदर कुलदेवी
तुलजा भवानी का मंदिर बना हुआ है। यहां पर आपको और भी बहुत सारे स्थल देखने के लिए
मिलते हैं, जो बहुत सुंदर है। यहां पर आप आकर अपना समय बिता सकते हैं। यहां पर ठहरने
के लिए बहुत सारी जगह है। इस किले के आस पास बहुत सारे होटल और रिसोर्ट बने हुए हैं,
जहां पर आप ठहर सकते हैं।
इस किले का निर्माण शिलाहार शासक भोज द्वितीय द्वारा 1178 और
1209 ई के बीच कराया गया था। यह किला दक्कन क्षेत्र में सबसे बड़ा किलों में से एक
है। इस किले को बनाने में पत्थर एवं सीसे का प्रयोग किया गया है। पन्हाला किला समुद्र
तल से 3127 फीट की ऊंचाई पर स्थित है।
पन्हालगढ़ महल के आसपास घूमने के लिए बहुत सारे स्थल है। यहां
पर आपको घूमने के लिए आंध्र बावड़ी, तीन दरवाजा, पवनगढ़, तूपाची, पराशर गुफा, नागझरी,
अंबरखाना, सजा कोठी, शिवाजी का मंदिर, राजदीदी
बाग, एंप्रेस बोटैनिकल गार्डन, जैसे स्थान घूमने के लिए मिल जाएंगे। यह स्थान बहुत
सुंदर है और आप यहां घूम सकते हैं।
पवनखिंड कोल्हापुर - Pawankhand Kolhapur
पवनखिंड कोल्हापुर में स्थित एक प्रमुख स्थान है। यह जगह एक
ऐतिहासिक युद्ध के लिए प्रसिद्ध है। यह जगह बहुत खूबसूरत है। यहां पर बरसात में घूमने
के लिए आया जा सकता है। यहां पर पूरा जंगल एरिया है। यहां पर पहाड़ियां है। यहां पर
बरसात में झरने बहते हैं, जो बहुत ही सुंदर लगते हैं। 13 जुलाई 1660 को मराठा योद्धा
बाजी प्रभु देशपांडे और आदिलशाह सल्तनत के सिद्दी मसूद के बीच यहां पर युद्ध लड़ा गया
था, जिसमें मराठा सेना की जीत हुई थी। यह रणनीतिक जीत इस जगह की महानता को बढ़ाती है।
यहां पर पहाड़ी पर एक छोटा सा मेमोरियल बना हुआ है। इस मेमोरियल
तक जाने के लिए सीढ़ियों वाला रास्ता है। यहां पर पहाड़ों का सुंदर दृश्य देखा जा सकता
है। मेमोरियल में ऊपर आपको झंडा भी देखने के लिए मिलता है। यहां पर आप अपनी गाड़ी या
बाइक से आ सकते हैं। यहां पर जंगली जीव भी देखने के लिए मिल सकते हैं। यह जगह विशालगढ़
से 19 किलोमीटर दूर है।
पोहले गुफाएं कोल्हापुर - Pohle Caves Kolhapur
पोहले गुफाएं कोल्हापुर का एक प्रमुख पर्यटन स्थल है। यह गुफाएं
कोल्हापुर में ज्योतिबा मंदिर के पास में स्थित हैं। यह गुफाएं प्राचीन है। इन गुफाओं
को छठी से बारहवीं शताब्दी के बीच में बनाया गया है। यह सम्राट अशोक के समय में बनाई
गई हैं। यहां पर करीब 8 से 10 गुफाएं हैं। यह सभी गुफाएं बलुआ पत्थर को काटकर बनाई
गई हैं। गुफाओं के अंदर कमरे बनाए गए हैं, जहां पर बौद्ध संत मेडिटेशन किया करते थे।
यहां पर आप बरसात के समय घूमने के लिए आएंगे, तो आपको बहुत अच्छा
लगेगा। चारों तरफ पहाड़ों में हरियाली देखने के लिए मिलती है और पहाड़ों का दृश्य भी
बहुत सुंदर रहता है। यह जगह कोल्हापुर का एक टूरिस्ट डेस्टिनेशन है और यहां पर आकर
आप पिकनिक मना सकते हैं। यहां पर एक शिव मंदिर भी बना हुआ है, जहां पर शिवलिंग विराजमान
हैं। यह गुफाएं कोल्हापुर से 20 किलोमीटर दूर है।
श्री राम लिंग मंदिर कोल्हापुर - Shri Ram Linga Mandir Kolhapur
श्री रामलिंग मंदिर कोल्हापुर का एक फेमस मंदिर है। यह मंदिर
जंगल के अंदर बना हुआ है। यह मंदिर मुख्य कोल्हापुर शहर से करीब 50 किलोमीटर दूर है।
यह मंदिर पलासंबे के जंगल के अंदर है। यहां पर आपको गुफाएं और मंदिर देखने के लिए मिलता
है। यह मंदिर शिव जी को समर्पित है। यह मंदिर प्राचीन है। यहां पर एक बड़ी सी चट्टान
