महासमुंद जिले के दर्शनीय स्थल - Places to visit in Mahasamund / महासमुंद जिले के आसपास घूमने वाली प्रमुख जगह
महासमुंद जिला छत्तीसगढ़ का एक मुख्य जिला है। महासमुंद जिला छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर से करीब 50 किलोमीटर दूर है। महासमुंद जिले में महानदी बहती है। महासमुंद जिला प्राकृतिक सौंदर्य से भी भरपूर है। यहां पर जंगल और पहाड़ियों देखने के लिए मिलती है। महासमुंद जिला छत्तीसगढ़ और उड़ीसा की सीमा पर स्थित है। महासमुंद जिले का सिरपुर एक ऐतिहासिक स्थल है। इसे प्राचीन समय सोमवंशी राजा श्रीपुर कहा करते थे। महासमुंद में घूमने के लिए बहुत सारी जगह है - चलिए जानते हैं, इन जगहों के बारे में
महासमुंद में घूमने की जगह - Mahasamund me ghumne ki jagah
सिरपुर महासमुंद - Sirpur Mahasamund
सिरपुर पूरे छत्तीसगढ़ का एक मुख्य पर्यटन स्थल है। यह नगर छत्तीसगढ़ के महासमुंद जिले में महानदी के किनारे स्थित है। सिरपुर नगर में ऐतिहासिक महत्व की बहुत सारी पुरानी साइट साइटें मिली है। यहां पर बहुत सारे प्राचीन मंदिर, बौद्ध मंदिर बौद्ध स्तूप मिले हैं। सिरपुर नगर में रोड के माध्यम से पहुंचा जा सकता है। यह रायपुर से करीब 75 किलोमीटर दूर है और महासमुंद जिले से करीब 35 किलोमीटर दूर है। सिरपुर जिले में बहुत सारे प्राचीन मंदिर पाए गए हैं। इन मंदिरों को खोदकर निकाला गया है। यहां पर बौद्ध स्तूप और बौद्ध विहार भी देखने के लिए मिलते हैं। प्राचीन समय में सोमवंशी राजा सिरपुर को श्रीपुर कहा करते थे। यह कोसल राज्य की राजधानी थी। सिरपुर प्राचीन समय से ही बहुत समृद्ध रही है और यहां पर पांचवी से आठवीं शताब्दी के प्राचीन मंदिर देखने के लिए मिलते हैं। यह महासमुंद में घूमने लायक जगह है।
सिरपुर के ऐतिहासिक पर्यटन स्थल (Historical Tourist Places in Sirpur)
गंधेश्वर नाथ मंदिर
लक्ष्मण मंदिर
बौद्ध विहार
सुरंग टीला
राज महल
स्वास्तिक विहार,
आनंदप्रभु विहार,
शिव और पार्वती मंदिर,
बालेश्वर शिव मंदिर,
नागार्जुन विहार,
तीवर देव महाविहार
राम मंदिर परिसर
यह सिरपुर के ऐतिहासिक मंदिर है।
लक्ष्मण मंदिर सिरपुर - Laxman Mandir Sirpur
लक्ष्मण मंदिर सिरपुर का एक प्रमुख मंदिर है। यह मंदिर बहुत सुंदर है। लक्ष्मण मंदिर ईटों का बना हुआ है। यह मंदिर भगवान विष्णु को समर्पित। इस मंदिर में भगवान विष्णु की बहुत सारी प्रतिमाओं के दर्शन करने के लिए मिलते हैं। यह प्रतिमाएं दीवार पर बनाई गई है। यह मंदिर एक ऊंचे मंडप पर बनाया गया है। इस मंदिर में पंचरत्न शैली देखने के लिए मिलती है, जिसमें गर्भ ग्रह, अंतराल, मंडप देखने के लिए मिलते हैं। इस मंदिर का निर्माण छठवीं शताब्दी में सोमवंशी शासक महाशिवगुप्त बालार्जुन की माता रानी वासटा ने करवाया था। उन्होंने इस मंदिर का निर्माण अपने पति हर्षगुप्त की स्मृति में करवाया था।
