कुंवर चैन सिंह की छतरी और हनुमान फाटक सीहोर Kunwar Chain Singh ki Chhatri aur Hanuman Phatak Sehore
कुंवर चैन सिंह की छतरी सीहोर जिले का एक ऐतिहासिक स्थल है। कुंवर चैन सिंह नरसिंहगढ़ रियासत के राजकुमार थे। वह नरसिंहगढ़ रियासत में शासन किया करते थे। उन्होंने अंग्रेजों के खिलाफ लड़ाई लड़ी थी और शहीद हुए थे। कुंवर चैन सिंह ने अंग्रेजों से 1924 में ससस्त्र लड़ाई लड़ी थी। यह लड़ाई 1857 में भारतीय स्वतंत्रता संग्राम से पहले की लड़ाई है। इस लड़ाई के बारे में ज्यादा लोगों को पता नहीं है। मगर यह लड़ाई अंग्रेजों के खिलाफ लड़ी गई सबसे पहली लड़ाई है। जिसमें कुंवर चैन सिंह और उनके साथी हार गए थे और शहीद हो गए। उनकी याद में यहां पर समाधि बनाई गई है। यहां पर, जो भी लोग आते हैं। वह समाधि के दर्शन करते हैं। यहां पर सुंदर छतरी देखने के लिए मिलती है और मजार देखने के लिए मिलती है। कुंवर चैन सिंह की छतरी गांव के अंदर बनी हैं और हम लोगों को यहां पर आने का मौका मिला और हम लोग यहां पर आकर, कुंवर चैन सिंह की छतरी घूमे।
हमारी यात्रा में, हम लोग इंदौर से भोपाल के लिए यात्रा कर रहे थे। इंदौर से भोपाल का रास्ता बहुत ही अच्छा है। बहुत अच्छी सड़क है और हम लोगों को बहुत मजा आया। हम लोगों को देवास के पास में पवन चक्की देखने के लिए मिली, जो बहुत ही सुंदर लग रही थी। यह पवनचक्की पहाड़ पर बनी हुई थी। हम लोग देवास के मंदिर घूमने के बाद, भोपाल के लिए निकले और हम लोगों को रास्ते में ताजे अमरूद और सीताफल भी खाने के लिए मिले, जो बहुत ही ज्यादा स्वादिष्ट थे।
हम लोग सीहोर पहुंचे। सीहोर में, हम लोगों को चिंतामन गणेश मंदिर जाना था। मगर उससे पहले हम लोग कुंवर चैन सिंह की छतरी घूमने के लिए गए। कुंवर चैन सिंह नरसिंहगढ़ रियासत के राजा थे। हम लोग गांव से होते हुए इस छतरी में पहुंचे। यहां पर जाने के लिए, जो रास्ता है। वह बहुत ही सकरा है और यहां पर कार से नहीं पहुंचा जा सकता है। बाइक से इस जगह पर आराम से जाया जा सकता है। हम लोग की स्कूटी थी, तो हम लोग स्कूटी से इस जगह पहुंच गए थे।
कुंवर चैन सिंह की छतरी गांव के पास बनी हुई है। छतरी के आसपास घर बने हुए हैं और कुछ कृषि भूमि भी है। छतरी के आसपास पेड़ पौधे लगे हुए थे। छतरी का, जो गेट था। गेट के पास कुछ लोग बैठे हुए थे। हम लोगों ने उनसे पूछा, कि हम लोग छतरी घूमने के लिए जा सकते हैं और उन लोगों ने कहा - कि आप जा सकते हैं और हम लोग गेट खोलकर छतरी घूमने के लिए गए। यहां पर सबसे पहले हम लोगों को मजार देखने के लिए मिली। यहां पर दो मजारे बनी हुई थी और यह मजारे कुंवर चैन सिंह के साथी की बनी हुई है। मजार देखने के बाद, हम लोग आगे बढ़े। यहां पर फूलों वाले पौधे लगाए गए हैं और छतरी के चारों तरफ पेड़ पौधे लगे हुए हैं।
