अतिबला का पेड़ की जानकारी एवं अतिबला के फायदेAtibala tree information and benefits of Atibala
अतिबला पौधे का वनस्पतिक नाम - एबूटिलॉन इंडिकॉमअतिबला पौधे का अंग्रेजी नाम - इंडियन मेलो अतिबला पौधा का कुल - मालवेसी
अतिबला का पौधा भारत में पाया जाने वाला एक मुख्य पौधा है। अतिबला जड़ी-बूटी के रूप में प्रयोग किया जाता है। अतिबला का पौधा भारत में हर जगह पाया जाता है। अतिबला के पौधे को खरैटी के पौधे के नाम से भी जाना जाता है। अतिबला का पौधा बहुत सारे रोगों का उपचार करता है। यह पौधा औषधि रूप से महत्वपूर्ण है। अतिबाला के पौधा झाड़ीनुमा होता है। यह पौधा जंगलों में, सड़कों के किनारे आराम से देखने के लिए मिल जाता है। अतिबाला के पूरे पौधे में रोए पाए जाते हैं। इसके रोए सफेद और कोमल होते हैं। अतिबला बहुत सारे रोगों के उपचार के लिए प्रयोग किया जाता है। अतिबला पौधे को बहुत सारे नामों से जाना जाता है।
अतिबला के बीज बहुत ही उपयोगी रहते हैं। अतिबला के बीजों का प्रयोग स्त्री और पुरुष दोनों ही कर सकते हैं। इसके बीजों से बहुत सारे रोग दूर होते हैं। अतिबला का पौधे की ऊंचाई 4 से 5 फिट होती है। अतिबला का पौधा झाड़ी नुमा होता है। अतिबला पौधे में छोटी-छोटी टहनियां देखने के लिए मिलती हैं। अतिबला पौधे की पत्तियां हरे रंग की होती है।
अतिबला के पेड़ की पत्तियां हृदय आकार की होती हैं। अतिबला की पत्तियां किनारों पर कोने निकले रहते है। अतिबाला पौधे का फूल बहुत ही सुंदर रहता है। अतिबाला पौधे में पीले कलर के फूल खिलते हैं। अतिबला के फूलों में पांच पंखुड़ी देखने के लिए मिलती हैं और फूलों के ऊपर परागण देखने के लिए मिलते हैं, जो बहुत ही सुंदर लगते हैं। अतिबला का पौधा बरसात के समय अपने आप उग जाता है।
अतिबला के पेड़ के, जो फल रहते हैं। वह बहुत ही आकर्षक लगते हैं। इन फलों का आकार बहुत ही सुंदर रहता है और यह फल आकर्षण का मुख्य केंद्र है। इन्हीं फलों के अंदर बीज पाए जाते हैं, जो बहुत सारे रोगों को दूर करते हैं। प्रारंभिक अवस्था में यह फल हरे कलर के रहते हैं और जब यह फल पक जाते हैं, तो यह फल भूरे कलर के हो जाते हैं।
अतिबला का फल के अंदर के, बीज भी प्रारंभिक अवस्था में सफेद रंग के रहते हैं और पकने के बाद यह बीज काले कलर के हो जाते हैं। अतिबला का पौधा भारत में हर जगह देखने के लिए मिल जाता है। अतिबला के पौधों के सभी भाग का उपयोग औषधि के रूप में किया जाता है। अतिबला के बहुत सारे उत्पाद प्रयोग किए जाते हैं। अतिबला का चूर्ण बाजारों में आसानी से मिल जाता है। इसका प्रयोग बहुत सारे कामों में किया जाता है। अतिबला के पौधे का स्थानीय नाम कंघी है। अतिबला के पौधे को कंघी या कंगी कहा जाता है। यह नाम इसके फलों को देखकर रखा गया है।
अतिबला पौधे के औषधीय गुण, महत्व और फायदे - Medicinal properties, importance and benefits of Atibala plant
अतिबला का पौधा एक आयुर्वेदिक प्लांट है। अतिबला का पौधा संपूर्ण भारत में पाया जाता है। अतिबला का पौधा देखने में बहुत सुंदर लगता है। अतिबला के पौधे को बहुत सारे लोग खरपतवार समझते हैं और इसे उखाड़ के फेंक देते हैं। मगर यह पौधा बहुत लाभकारी रहता है। इस पौधे में बहुत सारे गुण रहते हैं, जो मानव शरीर के रोगों को दूर करते हैं। अतिबला के पौधे की पत्तियां, जड़ एवं बीजों का प्रयोग बहुत सारे रोगों को दूर करने के लिए किया जाता है। अतिबला का पौधा कड़वा, तीखा, पचने मे हल्का और वात पित्त को संतुलित करता है। अतिबला के पौधे से बहुत सारे रोगों का उपचार किया जा सकता है।
अतिबला का पौधे के फायदे - Benefits of Atibala plant