लक्ष्मण मंदिर पर बहुत बड़ा गार्डन देखने के लिए मिलता है और यहां पर म्यूजियम भी बना हुआ है। यहां पर प्रवेश का शुल्क लिया जाता है। यहां पर 25 रूपए लिए जाते हैं। म्यूजियम में विभिन्न प्रकार की वस्तुओं का संग्रह देखने के लिए मिलता है। यहां पर मूर्तियों का संग्रह बहुत ही शानदार है। यहां पर प्राचीन समय की मूर्तियां देखने के लिए मिलती हैं। यहां पर छत्तीसगढ़ के छत्तीसगढ़ के ऐतिहासिक स्थलों की जानकारी भी मिलती है। लक्ष्मण मंदिर भी बहुत सुंदर है। इस मंदिर की बाहरी दीवारों पर कारीगरी की गई है, जो बहुत ही जबरदस्त है। यहां पर आकर आप मंदिर घूम सकते हैं।
धसकुंड झरना महासमुंद - Dhaskund Waterfall Mahasamund
धसकुंड झरना महासमुंद जिले का एक प्राकृतिक पर्यटन स्थल है। यह झरना बहुत ही सुंदर है। यह झरना घने जंगल के अंदर स्थित है। इस झरने तक पहुंचने के लिए ट्रैकिंग करके जाना पड़ता है। झरना बरसात के समय बहुत ही सुंदर लगता है, क्योंकि बरसात के समय इस झरने में बहुत ज्यादा पानी रहता है। धसकुंड झरना बाबा पठार से निकलता है। यह झरना सिरपुर से करीब 7 किलोमीटर दूर है। इस झरने में आकर बहुत अच्छा लगता है। यहां पर चारों तरफ जंगल का दृश्य देखने के लिए मिलता है।
धसकुंड झरना घने जंगल के अंदर स्थित है। इसलिए यहां पर वन्य प्राणी हाथी, भालू, तेंदुआ, बाघ इन सभी का आना जाना लगा रहता है। यह झरना ग्राम बोरिद के पास में स्थित है। इस झरने तक कार और बाइक से जाया जा सकता है। झरने में कुछ दूरी तक पैदल जाना पड़ता है। यहां पर पार्किंग शुल्क लिया जाता है। यह झरना बरसात के समय बहुत ही गजब का लगता है, क्योंकि बरसात में बहुत ज्यादा पानी की मात्रा यहां पर बहती है। झरने में बहुत सारे लोग नहाने का मजा भी लेते हैं। यहां पर छोटी मोटी दुकानें देखने के लिए मिल जाती है, जहां से आप खाने पीने का सामान ले सकते हैं। आप इस झरने में फैमिली और दोस्तों के साथ घूमने के लिए आ सकते हैं। आपको यहां पर आकर बहुत मजा आएगा। यह महासमुंद जिले का एक पिकनिक स्थल है। यहां पर शाम को जाने की मनाही है, क्योंकि शाम को यहां पर जंगली जानवर का आना जाना बहुत ज्यादा हो जाता है। आप यहां दिन के समय जा सकते हैं। यह महासमुंद की सबसे अच्छी जगह है।
कोडार जलाशय परियोजना महासमुंद - Kodar Reservoir Project Mahasamund
कोडार जलाशय परियोजना महासमुंद का एक मुख्य पर्यटन स्थल है। कोडार जलाशय को शहीद वीर नारायण सिंह बांध के नाम से भी जाना जाता है। यह बात बहुत बड़े क्षेत्र में फैला हुआ है। यह बांध सिरपुर वन क्षेत्र में स्थित है। यहां पर आकर बहुत अच्छा लगता है। आप यहां पर बहुत अच्छा समय बिता सकते हैं। शाम के समय यहां पर सूर्यास्त का नजारा बहुत ही जबरदस्त रहता है। यहां पर गार्डन भी बना हुआ है। मगर गार्डन को अच्छी तरह से मेंटेन नहीं किया गया है।
