नालंदा जिला के दर्शनीय स्थल - Places to visit in Nalanda / नालंदा जिले के आसपास घूमने वाली प्रमुख जगह
नालंदा बिहार राज्य का एक प्रमुख जिला है। नालंदा बिहार की राजधानी पटना से करीब 60 किलोमीटर दूर है। नालंदा जिला में आपको प्राचीन विश्वविद्यालय देखने के लिए मिलता है। यह दुनिया में एकमात्र सबसे पहला विश्वविद्यालय है। अब इस विश्वविद्यालय के आपको खंडहर देखने के लिए मिलते हैं। यह बहुत बड़े क्षेत्र में फैला हुआ है। नालंदा में महावीर स्वामी का जन्म हुआ है और उन्हें मोक्ष भी प्राप्त हुआ है। नालंदा में बहुत ही बहुत सारी आश्चर्यजनक जगह है, जहां पर आप घूम सकते हैं। नालंदा जिले का मुख्यालय बिहार शरीफ है। नालंदा जिले में पंचाने नदी बहती है। पंचाने नदी नालंदा जिले के बीचो-बीच से बहती है। नालंदा जिले में बुद्ध भगवान जी ने अपना उपदेश दिया था। बुद्ध भगवान जी यहां पर अपना बहुत सारा समय बिताया था। यहां पर राजा बिंबिसार का भी शासन हुआ करता था। नालंदा जिले में घूमने के लिए बहुत सारी जगह है। चलिए जानते हैं, कि - नालंदा जिले में घूमने लायक कौन-कौन सी जगह है। जहां पर आप जाकर अपना बहुत अच्छा समय बिता सकते हैं।
नालंदा में घूमने की जगह - Nalanda Mein ghumne ki jagah
नालंदा महाविहार बिहार - Nalanda Mahavihar Bihar
नालंदा महाविहार बिहार राज्य का एक मुख्य पर्यटन स्थल है। नालंदा महाविहार पूरे विश्व में प्रसिद्ध है। यह वर्ल्ड हेरिटेज साइट में शामिल है। यहां पर आपको विश्व का पहला विश्वविद्यालय देखने के लिए मिलता है। यहां पर आपको नालंदा विश्वविद्यालय के खंडहर देखने के लिए मिलते हैं। यह खंडहर बहुत बड़े क्षेत्र में फैले हुए हैं। यहां पर आपको बौद्ध विहार, बौद्ध चैतन्य, बौद्ध मंदिर देखने के लिए मिल जाते हैं। नालंदा विश्वविद्यालय एवं महाविहार नालंदा जिले के बड़गांव में स्थित है। आप यहां पर अपनी गाड़ी से पहुंच सकते हैं। यहां पर सभी प्रकार की सुविधाएं उपलब्ध है। इस बौद्ध विहार में प्रवेश के लिए शुल्क लिया जाता है। यहां पर भारतीय व्यक्ति का 40 रुपए का शुल्क लिया जाता है। विदेशी व्यक्ति का 600 रुपए एक व्यक्ति का लिया जाता है। 15 वर्ष से कम आयु के बच्चों के लिए प्रवेश निशुल्क है। नालंदा महाविहार 9 से 4:40 बजे तक खुला रहता है।
छठी शताब्दी ईसा पूर्व में, भगवान महावीर और बुद्ध के काल से ही नालंदा की ऐतिहासिकता के प्रमाण प्राप्त होते हैं। बुद्ध के परम प्रिय शिष्यों में से एक सारीपुत्र के जन्म एवं निर्वाण स्थल के रूप में भी इसे जाना जाता है। प्राचीन कला व संस्कृति के विख्यात शिक्षा संस्थान व महाविहार के रूप में इसकी पहचान पांचवी शती में स्थापित हुई। जब चीन सहित अनेक सुदूरवर्ती देशों से बौद्ध भिक्षु ज्ञान अर्जन हेतु यहां आते थे। इस संस्थान से जुड़े विद्वानों में नागार्जुन, आर्यदेव, वसुबंधु, धर्मपाल, सुविष्णु, असंग, शीलभद्र, धर्मकीर्ति, शांतरक्षित इत्यादि प्रमुख हैं।
