चित्तौड़गढ़ जिला के दर्शनीय स्थल - Major places to visit near Chittorgarh / चित्तौड़गढ़ के आस पास घूमने वाली प्रमुख जगह
चित्तौड़गढ़ राजस्थान राज्य का मुख्य जिला है। चित्तौड़गढ़ राजस्थान की राजधानी जयपुर से करीब 300 किलोमीटर दूर है। चित्तौड़गढ़ में प्राचीन स्मारक देखने के लिए मिलती है। चित्तौड़गढ़ में गंभीरी और बेड़च नदी बहती है। चित्तौड़गढ़ राजस्थान राज्य में, राजस्थान और मध्य प्रदेश की सीमा में स्थित है। चित्तौड़गढ़ को चित्तौड़ नाम से भी जाना जाता है। चित्तौड़गढ़ में घूमने के लिए बहुत सारी जगह है। चलिए जानते हैं - चित्तौड़गढ़ में घूमने लायक कौन कौन सी जगह है।
चित्तौड़गढ़ में घूमने की जगह - Chittorgarh mein ghumne ki jagah
चित्तौड़गढ़ का किला - Chittorgarh Fort
चित्तौड़गढ़ का किला भारत का सबसे बड़ा किला है। चित्तौड़गढ़ का किला भारत के राजस्थान राज्य के चित्तौड़गढ़ जिले में स्थित है। यह किला एक ऊंची पहाड़ी पर बना हुआ है। यह किला बहुत बड़े क्षेत्र में फैला हुआ है। इस किले में बहुत सारे स्मारक है। चित्तौड़गढ़ किले में बहुत सारे मंदिर, जलाशय, महल, स्तंभ, बगीचे और भी बहुत सारी जगह है, जो देखने लायक है।
चित्तौड़गढ़ किले की सुंदरता एवं भव्यता को देखकर, इसे 2013 में विश्व धरोहर स्थल घोषित किया गया। यह किला 180 मीटर ऊंची पहाड़ी पर स्थित है। यह किला लगभग 700 एकड़ के क्षेत्र में फैला हुआ है। इस किले तक पहुंचने का रास्ता घुमावदार है। रास्ते में बहुत सारे गेट है। इन गेटों से होते हुए आप इस किले तक पहुंच सकते हैं। यह किला राजस्थान के चित्तौड़गढ़ जिले के बेड़च नदी के किनारे बना हुआ है।
चित्तौड़गढ़ किले के बारे में माना जाता है, कि इस किले का निर्माण सातवीं सदी में मौर्य शासक के द्वारा किया गया था। चित्तौड़गढ़ किले में मौर्य शासकों के समय के सिक्के पाए गए हैं। चित्तौड़गढ़ की मौर्य रानी चित्रांगदा मोरी की सिक्कों यहां से पाया गया है। चित्रांगदा मोरी के नाम पर इस किले का नाम चित्तौड़गढ़ पड़ा। यह मेवाड़ की राजधानी थी।
चित्तौड़गढ़ किले में बहुत सारे स्मारक हैं। यह स्मारक चित्तौड़गढ़ किले में बहुत दूर-दूर के क्षेत्र में फैले हुए हैं। इन स्मारकों में आप ऑटो से घूम सकते हैं। यहां पैदल घूमने में थोड़ी कठिनाई हो सकती है। आपको चित्तौड़गढ़ किले में घूमने के लिए बहुत सारा समय लगेगा। चित्तौड़गढ़ किले में घूमने के लिए प्रवेश शुल्क लिया जाता है। चित्तौड़गढ़ किले से, आप चित्तौड़गढ़ जिले की दूर दूर तक का दृश्य देख सकते हैं। यहां पर सनसेट पॉइंट बना हुआ है, जहां से सूर्यास्त का दृश्य देखा जा सकता है। यहां पर आप गाइड कर के किले के बारे में विस्तार पूर्वक जानकारी हासिल कर सकते हैं।
चित्तौड़गढ़ का किला जौहर कुंड के लिए भी जाना जाता है। जोहर की प्रथा राजस्थान में प्राचीन समय से प्रचलित है। यहां पर रानी पद्मिनी के साथ उनकी दसियों और अन्य रानियों ने भी जौहर किया था। चित्तौड़गढ़ किले में प्रवेश के लिए सात प्रवेश द्वार है। इनमें से प्रमुख है - रामपोल, लक्ष्मण पोल, गणेश पोल, जोरला पोल, भैरों पोल, सूर्यपोल है। किले के अंदर जाने के लिए, इन सातों प्रवेश द्वार से होकर जाना पड़ता है।
चित्तौड़गढ़ दुर्ग के दर्शनीय स्थल - Attractions at Chittorgarh Fort
चित्तौड़गढ़ का किला बहुत विशाल है और चित्तौड़गढ़ किले में घूमने के लिए बहुत सारी जगह है। इन सभी जगह के बारे में हम जानेंगे -
फतेह प्रकाश महल चित्तौड़गढ़ - Fateh Prakash Mahal Chittorgarh
फतेहपुर प्रकाश महल चित्तौड़गढ़ किले में घूमने के लिए एक मुख्य जगह है। फतेह प्रकाश एक भव्य महल है। यह महल चित्तौड़गढ़ किले के अंदर बना हुआ है। इस महल का निर्माण महाराणा फतेह प्रकाश सिंह ने करवाया था। फतेह प्रकाश महल चौकोर आकार में बना हुआ है। इसके चारों कोने पर बुर्ज बने हैं और ऊपर गुंबद आकार की छतरी बनी हुई है। इस महल के बीच में एक बड़ा सा आंगन बना हुआ है।
फतेह प्रकाश महल को अब एक संग्रहालय में बदल दिया गया है। यह राजकीय संग्रहालय है। संग्रहालय के खुलने का समय 9:45 से शाम के 4:45 तक रहता है। संग्रहालय में प्रवेश के लिए टिकट लिया जाता है। यहां पर इंडियन टूरिस्ट के लिए 20 रूपए और फॉरेन टूरिस्ट के लिए 100 रूपए लिया जाता है। यह संग्रहालय सोमवार को बंद रहता है।