कोडार बांध को मुख्य तौर पर सिंचाई के लिए बनाया गया है। बांध में सिंचाई के लिए दो नहर है। इस बांध से महासमुंद के कई क्षेत्रों में सिंचाई की जाती है। आप यहां पर घूमने के लिए आ सकते हैं। यह बांध महासमुंद में नेशनल हाईवे 53 के पास में स्थित है। आप यहां पर गाड़ी से या कार से आ सकते हैं और इस जलाशय में घूम सकते हैं।
ईको पर्यटन स्थल कोडार जलाशय महासमुंद - Eco Tourist Place Kodar Reservoir Mahasamund
ईको पर्यटन स्थल कोडार जलाशय के पास में स्थित एक प्राकृतिक जगह है। यहां पर वन चेतना केंद्र बना हुआ है, जहां पर आप जा सकते हैं और यहां पर आपको बहुत सारी एक्टिविटी करने के लिए मिलती है। यहां पर आपको कोडार जलाशय में बोट राइड का मजा ले सकते हैं, जो बहुत ही मजेदार रहता है। यहां पर नाइट कैंपिंग की जा सकती है, जिसका अनुभव अलग रहता है। यहां पर कोडार जलाशय के पास जाकर आप बहुत मजे कर सकते हैं। यह जगह वन प्रबंधन समिति महासमुंद द्वारा प्रबंधित की जाती है। यह महासमुंद में घूमने वाली प्रमुख जगह है।
छछान माता मंदिर महासमुंद - Chhachan Mata Temple Mahasamund
छछान माता मंदिर महासमुंद जिले का धार्मिक स्थल है। यह मंदिर पहाड़ी के ऊपर स्थित है। मंदिर से चारों तरफ का बहुत ही जबरदस्त दृश्य देखने के लिए मिलता है। यह मंदिर जंगल के बीच में स्थित है। आपको यहां पर जरूर घूमने के लिए आना चाहिए। यह मंदिर नेशनल हाईवे 53 मे बना हुआ है। मंदिर में आपको छछान माता के दर्शन करने के लिए मिलते हैं। यहां पर और भी बहुत सारी आकर्षक चीजें आपको देखने के लिए मिलती हैं। यहां पर एक बड़ा सा ग्लोब बना हुआ है, जिसके ऊपर शंकर भगवान जी खड़े हैं। मंदिर से चारों तरफ का सुंदर दृश्य देखने के लिए मिलता है। यह जगह बहुत सुंदर है। और आपको यहां पर जरूर घूमने के लिए आना चाहिए। यह मंदिर महासमुंद में नया गांव में स्थित है। मंदिर में ऊपर तक जाने के लिए कच्चा रास्ता है। आप यहां पर ट्रेकिंग करके जा सकते हैं।
पतई मातेश्वरी मंदिर महासमुंद - Patai Mateshwari Temple Mahasamund
पतई मातेश्वरी मंदिर महासमुंद का एक धार्मिक स्थल है। यह मंदिर पतई माता को समर्पित है। पतई माता हर किसी की मनोकामना को पूरी करती है। आप इस मंदिर में घूमने के लिए आ सकते हैं। यहां पर आपको आकर एक सुंदर मंदिर देखने के लिए मिलता है। मंदिर परिसर में और भी बहुत सारे देवी देवता विराजमान है, जिनके दर्शन आप कर सकते हैं। यहां पर आकर बहुत अच्छा लगता है। यह मंदिर एक पहाड़ी पर स्थित है। मंदिर तक जाने के लिए सीढ़ियां बनी हुई है। मंदिर के ऊपर से चारों तरफ का सुंदर दृश्य देखने के लिए मिलता है। चारों तरफ हरियाली भरा माहौल देखने के लिए मिलता है। आप यहां पर आकर माता के दर्शन कर सकते हैं। यह मंदिर महासमुंद जिले में पटेवा गांव के पास बना हुआ है।
