कंटकारी का पौधा या कटेरी का पौधा kantakari Plant or kateri Plant
कंटकारी का पौधा या भटकटैया का पौधा का वानस्पतिक नाम - सोलेनम वर्जिनिएनम
कंटकारी का पौधा या भटकटैया का पौधा एक औषधीय प्लांट है। यह पौधा भारत में पाया जाने वाला एक मुख्य पौधा है। इस पौधे में कांटे होते हैं, इसलिए इसे कंटकारी कहते हैं। इस पौधे की पत्तियों और तनों में सभी जगह कांटे होते हैं। इस पौधे का उपयोग शरीर के बहुत सारे रोगों में किया जाता है। मगर लोगों को इस पौधे के बारे में जानकारी नहीं रहती है और वह इसे एक अनुपयोगी पौधे समझकर उखाड़ के फेंक देते हैं। कंटकारी पौधे में बहुत सारे कांटे रहते हैं, जिस कारण इस पौधे को जानवर भी नहीं खाते हैं।
कंटकारी या भटकटैया का पौधा झाड़ी नुमा रहता है। यह पौधा जमीन को आधार बनाकर जमीन में फैलता है। इस पौधे की जड़े जमीन के अंदर रहती है। इस पौधे के फूल बहुत सुंदर रहते हैं। फूल के ऊपर, पीले कलर के परागण रहते हैं, जो फूल को और अधिक आकर्षक बनाते हैं। कंटकारी के पौधे की पत्तियां लंबी रहती हैं। पत्तियों में सफेद कलर के छोटे-छोटे कांटे रहते हैं। पत्तियां हरे कलर की रहती हैं। कंटकारी में पीले कलर का गोल आकार का फल लगता है। कंटकारी के बीज छोटे और चिकने रहते हैं। भटकटैया का पौधा सड़कों के किनारे, मैदानों में, जंगलों में आसानी से देखने के लिए मिल जाता है।
कंटकारी पौधे को बहुत सारे नामों से जाना जाता है। कंटकारी के पौधे को कटेरी, छोटी कटेरी, बड़ी कटेरी, छोटी कटाई, कंटकारी, भटकटैया के नाम से भी जाना जाता है। संस्कृत में कंटकारी को दुस्पर्शा, व्याघी, कण्टकारी के नाम से जाना जाता है। अलग-अलग प्रदेशों में कंटकारी को अलग-अलग नामों से जाना जाता है। कंटकारी में आपको सफेद और बैगनी कलर या नीला की कंटकारी देखने के लिए मिल जाती है। इन कंटकारी की पहचान आप आराम से कर सकते हैं, क्योंकि सफेद कंटकारी में सफेद रंग के फूल लगते हैं, जो बहुत ही सुंदर लगते हैं। सफेद कंटकारी को श्वेत कंटकारी, श्वेत कटेरी, श्वेत भटकटैया या सफेद कटेरी के नाम से जाना जाता है। सफेद फूल वाली भटकटैया बहुत सुंदर रहती है। सफेद भटकटैया का पौधा बहुत कम जगह देखने के लिए मिलता है। अधिकतर जगह बैगनी भटकटैया का पौधा ही देखने के लिए मिलता है। भटकटैया का फूल बहुत सुंदर लगते हैं, चाहे वह किसी भी रंग के रहे।
श्वेत कंटकारी का पौधा सब जगह नहीं मिलता है। श्वेत कंटकारी के पौधे को श्वेतचंद्रपुष्प, श्वेतलक्ष्मणा, दुर्लभाचंद्रहासा के नाम से जाना जाता है। सफेद फूलों वाला पौधा शीत ऋतु में देखने के लिए मिलता है। इसके फूल सफेद कलर के रहते हैं। फूलों के भीतर पीले कलर का परागण होता है। श्वेत कंटकारी का और बैगनी कंटकारी के बहुत सारे फायदे हैं। बैगनी कंटकारी में बैगनी कलर के फूल रहते हैं, जो बहुत सुंदर लगते हैं।
