ओंकारेश्वर महादेव मंदिर के दर्शन (Shri Omkareshwar Mahadev Temple Khandwa Madhya Pradesh)
ओमकारेश्वर मंदिर पूरे भारत देश में प्रसिद्ध है। ओमकारेश्वर मंदिर में ज्योतिर्लिंग विराजमान है। यह 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है। यह मंदिर बहुत ही सुंदर लोकेशन में है। यह मंदिर नर्मदा नदी के बीच में टापू बना हुआ है। इस टापू को मांधाता पर्वत के नाम से जाना जाता है। इस पूरे पर्वत की परिक्रमा की जाती है। इस पर्वत पर ही ओम्कारेश्वर ज्योतिर्लिंग विराजमान है। इस पर्वत पर और भी प्राचीन मंदिर देखने के लिए मिलते हैं। ओमकारेश्वर आ कर बहुत ही सुंदर नजारे देखने के लिए मिलते हैं। यहां नर्मदा नदी बहुत तेज गति से बहती है। नर्मदा नदी में लोग स्नान करते हैं और ओम्कारेश्वर ज्योतिर्लिंग के दर्शन करने के लिए जाते हैं। ओम्कारेश्वर ज्योतिर्लिंग के दर्शन करके बहुत ही शांति का अनुभव होता है। यहां ओमकारेश्वर बांध का भी सुंदर दृश्य यहां पर देखने के लिए मिलता है। यहां आने का अनुभव बहुत ही सुखद रहता है। हम लोगों का सौभाग्य रहा, जो हम लोगों को यहां पर घूमने के लिए मिला और ओम्कारेश्वर ज्योतिर्लिंग के दर्शन करने के लिए मिले।
हम लोगों की ओमकारेश्वर यात्रा में, हम लोग इंदौर से ओम्कारेश्वर आए थे और हम लोग अपनी ओमकारेश्वर यात्रा में सबसे पहले घूमने के लिए रालामंडल अभ्यारण घूमने के लिए गए थे। रालामंडल अभ्यारण घूमने के बाद, हम लोग ओमकारेश्वर यात्रा में अपनी निकल गए। इंदौर से ओम्कारेश्वर जाने का जो रास्ता है। वह बहुत ही खूबसूरत है। मगर यह रास्ता बहुत ही खतरनाक भी है, क्योंकि जब हम लोग यहां से जा रहे थे। तब यहां पर सुंदर-सुंदर घाटी देखने के लिए मिली थी, जो बहुत ही सुंदर थी। यहां पर चोरल नदी का सुंदर दृश्य देखने के लिए मिला था और यहां पर बहुत सारे पिकनिक स्थल थे। यहां पर पातालपानी झरने की तरफ जाने वाला सड़क भी देखने के लिए, हम लोगों को मिला। मगर हम लोगों को वहां जाना नहीं था। इसके अलावा चोरल पिकनिक स्पॉट देखने के लिए मिला, जो जंगल के अंदर से होते हुए कच्चा रास्ता जा रहा था। मगर हम लोग को इन सभी जगह नहीं जाना था। हम लोग को सीधा जाना था, ओमकारेश्वर। इसलिए हम लोग अपने ओमकारेश्वर यात्रा में जाने के लिए तत्पर रहें।
इस खूबसूरत रोड से होते हुए, हम लोग ओमकारेश्वर तरफ बढ़ रहे थे। उसके बाद हम लोगों को यहां पर भैरव घाटी देखने के लिए मिली। भैरव घाटी भी बहुत सुंदर थी और यहां पर घाटी का दृश्य बहुत ही अद्भुत था। मगर यह घाटी जितनी अद्भुत लगती है। उतनी ज्यादा खतरनाक भी थी। हम लोग जाते समय यहां पर बहुत इंजॉय किये। मगर आते समय हम लोग यहां पर एक एक्सीडेंट देखने के लिए मिले, जिसमें एक ट्रक पूरी तरह घाटी के नीचे गिर गया था और उस ट्रक में सेव लेकर जा रहे थे। बहुत सारे लोग वहां पर फोटो वगैरा खींच रहे थे। वहां पर पुलिस आ गई थी और जो ड्राइवर था वह बुरी तरह से गंभीर हो गया था, तो उसे अस्पताल ले जाया गया था और ट्रक पूरी तरह से पलट गया था और पूरा एप्पल घाटी के नीचे चले गए थे। कुछ लोग तो यहां पर ट्रक के सेब को उठा कर खा रहे थे। यह घाटी जितनी खूबसूरत है। उतनी खतरनाक भी है। अगर आप लोग यहां पर ड्राइव करते हैं, तो बहुत संभाल के ड्राइव करें।