इनके अतिरिक्त प्रसिद्ध चीनी यात्री ह्वेनसांग और इत्सिंग के नाम विशेष उल्लेखनीय है, जिन्होंने अपनी यात्रा वृतांत में नालंदा के महाविहारों, मंदिरों तथा बौद्ध भिक्षुओं के जीवन शैली आदि का विषाद वर्णन किया है। धर्मशास्त्र, व्याकरण, तर्कशास्त्र, खगोलकी, तत्वज्ञान, चिकित्सा एवं दर्शन शास्त्र आदि इस शिक्षा केंद्र में अध्ययन के प्रमुख विषय थे। अभिलेखों प्रमाण के अनुसार समकालीन शासक को द्वारा दान किए गए अनेक ग्रामों के राजस्व से इन महाविहारों व्यय वहन किया जाता था।
प्राचीन युग के एक महानतम विश्वविद्यालय के रूप में प्रतिष्ठित नालंदा महाविहार की स्थापना गुप्त सम्राट कुमारगुप्त प्रथम द्वारा की गई थी। इसकी स्थापना 413 से 455 ईशा पूर्व की गई थी। कन्नौज नरेश हर्षवर्धन व पूर्वी भारत के पाल शासकों के समय में भी महाविहारों को राज प्रसाद अनावृत प्राप्त होता रहा। यद्यपि इस महान शिक्षा संस्थान का क्रमिक हर्ष परिवर्ती पाल शासकों के समय से ही प्रारंभ हो चुका था। किंतु लगभग 12 ईसवी में बख्तियार खिलजी के आक्रमण के परिणाम स्वरूप नालंदा की पूर्णता धरती के गर्भ में समा गई।
भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण द्वारा कराए गए उत्खनन से यहां ईट निर्मित 6 मंदिर एवं 11 विहारों की सुनियोजित श्रंखला मिली है। जिनका विस्तार 1 वर्ग किलोमीटर से भी अधिक के क्षेत्र में है। लगभग 30 मीटर चौड़े उत्तर दक्षिण पथ के पश्चिम में मंदिरों की व पूर्व में विहारों की श्रंखला है। आकार एवं विन्यास में सभी विहार लगभग एक जैसे हैं। सर्वाधिक महत्वपूर्ण संरचना दक्षिणी छोर पर स्थित मंदिर संख्या तीन है, जिसमें निर्माण के सात चरण है। इसके निकट छोटे आकार के मनौती स्तूपों का एक विशाल समूह है।
महाविहारों और मंदिरों के भग्नावशेषों प्रस्तर, कासा एवं स्टकों में निर्मित अनेक मूर्तियां तथा कलाकृतियां उत्खनन से प्राप्त हुई है। इनमें से विभिन्न मुद्राओं में बुद्ध, अवलोकितेश्वर, मंजूश्री, तारा, प्रज्ञापारमिता, मरीचि, जमभ्ल आदि बौद्ध प्रतिमाएं तथा विष्णु, शिव पार्वती, महिषासुर मर्दिनी, गणेश सूर्य इत्यादि हिंदू देवी देवताओं की प्रतिमा प्रमुख है। इसके अतिरिक्त भित्ति चित्र, ताम्रपत्र, प्रस्तर एवं ईटो पर उत्कीर्ण अभिलेख, मुद्राएं, फलक, सिक्के, टेराकोटा, आदि की प्राप्ति भी उल्लेखनीय है। इन सभी का प्रदर्शन संग्रहालय में किया गया है।
पुरातत्व संग्रहालय नालंदा - Archaeological Museum Nalanda
पुरातत्व संग्रहालय नालंदा में घूमने वाली एक प्रमुख जगह है। नालंदा पुरातत्व संग्रहालय की स्थापना वर्ष 1917 ईस्वी में हुई थी। इसमें मुख्यता निकट स्थित पुरास्थलों के उत्खनन से प्राप्त सामग्री को संग्रहित किया गया है, जिसकी पहचान प्राचीनतम विश्वविद्यालय सह महाविहार परिसर नालंदा के रूप में की गई है। इसके अतिरिक्त राजगीर तथा नालंदा के निकटवर्ती ग्रामों से मिले कुछ पुरावस्तुओं को भी यहां पर संजोया गया है।