वैसे अगर कंटकारी को अगर आप अपने इस्तेमाल के लिए तोड़ते हैं, तो इसे सावधानी से तोड़ना चाहिए। क्योंकि इसमें सभी जगह कांटे रहते हैं और कांटे हाथों में लग सकते हैं। कंटकारी की पत्तियों और तनों में सब जगह कांटे रहते हैं। कंटकारी गरम जगह पर आराम से देखी जा सकती है। कंटकारी को गर्मी में भी देख सकते हैं। यह गर्मी में फलती फूलती रहती है।
कंटकारी के पौधे में कंटकारी के फल भी देखे जा सकते हैं। कटेरी का फल पीले कलर के रहते हैं। कटेरी के फल प्रारंभिक अवस्था में हरे कलर के रहते हैं। कंटकारी के फल में सफेद कलर के धब्बे देखने के लिए मिलते हैं। कंटकारी का फल जब पक जाता है, तो कंटकारी का फल पीला कलर का हो जाता है। फल में कांटे नहीं रहते हैं।
कंटकारी (भटकटैया) के औषधीय गुण, महत्व और फायदे - Medicinal properties, importance and benefits of Kantkari
कंटकारी या भटकटैया एक औषधीय पौधा है। कंटकारी का पाउडर, और रस का उपयोग किया जा सकता है। इसका काढ़ा बनाया जा सकता है और काढ़े का उपयोग बहुत सारे रोगों को ठीक करने में किया जा सकता है। कंटकारी का स्वाद कसैला और कड़वा होता है। यह सूखी और तीखी होती है। कंटकारी का प्रभाव गर्म होता है। कंटकारी में ज्वरनाशक, शोधहर आदि गुण पाए जाते हैं, जो हमारे बहुत सारे रोगों को दूर करते हैं। कंटकारी अवलेह, कंटकारी के पौधे के द्वारा बनाया जाता है। कंटकारी अवलेह के फायदे बहुत सारे हैं। कंटकारी अवलेह से शरीर के बहुत सारे रोग दूर होते हैं।
कंटकारी (भटकटैया) के फायदे - Kantakari (Bhatkatiya) ke fayde
दांत दर्द में कंटकारी का उपयोग
दांत के दर्द में या दाढ़ दर्द में कंटकारी का उपयोग किया जा सकता है। इसके लिए कंटकारी के पौधे को कूटकर इसका रस निकालकर रूई में इसके रस को भिगोकर, अपने दांत में जहां पर दर्द हो रहा है। वहां पर रखने से दांत के दर्द में तुरंत आराम मिल जाता है। कंटकारी के पंचांग का काढ़ा बनाकर कुल्ला करने से भी आराम मिलता है।
खांसी में कंटकारी का प्रयोग
खांसी में कंटकारी का प्रयोग किया जा सकता है। खांसी में कंटकारी के पंचांग का प्रयोग किया जा सकता है। अर्थात इसकी जड़, पत्ते, तने, फूल और फल का प्रयोग किया जा सकता है। अगर आपको इसका पंचांग नहीं मिलता है, तो आप कंटकारी के पत्तों का रस निकालकर उसका शहद के साथ सेवन करेंगे, जिससे खांसी में आराम मिलता है। इससे पुरानी से पुरानी खांसी में आराम मिल जाता है। यह खांसी के लिए एक सर्वोत्तम उपाय है।
गंजेपन की समस्या में कटेरी का प्रयोग