गौधारा (दलदली) शिव मंदिर महासमुंद - Gaudhara (Swamp) Shiva Temple Mahasamund
गौधारा शिव मंदिर महासमुंद जिले का एक प्रमुख धार्मिक स्थल है। यहां पर प्राचीन शिव मंदिर देखने के लिए मिलता है और यहां पर गौमुख देखने के लिए मिलता है, जिससे साल भर पानी गिरता रहता है। यहां पर गौमुख से पानी निरंतर निकलते रहता है। भीषण गर्मी में भी यहां पर पानी बहता है। यह पानी एक कुंड में इकट्ठा होता है। पहले यह पानी यहां पर इकट्ठा होता था और यहां पर दलदल के समान बनता था। अब यहां पर कुंड बना दिया गया है, जिससे यहां पर कुंड मे पानी इकट्ठा होता है। इस पानी से लोग स्नान करते हैं और इस पानी से भगवान शिव का अभिषेक भी किया जाता है। यह पानी बहुत शुद्ध है। यहां पर पहले दलदल हुआ करता था। इसलिए इस जगह को दलदली भी कहा जाता है। जहां से जलधारा बहती है। वहां पर गौ माता का मुख बना दिया गया है।
गौधारा शिव मंदिर महासमुंद जिले से करीब 11 किलोमीटर दूर उमरदा नाम के गांव में स्थित है। यहां पर सुंदर पहाड़ियों के बीच यह स्थान देखने के लिए मिलता है। यहां पर सावन सोमवार के समय और महाशिवरात्रि के समय बहुत सारे लोग शिव भगवान जी के दर्शन करने के लिए आते हैं। इस जगह पर आकर सुकून भरी शांति मिलती है। गौधारा के जल का स्त्रोत महादेव पठार है।आप यहां पर आकर, यहां की शांति का अनुभव कर सकते हैं।
चंडी माता मंदिर महासमुंद - Chandi Mata Temple Mahasamund
चंडी माता मंदिर महासमुंद का एक प्रसिद्ध धार्मिक स्थल है। यह मंदिर चंडी माता को समर्पित है। चंडी माता का मंदिर महासमुंद जिले में बिरकोनी ग्राम में स्थित है। यह मंदिर महासमुंद जिले से 12 किलोमीटर दूर है। यहां पर हर साल नवरात्रि के समय विशाल मेले का आयोजन होता है, जिसमें दूर-दूर से लोग मेले में आते हैं और मां चंडी के दर्शन करते हैं। यहां पर आकर बहुत शांति मिलती है। चंडी माता के दर्शन करने से और मन्नत मांगने से, मन में जो भी इच्छा होती है। वह जरूर पूरी होती है।
खल्लारी माता मंदिर महासमुंद - Khallari Mata Temple Mahasamund
खल्लारी माता मंदिर महासमुंद जिले का धार्मिक स्थल है। यह मंदिर महासमुंद जिले में खल्लारी नाम के गांव में बना हुआ है। यह मंदिर महासमुंद जिले से करीब 25 किलोमीटर दूर है। यह मंदिर एक ऊंची पहाड़ी पर बना हुआ है। मंदिर तक जाने के लिए सीढ़ियां बनी है। यहां पर करीब 800 से ज्यादा सीढ़ियां बनी है। सीढ़ियां से चढ़कर मंदिर तक जाना रहता है। मंदिर मे जाकर माता खल्लारी के दर्शन करने के लिए मिलते हैं।
