बांद्राभान घाट होशंगाबाद या बांद्राभान - तवा और नर्मदा नदी का संगम स्थल - Bandrabhan Ghat Hoshangabad or Bandrabhan - the confluence of Tawa and Narmada river
बांद्राभान होशंगाबाद शहर का एक प्रमुख धार्मिक स्थल है। यहां पर मध्य प्रदेश की दो प्रमुख नदियों का संगम हुआ है। यहां पर नर्मदा नदी और तवा नदी का संगम हुआ है। यह संगम स्थल बहुत ही सुंदर है। यह संगम स्थल बहुत विशाल क्षेत्र में फैला हुआ है। संगम स्थल के दूसरी तरफ घाट बना हुआ है और मंदिर बना हुआ है। बांद्राभान में दो पवित्र नदियों का संगम हुआ है। इसलिए यहां पर तीज त्योहारों के समय बहुत ज्यादा भीड़ लगती है। बहुत ज्यादा लोग पवित्र नदियों में स्नान करने के लिए आते हैं। यहां पर मकर संक्रांति के समय और कार्तिक पूर्णिमा के समय बहुत सारे लोग आते हैं। यह जगह बहुत पवित्र है। इसके अलावा यहां का प्राकृतिक दृश्य भी देखने के लिए मिलता है।
हम लोग होशंगाबाद शहर के आदमगढ़ पहाड़ी घूमने के बाद बांद्राभान घूमने के लिए गए थे। बांद्राभान होशंगाबाद शहर से करीब 7 किलोमीटर दूर है। यहां पर जाने के लिए पक्की सड़क है और हम लोग यहां पर अपनी स्कूटी से गए थे। बांद्राभान बहुत विशाल एरिया है। यहां पर चारों तरफ रेत ही रेत देखने के लिए मिलती है। तवा नदी का चौड़ाई यहां पर बहुत ज्यादा है। हम लोग बांद्राभान पहुंचे। बांद्राभान की मुख्य सड़क में भी रेत थी, जिससे हम लोग को गाड़ी चलाने में बहुत परेशानी हो रही थी, क्योंकि यहां पर गाड़ी फिसल रही थी और हम लोग की स्कूटी बहुत ज्यादा फिसल रही थी। इसलिए हम लोग आराम से गाड़ी चलाते हुए, बांद्राभान तक पहुंचे। यहां पर बांद्राभान का रास्ता बंद कर दिया गया था। रास्ता बंद करने का कारण हम लोगों को नहीं पता है। हम लोगों ने यहां पर गांव वाले से पूछा, कि हम लोग संगम स्थल पर जा सकते हैं और उन्होंने बोला की गाड़ी तो नहीं जा सकती है। मगर आप पैदल जा सकते हैं। हम लोग अपनी गाड़ी को गांव के पास ही में खड़ी कर दी है।
हम लोग बांद्राभान की तरफ पैदल चल पड़े। यहां पर बांद्राभान बहुत दूर था। यहां पर नर्मदा और तवा नदी का संगम स्थल बहुत दूर था। हम लोग को बहुत दूर पैदल जाना था। हम लोग पैदल ही नदी की तरफ चल पड़े। यहां पर संगम स्थल बहुत विशाल है और दूर-दूर तक रेत का टापू देखने के लिए मिलता है। यहां पर कुछ महिलाएं भी आई थी, जो शायद संगम स्थल के दर्शन करने आए हो। हम लोग संगम स्थल पर पहुंचकर दर्शन किए। उसके बाद हम लोग वापस आए। हम लोग बहुत ज्यादा थक गए थे।
हम लोग नर्मदा और तवा नदी के संगम से वापस आकर कुछ देर अपनी गाड़ी में ही बैठे रहे। उसके बाद हम लोग आगे बढ़े। आगे जाने पर हमें तवा नदी पर बना हुआ पुल देखने के लिए मिला। यह पुल छोटा था। मगर यहां से तवा नदी का दृश्य बहुत ही सुंदर दिखाई दे रहा था। यहां पर तवा नदी बहुत गहरी थी और यहां पर मछलियां दिखाई दे रही थी। तवा नदी में यहां पर रेत बहकर आ रही थी।