इस संग्रहालय में प्रस्तर निर्मित प्रतिमाएं व शिल्प, कांसा की सामग्री, पक्की मिट्टी की कलाकृतियां, गच शिल्प, लौह उपकरण, हाथी दांत एवं हड्डियों से निर्मित वस्तुएं, अभिलेखयुक्त, शिलापट्ट, मिट्टी के बर्तन, बेशकीमती मटके आदि का बहमूल्य संग्रह देखने के लिए मिलता है। इनकी तिथि पांचवी से बारहवीं शताब्दी है। अधिकांश मूर्तियां बौद्ध देवी-देवताओं की है। जैन एवं हिंदू धर्म से संबंधित मूर्तियों की भी प्रचुर मात्रा है। मुख्य दीर्घा के अतिरिक्त 4 और गैलरिया हैं, जिनमें उत्कृष्ट प्राचीन सामग्रियों को प्रदर्शित किया गया है।
पुरातत्व संग्रहालय में प्रवेश करने का शुल्क लिया जाता है। यहां पर एक व्यक्ति का 15 रूपए लिया जाता है। यहां पर संग्रहालय के खुलने का समय 9 बजे से शाम के 5 बजे तक है। संग्रहालय शुक्रवार को बंद रहता है। आप इस संग्रहालय में आकर बहुत सारी जानकारियों को हासिल कर सकते हैं। यहां पर आपको अच्छा लगेगा। संग्रहालय के बाहर आपको बगीचा देखने के लिए मिलता है, जो बहुत सुंदर है और यहां पर आप आकर बहुत सारी जानकारियां हासिल कर सकते हैं।
बौद्ध मंदिर (सराय टीला) नालंदा - Buddhist Temple (Sarai Tila) Nalanda
बौद्ध मंदिर (सराय टीला) नालंदा में स्थित एक प्राचीन मंदिर है। यह नालंदा महाविहार के पास में स्थित है। इस बौद्ध मंदिर का उत्खनन 1973 से 1974 के मध्य भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण द्वारा किया गया था। इस टीले से एक बहुमंजिला बौद्ध मंदिर के अवशेष प्राप्त हुए हैं। यह मंदिर पूर्वाभिमुखी है। मंदिर के गर्भ गृह में सामने एक मंडप था। जिसके पार्श्व भित्ति ईटों द्वारा निर्मित आलो और स्तंभों से युक्त है। मंदिर के चारों ओर लगभग 6 मीटर चौड़ा प्रदक्षिणा पथ तथा ऊपर चढ़ने के लिए पूर्वी भुजा के दोनों ओर पर सीढ़ियां का प्रावधान था।
पूरा परिसर मजबूत चारदीवारी से घिरा हुआ था, जिसके अंतर्गत अनेक मौनती स्तूप तथा छोटे छोटे मंदिरों के प्रमाण विद्यमान है। गर्भग्रह में पाषाण खंडों से निर्मित एक पीठासन पर खड़े बुद्ध की विशालकाय प्रतिमा के पांव का भाग मिला है, जिसे देखकर अनुमान किया जा सकता है, कि यह प्रतिमा लगभग 80 फुट ऊंची रही होगी। गर्भ ग्रह के पीठासीन के आलों में पालकालीन चित्रकारी के प्रमाण भी विशेष उल्लेखनीय है। उत्खनन से प्राप्त एक अभिलेख के अनुसार इस मंदिर का निर्माण सातवीं शताब्दी के आरंभ में पूर्णवर्मन नामक राजा के शासनकाल में किया गया था। आप नालंदा घूमने के लिए आते हैं, तो आप इस जगह को भी देख सकते हैं।
श्री तेलिया भंडार भैरव मंदिर नालंदा - Shri Telia Bhandar Bhairav Temple Nalanda
श्री तेलिया भंडार भैरव मंदिर नालंदा में ,नालंदा महाविहार में स्थित मुख्य मंदिर है। यह नालंदा जिले में बड़गांव में स्थित है। यहां पर आपको बुद्ध भगवान जी काले कलर की एक बहुत बड़ी प्रतिमा देखने के लिए मिलती है। यह प्रतिमा बहुत सुंदर लगती है। इस प्रतिमा में बुद्ध भगवान जी भूमि स्पर्श मुद्रा में बैठे हुए हैं। इस मंदिर को यहां के लोकल लोगों द्वारा तेलिया भैरव मंदिर के नाम से जाना जाता है। आप यहां पर आ कर बुद्ध प्रतिमा के दर्शन कर सकते हैं।
सूर्य मंदिर नालंदा - Sun Temple Nalanda
