कवर्धा जिले के दर्शनीय स्थल - Places to visit in Kawardha / कवर्धा में घूमने लायक जगह / कवर्धा के आस पास की प्रमुख जगह
कवर्धा छत्तीसगढ़ का एक मुख्य जिला है। कवर्धा को कबीरधाम के नाम से भी जाना जाता है। मगर मुख्य रूप से लोग इसे कवर्धा ही कहते हैं। कवर्धा छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश की सीमा के पास स्थित है। यहां पर आपको बहुत सारे ऐतिहासिक और प्राकृतिक स्थल देखने के लिए मिल जाते हैं। जहां पर आप अपना बहुत अच्छा समय बिता सकते हैं। चलिए जानते हैं, कि कवर्धा में कौन कौन से दर्शनीय स्थल मौजूद है
कवर्धा (कबीरधाम) में घूमने की जगह
Kawardha (Kabirdham) mein ghumne ki jagah
सरोदा बांध कवर्धा - Saroda Dam Kawardha
सरोदा बांध कवर्धा जिले का एक मुख्य आकर्षण स्थल है। यहां पर आपको एक सुंदर जलाशय देखने के लिए मिलता है। यह जलाशय चारों तरफ से पहाड़ियों से घिरा हुआ है और बहुत सुंदर लगता है। यह जलाशय मध्यम सिंचाई परियोजना के लिए बनाया गया है। यहां पर आपको पहाड़ियों का सुंदर दृश्य देखने के लिए मिलता है और दूर-दूर तक फैला हुआ जलाशय का दृश्य देखने के लिए मिलता है। आप यहां पर घूमने के लिए आ सकते हैं। यह कवर्धा से करीब 12 किलोमीटर दूर है। यहां पर गार्डन भी बना हुआ है, जहां पर आप आकर बैठ सकते हैं और अपना बहुत अच्छा समय बिता सकते हैं। यहां पर पिकनिक मनाया जा सकता है। सरोदा जलाशय बहुत सुंदर है और आप कवर्धा आते हैं, तो सरोदा बांध घूमने के लिए आ सकते हैं।
भोरमदेव मंदिर कवर्धा - Bhoramdev Temple Kawardha
भोरमदेव मंदिर कवर्धा का एक मुख्य धार्मिक स्थल है। यह कवर्धा का एक दर्शनीय स्थल है। यह मंदिर शिव भगवान जी को समर्पित है। यह मंदिर प्राचीन है। पूरा मंदिर पत्थरों का बना हुआ है और मंदिर की बाहरी दीवारों पर सुंदर नक्काशी देखने के लिए मिलती है। इस मंदिर को "छत्तीसगढ़ का खजुराहो" भी कहा जाता है, क्योंकि इस मंदिर में आपको बहुत ही सुंदर मूर्तिकला देखने के लिए मिलती है। इनमें से कुछ मूर्ति मे कामुक दृश्य भी देखने के लिए मिलते हैं। जिस तरह आपको खजुराहो मंदिर में मिलते हैं।
भोरमदेव मंदिर बहुत सुंदर है। मंदिर के आसपास का इलाका भी बहुत अच्छा है। यहां पर आपको एक तालाब देखने के लिए मिलता है। तालाब के चारों तरफ पहाड़ी है और तालाब में बोटिंग भी की जाती है। भोरमदेव मंदिर को नाग राजाओं के समय में 11वीं शताब्दी में बनाया गया था। गौड़ों के उपासक देवता भोरमदेव के नाम पर मंदिर का नाम भोरमदेव मंदिर पड़ा। यह मंदिर कवर्धा से 18 किलोमीटर दूर चौरा गांव में स्थित है। इस मंदिर में आप गाड़ी से या बस से पहुंच सकते हैं। यहां पर आपको सुंदर गार्डन भी देखने के लिए मिलता है, जहां पर आप अपना शांति में समय व्यतीत कर सकते हैं।
भोरमदेव मंदिर के गार्डन में आपको बहुत सारे स्टेचू देखने के लिए मिलते हैं। इनमें से बहुत से स्टेचू जानवरों के हैं और बहुत से स्टेचू यहां पर रहने वाले आदिवासी लोगों के हैं, जो बहुत सुंदर लगते हैं। यहां पर आपको नटराज की बहुत बड़ी मूर्ति भी देखने के लिए मिलती है। भोरमदेव मंदिर भी बहुत सुंदर है और यहां पर चारों तरफ का नजारा भी बहुत अच्छा है। यहां पर जंगल है और शांतिमय वातावरण है। आप कवर्धा घूमने के लिए आते हैं, तो आपको भोरमदेव मंदिर जरूर घूमने आना चाहिए।