अगर आप के सर में बाल नहीं है या धीरे-धीरे बाल झड़ते जा रहे हैं, तो इसके लिए आप कटेरी का प्रयोग कर सकते हैं। कटेरी के ताजे रस को सर में लगाने से गंजेपन की समस्या और बाल झड़ने की समस्या से छुटकारा मिलता है।
बालों में रूसी की समस्या में कटेरी का प्रयोग
अगर बालों में रूसी की समस्या है और रूसी जा नहीं रही है, तो इसके लिए कटेरी का प्रयोग किया जा सकता है। कटेरी के ताजे रस को आप बालों की स्किन पर लगाइए। कटीरी के प्रयोग से रूसी खत्म हो जाएगी।
श्वास रोगों में कंटकारी का प्रयोग
श्वास रोगों में कंटकारी का उपयोग किया जा सकता है। श्वास रोग में कंटकारी के पंचांग का उपयोग किया जा सकता है। इससे स्वास्थ्य संबंधी बहुत सारे रोगों में फायदा मिलता है। कटेरी के पंचांग से, दमा रोग में भी फायदा मिलता है।
मूत्र संबंधी रोगों में कटेरी का प्रयोग
मूत्र संबंधी रोगों में कटीरी का प्रयोग किया जा सकता है। मूत्र करते वक्त दर्द होता है या बहुत जलन होती है। मूत्र रुक रुक कर आती है या मूत्र कम होती है, तो इसके लिए कटेरी का प्रयोग किया जा सकता है। कटेरी के जड़ के चूर्ण के प्रयोग से यह समस्या दूर हो सकती है।
पेट दर्द में कटेरी का प्रयोग
पेट दर्द में भी कटेरी का प्रयोग किया जा सकता है। आजकल के खान-पान के कारण पेट में दर्द एक सामान्य बात है। इसके लिए आप कटेरी के फलों का प्रयोग कर सकते हैं।
स्तनों के ढीलेपन को कम करने में कटेरी का प्रयोग
अगर स्तन में ढीलापन है, और स्तन लटक जाते है, तो कटेरी की जड़ का प्रयोग किया जा सकता है। इसकी जड़ को पीसकर स्तन पर लेप करने से स्तन कठोर हो जाते हैं और उनका ढीलापन समाप्त हो जाता है।
कटेरी कफ और वात को ठीक करती है
कटीरी में कफ और वात को ठीक करने का गुण रखती है। यह हमारे पाचन को सुधार कर, पाचन तंत्र को मजबूत बनाती है।
मासिक धर्म में कटेरी का प्रयोग
मासिक धर्म में कटेरी के बीज का प्रयोग किया जा सकता है। प्रसव के समय होने वाले दर्द में भी, दर्द को कम करने के लिए कटीरी का प्रयोग किया जा सकता है।
मोटापा घटाने के लिए कटेरी का प्रयोग
मोटापे को घटाने के लिए कटेरी का प्रयोग किया जा सकता है। कटीरी हमारे शरीर में चर्बी को हटाने में मदद करती है।
मिर्गी के रोग में कटेरी का प्रयोग
मिर्गी के रोग में कटेरी का प्रयोग किया जा सकता है। मिर्गी के रोग में कटेरी के ताजा रस को निकालकर नाक में डाला जाता है, जिससे मिर्गी में फायदा मिलता है।
माइग्रेन में कटेरी का प्रयोग
माइग्रेन में कटेरी का प्रयोग किया जा सकता है। अगर सर में बहुत ज्यादा दर्द हो रहा है या आधा सर दर्द दे रहा हो, तो इसके लिए कटेरी के ताजा रस को निकालकर नाक में डालना चाहिए, जिससे फायदा मिलता है।
कटेरी की तासीर कैसी है - How is the taste of Kateri?