फतेह प्रकाश महल में आपको बहुत सारी प्राचीन वस्तुएं देखने के लिए मिलती हैं। यह महल राजस्थानी वास्तुकला में बना हुआ है। यह महल दो मंजिला है। इस संग्रहालय में चित्तौड़गढ़ के राजा के बारे में विस्तार पूर्वक जानकारी दी गई है। यहां पर आपको हथियार, तलवारे, धनुष, तीर, बन्दूक, राइफल, राजा रानी के चित्र, राजा रानी की पोशाक, और भी बहुत सारी वस्तुएं देखने के लिए मिलती हैं, जो बहुत ही दिलचस्प होती हैं। यहां पर आपको गणेश जी का बहुत बड़ा स्टेचू देखने के लिए मिल जाता है। आप यहां पर आ कर बहुत सारी जानकारी हासिल कर सकते हैं। यह चित्तौड़गढ़ किले में घूमने लायक एक मुख्य जगह है।
मीरा बाई मंदिर और कुंभा श्याम मंदिर चित्तौड़गढ़ - Mira Bai Temple and Kumbha Shyam Temple Chittorgarh
मीरा बाई मंदिर और कुंभा श्याम मंदिर चित्तौड़गढ़ दुर्ग के अंदर स्थित एक प्रसिद्ध मंदिर है। यह मंदिर मीराबाई को समर्पित है। यहां पर आपको दो मंदिर देखने के लिए मिलते हैं। एक मंदिर मीराबाई को समर्पित है और एक मंदिर कुंभा स्वामी नाम से प्रसिद्ध है। दोनों ही मंदिर सुंदर है। दोनों ही मंदिर बलुआ पत्थर के बने हुए हैं। मंदिर की दीवारों पर सुंदर नक्काशी की गई है। मंदिर की दीवारों में फूल, पत्तियां की नक्काशी बनी हुई है। मंदिर की दीवारों पर आले बने हुए हैं, जिनमें देवी-देवताओं की मूर्तियां बनी हुई है। यहां पर राधा, कृष्ण, बलराम जी की मूर्तियों के दर्शन करने के लिए मिलते हैं। यह दोनों ही मंदिर भगवान विष्णु जी के अवतार को समर्पित है।
मीराबाई मंदिर में भगवान विष्णु जी के कृष्ण अवतार के दर्शन करने के लिए मिलते हैं। यहां पर गर्भ गृह में कृष्ण भगवान जी और मीराबाई की मूर्ति देखने के लिए मिलती है। गर्भ ग्रह का प्रवेश द्वार बहुत सुंदर है। गर्भ ग्रह के प्रवेश द्वार में सुंदर नक्काशी देखने के लिए मिलती है। यहां पर आपको गर्भगृह, मंडप, अंतराल देखने के लिए मिलता है। गर्भगृह का शिखर बहुत सुंदर है।
कुंभा स्वामी का मंदिर मीरा बाई मंदिर के पास ही में बना हुआ है। कुंभा स्वामी का मंदिर भगवान विष्णु के वराह अवतार को समर्पित है। यहां पर मीराबाई के गुरु संत रविदास जी के दर्शन करने के लिए मिलते हैं। यहां पर छोटा सा मंदिर बना हुआ है, जहां पर संत रविदास जी की मूर्ति के दर्शन करने के लिए मिलते हैं। यहां पर गुरुजी के चरण चिन्ह के दर्शन करने के लिए मिलते हैं। यह मंदिर बहुत सुंदर है और चित्तौड़गढ़ दुर्ग में घूमने के लिए मुख्य जगह है। यह मंदिर महाराजा संग्राम सिंह प्रथम के द्वारा बनाया गया था। यह मंदिर मीराबाई के लिए एकांत में भक्ति करने के लिए बनाया गया था।
कुंभा महल चित्तौड़गढ़ - Kumbha Palace Chittorgarh
कुंभा महल चित्तौड़गढ़ दुर्ग में घूमने की एक मुख्य जगह है। यह एक प्राचीन किला है। इस किले का अधिकतर हिस्सा अब खंडहर में तब्दील हो चुका है। मगर इस किले में आकर आप प्राचीन समय में राजा महाराजाओं के रहने वाले आवास को देख सकते हैं। यह महल महाराणा कुंभा ने कई बार परिवर्तन और परिवर्धन किया। महल में प्रवेश के लिए एक बड़ा सा दरवाजा हुआ करता था, जो खुले प्रांगण से होते हुए दरी खाने तक पहुंचा जा सकता था। महल के परिसर में सूरज गोखरा, जनाना महल, कांवर के पड़े महल, दीवान ए आम, मंदिर, घोड़ों का अस्तबल अन्य भवनों के अवशेष देखने के लिए मिलते हैं।
कुंभा महल की दीवारें मजबूत पत्थरों से बनी हुई है। बाहरी दीवार में अनेक प्रकार के अलंकरण देखने के लिए मिलते हैं, जिससे दीवार और भी ज्यादा सुंदर लगती है। यहां पर आप गाइड के साथ आएंगे, तो गाइड आपको बहुत सारी जानकारी देगा। यह राणा कुंभा जी का निवास स्थान हुआ करता था। यहां पर राणा कुंभा जी की जीवन शैली को दर्शाया गया है। यहां पर रात के समय लाइट और साउंड शो होता है, जिसमें बहुत सारी जानकारी दी जाती है। यहां पर मीरा बाई का महल और पन्नाधाय का महल, अनाज रखने का भंडारण देखने के लिए मिल जाता है। यहां पर और भी बहुत सारी आकर्षक स्मारक है।
तुलजा भवानी मंदिर चित्तौड़गढ़ - Tulja Bhavani Temple Chittorgarh