मड़वा महल कवर्धा - Madwa Mahal Kawardha
मड़वा महल कवर्धा का एक प्राचीन मंदिर है। यह एक धार्मिक स्थल है। यह मंदिर शिव भगवान जी को समर्पित है। यह मंदिर भोरमदेव मंदिर के पास ही में स्थित है। यह मंदिर भी बहुत सुंदर तरीके से बना हुआ है। इस मंदिर में आपको एक मंडप और गर्भगृह देखने के लिए मिलता है। एक ऊंचे चबूतरे पर यह मंदिर बना हुआ है। मंदिर की दीवारों पर ज्यादा नक्काशी नहीं है। मगर दीवारों पर नक्काशी है। मंदिर की दीवारों पर मुख्य रूप से कामुक प्रतिमाओं को दिखाया गया है। यहां पर अलग-अलग विधियों से संभोग करते हुए दिखाया गया है। मंदिर के गर्भ गृह में शिवलिंग विराजमान है और मंडप पर नंदी की प्रतिमा विराजमान है।
मड़वा महल कवर्धा का एक मुख्य दर्शनीय स्थल है। मड़वा महल भोरमदेव मंदिर से करीब 1 किलोमीटर दूर दक्षिण में स्थित है। इस मंदिर का मुख पश्चिम दिशा में है। स्थानीय भाषा में इसे मड़वा महल कहा जाता है। मड़वा महल का अर्थ होता है - शादी में लगने वाला मंडप। यहां पर जो मंडप बना हुआ है, उसमें 16 पत्थर के सुंदर खंभे हैं, जिसके ऊपर मंडप आधारित है। मंदिर का गर्भग्रह मंडप के धरातल से डेढ़ मीटर गहरा है। इस मंदिर का निर्माण स्थानीय फणि नागवंशी राजा रामचंद्रदेव की पत्नी अंबिकादेवी के द्वारा 15 वी शताब्दी ईस्वी में किया गया था। यह मंदिर स्थानीय फणि नागवंशी राजाओं के राजस्व काल में निर्मित मंदिरों में से अच्छा उदाहरण है। यह कवर्धा में घूमने लायक जगह है।
छेरकी महल कवर्धा - Cherki Mahal Kawardha
छेरकी महल कवर्धा के भोरमदेव में स्थित एक सुंदर सा मंदिर है। यह मंदिर कवर्धा के पर्यटन स्थलों में से एक है। यह मंदिर शंकर भगवान जी को समर्पित है। यह मंदिर भोरमदेव एवं मंडवा महल की अपेक्षा छोटा है। इसका मुख पूर्व दिशा की ओर है। स्थानीय फणि नागवंशी राजा द्वारा इस मंदिर का निर्माण लगभग 14 ईसवी में करवाया गया था। गर्भ ग्रह के बीचो-बीच कृष्ण प्रस्तर निर्मित शिवलिंग स्थापित है तथा गणेश की मूर्ति रखी गई है। छेरकी महल का निर्माण ईटों एवं चूना पत्थर से किया गया है। आप भोरमदेव के मंदिर घूमने के लिए आते हैं, तो आपको छेरकी मंदिर भी जरूर आना चाहिए।
पीठाघाट वॉचटावर कवर्धा - Pithaghat Watchtower Kawardha
पीठाघाट वॉचटावर कवर्धा शहर का एक मुख्य पर्यटन स्थल है। यह वॉचटावर भोरमदेव वन्यजीव अभ्यारण के अंदर स्थित है। इस वॉचटावर में पहुंचने के लिए, जो सड़क है। वह बहुत ही बेकार है। मगर इस वॉचटावर पर पहुंचकर आपको, जो दृश्य देखने के लिए मिलेगा। वह बहुत ही अद्भुत रहता है। यहां पर आप आकर मैकाल पर्वत श्रंखला को देख सकते हैं। यहां पर चारों तरफ हरियाली है और आप को सुकून महसूस होता है। वॉच टावर का जो फर्श है। वह पारदर्शी है, तो आपको यहां पर एडवेंचरस भी लगता है। आप यहां पर आ कर बहुत इंजॉय कर सकते हैं।
भोरमदेव वन्यजीव अभयारण्य कवर्धा - Bhoramdev Wildlife Sanctuary Kawardha