इंदौर से ओम्कारेश्वर जाने वाले रास्ते में हम लोगों को शनि देव जी का एक प्रसिद्ध मंदिर देखने के लिए मिला। यह मंदिर बैग्राम नाम के एक गांव में बना हुआ है और यह मंदिर मुख्य सड़क में ही बना हुआ है। यह मंदिर विश्व का सबसे प्रसिद्ध शनि भगवान जी का मंदिर है। हम लोग इस मंदिर में घूमने के लिए नहीं गए थे। अगर आपके पास समय रहता है, तो आप इस मंदिर में जरूर घूमने जाए। हम लोग यह सभी सुंदर सुंदर दृश्य देखते हुए ओमकारेश्वर पहुंचे। यहां पर हमको नर्मदा नदी भी देखने के लिए मिली। नर्मदा नदी को पार करने के बाद थोड़ा दूर चलने पर ही हम लोगों को ओमकारेश्वर की तरफ जाने वाला रास्ता देखने के लिए मिल गया। यहां पर अगर सीधा जाया जाता है, तो खंडवा पहुंच जाएंगे। मगर यहां पर सड़क में बोर्ड लगा है, जिससे ओमकारेश्वर आसानी से जा सकते हैं। मुख्य हाईवे सड़क से ओम्कारेश्वर करीब 10 किलोमीटर दूर था। अब हम लोग ओमकारेश्वर की तरफ चल दिए थे।
हम लोग जब ओमकारेश्वर की तरफ जा रहे थे। तब हम लोगों को यहां पर बहुत सारे, नर्मदा नदी की परिक्रमा करने वाले लोग देखने के लिए मिल रहे थे। यहां पर बूढ़े, अमीर, गरीब, जवान सभी लोग नर्मदा जी की परिक्रमा कर रहे थे और यहां पर कुछ लोग उन लोगों को प्रसाद और खाने-पीने के सामान बांट रहे थे। यह लोग नर्मदा नदी की पैदल परिक्रमा करते हैं और यह लोग नर्मदा नदी के उद्गम से, नर्मदा नदी समुद्र में समाहित होती है। वहां तक पैदल यात्रा करते हैं। यहां पर लोग अपना थोड़ा सा सामान लेकर नर्मदा जी की परिक्रमा करने के लिए निकल जाते हैं। यह चीज हम लोगों को बहुत ज्यादा ही अद्भुत लगी है और हम लोग ओमकारेश्वर पहुंच गए।
ओमकारेश्वर में प्रवेश के लिए बहुत बड़ा प्रवेश द्वार बना हुआ है और यहां पर सड़क में एक बोर्ड भी लगा हुआ है। जहां पर ओमकारेश्वर के आसपास जितने भी मंदिर है। उन सभी के बारे में जानकारी लिखी गई है और दूरी बताई गई है। इस जगह से ओम्कारेश्वर मंदिर करीब 2 किलोमीटर दूर होगा। अगर आप यहां पर ज्यादा समय लेकर आते हैं और आपके यहां पर रुकने का प्लान रहता है, तो आप इन सभी जगह में घूम सकते हैं। हम लोगों के पास समय कम था। इसलिए हम लोग सीधे ओमकारेश्वर मंदिर घूमने के लिए गए।
हम लोग सीधे ओमकारेश्वर मंदिर के पास, पुल के पास तक गए। यहां पर हम लोगों को रास्ते में ही एक एजेंट मिल गया था। जो हम लोगों से होटल के बारे में पूछ रहा था, कि आपको होटल चाहिए। मगर हम लोगों को ओमकारेश्वर में रुकना नहीं था। इसलिए हम लोग ने उसको मना कर दिया और हम लोग सीधे पुल की तरफ गए। यहां पर बहुत सारे प्रसाद वाले हैं, जो गाड़ी खड़ी करने के लिए बोलते हैं और प्रसाद लेने के लिए बोलते हैं।