सूर्य मंदिर नालंदा का एक मुख्य आकर्षण स्थल है। यह मंदिर प्राचीन है। इस मंदिर में आपको सूर्य भगवान जी की प्राचीन प्रतिमा देखने के लिए मिलती है। इस मंदिर में सूर्य भगवान जी की काले कलर की प्रतिमा विराजमान है। यहां पर चौमुखी शिवलिंग के दर्शन करने के लिए मिलते हैं। यह मंदिर ज्यादा बड़ा नहीं है, छोटा है। मगर यह बहुत सुंदर लगता है। यहां पर छठ पूजा के समय बहुत भीड़ लगती है। बहुत सारे लोग यहां पर घूमने के लिए आते हैं। यह मंदिर नालंदा जिले में बड़गांव में स्थित है। आप यहां पर घूमने के लिए आ सकते हैं।
कुंडलपुर जैन मंदिर नालंदा - Kundalpur Jain Temple Nalanda
कुंडलपुर जैन मंदिर नालंदा का एक प्रसिद्ध मंदिर है। यह मंदिर जैन धर्म के लोगों मे प्रसिद्ध स्थल है। यह स्थल जैन धर्म के 24वें तीर्थंकर महावीर भगवान जी का जन्म स्थान है। यहां पर आपको महावीर भगवान जी का प्राचीन गर्भ एवं जन्मस्थली देखने के लिए मिलती है। यहां पर महावीर भगवान जी का मंदिर देखने के लिए मिलता है, जहां पर महावीर भगवान जी की खड़ी हुई मुद्रा में प्रतिमा के दर्शन करने के लिए मिलते हैं। यह प्रतिमा सफेद रंग की है और बहुत ही सुंदर लगती है।
यहां पर आपको त्रिकाल चौबीसी मंदिर देखने के लिए मिलता है। यह मंदिर भी बहुत सुंदर है और यहां पर आपको जैन तीर्थकारों के दर्शन करने के लिए मिलते हैं। यहां पर आपको सर्व सिद्धि ऋषभदेव जी के दर्शन करने के लिए मिलते हैं, उनकी प्रतिमा बहुत सुंदर लगती है। यहां पर पार्श्वनाथ भगवान जी के दर्शन करने के लिए मिलते हैं। यह मंदिर बहुत ही भव्य तरीके से बना हुआ है। यहां पर और भी बहुत सारे मंदिर बने हुए हैं, जिनके दर्शन आप कर सकते हैं।
मंदिर में सभी प्रकार की सुविधाएं मिल जाती है। मंदिर में ठहरने की व्यवस्था उपलब्ध है। यहां पर भोजशाला उपलब्ध है। मंदिर की वास्तुकला बहुत ही सुंदर है। मंदिर में सुंदर गार्डन बना हुआ है। आपको यहां पर आकर अच्छा लगेगा शांति मिलेगी। यह नालंदा जिले मुस्तफापुर में स्थित है।
ह्वेनसांग मेमोरियल नालंदा - Hiuen Tsang Memorial Nalanda
ह्वेनसांग मेमोरियल नालंदा जिले का एक मुख्य पर्यटन स्थल है। ह्वेनसांग मेमोरियल चीनी यात्री ह्वेनसांग को समर्पित है, जिन्होंने छठवीं शताब्दी में भारत में यात्रा की थी। वह दुनिया के विशिष्ट महापुरुषों में से एक थे, जिनका महान उद्देश मानव जाति का कल्याण और मानव सभ्यता के मूल्यों की व्याख्या करना था। उन्होंने भारत में यात्रा की थी और भारत के प्रसिद्ध जगहों के बारे में और खास करके नालंदा विश्वविद्यालय के बारे में बहुत सारी जानकारी अपनी किताबों में लिखी थी।उन्हीं के द्वारा नालंदा यूनिवर्सिटी पूरे विश्व में प्रसिद्ध हुई। यहां पर आपको सुंदर मेमोरियल देखने के लिए मिलता है। मेमोरियल चाइनीस वास्तुकला में बनाया गया है। मेमोरियल के बाहर आपको ह्वेनसांग की मूर्ति देखने के लिए मिलती है और यहां पर बड़ा सा गार्डन भी बना हुआ है, जो बहुत सुंदर है। आप यहां पर घूमने के लिए आ सकते हैं। यह मेमोरियल नालंदा जिले में कुंडलपुर जैन मंदिर के पास में स्थित है।
पुष्कर्णी झील नालंदा - Pushkarni Lake Nalanda