भोरमदेव वन्यजीव अभयारण्य कवर्धा जिले में स्थित एक मुख्य पर्यटन स्थल है। यहां पर आपको विभिन्न प्रकार के पेड़ पौधे और जंगली जानवर देखने के लिए मिल जाते हैं। भोरमदेव अभयारण्य 352 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में फैला हुआ है। यह कान्हा राष्ट्रीय उद्यान और अचानकमार टाइगर रिजर्व को संरक्षण प्रदान करता है। भोरमदेव अभ्यारण मे आपको बहुत सारे सुंदर-सुंदर जलप्रपात और अनेक ऐतिहासिक स्थल देखने के लिए मिल जाते हैं। आप यहां पर घूमने के लिए आ सकते हैं। यहां पर मैकल पर्वत श्रृंखलाओं का आपको सुंदर दृश्य देखने के लिए मिलता है। यहां पर आकर बहुत अच्छा लगता है और अपना बहुत अच्छा समय आप यहां पर आ कर बिता सकते हैं।
चिल्फी घाटी कवर्धा - Chilfi Valley Kawardha
चिल्पी घाटी कवर्धा शहर का एक प्रमुख प्राकृतिक पर्यटन स्थल है। यहां पर आपको प्रकृति का अनोखा नजारा देखने के लिए मिलता है। यहां पर आप आएंगे, तो आपको लगेगा कि आप बादलों के बीच में आ गए हैं। यह जगह बहुत ही सुंदर है। यहां पर वॉच टावर भी बना हुआ है, जहां से आप पूरी मेकला पर्वत श्रृंखलाओं का सुंदर दृश्य देख सकते हैं। यहां पर बरसात के समय आप आ सकते हैं। चिल्फी घाटी कवर्धा से मंडला आने वाली सड़क में नेशनल हाईवे 30 में आपको देखने के लिए मिलता है।
रानी दहरा झरना कवर्धा - Rani Dahra Waterfall Kawardha
रानी दहरा झरना कवर्धा का एक प्राकृतिक पर्यटन स्थल है। यह झरना घने जंगलों के अंदर स्थित है। यहां पर चारों तरफ हरियाली देखने के लिए मिलती है। यहां पर ऊंची चट्टानों से पानी कुंड पर गिरता है। यहां पर आप अपना बहुत अच्छा समय बिता सकते हैं। यह झरना चिल्फी घाटी के पास में स्थित है। इस झरने तक पहुंचने का, जो रास्ता है। वह पूरा जंगल से होकर जाता है। झरने के पास जाने के लिए सीढ़ियां बनी हुई है। इस झरने में आप नहाने का मजा भी ले सकते हैं। इस झरने में घूमने का सबसे अच्छा समय बरसात का और ठंड का रहता है। आप यहां पर आकर बहुत अच्छा समय बिता सकते हैं। यह झरना मुख्य हाईवे सड़क से करीब 7 से 8 किलोमीटर दूर होगा। यह कवर्धा में घूमने वाली एक मुख्य जगह है।
छिरपानी बांध कवर्धा - Chhirpani Dam Kawardha
छिरपानी बांध कवर्धा के पास स्थित एक सुंदर पर्यटन स्थल है। यह एक सुंदर जलाशय है। यह चारों तरफ से पहाड़ों से घिरा हुआ है। यहां पर आकर बहुत अच्छा लगता है। यहां पर हरियाली देखने के लिए मिलती है। यह बांध मुख्य रूप से आसपास की कृषि भूमि को सिंचित करने के लिए बनाया गया है। मगर आप यहां पर घूमने के लिए भी आ सकते हैं। आप यहां पर आकर पिकनिक मना सकते हैं। यह बांध कवर्धा में भोंदा के पास स्थित है।
झिरना नर्मदा धाम कवर्धा - Jhirna Narmada Dham Kawardha
झिरना नर्मदा धाम एक धार्मिक स्थल है। यह कवर्धा का एक मुख्य दर्शनीय स्थल है। यहां पर शिव मंदिर बना हुआ है। यहां पर मुख्य आकर्षण शिव जी की बहुत बड़ी मूर्ति एक कुंड में विराजमान है, जो बहुत ही सुंदर लगती है। यह मंदिर कवर्धा से 10 किलोमीटर पिपरिया के पास में स्थित है। आप यहां पर आराम से घूमने के लिए आ सकते हैं।
कबीर टेकरी कवर्धा - Kabir Tekri Kawardha