कटेरी या कंटकारी की तासीर गर्म होती है। कटेरी का स्वाद कड़वा और कसैला होता है। कटेरी हमारे कफ और वात रोग को ठीक कर देती है। यह हमारे पाचन तंत्र को दुरुस्त करती है। कटीरी का प्रयोग आप करते हैं, तो बहुत सारे रोग ठीक हो सकते हैं।
कंटकारी या कटेरी का काढ़ा कैसे बनाएं - How to make a decoction of Kantkari or Kateri
कंटकारी या कटेरी का काढ़ा बनाना बहुत ही आसान है। इसके लिए हम ताजी कटेरी का प्रयोग कर सकते हैं। ताजी कटेरी को तोड़कर इसके पंचांग को अच्छी तरह से धो लें। ताकि धूल मिट्टी ना रहे। इसको आप तोड़ते हैं, तो बहुत ध्यान रखें, क्योंकि इसमें कांटे रहते हैं, जो लग सकते हैं। इसलिए आप सावधानी रखे। आप इसे तोड़े और धो ले। उसके बाद आप कटेरी को पानी में उबाल लें और जब पानी एक तिहाई बच जाए। तब आप इसका प्रयोग कर सकते हैं। काढ़ा बनकर तैयार हो जाएगा। आप इसे छानकर प्रयोग कर सकते हैं।
कंटकारी या कटेरी का तेल कैसे बनाया जाता है - How to make Kantakari or Kateri oil
कंटकारी या कटेरी का तेल बनाना बहुत आसान है। आप कटेरी के पंचांग को लें और इसे पानी के साथ उबाल ले। जब इसमें एक तिहाई पानी बचे, तो इसे छान लें और इसे सरसों के तेल या तिल के तेल के साथ पका लें और जब तेल बस बचे। तब आप इसका प्रयोग कर सकते हैं।
कंटकारी या कटेरी का पौधा कैसा होता है ? या कटेरी के पौधे की क्या पहचान है - What is the identity of Kateri plant?
कटेरी का पौधा देखने में कटीला होता है। कटेरी का पौधा पूरा कटीला होता है। इसकी पत्तियों, तना सब जगह कांटे रहते हैं। कटेरी में सफेद रंग के छोटे-छोटे कांटे रहते हैं। कटेरी के पौधे में सफेद, नीला और बैगनी कलर का फूल खिलता है। यह फूल बहुत अच्छा लगता है। फूल के ऊपर पीले रंग का परागण देखने के लिए मिलता है।
कटेरी का फल प्रारंभिक अवस्था में हरे रंग का होता है। इसके फल में सफेद कलर के छोटे छोटे गोल गोल धब्बे रहते हैं और पकने के बाद यह फल पीले कलर का हो जाता है। कटेरी का पौधा आसानी से देखने के लिए मिल जाता है। यह रोड के किनारे, जंगलों में, पथरीले इलाके में आराम से देखा जा सकता है। यह पानी की कमी में भी जीवित रहता है और अच्छी तरह से फलता फूलता है। आप कटेरी की इन सभी विशेषताओं के कारण आसानी से पहचान सकते हैं।
कटेरी या कंटकारी के पौधे के किस भाग का प्रयोग किया जाता है - Which part of the plant of Kateri or Kantkari is used?
कटीरी के पौधे के सभी भागों का प्रयोग किया जाता है। कटीरी या कंटकारी पौधे के पंचांग का प्रयोग किया जाता है। कटेरी की जड़, कटीरी के तने, कटेरी की पत्ते, कटेरी के फूल और कटेरी के फल का प्रयोग औषधि रूप में किया जाता है। कटेरी के बहुत सारे उत्पाद ऑनलाइन भी मिलते हैं। कटेरी का चूर्ण ऑनलाइन मिलता है। कटीरी के रस का प्रयोग किया जाता है। ताजे कटीरी का रस निकालकर प्रयोग कर सकते हैं। कटेरी के पंचांग का काढ़ा बनाकर प्रयोग किया जा सकता है। कटेरी को सुखाकर चूर्ण बनाया जा सकता है।
कंटकारी या कटेरी पौधे को कैसे लगाया जा सकता है - How to plant a kateri plant
कटेरी का पौधा एक जंगली पौधा है और यह कहीं भी हो सकता है। इसे लगाने के लिए आप इस के पके हुए फल को लेकर आइए और जमीन में लगा दीजिए। कुछ दिनों बाद, यह पौधा को स्वयं उग जाएगा। आपको इसकी ज्यादा देखभाल की भी जरूरत नहीं पड़ेगी और यह जमीन में अपने आप स्वयं फैलने लगेगा।
Please do not enter any spam link in comment box