अति बला से बवासीर का इलाज
बवासीर में अतिबला का प्रयोग किया जाता है। अतिबला के प्रयोग करने से बवासीर में आराम मिलता है। अतिबला के बीजों का बाबासीर में प्रयोग किया जा सकता है। अतिबला के बीजों को पानी में भिगोकर, इस पानी को पीने से बवासीर में लाभ होता है।
बाबासीर में अतिबला की पत्तियों का प्रयोग भी किया जा सकता है। अतिबाला के पत्तों की सब्जी बनाकर खाने से बवासीर में लाभ मिलता है।
अतिबला के पत्तों का काढ़ा बनाकर पीने से भी बवासीर में लाभ मिलता है।
अतिबाला की जड़ का काढ़ा बनाकर सेवन करने से बवासीर में लाभ मिलता है।
मूत्र रोग में अति बला का प्रयोग
मूत्र रोग में अतिबला का प्रयोग किया जा सकता है। मूत्र रोग में अतिबला की पत्तियों का काढ़ा बनाकर किया जा सकता है। जिससे मूत्र रोग से संबंधित बीमारियां ठीक होती है।
डायबिटीज में अतिबला की पत्तियों के फायदे
डायबिटीज में अतिबला की पत्तियों का प्रयोग किया जा सकता है। अतिबला के पत्तों के चूर्ण का प्रयोग करने से डायबिटीज में फायदा मिलता है। अतिबला की पत्तियों में डायबिटीज को नियंत्रित करने का गुण पाया जाता है।
पथरी की समस्या में अतिबला का प्रयोग
अतिबला का प्रयोग पथरी की समस्या में किया जा सकता है। अतिबला के पत्तों एवं जड़ का प्रयोग पथरी में किया जाता है। अतिबला के पत्तों और जड़ का काढ़ा बनाकर, पीने से पथरी पेशाब के रास्ते से बाहर निकल आती है।
अतिबला से सफेद दाग का इलाज
अतिबला का प्रयोग सफेद दाग के इलाज में किया जाता था। अतिबला के जड़ के चूर्ण घाव को सुखाने में, अतिबला का प्रयोग किया जाता है। अतिबला के पत्तों एवं फूलों का काढ़ा बनाकर, घाव को धोने से घाव जल्दी भर जाता है और अतिबला के पत्तों एवं फूलों का लेप भी बनाकर घाव में प्रयोग किया जा सकता है।
दांत के दर्द में अतिबला का प्रयोग
दांत के दर्द में अति बला की पत्तियों का प्रयोग किया जा सकता है। अति बला की पत्तियों का काढ़ा बनाकर गरारे करने से दांत का दर्द में आराम मिलता है।
पेचिश में अति बला का प्रयोग
पेचिश में अतिबला की पत्तियों का प्रयोग किया जाता है। अति बला की पत्तियों की सब्जी को घी के साथ सेवन करने से फायदा मिलता है।
अतिबला के बीजों का पाउडर या चूर्ण - Atibala seeds powder
अतिबला के बीज बहुत उपयोगी रहते हैं और अतिबला के बीजों से बहुत सारे रोगों को दूर किया जाता है। अतिबला के बीज का पाउडर का उपयोग किया जाता है। अतिबला का पाउडर या चूर्ण बाजार में उपलब्ध रहता है। बाजार में आप इसे खरीद कर उपयोग कर सकते हैं या आप चाहे, तो इसे घर में भी आराम से बना सकते हैं। अति बला के बीजों का पाउडर बनाने के लिए पके हुए अति बला के फल को तोड़ा जाता है।
अतिबला का फल, जब पक जाता है। तब यह काले कलर का हो जाता है और अतिबला के फल के अंदर, जो बीज रहते हैं। वह भी काले कलर के हो जाते हैं। इसके फल के बीज को आप तोड़कर इकट्ठा कर ले और इन्हें बारीक पीस लें। आप इसका उपयोग कर सकते हैं।
अतिबला का पौधा कैसे लगाया जा सकता है और अतिबला का पेड़ कहां मिलता है - How to plant Atibala tree and where to get Atibala tree
अतिबला का पौधा लगाना बहुत ही आसान है। यह एक जंगली पौधा है, जिसे अतिबला कहीं पर भी आसानी से उग जाता है। लोगों के घरों के आसपास जंगलों में, झाड़ियों में, यह आसानी से देखा जा सकता है। बरसात में यह पौधा अपने आप स्वयं उग जाता है। अगर आप इसे अपने घर में लगाना चाहते हैं या गमले में लगाना चाहते हैं, तो आप इस के बीज का प्रयोग कर सकते हैं। इसके बीज से यह आसानी से उग जाता है।
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