पुष्कर्णी झील नालंदा में कुंडलपुर जैन मंदिर के पास में स्थित है। यह झील बहुत बड़े क्षेत्र में फैली हुई है और बहुत सुंदर लगती है। ठंड के समय बहुत सारे विदेशी पक्षी देखने के लिए मिलते हैं। यहां पर आप घूमने के लिए आ सकते हैं और अपना बहुत अच्छा समय बिता सकते हैं। झील के चारों तरफ पेड़ पौधे लगे हुए हैं।
जल मंदिर पावापुरी नालंदा - Jal Mandir Pawapuri Nalanda
जल मंदिर पावापुरी नालंदा का एक प्रसिद्ध जैन तीर्थ स्थल है। यहां पर एक बड़ी सी झील देखने के लिए मिलती है। झील के बीचो बीच जल मंदिर बना हुआ है। यह मंदिर बहुत सुंदर लगता है और पूरा मंदिर सफेद संगमरमर से बना हुआ है। इस मंदिर तक जाने के लिए पुल बना हुआ है। इस झील में कमल के फूल देखने के लिए मिलते हैं। इस झील का नजारा बहुत सुंदर रहता है। यहां पर बहुत सारे पंछी देखने के लिए मिलते हैं। यह मंदिर बहुत सुंदर लगता है। यह मंदिर जैन धर्म के 24वें तीर्थंकर भगवान महावीर को समर्पित है। यहां पर महावीर भगवान जी का अंतिम संस्कार हुआ था और उन्होंने निर्वाण प्राप्त किया था।
पावापुरी का जल मंदिर का इतिहास कुछ इस प्रकार है। आज से लगभग छठी शताब्दी ईसा पूर्व जैन धर्म के 24वें अंतिम तीर्थकर भगवान महावीर का निर्वाण होने पर देवताओं द्वारा यहां पर अंतिम संस्कार किया गया। इस पवित्र स्थान की भस्म व मिट्टी को उठाते उठाते एक बड़ा सा गड्ढा बन गया, जो एक विशाल सरोवर का स्थान ले लिया। इस सरोवर में कमल खेलते रहने से, इसे कमल सरोवर भी कहते हैं। वर्तमान में इस सरोवर की लंबाई 1451 फीट चौड़ी और 1223 फीट है।
राजा नंदीवर्धन के द्वारा भगवान महावीर की चरण पादुका, कमल सरोवर के मध्य स्थापित कर मंदिर का निर्माण कराया गया, जो आज जल मंदिर पावापुरी के नाम से विश्व विख्यात है। प्रभु की दाई और गौतम गणधर एवं बाई और सुधर्मा गणधर के चरण है। भगवान महावीर का निर्वाण कार्तिक अमावस्या दीपावली को हुआ था। अतः उस दिन निर्वाण लड्डू चढ़ाया जाता है। आप यहां पर आकर घूम सकते हैं। आपको बहुत अच्छा लगेगा और मन को शांति का एहसास होता।
राजगीर नालंदा - Rajgir Nalanda
राजगीर नालंदा शहर का एक प्रमुख पर्यटन स्थल है। राजगीर में घूमने के लिए बहुत सारी जगह मिल जाती है, जहां पर आप जाकर अपना बहुत अच्छा समय बिता सकते हैं। यहां पर हिंदू, मुस्लिम, सिख, ईसाई और बौद्ध धर्म के बहुत सारे धार्मिक स्थल देखने के लिए मिलते हैं। यहां पर गर्म पानी के कुंड देखने के लिए मिलते हैं। राजगीर पहाड़ों और जंगलों से घिरा हुआ है। यहां पर आप आकर अच्छा समय बिता सकते हैं। राजगीर में घूमने वाली प्रमुख जगह इस प्रकार है।
विश्व शांति स्तूप
नेचर सफारी पार्क
सोनाभंडार राजगीर
जरासंध का अखाड़ा
रथ चक्र चिन्ह एवं शंखलिपि
मनियार मठ
गिद्ध कूट पर्वत
मखदूम कुंड
ब्रह्मकुंड राजगीर
सप्तपर्णी गुफा
पांडू पोखर
जापानी मंदिर
वेणु वन
वीरायतन
नौलखा मंदिर
घोड़ा कटोरा झील
इसके अलावा बहुत सारी जगह है, जहां पर आप घूम सकते हैं।
तेल्हाड़ा नालंदा - Telhara Nalanda
