बेल (बिल्व) का पौधा - Bel (Bilva) plant
बेल का अंग्रेजी नाम - वुड एप्पल
बेल का वानस्पतिक नाम - एग्ले मार्मेलोस कोरेआ एक्स रौक्स
बेल एक मुख्य औषधीय पौधा है। बेल भारत में हर जगह मिलता है। बेल का पौधा धार्मिक रूप से भी महत्वपूर्ण है। बेलपत्री शिव भगवान जी की प्रिय है और लोग इसे शिव भगवान जी को चढ़ाते हैं। बेल पत्री को महाशिवरात्रि और सावन सोमवार के समय धड़ल्ले से बेचा जाता है और इसे खूब पैसा कमाया जाता है। बेल का फल औषधि रूप से महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह शरीर के रोग को ठीक करता है। बेल के औषधीय गुणों के बारे में लोगों को जानकारी नहीं है। मगर बेल के धार्मिक महत्व के बारे में सभी लोगों को पता है और सभी लोग बेल पत्री का उपयोग करते हैं। इस ब्लॉग के माध्यम से हम बेल के पौधे और उसके औषधीय गुणों के बारे में जानकारी देने वाले हैं।
बेल का पौधा 15 से 25 फीट ऊंचा होता है। बेल के पौधे में कांटे लगे होते हैं। बेल का पौधा भारत में सभी जगह पाया जाता है। बेल का पौधा घरों में और जंगलों में आराम से देखने के लिए मिल जाता है। जंगल में, जो बेल का पौधा पाया जाता है। उसके बेल छोटे-छोटे रहते हैं और घरों में, जो पौधा पाया जाता है। उसके बेल आकार में बड़े रहते हैं। बेल के पौधे से एक अलग ही प्रकार की सुगंध आती है। बेल के पत्ते मार्च माह में पूरी तरह से गिर जाते हैं और अप्रैल माह में नए पौधे आने लगते हैं। जब बेल के पत्ते गिर जाते हैं, तो इसमें आपको फल देखने के लिए मिलते हैं।
मार्च के समय फल पूरी तरह परिपक्व हो जाते हैं और पीले दिखते हैं। बेल के फूल सफेद कलर के रहते हैं और छोटे आकार के रहते हैं। बेल में जब फल लगता है, तो हरे रंग का रहता है और जब फल पक जाता है, तो वह पीले कलर का हो जाता है। बेल के फूलों में बहुत अच्छी सुगंध रहती है। बेल के फल का कवच बहुत कड़ा रहता है। इसे पत्थर से तोड़ना पड़ता है। बेल के फल के अंदर आपको चिपचिपा गुदा देखने के लिए मिलता है। इस गूदे को खाने में प्रयोग किया जाता है।
बेल के फल के गूदे से शरबत बनाया जाता है। इसका शरबत बहुत स्वादिष्ट रहता है और यह औषधीय गुणों से भरपूर रहता है। बेल के गूदे को सुखाकर पाउडर बना लिया जाता है और इसके पाउडर का प्रयोग आप साल भर कर सकते हैं। बेल के फल के अलावा बेल की पत्ती का औषधीय रूप से प्रयोग किया जा सकता है। बेल को गर्मी में खाया जाना शुभ माना जाता है। हमारे हिंदू धर्म में बेल को वैशाख महीने में जरूर खाना चाहिए।
बेल के फल को खाने के फायदे, गुण और महत्व - Benefits, properties and importance of eating bael fruit
बेल के गुण - बेल में ग्राही, रक्तस्तंभक, शोधहर, पाचक और ज्वर्णाशक गुण होते हैं। इसका प्रयोग अतिसार, ग्रहणी, प्रवाहिका में किया जाता है।
बेल के फायदे - Benefits of Bael
- बेल के फल का प्रयोग डायरिया और पेंचिस में किया जा सकता है। अगर आप इन समस्याओं से ग्रसित है, तो आप बेल के फल का प्रयोग कर सकते हैं। आप बेल के फल का प्रतिदिन प्रयोग कर सकते हैं, जिससे आपको जल्दी आराम मिलेगा।