ओमकारेश्वर मंदिर गेट के पास, जहां से गाड़ी अंदर नहीं जा पाएगी। वहीं पर पार्किंग के लिए सुविधा उपलब्ध है और यहां पर बोर्ड लगा हुआ है, जहां पर गाड़ी और कार को पार्क किया जा सकता है। अगर आप किसी प्रसाद वाले के साथ पार्किंग में गाड़ी खड़ी करने के लिए जाते हैं, तो आपको प्रसाद लेकर जाना पड़ता है और वह प्रसाद 100 का रहता है। आप किसी प्रसाद वाले की दुकान के सामने गाड़ी खड़ी करते हैं। तब भी आपको 100 का प्रसाद लेना पड़ता है। पार्किंग स्थल पर गाड़ी खड़ी करने का, यहां पर बाइक और स्कूटी का 10 रुपए लगा था और कार का यहां पर 20 रुपए था। मगर हम लोग प्रसाद वाले के साथ यहां पर गए थे, तो हम लोगों को यहां पर प्रसाद भी लेना पड़ा था।
हम लोग प्रसाद लेकर ओमकारेश्वर मंदिर की ओर आगे बढ़े। यहां पर हम लोगों को नर्मदा नदी पर बना हुआ सुंदर ब्रिज देखने के लिए मिला। इस ब्रिज में भी बहुत सारी छोटी-छोटी दुकानें लगी हुई थी, जहां पर खीरा, ककड़ी, पपीता, फ्रेश फ्रूट को काट कर बेचा जा रहा था। 10 रूपए का एक दोना मिला रहा था। फ्रूट देखकर हम लोगों ने सोचा, कि थोड़ा कुछ खा लिया जाए। मगर फिर हम लोगों ने सोचा, भगवान भोलेनाथ के दर्शन किए जाएंगे। उसके बाद ही कुछ खाया जाएगा।
हम लोग धीरे-धीरे आगे बढ़ रहे थे। यहां पर बहुत ही सुंदर नर्मदा नदी का दृश्य देखने के लिए मिल रहा था। यहां पर बहुत सारी नाव चल रही थी और बहुत ज्यादा अच्छा लग रहा था। यहां पर हम लोगों को ओमकारेश्वर बांध का भी सुंदर दृश्य देखने के लिए मिला। हम लोग आगे बढ़े और पुल के दूसरे तरफ ओमकारेश्वर मंदिर के पास पहुंच गए। यहां से ओम्कारेश्वर मंदिर की तरफ जाने वाला रास्ता पूरी तरह दुकानों से भरा हुआ था। यहां पर बहुत सारी दुकानें थी। कुछ दुकानें यहां पर खाने-पीने की थी। कुछ प्रसाद की थी और कुछ अन्य सामानों की थी। यहां पर बिल्कुल मेले जैसा माहौल था।
हम लोग सीधे ओमकारेश्वर मंदिर पहुंचे। यहां पर बहुत बड़ी लाइन लगी थी और बहुत सारे लोग भगवान ओमकारेश्वर ज्योतिर्लिंग के दर्शन करने के लिए आए थे। लाइन देखकर हम लोगों को लगा था, कि यहां पर करीब हम लोगों को 2 या 3 घंटे लग जाएंगे। हम लोगों ने यहां पर चप्पल उतार दिए। यहां पर चप्पल उतार के मंदिर में प्रवेश करना पड़ता है। यहां पर मंदिर के नीचे कोने में स्टैंड बना हुआ था, जहां पर चप्पल उतार के रखा जा सकता था और 1 जोड़ी चप्पल के 2 रूपए लिए जा रहे थे। हम लोगों ने अपने चप्पल वहां उतार कर रख दिए और लाइन में खड़े हो गए। यहां पर कुछ पंडित जी लोग भी मिलते हैं, जो यहां पर बोलते हैं। कि हम आपको सीधे भगवान भोलेनाथ के दर्शन करवा देंगे। आपको यहां लाइन में खड़े नहीं होना पड़ेगा और वह कुछ चार्ज लेते हैं। मगर हम लोगों ने बोला, कि नहीं हम लोग लाइन में खड़े हो जाएंगे और जितना टाइम लगता है। ठीक है, हम लोग बाद में दर्शन कर लेंगे।
हम लोग ओम्कारेश्वर ज्योतिर्लिंग के दर्शन के लिए, लाइन में खड़े हो गए हैं और लाइन धीरे-धीरे आगे बढ़ रही थी। हम लोगों को दर्शन करने में करीब आधे घंटे लगे होंगे। ओमकारेश्वर मंदिर के बाहर एक व्यक्ति थे, जो प्रसाद ले रहे थे और मंदिर के अंदर प्रसाद फूल, बेलपत्री, यह सब चढ़ाने की अनुमति नहीं है। वह यहां पर बोल रहे थे। हम लोगों ने अपना प्रसाद नहीं दिया। हम लोगों ने अपना प्रसाद छुपा के रखा था। यहां पर बाहर नंदी भगवान जी के दर्शन करने के लिए मिलते हैं और यह