तुलजा भवानी मंदिर चित्तौड़गढ़ का प्रसिद्ध मंदिर है। यह चित्तौड़गढ़ किले के अंदर रामपोल गेट के पास स्थित है। यह मंदिर प्राचीन है। इस मंदिर के गर्भगृह में तुलजा माता के दर्शन करने के लिए मिलते हैं।
सतबीस देवरी चित्तौड़गढ़ - Satbis Deori Chittorgarh
सतबीस देवरी चित्तौड़गढ़ किले में स्थित एक प्रसिद्ध मंदिर है। यह जैन श्वेतांबर मंदिर है। यहां पर 27 मंदिरों का समूह है, जिस कारण इस मंदिर को सतबीस देवरी के नाम से जाना जाता है। यह मंदिर समूह एक परकोटे के अंदर ऊंची जगती पर स्थित है। इस मंदिर का निर्माण 1448 ईस्वी में करवाया गया था। मुख्य मंदिर में गर्भगृह, अंतराल, मंडप, सभा मंडप, एवं मुख्य मंडप देखने मिलता है।
सतबीस देवरी मंदिर की बाहरी दीवारों पर देवी देवताओं एवं अप्सराओं की मूर्तियां देखने के लिए मिलती है, जो बहुत ही सुंदर लगती है। यह मंदिर बहुत ही सुव्यवस्थित तरीके से बना है।
कुकुतेश्वर शिव मंदिर चित्तौड़गढ़ दुर्ग - Kukuteshwar Shiva Temple Chittorgarh Fort
कुकुतेश्वर शिव मंदिर चित्तौड़गढ़ दुर्ग के अंदर स्थित एक सुंदर मंदिर है। यह मंदिर शिव भगवान जी को समर्पित है। यह मंदिर प्राचीन है। यह मंदिर बहुत सुंदर है। मंदिर की बाहरी दीवारों में आकर्षक नक्काशी देखने के लिए मिलती है। यहां पर देवी-देवताओं और अप्सराओं की नक्काशी की गई है। मंदिर का गर्भगृह, अंतराल और मंडप बहुत सुंदर है। मंदिर के गर्भगृह में शिवलिंग विराजमान है। मंदिर के, गर्भगृह के बाहर मंडप में नंदी भगवान जी की प्रतिमा देखने के लिए मिलती है।
कुकुतेश्वर मंदिर के गर्भ गृह का प्रवेश द्वार बहुत ही आकर्षक है और इसमें नक्काशी की गई है। इसमें फूल पत्तियों की नक्काशी देखने के लिए मिलती है। यह मंदिर बहुत ही आकर्षक लगता है। मंदिर की दीवारों में आले बने हुए हैं, जिसमें देवी-देवताओं की मूर्तियां बनी हुई है। मंदिर के पास ही में एक तालाब है, जिसे कुकुतेश्वर तालाब कहते है। आप चित्तौड़गढ़ दुर्ग में इस मंदिर में भी घूम सकते हैं।
राणा रतन सिंह महल चित्तौड़गढ़ दुर्ग - Rana Ratan Singh Palace Chittorgarh Fort
राणा रतन सिंह महल चित्तौड़गढ़ दुर्ग में घूमने के लिए एक मुख्य जगह है। यह महल प्राचीन है। इस महल का निर्माण राणा रतन सिंह द्वितीय ने करवाया था। इस महल को 1528 से 1531 के बीच में बनवाया गया है। इस महल के पास में एक तालाब देखने के लिए मिलता है, जिसे रत्नेश्वर तालाब के नाम से जाना जाता है। यह महल आयताकार है तथा चारों ओर से ऊंची दीवारों से घिरा हुआ है। महल के पूर्व दिशा का मेहराब युक्त मुख्य प्रवेश द्वार है, जिसके दो किनारों पर स्तंभ युक्त छतरियां है।
राणा रतन सिंह महल का प्रांगण चारों ओर से बरामदे, कमरों, देवारियो से सुसज्जित है। दरी खाना पूर्वी भाग में स्थित तालाब की ओर खुलता है। मुख्य प्रवेश द्वार के उत्तर में रत्नेश्वर महादेव का मंदिर है, जिसमें गर्भगृह, अंतराल तथा मंडप है। इस मंदिर में शंकर जी विराजमान है। मंदिर की बाहरी दीवारों में सुंदर अलंकरण देखने के लिए मिलता है। इसमें बहुत सुंदर अलंकरण किया गया है। तालाब के किनारे सीढ़ियां बनाई गई है। चित्तौड़गढ़ दुर्ग में आप यहां पर घूमने के लिए आ सकते हैं। इस महल का अधिकतर भाग खंडहर है। रतन सिंह द्वितीय के द्वारा यह महल बनाया गया था। रतन सिंह द्वितीय 1527 से 1531 तक चित्तौड़गढ़ में राज किया था।
विजय स्तंभ चित्तौड़गढ़ दुर्ग - Victory Pillar Chittorgarh Fort
विजय स्तंभ या विक्ट्री टावर चितौड़गढ़ दुर्ग का एक मुख्य आकर्षण स्थल है। यह चित्तौड़गढ़ दुर्ग के अंदर स्थित है। यह टावर 9 मंजिला है और बहुत खूबसूरत लगता है। इस टावर को हिंदू राजपूत महाराजा राणा कुंभा के द्वारा बनवाया गया था। यह टावर 1448 को बनाया गया था। यह टावर राणा कुंभा के महमूद खिलजी के विजय के बाद बनाया गया था।
विजय स्तंभ हिंदू देवता विष्णु भगवान जी को समर्पित है। टावर की दीवारों में बहुत सारी नक्काशी की गई है। टावर की दीवारों में हिंदू देवी देवताओं और भी बहुत सारी नक्काशी की गई है। टावर एक ऊंचे चबूतरे पर बना हुआ है। टावर के बाहर बहुत बड़ा बगीचा देखने के लिए मिलता है। यह टावर चित्तौड़गढ़ किले के अंदर जोहर वाली जगह के पास में स्थित है।