में मंदिर बना हुआ है, जो बहुत ही अद्भुत लगता है। यह मंदिर अखंड है। यह मंदिर अभी
भी यहां पर देखने के लिए मिलता है। मंदिर बहुत सुंदर लगता है। यहां पर और भी छोटी-छोटी
चट्टाने और गुफाएं देखने के लिए मिलती है। यहां पर एक गुफा के अंदर शिवलिंग विराजमान
है। यह जगह बहुत सुंदर लगती है।
बरसात में यहां पर चारों तरफ हरियाली रहती है और यहां पर जलधाराएं
बहती रहती है। अगर आप यहां पर बरसात में घूमने के लिए जाते हैं, तो विशेष ध्यान रखें,
क्योंकि यहां पर सांपों का खतरा रहता है। यहां पर आश्रम भी बना हुआ है और यहां पर समाधि
स्थल भी है, जहां पर आप घूम सकते हैं।
राधानगरी अभयारण्य - Radhanagari Sanctuary
राधानगरी अभ्यारण कोल्हापुर का एक प्रमुख आकर्षण स्थल है। यह
अभयारण्य कोल्हापुर जिले के राधानगरी तहसील में स्थित है। राधानगरी तहसील कोल्हापुर
में देवगढ़ और मालवन जाने वाली सड़क पर स्थित है। यहां पर आपको जंगली जीव और जंगल का
दृश्य देखने के लिए मिलेगा। यहां पर आपको झरना, घना जंगल और बहुत सारे जंगली जीव देखने
के लिए मिलते हैं। यहां पर आकर आपको बहुत अच्छा लगेगा। यहां पर आप सफारी का मजा ले
सकते हैं। यहां पर अलग-अलग सफारी भी सुविधा उपलब्ध है।
आप यहां पर अगर सुबह की सफारी करेंगे, तो ज्यादा अच्छा रहेगा,
क्योंकि आपको सुबह के समय ज्यादा जीव देखने के लिए मिल सकते हैं। यहां का वातावरण बहुत
सुंदर है। यहां पर सहायद्रि पर्वतमाला देखने के लिए मिलती है, जो बहुत ही आकर्षक लगती
है। यहां पर आपको ठहरने के लिए होटल, रेस्ट हाउस और लॉज मिल जाते हैं। आप यहां पर आराम
से ठहर सकते हैं।
राधानगरी डैम कोल्हापुर - Radhanagari Dam Kolhapur
राधानगरी डैम कोल्हापुर के पास घूमने का एक मुख्य स्थान है।
यह बांध कोल्हापुर में राधानगरी तहसील में स्थित है। राधानगरी डैम बहुत बड़े क्षेत्र
में फैला हुआ है। इस डैम के चारों तरफ घना जंगल है और वन्य जीव अभ्यारण है। यहां पर
आप आकर पिकनिक मना सकते हैं। यह जगह बहुत सुंदर है। बरसात में यह जगह और भी आकर्षक
हो जाती है। इस डैम का पानी पूरा कोल्हापुर जिले में सप्लाई किया जाता है।
यहां पर छत्रपति शाहू महाराज मेमोरियल भी बनाया गया है, जहां
पर छत्रपति शाहू जी की मूर्ति देखी जा सकती है। डैम का पानी ओवरफ्लो होता है। तब यह
बहुत ही आकर्षक लगता है। यहां पर आकर अच्छा समय बिताया जा सकता है। यह डैम बरसात में
बहुत सुंदर लगता है। जब बांध का पानी ओवरफ्लो होता है। तब इसके गेट ऑटोमेटिक खुल जाते
हैं और पानी ओवरफ्लो होकर बहता है, जिसका दृश्य देखने लायक रहता है। यहां पर आप पिकनिक
मना सकते हैं। यहां पर आपको खाने पीने के लिए शॉप मिल जाती है, जहां पर आप खाना पीना
खा सकते हैं।
गगनगिरी आश्रम कोल्हापुर - Gagangiri Ashram Kolhapur
गगनगिरी आश्रम कोल्हापुर में गगनगढ़ में स्थित है। यह आश्रम
बहुत प्राचीन है और बहुत ही सुंदर बना हुआ है। यहां पर आपको प्राचीन प्रतिमाएं देखने
के लिए मिलती है। यह जगह चारों तरफ से प्राकृतिक वातावरण से घिरी हुई है। यहां पर आकर
बहुत अच्छा लगता है। यहां पर आप आकर प्रकृति के सुंदर नजारे देख सकते हैं और ट्रैकिंग
कर सकते हैं। यहां पर आपको श्री समर्थ रामदास स्वामी जी का मठ देखने के लिए मिलता है।
चक्रेश्वर शिव मंदिर कोल्हापुर - chakreshwar shiv temple kolhapur
चक्रेश्वर शिव मंदिर कोल्हापुर का एक प्रसिद्ध मंदिर है। यह