कबीर टेकरी कवर्धा में स्थित एक धार्मिक स्थल है। यह मंदिर एक ऊंची पहाड़ी पर बना हुआ है। यह मंदिर संत कबीर दास को समर्पित है। कबीर पंथ के लोगों के लिए यह मंदिर बहुत ही महत्वपूर्ण है। यह मंदिर कवर्धा में साहसपुर के पास में स्थित है। इस मंदिर के पास ही में बमलेश्वरी मंदिर भी स्थित है। यहां पर एक बहुत बड़ा जलाशय भी है, जिसका दृश्य बहुत ही आकर्षक रहता है। आप यहां पर बरसात के समय में घूमने के लिए आ सकते हैं।
सुतियापाठ बांध कवर्धा - Sutiapath Dam Kawardha
सुतियापाठ बांध कवर्धा के पास स्थित एक सुंदर जलाशय है। यह चारों तरफ से पहाड़ों से घिरा हुआ है। आप यहां बरसात के समय घूमने के लिए आएंगे, तो आपको बहुत अच्छा दृश्य देखने के लिए मिलेगा। यहां पर हरियाली रहती है। यह जलाशय कवर्धा के लोहारा से करीब 17 किलोमीटर दूर है। यहां पर आकर आप पिकनिक मना सकते हैं और इस जलाशय के सुंदर दृश्य को देख सकते हैं।
श्री सिद्धपीठ सुतियापाठ मां हिंगलाज मंदिर कवर्धा - Shri Siddhpeeth Sutiapath Maa Hinglaj Temple Kawardha
श्री सिद्धपीठ सुतियापीठ कवर्धा के पास स्थित एक सुंदर जगह है। यह जगह धार्मिक है। यह जगह ऊंची पहाड़ी पर स्थित है। इस पहाड़ी पर पहुंचने के लिए कच्चा रास्ता बना हुआ है। यहां पर माता हिंगलाज का मंदिर देखने के लिए मिलता है। मंदिर में मां की प्रतिमा बहुत ही आकर्षक लगती है। यहां पर हनुमान जी की प्रतिमा भी देखने के लिए मिलती है। आप यहां बरसात के समय घूमने आएंगे, तो बरसात के समय चारों तरफ हरियाली रहती है। यहां पर आकर बहुत अच्छा लगता है। बांध का दृश्य भी यहां से देखने का मिलता है। यह सुतियापथ बांध के पास में स्थित है।
कर्रानाला बांध कवर्धा - Karranala Dam Kawardha
कर्रानाला बांध कवर्धा शहर की एक सुंदर जगह है। यह एक सुंदर जलाशय है। यहां पर पहाड़ियों का सुंदर दृश्य देखने के लिए मिलता है। आप यहां बरसात के समय घूमने आएंगे, तो बांध का अच्छा व्यू आपको देखने के लिए मिलता है। बांध का पानी ओवरफ्लो होता है, तो यह बहता है, जो आकर्षक लगता है। यहां पर गार्डन भी बने हुए हैं, जहां पर आप अच्छा समय बिता सकते हैं। यहां पर आप पिकनिक मनाने के लिए आ सकते हैं और दोस्तों के साथ घूमने के लिए भी आ सकते हैं। यह बांध सुतियापीठ के पास ही में स्थित है।
पंचमुखी बूढ़ा महादेव मंदिर - Panchmukhi Budha Mahadev Temple
पंचमुखी बूढ़ा महादेव मंदिर कवर्धा का एक प्रमुख मंदिर है। यह मंदिर कवर्धा शहर के बीचोंबीच स्थित है। इस मंदिर में शिव भगवान जी के धातु का शिवलिंग देखने के लिए मिलता है और इसमें आपको पांच शिवलिंग देखने के लिए मिलते हैं, जो बहुत ही आकर्षक लगते हैं। यहां पर शिवरात्रि और सावन के समय बहुत सारे लोग दर्शन करने के लिए आते हैं। आपको यहां पर आकर अच्छा लगेगा और शांति मिलेगी।
कवर्धा पैलेस - Kawardha Palace
कवर्धा पैलेस एक सुंदर महल है। यह कवर्धा शहर का मुख्य दर्शनीय स्थल है। कवर्धा पैलेस इटालियन स्टाइल में बना हुआ है। यहां पर आपको एक बड़ा सा गुंबद देखने के लिए मिलता है, जो बहुत ही सुंदर लगता है। कवर्धा पैलेस 11 एकड़ के क्षेत्र में फैला हुआ है। इसके मुख्य प्रवेश द्वार को हाथी द्वार के नाम से भी जाना जाता है। यहां पर आपको बहुत सारी प्राचीन वस्तुओं का संग्रह देखने के लिए मिल जाता है। कवर्धा पैलेस मे आम लोग सीमित समय के लिए ही घूमने के लिए जा सकते हैं।
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