जौहर स्थल चित्तौड़गढ़ - Jauhar Sthal Chittorgarh
जौहर स्थल चित्तौड़गढ़ दुर्ग के अंदर स्थित एक मुख्य स्थल है। जौहर स्थल में प्राचीन समय में रानी पद्मावती ने जोहर किया था। जौहर का मतलब होता है। अपने आप को आग में समर्पित कर देना। प्राचीन समय में जब अलाउद्दीन खिलजी ने चित्तौड़गढ़ किले को जीत लिया था, तो रानी पद्मावती और उनकी दासी एवं अन्य रानी ने भी यहां पर साथ में मिलकर जौहर किया था। यहां पर हजारों की संख्या में स्त्रियों ने जौहर किया था। अब इस जगह को गार्डन में परिवर्तित कर दिया गया है। यह स्थल विजय स्तंभ के पास ही में स्थित है।
समाधीश्वर महादेव मंदिर चित्तौड़गढ़ दुर्ग - Samadhieshwar Mahadev Temple Chittorgarh Fort
समाधीश्वर महादेव मंदिर चित्तौड़गढ़ दुर्ग के अंदर स्थित एक प्रमुख मंदिर है। यह मंदिर विजय स्तंभ के पास ही में बना हुआ है। यह मंदिर शिव भगवान जी को समर्पित है। इस मंदिर में शिव भगवान जी की त्रिमूर्ति प्रतिमा स्थापित है। भगवान शिव जी की त्रिमूर्ति प्रतिमा बहुत ही आकर्षक लगती है। इस मंदिर का निर्माण 11वीं शताब्दी में परमार शासक भोज के द्वारा किया गया था। मंदिर का पुनर्निर्माण 1485 ईस्वी में मोकल ने करवाया था। इस मंदिर में आपको गर्भगृह, अंतराल, मंडप और मुख मंडप देखने के लिए मिलता है।
इस मंदिर की दीवारों में बहुत ही सुंदर नक्काशी की गई है। इसमें देवी देवताओं और अन्य तरह की नक्काशी की गई है, जो बहुत सुंदर लगती है। मंदिर के आंगन में और भी बहुत छोटे-छोटे प्राचीन मंदिर स्थित है। मंदिर के दक्षिण की तरफ पवित्र गौमुख कुंड देखने के लिए मिलता है। मंदिर के पास में ही गौमुख कुंड के पास जाने के लिए सीढ़ियां बनी हुई है, जहां से आप गौमुख कुंड जा सकते हैं।
गौमुख कुंड चित्तौड़गढ़ दुर्ग - Gaumukh Kund Chittorgarh Fort
गौमुख कुंड चित्तौड़गढ़ दुर्ग में स्थित एक पवित्र जलाशय है। यह जलाशय चित्तौड़गढ़ दुर्ग के अंदर ही स्थित है। चित्तौड़गढ़ की पहाड़ी से शुद्ध पानी 24 घंटे और पुरे साल बहता रहता है। यह पानी बहुत पवित्र है। कुंड में बहुत सारी मछलियां हैं, जिन्हें खाना भी खिलाया जा सकता है। जहां से पानी बहता है। वहां पर गौमाता का मुख बना हुआ है। इसलिए इसे गौमुख कुंड कहा जाता है। यहां पर शंकर जी और लक्ष्मी माता की प्रतिमा विराजमान है। यह पानी शुद्ध एवं पवित्र है। आप यहां पर आकर समय बिता सकते हैं। यह जगह फोटो लेने के लिए भी बहुत अच्छी है।
बाण माताजी और श्री अन्नपूर्णा माताजी का मंदिर चित्तौड़गढ़ दुर्ग - Baan Mataji and Shri Annapurna Mataji Temple Chittorgarh Fort
बाण माता जी और श्री अन्नपूर्णा माताजी का मंदिर चित्तौड़गढ़ दुर्ग में स्थित एक प्रसिद्ध मंदिर है। यह दोनों मंदिर प्राचीन है। यह दोनों मंदिर बलुआ पत्थर के बने हुए हैं। इन दोनों मंदिर की बाहरी दीवारों में सुंदर नक्काशी की गई है। आप यहां पर बाण माता जी और अन्नपूर्णा देवी जी के दर्शन कर सकते हैं। यह मंदिर विजय स्तंभ के करीब है। आप यहां आराम से घूमने के लिए आ सकते हैं।
कालिका माता मंदिर चित्तौड़गढ़ दुर्ग - Kalika Mata Temple Chittorgarh Fort
कालिका माता मंदिर चित्तौड़गढ़ दुर्ग का एक प्रसिद्ध मंदिर है। यह मंदिर प्राचीन है। यह मंदिर आठवीं शताब्दी में बनाया गया था। प्रारंभ में यह सूर्य मंदिर के नाम से जाना जाता था। मगर बाद में, यह मंदिर कालिका मंदिर हो गया। कालिका माता मेवाड़ राजवंश की कुलदेवी थे। यहां पर बहुत सारे लोग कालिका माता के दर्शन करने के लिए आते हैं। नवरात्रि में यहां पर बहुत ज्यादा भीड़ लगती है। कालिका माता के मंदिर की दीवारों एवं पिलर में सुंदर नक्काशी की गई है, जो देखने लायक है। यहां पर आपको शिवलिंग के दर्शन भी करने के लिए मिलते हैं।
भीमलत कुंड चित्तौड़गढ़ दुर्ग - Bhimlat Kund Chittorgarh Fort