तेल्हारा नालंदा जिले का एक प्रमुख ग्राम है। इस ग्राम में प्राचीन तिलाधक विश्वविद्यालय की खोज की गई है। यह विश्वविद्यालय नालंदा में खोजी गई एक नई उपलब्धि है। यह विश्वविद्यालय नालंदा से तकरीबन 33 किलोमीटर दूर पश्चिम में सुदी और कतार नदियों के बीच में स्थित है। यह प्राचीन महाविहार और विश्वविद्यालय के अवशेष देखे जा सकते हैं, जो हाल ही में लोगों के सामने आए हैं। यह बिहार नालंदा जिले के तेल्हारा ग्राम में स्थित है। इस जगह को 2007 में बिहार के मुख्यमंत्री श्री नीतीश कुमार जी ने अपनी यात्रा के दौरान देखा था। उन्होंने यहां के पुरातत्व अवशेषों को देखकर कला संस्कृति और युवा विभाग को उत्खनन करने का निर्देश दिया और यहां पर उत्खनन कार्य प्रारंभ हुआ।
इस विश्वविद्यालय के बारे में चीनी यात्री ह्वेनसांग ने अपनी किताब में लिखा है। इस यात्री के अनुसार विश्वविद्यालय परिसर के अंतर्गत 1000 भिक्षुओं के अध्ययनरत हेतु होने की सूचना मिलती है, जो बौद्ध धर्म के महायान शाखा से संबंधित है। इस स्थल पर निर्मित महाविहारों की संरचना भव्य थी, जहां तीन मंजिला मंडप के अतिरिक्त अनेक में मीनार, तोरण द्वार और घंटी आयुक्त छतरियां हुआ करती थी। बिहार सरकार द्वारा उत्खनन में तेल्हारा में गुप्त काल से पाल काल के दौरान बौद्ध विहार की संरचनाएं कई स्तरों में प्राप्त हुई है, जिनमें साधना कक्ष, बरामदा, आंगन, कुआं और नाले के साक्ष्य सामने आए हैं। इनके अतिरिक्त विहार के मध्य में एक बौद्ध मंदिर के अवशेष भी प्रकाश में आए हैं। पुरातत्व खुदाई से इस स्थल से बड़ी संख्या में बौद्ध प्रतिमाएं प्राप्त हुई है, जिनमें धातु प्रतिमाओं का सौंदर्य और शिल्प अप्रतिम है। इस स्थल से कई अभिलेख अवशेष भी प्राप्त हुए हैं, जो प्रस्तर खंडों के अतिरिक्त प्रस्तर प्रतिमा और पक्की ईंटों के सीटों पर भी देख सकते हैं। आप यहां पर घूमने के लिए आ सकते हैं और इस जगह की प्राचीनता को देख सकते हैं।
आत्मा धाम नालंदा - Atma Dham Nalanda
आत्मा धाम नालंदा में स्थित एक प्रमुख शिव मंदिर है। यह मंदिर नालंदा में इस्लामपुर में स्थित है। इस मंदिर के पास आपको एक सुंदर झील देखने के लिए मिलती है। यह मंदिर प्राचीन है और बहुत सुंदर लगता है। आप यहां पर घूमने के लिए आ सकते हैं। यहां पर हर साल मेला लगता है। यहां पर आकर बहुत अच्छा लगता है। यह मंदिर देखने में बहुत सुंदर लगता है।
श्री शीतला माता मंदिर नालंदा - Shri Sheetla Mata Mandir Nalanda
श्री शीतला माता मंदिर नालंदा जिले में बिहार शरीफ में स्थित है। यह मंदिर श्री शीतला माता को समर्पित है। यह मंदिर बहुत ही सुंदर तरीके से बना हुआ है। यह मंदिर बिहार शरीफ में मघारा में स्थित है। यहां पर आकर आपको शीतला माता के दर्शन करने के लिए मिलते हैं। यहां नवरात्रि में बहुत भीड़ लगती है। यहां पर सुंदर तालाब देखने के लिए मिलता है। आप यहां पर घूमने के लिए आ सकते हैं।
मल्लिक इब्राहिम वया का मकबरा नालंदा - Mallik Ibrahim Vaya's Tomb Nalanda