मंदिर कोल्हापुर में राधानगरी तहसील में चक्रेश्वरवाड़ी गांव में बना हुआ है। यह मंदिर
प्राचीन है। कहा जाता है, कि इस मंदिर का निर्माण पांडवों के द्वारा किया गया था। इस
मंदिर में भगवान शिव के शिवलिंग के दर्शन करने के लिए मिलते हैं। यहां पर और भी बहुत
सारी प्राचीन प्रतिमाएं देखने के लिए मिलती है, जो बहुत पुरानी है और बहुत सुंदर है।
यह मंदिर बहुत सुंदर बना हुआ है। यहां पर गणेश जी महाराज के दर्शन करने के लिए मिलते
हैं। यहां नवग्रह की भी दर्शन करने के लिए मिलते हैं। यहां पर छोटा सा जलकुंड बना हुआ
है, जो चट्टानों को काटकर बनाया गया है। यहां पर महाशिवरात्रि के समय बहुत भीड़ लगती
है। आप यहां पर घूमने के लिए आ सकते हैं और इस जगह को देख सकते हैं।
समांगद का किला कोल्हापुर - Samangad Fort Kolhapur
समांगद का किला कोल्हापुर का एक प्रसिद्ध किला है। यह किला प्राचीन
है। इस किले का निर्माण राजा भोज द्वितीय के द्वारा किया गया था। यह किला बहुत बड़े
एरिया में फैला हुआ है। इस किले का कंस्ट्रक्शन बहुत ही यूनिक तरीके से किया गया है।
यह किला समुद्र तल से 2600 फीट की ऊंचाई पर स्थित है।
इस किले का ज्यादातर भाग खंडहर में बदल गया है। ययह किला एक
बड़ी सी चोटी छोटी पर स्थित है। इस किले के चारों तरफ मोटी मोटी दीवार घेरे हुए हैं।
इस किले में सेनापती प्रतापराव गुर्जर की समाधि
देखने के लिए मिलती है। यहां पर शिव भगवान जी का मंदिर भी देखने के लिए मिलता है। यह
किला चिंचेवाड़ी गांव में स्थित है।
इस किले के पास में आपको भगवान शिव का मंदिर देखने के लिए मिलेगा,
जहां पर बहुत सारे शिवलिंग के दर्शन करने के लिए मिलते हैं। यहां पर हनुमान जी मंदिर
और भीम शापा मंदिर बना हुआ है। आप इन सभी मंदिरों में भी घूम सकते हैं।
न्यू पैलेस कोल्हापुर - New Palace Kolhapur
न्यू पैलेस कोल्हापुर का एक मुख्य आकर्षण स्थल है। यह पैलेस
मुख्य शहर में बना हुआ है। यह पैलेस छत्रपति शाहू जी महाराज का निवास स्थान था। इस
पैलेस को संग्रहालय में बदल दिया गया है। यहां पर बहुत सारी कलाकृतियां एवं हथियारों
का संग्रह देखने के लिए मिलता है। यहां पर छोटा सा चिड़ियाघर भी बना हुआ है, जहां पर
जंगली जानवर देखे जा सकते हैं। यहां पर चित्तीदार हिरण मोर और शुतुरमुर्ग देखने के
लिए मिल जाता है। यहां एंट्री के लिए प्रवेश शुल्क लिया जाता है। इस महल की वास्तुकला
बहुत ही सुंदर है। महल के बाहर बहुत बड़ा बगीचा बना हुआ है। यहां पर आकर शाहू महाराज
जी की हिस्ट्री जान सकते हैं।
छत्रपति शाहू महाराज जी का जन्म स्थान - Birth place of Chhatrapati Shahu Maharaj
छत्रपति शाहू महाराज का जन्म स्थान कोल्हापुर में स्थित है।
यहां पर आपको एक सुंदर सा भवन देखने के लिए मिलता है। इस भवन को बहुत अच्छी तरह से
बनाया गया है। यहां पर आप घूमने के लिए आ सकते हैं और छत्रपति शाहू जी के जन्म स्थान
को देख सकते हैं। यहां पर प्रवेश के लिए शुल्क लिया जाता है। यहां पर गार्डन भी बना
हुआ है। यहां पर म्यूजियम बना हुआ है, जहां पर छत्रपति शाहू महाराज जी के बारे में
बताया गया है। इस जगह को लक्ष्मी विलास पैलेस के नाम से जाना जाता है। यहां पर आपको
बहुत सारी पुरानी वस्तुएं, मूर्तियां देखने के लिए मिलेंगे। यह जगह मुख्य कोल्हापुर
शहर में स्थित है। आप यहां पर आकर घूम सकते हैं।
Please do not enter any spam link in comment box