भीमलत कुंड चित्तौड़गढ़ दुर्ग के अंदर स्थित एक मुख्य आकर्षण स्थल है। भीमलत कुंड मानव निर्मित झील है। इस झील के बारे में कहा जाता है, कि यहां पर पांडवों के भाई भीम ने अपने पैरों से मार कर जमीन से पानी निकाला था। यहां पर एक बड़ा सा कुंड बना हुआ है और यहां पर शिव भगवान जी का मंदिर भी देखने के लिए मिलता है, जो बहुत सुंदर है और पूरा पत्थर से बना हुआ है। कुंड बहुत सुंदर है और प्राकृतिक है। यहां पर आकर अच्छा समय बिताया जा सकता है। यह एक पॉपुलर पिकनिक स्पॉट है। भीमलत कुंड के किनारे सीढ़ियां में बनी हुई है, जहां पर आप बैठकर अच्छा समय बिता सकते हैं। वर्षा के समय कुंड का जल स्तर बढ़ जाता है।
फतेश्वर महादेव मंदिर चित्तौड़गढ़ दुर्ग - Fateshwar Mahadev Temple Chittorgarh Fort
फतेश्वर महादेव मंदिर चित्तौड़गढ़ दुर्ग का एक मुख्य मंदिर है। यह मंदिर शिव भगवान जी को समर्पित है। यह मंदिर चित्तौड़गढ़ दुर्ग में भीमलत कुंड के पास में ही स्थित है। यह मंदिर पूरा पत्थर से बना हुआ है और बहुत सुंदर लगता है। मंदिर के बाहर आपको सूरजकुंड देखने के लिए मिलता है और एक बड़ा सा तालाब भी यहां पर बना हुआ है।
कीर्ति स्तंभ चित्तौड़गढ़ दुर्ग - Kirti Stambh Chittorgarh Fort
कीर्ति स्तंभ चित्तौड़गढ़ दुर्ग में स्थित एक मुख्य पर्यटक स्थल है। कीर्ति स्तंभ एक मुख्य टावर है। यह टावर चित्तौड़गढ़ दुर्ग में सूरजपोल गेट के पास बना हुआ है। यह टावर चित्तौड़गढ़ दुर्ग के पूर्वी भाग में स्थित है। यह टावर मुख्य रूप से जैन तीर्थंकर आदिनाथ जी को समर्पित है। इस भव्य स्तंभ का निर्माण बघेरवाल संप्रदाय के श्रेष्ठ जीजा एवं पुण्यसिंह ने करवाया था। इस टावर का निर्माण 1321 में करवाया गया था।
कीर्ति स्तंभ 24.5 मीटर ऊंचा है और 6 मंजिला है। यह टावर ऊंचे चबूतरे के ऊपर बना हुआ है। इस स्तंभ की ऊपरी मंजिल तक पहुंचने के लिए, अंदर से सीढ़ियां बनी हुई है। टावर की बाहरी दीवारों पर जैन तीर्थकारों की मूर्तियां बनाई गई है और भी बहुत सारी मूर्तियों से टावर को अलंकृत किया गया है। कीर्ति स्तंभ की सुंदरता देखने योग्य है। कीर्ति स्तंभ दूर से ही देखने के लिए मिल जाता है।
महारानी पद्मिनी महल चित्तौड़गढ़ दुर्ग - Maharani Padmini Palace Chittorgarh Fort
महारानी पद्मिनी महल चित्तौड़गढ़ दुर्ग का एक प्रसिद्ध महल है। महारानी पद्मिनी बहुत सुंदर, परिशुध्द, चतुर एवं पराक्रमी थी। महारानी पद्मिनी राणा रतन सिंह की पत्नी थी। महारानी पद्मिनी का महल चित्तौड़गढ़ दुर्ग में मुख्य भवन में से एक है। महारानी पद्मिनी को पद्मावती के नाम से भी जाना जाता था। महारानी पद्मिनी का महल तालाब के उत्तरी तट पर स्थित है। तालाब के मध्य में मेहराब युक्त प्रवेश द्वार के साथ तीन मंजिला भवन है, जिसे जल महल के नाम से भी जाना जाता है। महल का मुख्य द्वार पश्चिम की ओर है, जिसका आंगन छोटे कमरे की सीधी पंक्तियों से घिरा हुआ है।
महारानी पद्मिनी महल में आपको गार्डन देखने के लिए मिलता है, जो बहुत सुंदर है और आप चित्तौड़गढ़ दुर्ग की यात्रा में महारानी पद्मिनी महल में घूमने के लिए आ सकते हैं। महारानी पद्मिनी महल चित्तौड़गढ़ दुर्ग में कालिका माता मंदिर के आगे बना हुआ है।
गोरा बादल महल चित्तौड़गढ़ दुर्ग - Gora Badal Mahal Chittorgarh Fort
गोरा बादल महल चित्तौड़गढ़ दुर्ग का एक मुख्य महल है। गोरा और बादल महान योद्धा थे। दोनों ने चित्तौड़गढ़ दुर्ग की रक्षा करते हुए, अपने प्राणों की आहुति दी थी। अलाउदीन खिलजी से लड़ते हुए दोनों ने वीरगति प्राप्त करी थी। आप चित्तौड़गढ़ दुर्ग को घूमते हुए इन दोनों वीर सैनिकों की कहानी भी जान सकते हैं। गोरा बादल पैलेस महारानी पद्मिनी महल के पास ही में बना हुआ है।
नीलकंठ महादेव मंदिर चित्तौड़गढ़ दुर्ग - Neelkanth Mahadev Temple Chittorgarh Fort
नीलकंठ महादेव मंदिर चित्तौड़गढ़ में चित्तौड़गढ़ दुर्ग में स्थित एक प्रसिद्ध मंदिर है। नीलकंठ महादेव मंदिर चित्तौड़गढ़ दुर्ग में सूरजपोल और कीर्ति स्तंभ के पास में स्थित है। यह मंदिर प्राचीन है। यह मंदिर शिव भगवान जी को समर्पित है। यह मंदिर पूरा पत्थरों से बना हुआ है। मंदिर के अंदर गर्भ गृह में शिवलिंग के दर्शन करने के लिए मिलते हैं। यह शिव लिंग बहुत बड़ा है। मंदिर की बाहरी दीवारों में सुंदर नक्काशी देखने के लिए मिलती है। आप चित्तौड़गढ़ दुर्ग घूमने के लिए आते हैं, तो इस मंदिर में भी घूमने के लिए आ सकते हैं। आपको अच्छा अनुभव मिलेगा। आप यहां पर सूरजपोल गेट को भी देख सकते हैं।