मल्लिक इब्राहिम वया का मकबरा नालंदा का एक प्रसिद्ध ऐतिहासिक पर्यटन स्थल है। यह नालंदा में घूमने लायक एक मुख्य जगह है। यह मकबरा नालंदा जिले में बिहार शरीफ में ऊंची पहाड़ी पर बना हुआ है। यहां पर पहुंचने के लिए सड़क माध्यम उपलब्ध है। यह मकबरा बिहार के प्रसिद्ध संत मल्लिक इब्राहिम वाया का है। इस मकबरे का निर्माण उनके सात लड़कों में से सबसे बड़ा लड़का सैयद दाऊद ने किया था, जिनकी कब्र इस मकबरे के अंदर ही है।
इस मकबरे की चारदीवारी ईटों से बनी हुई है। मल्लिक इब्राहिम की कब्र मकबरे के बीच में है, जहां पर एक चबूतरा बना हुआ है। इसका गुंबद अर्ध गोलाकार है, जो यह दर्शाता है, कि इसका निर्माण पूर्व काल में ही हुआ है। आप यहां पर घूमने के लिए आ सकते हैं। यहां से आपको सुंदर दृश्य देखने के लिए मिलता है। यहां से बिहार शरीफ का चारों तरफ का सुंदर दृश्य देखने के लिए मिल जाता है। यह मकबरा चौदहवीं शताब्दी में बनाया गया था। मकबरे के चारों तरफ आपको सुंदर दृश्य देखने के लिए मिलता है।
मोरा तालाब नालंदा - Mora Talab Nalanda
मोरा तालाब नालंदा में घूमने लायक एक मुख्य जगह है। मोरा तालाब नालंदा में बिहार शरीफ में स्थित है। यह तालाब मुख्य हाईवे सड़क पर बना हुआ है। यह तालाब बहुत सुंदर है। यहां पर आपको तालाब के किनारे सूर्य मंदिर भी देखने के लिए मिलता है। यहां पर छठ पूजा की जाती है। आप यहां पर घूमने के लिए आ सकते हैं। आपको बहुत अच्छा लगेगा।
गांव मंदिर नालंदा - Gaon Mandir Nalanda
गांव मंदिर नालंदा में स्थित एक प्रसिद्ध मंदिर है। यह मंदिर नालंदा में पावापुरी में स्थित है। यह मंदिर महावीर स्वामी को समर्पित है। यहां पर महावीर स्वामी ने अपने निर्माण के अंतिम क्षण बिताए थे। यह मंदिर 2500 साल पुराना है। मंदिर बहुत ही सुंदर है और बलुआ पत्थर से बना हुआ है। मंदिर के बाहर आपको सुंदर गार्डन देखने के लिए मिलता है। यहां पर आकर बहुत अच्छा लगता है और शांति मिलती है। यहां पर धर्मशाला भी बनी हुई है, जहां पर आप चाहे तो ठहर सकते हैं। यहां पर आपको मूलनायक महावीर स्वामी जी के सफेद कलर की सुंदर प्रतिमा देखने के लिए मिलती है। यहां पर आकर अच्छा लगता है।
समवसरण मंदिर तीर्थ - Samavasaran Temple Shrine Nalanda
समवशरण मंदिर नालंदा का एक प्रसिद्ध मंदिर है। यह मंदिर नालंदा जिले में पावापूरी में स्थित है। यह मंदिर बहुत सुंदर है। इस मंदिर का निर्माण नंदीवर्धन राजा द्वारा करवाया गया था। यह मंदिर 2500 वर्ष पुराना है। यह मंदिर संगमरमर से बना हुआ है और बहुत सुंदर लगता है है। इस मंदिर के अंदर गर्भ गृह में प्रभु महावीर जी की प्रतिमा देखने के लिए मिलती है, जो 61 इंच की है। इस मंदिर में एक प्राचीन कुआं खने के लिए मिलता है।
इस मंदिर की दीवारों में बहुत ही खूबसूरत नक्काशी की गई है। मंदिर के बाहर आपको गणेश जी की बहुत सुंदर प्रतिमा देखने के लिए मिलती है। यहां पर आपको पेंटिंग भी देखने के लिए मिलती है, जहां पर महावीर जी उपदेश दे रहे हैं। मंदिर का आकार बहुत ही जबरदस्त है। मंदिर के बाहर हाथियों की सुंदर प्रतिमा बनाई गई है। पावापुरी में आकर आप इस मंदिर में घूम सकते हैं। आपको अच्छा लगेगा। यहां पर भोजशाला भी है, जहां पर आपको खाने के लिए भोजन मिल जाता है।
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