- अगर आप को दस्त की समस्या है, तो आप इसके लिए भी बेल का प्रयोग कर सकते हैं। बेल के सेवन से आपको इसमें फायदा मिलता है और बेल के सेवन से पेट साफ हो जाता है और बार-बार दस्त नहीं लगते हैं।
- खून साफ करने में बेल के जूस का प्रयोग किया जाता है। खून की अशुद्धि के कारण फुंसी, पिंपल्स, खुजली जैसे रोग होते हैं। आप बेल का जूस बनाकर पी सकते हैं, जिससे आपका खून साफ होगा और यह सभी परेशानियां दूर हो जाएंगे। इसके लिए बेल का जूस का नियमित प्रयोग करें, जिससे आपके खून में जो भी अशुद्धि रहती है। वह साफ हो जाती है और आपको फोड़े फुंसी से राहत मिलती है।
- लू से बचाव के लिए, बेल का शरबत पीने की सलाह दी जाती है, क्योंकि बेल का शरबत ठंडाई प्रदान करता है और आप घर से बाहर निकलते हैं, तो बेल का शरबत पीकर निकले हैं, जिससे आपका शरीर ठंडा रहे और आपको लू ना लगे। वैशाख महीने में इसलिए बेल खाने के लिए बोलते हैं।
- बेल खाने से किडनी की कार्य क्षमता भी बढ़ती है। इसलिए आप ताजे बेल का प्रयोग करें।
- बेल खाने से लीवर कार्य अच्छी तरह से करता है, क्योंकि बेल शरीर की सारी अशुद्धियों को नष्ट कर देता है।
- जब छोटे बच्चों के दांत निकलते समय, तब बच्चों को दस्त लगने लगते है। इसमें बेल के चूर्ण में पानी मिलाकर पका लेना चाहिए और इसमें शहद मिलाकर बच्चों को देना चाहिए, जिससे बच्चों को राहत मिलती है।
- कब्ज में बेल के शरबत को पीना चाहिए है।
- हैजे की समस्या में बेल का शरबत और बेलपत्र का चूर्ण को पानी के साथ लेना चाहिए, जिससे राहत मिलती है।
- कच्चे फल का गूदा गुड़ के साथ पकाकर या शहद मिलाकर देने से रक्त अतिसार और खूनी बवासीर में लाभ पहुंचता है।
बेलपत्र का उपयोग - use of beal leaf
बेलपत्र का उपयोग शिव भगवान जी को चढ़ाने के लिए किया जाता है। बेलपत्र का उपयोग भारी मात्रा में लोग करते हैं। बेलपत्र में तीन पत्तों वाली बेलपत्र शिवलिंग को बेलपत्र पर चढ़ाया जाता है। बेलपत्र का शिव भगवान जी के चढ़ाने की अतिरिक्त शरीर में भी फायदा पहुंचाता है। बेलपत्र के रस को निकालकर काली मिर्च के साथ देने से पीलिया और पुराने कब्ज में आराम मिलता है।
बेलगिरी चूर्ण कैसे बनाएं - How to make Belgiri Churna
बेलगिरी चूर्ण बनाने के लिए पका हुआ फल लेना है और इसका गूदा निकाल लेना है। इसका गुदा सुखा लेना है और सुख जाने में इसका मिक्सी या पत्थर में कूट कर पाउडर बना लेना है। यह आपका बेलगिरी चूर्ण बन जाएगा। आप इसे घर में ही बना सकते हैं और यह पूरी तरह से प्राकृतिक रहता है।
बेल का शरबत कैसे बनाएं - how to make bael syrup
बेल का शरबत बनाने के लिए आप को पका हुआ बेल लेना है। उसका गूदा निकालना है। इस गूदे को आप पानी में कुछ देर छोड़ दीजिए। उसके बाद आपको इस गूदे को मसल लेना है। मसलने के बाद आप इसमे पानी में अच्छी तरह मिला लीजिए। उसके बाद आप स्वाद अनुसार चीनी डालकर इसे शरबत के रूप में प्रयोग कर सकते हैं। वैसे आपको यह बाजार में भी मिल जाता है। मगर आप घर में ताजे बेल से बना सकते है। जो अच्छा रहेगा।
बेल बाजार में आपको आसानी से मिल जाता है और इसके अलावा और घरों में भी बेल के पौधे रहते हैं, जिससे बेल को तोड़कर उपयोग कर सकते हैं।
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