अद्भुत नाथ मंदिर चित्तौड़गढ़ दुर्ग - Adbhut nath mandir chittorgarh durg
अद्भुत नाथ मंदिर चित्तौड़गढ़ दुर्ग का प्राचीन मंदिर है। इस मंदिर में शिव भगवान जी के दर्शन करने के लिए मिलते हैं। यह मंदिर बहुत सुंदर है। मंदिर की दीवारों में नक्काशी देखने के लिए मिलती है, जो आकर्षण का केंद्र है। मंदिर में शिव भगवान जी की बहुत ही आकर्षक प्रतिमा देखने के लिए मिलती है।
चित्तौड़गढ़ दुर्ग में घूमने वाली अन्य जगह - Other places to visit in Chittorgarh Fort
गणेश मंदिर चित्तौड़गढ़ दुर्ग
महालक्ष्मी मंदिर चित्तौड़गढ़ दुर्ग
वैद्यनाथ महादेव मंदिर चित्तौड़गढ़ दुर्ग
नगीना बाजार चित्तौड़गढ़ दुर्ग
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भामाशाह हवेली चित्तौड़गढ़ दुर्ग
विष्णु लक्ष्मी जी का मंदिर चित्तौड़गढ़ दुर्ग
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श्री शांतिनाथ महावीर स्वामी जी का मंदिर चित्तौड़गढ़ दुर्ग
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प्राचीन नागचंद्रेश्वर महादेव मंदिर चित्तौड़गढ़ दुर्ग
मृगवन पार्क चित्तौड़गढ़ - Mrigavan Park Chittorgarh
मृगवन पार्क चित्तौड़गढ़ में घूमने लायक एक मुख्य जगह है। यह पार्क चित्तौड़गढ़ दुर्ग में स्थित है। इस पार्क में आपको बहुत सारे जंगली जानवर देखने के लिए मिल सकते हैं। इस पार्क में मुख्य आकर्षण का केंद्र हिरन है। यहां पर हिरण की संख्या बहुत ज्यादा है और आपको यहां पर हर जगह हिरण देखने के लिए मिल जाते हैं। यहां पर हिरण के अलावा भी और भी बहुत सारे जानवर हैं, जो बहुत सुंदर लगते हैं।
मृगवन में, आपको चौसिंगा, सांभर, चित्तीदार हिरण, बन्दर, पाइथन, ब्राउन आउल, मोर, नीलकंठ पक्षी देखने के लिए मिल जाते हैं। यहां जंगल का सुंदर दृश्य देखने के लिए मिलता है। आप यहां पर आ कर इंजॉय कर सकते हैं।
संगम महादेव मंदिर चित्तौड़गढ़ - Sangam Mahadev Temple Chittorgarh
संगम महादेव मंदिर चित्तौड़गढ़ जिले का धार्मिक स्थल है। यहां पर आपको प्राकृतिक सुंदरता देखने के लिए मिलती है, क्योंकि यहां पर दो नदियों का संगम हुआ है। दो नदियों के संगम होने के कारण है। इसे संगम महादेव मंदिर के नाम से जाना जाता है। यहां पर बेड़च और गंभीरी नदी का संगम हुआ है। संगम स्थल बहुत सुंदर है।
संगम स्थल के पास शंकर जी का प्राचीन मंदिर देखने के लिए मिलता है। मंदिर के गर्भ गृह में शंकर जी का शिवलिंग विराजमान है। यह मंदिर बहुत पुराना है। इस मंदिर के बारे में, कहा जाता है, कि यहां पर कालसर्प दोष की पूजा करवाई जाती है। यहां पर आकर अच्छा लगता है और अच्छा समय यहां पर बिताया जा सकता है। मंदिर की बाहरी दीवारों में सुंदर नक्काशी देखने के लिए मिल जाती है।
नाकोड़ा भैरव चित्तौड़गढ़ - Nakoda Bhairav Chittorgarh
नाकोड़ा भैरव चित्तौड़गढ़ में स्थित एक प्रमुख धार्मिक स्थल है। यह मंदिर चित्तौड़गढ़ दुर्ग जाने वाले रोड में स्थित है। यह मंदिर बहुत सुंदर है। मंदिर के गर्भ गृह में, भैरव जी के दर्शन करने के लिए मिलते हैं। यह जैन मंदिर भी है। आप यहां पर आकर घूम सकते हैं।
ऋषि मंगरी का शिव मंदिर चित्तौड़गढ़ - Rishi Mangri Shiva Temple Chittorgarh
ऋषि मंगरी शिव मंदिर चित्तौड़गढ़ का एक प्रसिद्ध मंदिर है। यह मंदिर प्राचीन है। यहां पर शिवलिंग के दर्शन करने के लिए मिलते हैं। यह मंदिर चित्तौड़गढ़ में पारोली गांव में स्थित है। यहां पर नवरात्रि के समय मेला लगता है। बहुत सारे भक्त यहां पर घूमने के लिए आते हैं। यहां पर आकर बहुत अच्छा लगता है। यहां पर गौशाला भी बनी हुई है, जहां पर गायों की सेवा की जाती है। यहां पर चारों तरफ पहाड़ियों का सुंदर दृश्य देखने के लिए बनता है। आप यहां पर घूमने के लिए आ सकते हैं।
झांतला माता मंदिर चित्तौड़गढ़ - Jhantla Mata Temple Chittorgarh
झांतला माता मंदिर चित्तौड़गढ़ का एक प्रसिद्ध मंदिर है। इस मंदिर के बारे में कहा जाता है, कि इस मंदिर में आकर जो कोई भी माता के दर्शन करता है। उनके सभी प्रकार के रोग दूर होते हैं। यहां पर सभी प्रकार के शारीरिक रोग एवं भूत प्रेत से ग्रसित लोगों का इलाज होता है। यहां पर पहले बलि देने की प्रथा थी। मगर अब वह नहीं है। यह मंदिर चित्तौड़गढ़ में पांडोली गांव के पास में स्थित है। यहां पर आकर अच्छा लगता है।