मंदिर पूरी तरह पत्थर का बना हुआ है। यह पर स्तंभों का बहुत ही सुंदर डिजाइन बनाया गया है। मंदिर में हम लोग धीरे-धीरे मुख्य गर्भ गृह की ओर बढ़े। गर्भ ग्रह के पास बहुत ज्यादा भीड़ थी। बहुत सारे लोग यहां पर थे। हम लोग अंदर गए, तो हम लोगों को भगवान भोलेनाथ के दर्शन करने के लिए मिले। यहां पर हम लोगों ने उन पर बेलपत्र भी चढ़ा दिए थे। एक कांच के अंदर भगवान भोलेनाथ जी को रखा गया था। हम लोगों ने दर्शन किए और जल्दी जल्दी यहां पर बाहर निकलने के लिए बोला जा रहा था।
हम लोग ओमकारेश्वर महादेव मंदिर से दर्शन करने के बाद, बाहर आए। यहां पर हम लोग नीचे आए। नीचे यहां पर एक और मंदिर बना हुआ था, जहां पर प्रसाद चढ़ाने के लिए कहा जा रहा था। यहां पर भी बहुत ज्यादा भीड़ लगी हुई थी। यहां पर माता पार्वती का मंदिर बना हुआ था। हम लोग ज्यादा भीड़ भाड़ में नहीं घुसे। हम लोग ने अपनी चप्पल उठाया और उसके बाद हम लोग मंदिर से बाहर आ गए। यहां पर बहुत सारी दुकानें लगी हुई थी। हम लोग आगे बढ़ते गए और नर्मदा नदी के किनारे पहुंच गए।
नर्मदा नदी के किनारे चट्टानों के ऊपर हम लोग यहां पर बैठ गए। यहां पर हम लोगों को बहुत अच्छा लग रहा था। यहां पर नर्मदा नदी का नजारा बहुत ही सुंदर है। मगर यहां पर नर्मदा नदी बहुत ज्यादा गहरी है और यहां पर हम लोगों ने चट्टान में बैठकर बहुत सारी फोटो खींचे। यहां पर हम लोगों को ओमकारेश्वर बांध के गेट भी देखने के लिए मिल रहे थे, जो बहुत सुंदर लग रहे थे। हम लोग यहां पर करीब 10 से 15 मिनट बैठे। फोटो खींचे। उसके बाद हम लोग पहाड़ी से एक रास्ता गया हुआ है। उस रास्ते से ऊपर की तरफ गए और ऊपर साइड हम लोगों, ने यहां पर एक दादा की दुकान थी, जहां पर हम लोगों ने चाय पिए हैं।
ओमकारेश्वर में घूमने के लिए यहां पर बहुत सारी जगह है। ओंकारेश्वर के मांधाता पर्वत की 7 किलोमीटर की परिक्रमा है, जिसमें आपको बहुत सारे मंदिर देखने के लिए मिलते हैं। मगर हम लोग बहुत ज्यादा थक गए थे। क्योंकि हम लोगों ने बहुत सारी यात्रा की थी और हम लोगों का मन था, ओमकारेश्वर आने का था। इसलिए हम लोग ओम्कारेश्वर ज्योतिर्लिंग के दर्शन करने के लिए आए थे। हम लोगों ने 7 किलोमीटर की परिक्रमा नहीं किया और हम लोग चाय पी कर। पुल से वापस आ गए और आते टाइम हम लोगों ने फ्रेश फ्रूट भी खाने के लिए लिए और हम लोग गोमुख देखते हुए वापस आ गए। गोमुख घाट बहुत सुंदर है और यहां पर गाय का मुख है, जिसमें से पानी गिरता रहता है। यहां पर बहुत सारी नाव खड़ी रहती है, जिनमें सवारी का मजा लिया जा सकता है। यहां से ओम्कारेश्वर मंदिर का बहुत सुंदर दृश्य देखने के लिए मिलता है। ओमकारेश्वर को बहुत अच्छी तरह बना दिया गया है। अगर आप गोमुख घाट नहीं आना चाहते हैं, तो ऊपर की तरफ से ही पुल का रास्ता बना हुआ है। जहां से आप मुख्य सड़क में जा सकते हैं। हम लोगों को गोमुख घाट आना था। इसलिए हम लोग नीचे की तरफ आ कर गोमुख घाट घूम कर, फिर मुख्य सड़क की तरफ आगे बढ़े।