फिर हमें कुंवर चैन सिंह की छतरी देखने के लिए मिली। छतरी बहुत ही सुंदर तरीके से बनी हुई है और एक ऊंचे से मंडप में चैन सिंह की छतरी बनी हुई है। कुंवर चैन सिंह की छतरी का गेट बंद था, तो हम लोग छतरी के अंदर नहीं गए। हम लोग बाहर ही छतरी को देख रहे थे, तो यहां पर, जो देखरेख करने वाले हैं। उन लोगों ने हम लोगों से बोला - कि आप लोग गेट खोल कर अंदर चले जाइए और दर्शन कर लीजिए। हम लोग गेट खोल कर अंदर गए और दर्शन किए। यहां पर कुंवर चैन सिंह की फोटो रखी गई है और हम लोग दर्शन करके बाहर आए। छतरी का डिजाइन बहुत ही सुंदर है और छतरी को राजपूत वास्तुकला में बनाया गया है। यहां का जो माहौल है। वह अच्छा था और शांत थी। यह आस पास घर है, तो जिस तरह से ऐतिहासिक पर्यटन स्थल रहते हैं। उस तरह का यहां पर माहौल देखने के लिए नहीं मिला। हम लोग यहां पर ज्यादा देर नहीं रुके। हम लोग छतरी देखें और उसके बाद हम लोग बाहर आ गए।
कुंवर चैन सिंह की छतरी से बाहर आकर, हम लोग चिंतामन गणेश मंदिर की तरफ आगे बढ़े। हम लोगों ने यहां पर लोगों से रास्ता पूछा - चिंतामन गणेश मंदिर में जाने का। लोगों ने हम लोगों को रास्ता बताया और हम लोग उस रास्ते की तरफ चल दिए। रास्ते में हम लोगों को हनुमान फाटक मंदिर की तरफ जाने वाला रास्ता देखने के लिए मिला, तो हम लोगों ने सोचा कि यहां पर भी दर्शन कर लिया जाए। तो हम लोग हनुमान फाटक मंदिर की तरफ चल दिए।
हनुमान फाटक मंदिर प्राचीन मंदिर है। यह मंदिर सिवाना नदी के किनारे बना हुआ है। यहां पर आकर बहुत ही अच्छा लगता है। यहां का दृश्य बहुत ही शानदार है। इस मंदिर में हनुमान जी की बहुत ही अद्भुत प्रतिमा के दर्शन करने के लिए मिलते हैं। हम लोग यहां पर गए, तो हम लोग को सबसे पहले सिवाना नदी देखने के लिए मिली। यहां पर नदी में पुल बना हुआ है और यहां पर छोटा सा स्टॉप डैम भी बना हुआ है, जिससे पानी बहता रहता है। वैसे नदी का पानी उतना अच्छा नहीं था, गंदा था। मगर यहां पर शाम के समय आकर सूर्यास्त का दृश्य देखना बहुत ही अच्छा लगता है।
हम लोग यहां पर शाम के समय ही गए थे। हम लोग मंदिर के पास गए। बाहर अपनी गाड़ी खड़ी किया और हम लोग हनुमान जी के दर्शन करने के लिए गए। यहां पर हनुमान जी की, जो मूर्ति है। बहुत ही सुंदर और अद्भुत है। यहां पर हनुमान जी की बहुत बड़ी मूर्ति है। यह मंदिर पेशवा कालीन है और यहां पर पूरा मंदिर सिंदूरी रंग से पेंट किया गया है, जिससे यह मंदिर बहुत ही अलग लगता है। यहां पर बहुत सारे भक्त हनुमान जी के दर्शन करने के लिए आए थे। यहां पर श्री राम जी, माता सीता जी और लक्ष्मण जी की प्रतिमा भी विराजमान है। उनके भी दर्शन किए जा सकते हैं।