हम लोग कुछ देर यहां पर खड़े हुए हैं और यहां पर बहुत सारी फोटो क्लिक करें। उसके बाद हम लोग थोड़ा आगे गए। यहां पर रास्ता दिया गया है। अगर आप यहां पर नर्मदा नदी के किनारे जाते हैं, तो यहां पर चट्टाने भी देखने के लिए मिलती हैं। मगर हम लोग उस तरफ नहीं गए थे। यहां पर आश्रम भी बना हुआ है और यहां पर चट्टानों से बहता हुआ नर्मदा नदी का पानी बहुत ही सुंदर लगता है। आप यहां पर नहाने का मजा भी ले सकते हैं, क्योंकि यहां ज्यादा गहरा नहीं है और आप यहां पर एंजॉय कर सकते हैं। नर्मदा नदी के दूसरी तरफ मंदिर देखने के लिए मिलता है। हम लोग बांद्राभान इतना ही घूमा। इसके बाद हम अपने आगे के सफर की तरफ चल दिए।
बांद्राभान का मेला - Bandrabhan ka mela
बांद्राभान मेला होशंगाबाद शहर में तवा और नर्मदा नदी के संगम तट पर लगता है। यहां पर विशाल मेला रेत के टापू में लगता है। यहां पर बहुत बड़ा रेत का टापू देखने के लिए मिलता है। यह मेला कार्तिक पूर्णिमा के दिन लगता है। यहां पर मेला 3 दिनों का रहता है। कार्तिक पूर्णिमा के दिन नर्मदा नदी और तवा नदी में स्नान करने का विशेष महत्व है। इसलिए यहां पर पूरे मध्यप्रदेश से लोग इस मेले में शामिल होने के लिए आते हैं। मेले में हर प्रकार के सामान मिलते हैं। मेले में बहुत सारी दुकानें लगती हैं। मेले में दूर से आए हुए पर्यटकों के ठहरने के लिए भी सुविधा रहती है। यहां पर पुलिस प्रशासन भी देखरेख करता है।
बांद्राभान मेले के समय यहां पर बहुत सारे साधु संत भी आते हैं, जो यहां पर कथाएं एवं प्राचीन ग्रंथों का पाठ करते हैं। यहां पर एक पॉजिटिव एनर्जी महसूस होती है। यहां पर लोग स्नान करते हैं और पुण्य कमाते हैं।
बांद्राभान का इतिहास - History of Bandrabhan
बांद्राभान के बारे में कहा जाता है, कि प्राचीन समय में यहां पर किसी राजा को श्राप मिला था, कि वह बंदर की तरह देखेगा। इसलिए वह अपने श्राप के कारण नर्मदा और तवा नदी के संगम पर आया और उसने तपस्या की। जिससे उसे उस श्राप से मुक्ति मिली और उसे मोक्ष को प्राप्त हुआ। इसी कारण इस जगह को बांद्राभान कहते हैं। बांद्रा का मतलब बंदर है।
बांद्राभान के बारे में यह भी कहा जाता है, कि यहां पर प्राचीन समय में पांडवों ने निवास किया था और उन्होंने यहां पर तपस्या की थी। यहां पर बहुत सारे ऋषि-मुनियों ने तपस्या की और मोक्ष को प्राप्त किया।
बांद्राभान कहां पर है - where is bandrabhan
बांद्राभान मध्यप्रदेश में होशंगाबाद जिले में स्थित एक प्रसिद्ध जगह है। बांद्राभान तवा और नर्मदा नदी के संगम स्थल पर स्थित है। यह होशंगाबाद जिले से करीब 7 किलोमीटर दूरी पर स्थित है। बांद्राभान तक जाने के लिए कार या बाइक से आराम से जाया जा सकता है। यहां पर जाने के लिए पक्की सड़क उपलब्ध है। यहां पर पार्किंग के लिए अच्छी जगह है।
होशंगाबाद बांद्राभान की फोटो - Photos of Hoshangabad Bandrabhan
तवा नदी पर बना पुल |
तवा नदी का दृश्य |
तवा नदी का दृश्य |
बांद्राभान के किनारे बना हुआ मंदिर |
बांद्राभान का सुंदर दृश्य |
भोजपुर शिव मंदिर भोपाल मध्य प्रदेश
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