मुख्य सड़क में जाने वाली रोड में भी बहुत सारी दुकानें थी, जहां पर बहुत सारा सामान मिल रहा था। मगर हम लोगों को सामान नहीं लेना था, क्योंकि हम लोगों को अभी बहुत लंबा अपने घर जाना था। इसलिए हम लोगों ने यहां पर कुछ नहीं लिया। हम लोग यहां पर रोड में आए और पार्किंग में गए, जहां पर हमारी गाड़ी खड़ी थी। हम लोगों ने गाड़ी उठाया। यहां पर पार्किंग के पास में ही भोजनालय है, जहां पर शाकाहारी खाना मिल रहा था और एक थाली 70 रूपए की मिल रही थी, तो हम लोगों ने वहां पर खाना खाया और खाना खाने के बाद हम लोग नागर घाट भी घूमने के लिए गए।
हम लोग ओमकारेश्वर के नागर घाट पहुंचे। यहां पर हम लोगों ने अपनी गाड़ी खड़ी करें। यहां पर भगवान विष्णु जी का विराट रूप भी देखने के लिए मिलता है, जो बहुत ही सुंदर लगता है। नागर घाट के गेट के पास में हीं बहुत सारे बंदर थे। हम लोगों ने बिही लिया था। हम लोगों ने बिही बंदर को दिया और हम लोग नगर घाट में प्रवेश किए। यह घाट बहुत सुंदर है और नर्मदा नदी यहां तेज गति से बहती है। वैसे यहां पर, जो घाट है। वह ज्यादा गहरा नहीं था। मगर यहां पर डूबने का खतरा बना रहता है। क्योंकि नर्मदा नदी में बहाव कभी भी ज्यादा तेज हो सकता है और इंसान बह सकता है। इसलिए यहां सावधानी भी लिखी हुई थी। हम लोग कुछ देर यहां पर बैठे और उसके बाद हम लोग यहां से अपने इंदौर की तरफ निकले।
हमारे ओमकारेश्वर की यात्रा इतनी ही थी। ओमकारेश्वर में बहुत सारे मंदिर है, जहां पर घुमा जा सकता है। मगर हम लोगों ने यहां पर नहीं घूमा। हम लोग अगर अगली बार ओमकारेश्वर घूमने के लिए आए, तो इन सभी मंदिर में जरूर घूमने के लिए जाएंगे। नागर घाट घूमने के बाद, हम लोग इंदौर के लिए निकले।
ओंकारेश्वर मंदिर का रहस्य - Mystery of Omkareshwar Temple
ओम्कारेश्वर ज्योतिर्लिंग मध्य प्रदेश के इंदौर के पास स्थित एक प्रसिद्ध मंदिर है। जिस स्थान पर यह ज्योतिर्लिंग स्थित है। उस स्थान पर नर्मदा नदी बहती है और नर्मदा नदी यहां पर ओम का आकार बनाते हुए बहती है। ओम शब्द की उत्पत्ति ब्रह्मा जी के मुख से हुई है। यह ज्योतिर्लिंग का आकार ओंकार अर्थात ओम के आकार का है। यहां स्थित एक ही ओंकारलिंग 2 स्वरूप में विभक्त है। यहां पर आपको ओंकारेश्वर और ममलेश्वर (परमेश्वर) के दर्शन करने के लिए मिलते हैं। यह एक ही शिवलिंग के दो स्वरूप देखने के लिए मिलते हैं और यह मंदिर एक दूसरे से करीब 1 किलोमीटर की दूरी पर स्थित होंगे।
ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग की कहानी - Story of Omkareshwar Jyotirlinga
कहा जाता है, कि एक बार नारद ऋषि घूमते हुए गिरिराज विंध्य पर्वत पर पहुंच गए। विंध्य ने बड़े ही आदर सम्मान के साथ उनकी पूजा की और उन्होंने अंहकार वंश कहा, कि मैं सर्वगुण संपन्न हूं। मेरे पास हर प्रकार की संपदा है। किसी वस्तु की कमी नहीं है। इस प्रकार के भाव को मन में लिए विंध्याचल, नारद महाराज जी के सक्षम खड़े हो गए। अहंकार नाशक श्री नारद जी ने विंध्याचल के अभिमान से भरी बातें जानकर लंबी सांस ली और चुपचाप खड़े रहे। विंध्य पर्वत ने पूछा आपको मेरे पास कौन सी कमी दिखाई दी। नारद जी ने विंध्याचल को कहा, कि तुम्हारे पास सब कुछ है। किंतु मेरु पर्वत तुमसे ऊंचा है। यह कहकर नाराज जी वहां से चले गए। नाराज जी की बात सुनकर विंध्याचल दुखी होकर मन में शोक करने लगा। उसने निश्चय किया, कि वह भगवान शंकर की आराधना और तपस्या करेगा। जहां पर साक्षात ओंकार विद्यमान है। उस स्थान पर पहुंच कर उसने प्रसन्नता और प्रेम पूर्वक शंकर जी की पार्थिव मूर्ति बनाई और 6 महीने तक लगातार उनके पूजन में लगा रहा और अपने स्थान से इधर-उधर नहीं हुआ।