हनुमान फाटक मंदिर का गर्भग्रह बहुत ही सुंदर है। यह पूरा गर्भ ग्रह रंग-बिरंगे कांच से सजाया गया है। इसमें अलग-अलग आकृतियां देखने के लिए मिलती है। यहां पर कलश और हनुमान जी की बहुत सारी तस्वीरें देखने के लिए मिलती है। हनुमान जी की, जो मूर्ति है। उनके सर पर चांदी का मुकुट है। यहां पर एक खूब सुंदर झूमर भी लगाया गया है। हनुमान जी की एक बड़ी सी गदा भी देखने के लिए मिलती है। उत्सव के समय हनुमान जी को अलग-अलग श्रृंगार कराया जाता है, जिससे हनुमान जी की प्रतिमा और भी ज्यादा खूबसूरत लगती है। यहां पर हनुमान जयंती के समय बहुत ज्यादा भीड़ रहती है। बहुत सारे लोग यहां पर हनुमान जी के दर्शन करने के लिए आते हैं। हम लोग हनुमान जी के दर्शन किए और बाहर आए और यहां पर सिवान नदी का दृश्य देखने लगे।
हनुमान फाटक मंदिर के पास में और भी मंदिर बने हुए हैं। यहां पर गणेश जी, शिव जी, काली जी, शीतला माता जी के मंदिर बने हुए हैं। यह सभी मंदिर सिंदूरी रंग से पेंट किए गए हैं, जिससे यह बहुत ही सुंदर लगते हैं। यहां पर एक पीपल का बड़ा सा पेड़ भी है। यहां पर समय बिताना बहुत अच्छा लगता है और यहां पर आकर शांति से बैठ कर बहुत अच्छा समय बिताया जा सकता है। बरसात के समय सिवाना नदी पर बहुत तेज बाढ़ आ जाती है, जिससे यहां पर, जो पुल बना है। वह पूरी तरह डूब जाता है। यहां पर लोग नहाते भी देखने के लिए मिल जाते हैं। लोग यहां पर सिवाना नदी पर नहाते हैं और तैरते हैं। एंजॉय करते हैं। हम लोग यहां पर कुछ देर रुके, सनसेट देखें ,पुल के ऊपर फोटो खींचे ,उसके बाद चिंतामन गणेश मंदिर घूमने के लिए निकल गए।
कुंवर चैन सिंह की छतरी का इतिहास - History of Kunwar Chain Singh's Chhatri
सन 1824 में अंग्रेज सैन्य बल के साथ सशस्त्र संघर्ष करते हुए नरसिंहगढ़ के राजकुवर श्री चैन सिंह और उनके विश्वस्त अंगरक्षक जनाब हिम्मतखां और बहादुरखां सहित 41 जांबाज बहादुर राष्ट्र भक्तों ने इस स्थल पर वीरगति प्राप्त की थी।
अमर शहीद कुंवर चैन सिंह की छतरी और हिम्मतखां और बहादुरखां की मजार सीहोर में अंग्रेजों के खिलाफ लड़ी गई पहली लड़ाई की अमिट यादगार है।
कुंवर चैन सिंह की छत्री और हनुमान फाटक मंदिर सीहोर की फोटो - Photo of Kunwar Chain Singh ki Chhatri and Hanuman Phatak Mandir Sehore
कुंवर चैन सिंह की छतरी |
कुंवर चैन सिंह की छतरी के पास स्थित मजार |
श्री हनुमान फाटक मंदिर |
हनुमान फाटक मंदिर के पास स्थित अन्य मंदिर |
हनुमान फाटक मंदिर का दृश्य |
सिवाना नदी पर बना हुआ पुल |
सिवाना नदी का सुंदर दृश्य |
सिवाना नदी पर बना हुआ स्टॉप बांध |
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