नवरात्रि में इस मंदिर में बहुत बड़ा मेला लगता है। यह मेला 9 दिन तक लगा रहता है। इस मेले में दूर-दूर से लोग घूमने के लिए आते हैं। झांतला माता की कृपा से बहुत सारे लोगों को फायदा पहुंचता है, जिससे श्रद्धालु यहां पर दूर-दूर से आते हैं। गर्भगृह में झांतला माता की बहुत ही सुंदर प्रतिमा के दर्शन करने के लिए मिलते हैं। यह मंदिर प्राचीन है। मंदिर का गर्भगृह बहुत सुंदर है। पूरा गर्भगृह कांच से सजा हुआ है।
श्री सांवलिया जी प्राकट्य स्थल मंदिर चित्तौड़गढ़ - Shri Sanwaliya Ji Prakatya Sthal Temple Chittorgarh
श्री सांवलिया जी प्राकट्य मंदिर चित्तौड़गढ़ के पास घूमने के लिए एक मुख्य स्थान है। यह धार्मिक स्थल है। इस जगह के बारे में कहा जाता है, कि यहां पर सांवलिया जी प्रकट हुए थे। यहां पर बहुत सुंदर और बहुत बड़ा मंदिर बना हुआ है। पूरा मंदिर लाल बलुआ पत्थर से बना हुआ है और पूरे मंदिर में नक्काशी की गई है। मंदिर के अंदर गर्भ गृह में कांच का सुंदर काम देखने के लिए मिलता है और यहां पर श्री कृष्ण जी, हनुमान जी और भी बहुत सारे देवी देवता की सुंदर सुंदर तस्वीरें देखने के लिए मिलती है। श्री सांवरिया सेठ जी, भगवान विष्णु के ही एक रूप है।
यहां पर मंदिर की छत एवं दीवारों पर श्री कृष्ण की बाल लीलाएं एवं महाभारत से संबंधित बहुत सारे चित्र देखने के लिए मिलते हैं, जो बहुत ही सुंदर लगते हैं। मंदिर के बाहर एक बहुत बड़ा गार्डन देखने के लिए मिलता है, जहां पर बैठकर यहां की शांति का अनुभव किया जा सकता है। रात के समय मंदिर की सुंदरता और भी अधिक बढ़ जाती है, क्योंकि रात के समय रंगीन लाइट जलाई जाती है, जो बहुत सुंदर लगती है। मंदिर की दीवारों और छतों में सुंदर सुंदर पेंटिंग देखने के लिए मिलती है।
श्री सांवलिया जी प्राकट्य स्थल मंदिर चित्तौड़गढ़ के पास भादसोड़ा में स्थित है। यह मंदिर चित्तौड़गढ़ उदयपुर नेशनल हाईवे रोड में स्थित है। यह चित्तौड़गढ़ से करीब 44 किलोमीटर दूर है। यहां पर बहुत सारी धर्मशालाएं हैं, जहां पर आकर भक्त लोग रुक सकते हैं। यहां पर आकर बहुत अच्छा लगता है और मन को शांति मिलती है।
अंबा माता मंदिर चित्तौड़गढ़ - Amba Mata Temple Chittorgarh
अंबा माता मंदिर चित्तौड़गढ़ में स्थित एक प्रमुख मंदिर है। यह मंदिर निंबाहेड़ा में स्थित है। यह मंदिर बहुत प्रसिद्ध है। यह मंदिर एक ऊंची पहाड़ी पर बना हुआ है। मंदिर में जाने के लिए सीढ़ियां बनी हुई है। मंदिर के गर्भ गृह में अंबा माता की बहुत सुंदर मूर्ति देखने के लिए मिलती है। मंदिर के बाहर बहुत बड़ा गार्डन बना हुआ है, जहां पर लोग आराम से बैठकर शांति से समय बिता सकते हैं।
यहां पर बच्चे के खेलने के लिए झूले भी लगाए गए हैं। अंबा माता मंदिर के सामने संकट मोचन हनुमान जी का मंदिर बना हुआ है। मंदिर में पार्किंग के लिए भी जगह है। आप मंदिर में आकर अपना अच्छा समय बिता सकते हैं।
गंभीरी बांध चित्तौड़गढ़ - Gambhiri Dam Chittorgarh
गंभीरी बांध चित्तौड़गढ़ में घूमने वाली मुख्य जगह है। गंभीरी बांध चित्तौड़गढ़ में निंबाहेड़ा में स्थित है। यह बांध गंभीरी नदी पर बना हुआ है। यह बांध बहुत बड़े क्षेत्र में फैला हुआ है। यहां पर आपको प्राकृतिक दृश्य देखने के लिए मिलता है। यह बांध बरसात में जब पूरी तरह पानी से भर जाता है, तो यह बहुत सुंदर लगता है। आप यहां पर आकर अपना अच्छा समय बिता सकते है। यह चित्तौड़गढ़ का मुख्य पिकनिक स्पॉट है।
बाड़ी मानसरोवर बांध चित्तौड़गढ़ - Bari Mansarovar Dam Chittorgarh
बाड़ी मानसरोवर बांध चित्तौड़गढ़ का एक प्रमुख पर्यटन स्थल है। बाड़ी मानसरोवर बांध एक बहुत बड़ा बांध है। यह बांध चारों तरफ से पहाड़ियों से घिरा हुआ है। इस बांध से आप दूर दूर तक के सुंदर दृश्य देख सकते हैं। बांध के पास में ही शिव भगवान जी का मंदिर बना हुआ है। यहां पर आकर आप अच्छा समय बिता सकते हैं। बरसात के समय यहां पर आकर अच्छा लगता है।
धनेश्वर महादेव मंदिर चित्तौड़गढ़ - Dhaneshwar Mahadev Temple Chittorgarh