उसकी कठोर तपस्या को देख कर भगवान शंकर प्रसन्न हो गए। भगवान शंकर ने विंध्याचल पर्वत को अपना दिव्य स्वरूप दिखाया। भगवान शंकर प्रसन्नता पूर्वक विंध्याचल से बोले, कि तुम अपना लिए वरदान मांग सकते हो। वरदान मांगो। विंध्याचल ने कहा हे, देवेश्वर महेश। यदि आप मुझ पर प्रसन्न हैं, तो आप हमारे कार्य की सिद्धि करने वाले अभीष्ट बुद्धि मुझे प्रदान करें।
इस प्रकार अभीष्ट बुद्धि प्रदान करने वाले ओमकारेश्वर और परमेश्वर नाम से शिव के ये ज्योतिर्लिंग ओम्कारेश्वर में विख्यात है।
ओम्कारेश्वर ज्योतिर्लिंग की एक और कथा के अनुसार यहां पर, यहां के राजा मांधाता, स्वयं और अपने दो पुत्रों के साथ यहां पर घोर तपस्या की। जिससे खुश होकर भगवान शिव जी प्रकट हुए और उन्होंने मांधाता से वरदान मांगने के लिए कहा - मांधाता ने वरदान में शिव जी को यहीं पर निवास करने के लिए कहा और शिव जी ने यहां पर ज्योतिर्लिंग के रूप में निवास किया। इस तरह से हमें यहां पर शिव भगवान जी के दर्शन करने के लिए मिलते हैं।
ओमकारेश्वर मंदिर के खुलने का समय - Omkareshwar temple Timing
ओंकारेश्वर मंदिर कहां पर स्थित है - Where is Omkareshwar Temple
ओमकारेश्वर खंडवा जिले में स्थित है। ओम्कारेश्वर मंदिर खंडवा जिले में ओमकारेश्वर नाम की जगह में, मांधाता पर्वत में स्थित है। मांधाता पर्वत नर्मदा नदी के बीच में बना हुआ टापू है। ओमकारेश्वर मंदिर तक कार और बाइक से पहुंचा जा सकता है। यहां पर बस और ट्रेन से भी आया जा सकता है। बस या ट्रेन मुख्य सड़क में उतार देती है। उसके बाद ऑटो से ओमकारेश्वर में आया जा सकता है। ओमकारेश्वर में पार्किंग के लिए अच्छी जगह है और यहां पर पार्किंग का शुल्क लिया जाता है। कार और बाइक के पार्किंग का शुल्क अलग-अलग लिया जाता है। ओमकारेश्वर मंदिर नर्मदा नदी के बीच में मांधाता पर्वत में बना हुआ है और मांधाता पर्वत में जाने के लिए पुल बना हुआ है।
लेखक महोदय , आपने ओंकारेश्वर मन्दिर के बारे में बहुत ही विस्तार से बताया | हर छोटी सी छोटी बात का जिक्र आपने किया अच्छा लगा |
जवाब देंहटाएंमेरे विचार से हर पैराग्राफ के बीच में उस पैराग्राफ से सम्बन्धित images डाला होता तो उस पैराग्राफ में लिखे विवरण को समझने में और आसानी होती | जैसे घाटियों के फोटोज, इंदौर से ओंकारेश्वर पहुँचने के रास्ते के फोटोज , पुल के फोटो, नर्मदा नदी में बोटिंग के फोटो , मुख्य मंदिर और उसके आसपास के ज्यादा से ज्यादा फोटोज आदि का समावेश किया जा सकता था |
यह मेरे व्यक्तिगत विचार इसे अन्यथा ना ले |
आपका ,
सूर्या श्रीवास्तव
Founder https://www.hindimemeaning.com
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