धनेश्वर महादेव मंदिर चित्तौड़गढ़ का एक प्रमुख टूरिस्ट स्पॉट है। धनेश्वर महादेव मंदिर चित्तौड़गढ़ में अमरपुरा गांव में स्थित है। यह मंदिर जंगल के बीच में बना हुआ है। यहां पर पहाड़ों का सुंदर दृश्य देखने के लिए मिलता है। यह मंदिर प्राचीन है। कहा जाता है, कि यह मंदिर 2000 साल पुराना है। इस मंदिर की स्थापना धन के देवता कुबेर के द्वारा की गई थी। इसलिए इसे धनेश्वर मंदिर कहा जाता है। इस मंदिर में शिव भगवान जी के दर्शन करने के लिए मिलते हैं। यहां पर मुख्य मंदिर के गर्भगृह में शिवलिंग विराजमान है। यहां पर आपको प्राकृतिक सुंदरता देखने के लिए मिलती है। यहां पर 3 कुंड बने हुए हैं, जिनमें पानी भरा रहता है।
धनेश्वर महादेव मंदिर के पास में एक जलाशय देखने के लिए मिलता है, जो बहुत बड़ा और सुंदर है। मंदिर में आकर अच्छा समय बिताया जा सकता है। यहां पर महाशिवरात्रि और सावन सोमवार के समय बहुत बड़ा मेला लगता है। बहुत सारे भक्त यहां पर घूमने के लिए आते हैं। यह मंदिर बहुत अच्छी तरह से बना हुआ है। आप यहां पर आकर अच्छा अनुभव कर सकते हैं।
श्री भदेसरिया भैरूनाथ मंदिर चित्तौड़गढ़ - Shri Bhadesaria Bherunath Temple Chittorgarh
श्री भदेसरिया भैरूनाथ मंदिर चित्तौड़गढ़ का एक प्रसिद्ध मंदिर है। यह मंदिर चित्तौड़गढ़ जिले में भदेसर गांव में स्थित है। यह मंदिर भैरव बाबा को समर्पित है। इस मंदिर के गर्भ गृह में भैरव बाबा जी की बहुत सुंदर प्रतिमा देखने के लिए मिलती है। यह मंदिर बहुत प्रसिद्ध है। इस मंदिर में दूर-दूर से लोग भैरव बाबा जी के दर्शन करने के लिए आते हैं। इस मंदिर के पास में एक तालाब भी बना हुआ है। यहां आकर अच्छा लगता है।
घोसुंडा बांध चित्तौड़गढ़ - Ghosunda Dam Chittorgarh
घोसुंडा बांध चित्तौड़गढ़ में स्थित एक मुख्य आकर्षण स्थल है। यह बांध चित्तौड़गढ़ मुख्य शहर से थोड़ी दूरी पर बेड़च नदी पर बना हुआ है। यह बांध बहुत बड़े क्षेत्र में फैला हुआ है। इस बांध का दृश्य देखने लायक रहता है। आप यहां बरसात के समय आ सकते हैं। बरसात के समय यह बांध ओवरफ्लो होकर बहता है, जो बहुत आकर्षक लगता है। यहां पर पिकनिक मनाने के लिए आया जा सकता है।
मातृकुंडिया चित्तौड़गढ़ - Matrukundia Chittorgarh
मातृकुंडिया चित्तौड़गढ़ का एक धार्मिक स्थल है। यह एक पवित्र तीर्थ स्थल है। इसे मेवाड़ का हरिद्वार कहा जाता है। मेवाड़ का हरिद्वार मातृकुंडिया चित्तौड़गढ़ के रश्मी तहसील के मातृकुंडिया में स्थित है। यहां पर आपको एक विशाल तालाब देखने के लिए मिलता है। इस तालाब में कमल के फूल लगे हुए हैं। कहा जाता है, कि इस तालाब जो व्यक्ति स्नान करता है। वह पाप से मुक्त हो जाता है। जो भी पाप किए रहते हैं, उन से मुक्ति मिलती है। यहां पर तालाब में अस्थियों को विसर्जित किया जाता है, कहा जाता है, कि यहां पर परशुराम जी को अपने पाप से मुक्ति मिली थी। यह जगह बहुत सुंदर है।
मातृकुंडिया में शंकर जी का मंदिर भी बना हुआ है। इस मंदिर को मंगलेश्वर महादेव मंदिर के नाम से जाना जाता है। यह शंकर जी का प्राचीन मंदिर है और बहुत सुंदर है। यहां पर आकर शंकर जी के दर्शन करके बहुत अच्छा लगता है और शांति मिलती है। सावन सोमवार में यहां पर बहुत ज्यादा भीड़ रहती है। यहां पर लक्ष्मण झूला बना हुआ है, जो बहुत अच्छा लगता है। इस तालाब में आपको बहुत सारी मछलियां देखने के लिए मिलती है। यहां पर और भी बहुत सारे मंदिर बने हुए हैं, जिन्हें आप घूम सकते हैं। इस जगह में खाने पीने के लिए बहुत सारी दुकान है, जहां पर आपको खाने पीने का अच्छा सामान मिल जाता है।
मातृकुंडिया बांध चित्तौड़गढ़ - Matrukundia Dam Chittorgarh
मातृकुंडिया बांध चित्तौड़गढ़ में स्थित एक प्रमुख दर्शनीय स्थल है। मातृकुंडिया बांध चित्तौड़गढ़ में, मातृकुंडिया नाम की जगह पर स्थित है। यह बांध बनास नदी पर बना हुआ है। इस बांध में 52 गेट बने हुए हैं। जब बांध में पानी पूरी तरह भर जाता है और बांध का पानी ओवरफ्लो होकर बहता है। तब यह बांध देखने लायक रहता है। आप यहां बरसात के समय घूमने के लिए आ सकते हैं। यह पिकनिक मनाने के लिए एक अच्छी जगह है।
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