माता खल्लारी का मंदिर बहुत प्राचीन है। यह मंदिर कलचुरी शासन में बनाया गया था। यह मंदिर बहुत सुंदर है। मंदिर से चारों तरफ का सुंदर दृश्य देखने के लिए मिलता है। खल्लारी मंदिर के पास में ही एक और खल्लारी माता का मंदिर है, जिसे नीचे वाली खल्लारी माता के नाम से जाना जाता है। यह दोनों मंदिर ही बहुत सुंदर है।
खल्लारी माता मंदिर में और भी बहुत सारे देवी देवताओं की प्रतिमा देखने के लिए मिलती है। यहां पर काली माता की बहुत बड़ी प्रतिमा देखने के लिए मिलती है, जो बहुत ही सुंदर है और यहां पर पंचमुखी हनुमान जी के दर्शन करने के लिए मिलते हैं। यहां पर सिद्ध भैरव बाबा जी के भी दर्शन करने के लिए मिलते हैं। खल्लारी मंदिर का प्रवेश द्वार बहुत सुंदर है। खल्लारी माता मंदिर का प्रबंधन श्री जगन्नाथ स्वामी मंदिर ट्रस्ट कमेटी के द्वारा किया जाता है।
आप यहां पर आकर डोंगा पत्थर भी देखने के लिए मिलता है। यहां पर भीम के पांव के निशान भी देखने के लिए मिलते हैं। यहां पर भीम चूला देखने के लिए मिलता है। यहां राम जानकी मंदिर देखने के लिए मिलता है। दंतेश्वरी मंदिर देखने के लिए मिलता है। अन्नपूर्णा मंदिर देखने के लिए मिलता है। यहां पर आकर आपको बहुत अच्छा लगेगा।
रमई पाठ धाम महासमुंद - Ramai Path Dham Mahasamund
रमई पाठ धाम महासमुंद का एक धार्मिक स्थल है। यह धार्मिक स्थल चारों तरफ से घने जंगल से घिरा हुआ है। रमई पाठ सोरिद गांव के पास स्थित है। रमई पाठ फिंगेश्वर से छुरा मार्ग पर 10 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यहां पर आप घूमने के लिए आ सकते हैं। यह जगह पहाड़ियों और वनों से घिरी हुई है। यहां पर आपको गंगा जी की पवित्र जल धारा देखने के लिए मिलती है। यह पवित्र धारा आम के वृक्ष के नीचे से निरंतर 12 महीने बहती रहती है। यहां पर प्राचीन देव प्रतिमाओं के दर्शन करने के लिए मिलते हैं।
रमई पाठ मे रमई माता के दर्शन करने के लिए मिलते हैं। यहां विष्णु जी, काल भैरव जी, नरसिंह भगवान जी, हनुमान जी की विशाल प्रतिमा के दर्शन करने के लिए मिलते हैं। यह जगह प्राकृतिक रूप से बहुत ही खूबसूरत है। यहां पर नवरात्रि के समय बहुत सारे भक्त माता के दर्शन करने के लिए आते हैं। इस जगह के बारे में कहा जाता है कि माता भक्तों की मनोकामना पूरी करती है। यहां पर चैत्र पूर्णमासी पर विशाल मेले का आयोजन किया जाता है। यह जगह बहुत अच्छी है और यहां पर आकर अच्छा समय बिताया जा सकता है।
चंडी माता मंदिर महासमुंद - Chandi Mata Temple Mahasamund
चंडी माता मंदिर महासमुंद में स्थित एक धार्मिक स्थल है। इस मंदिर को भालू वाली चंडी माता मंदिर के नाम से भी जाना जाता है। इस मंदिर में रोजाना भालू आरती के समय, मां चंडी माता के दर्शन करने के लिए आते हैं और प्रसाद खाते हैं। यहां पर भालू प्रतिदिन आते हैं। चंडी माता का मंदिर घने जंगल में, ऊंची पहाड़ी पर बना हुआ है। माता के मंदिर में जाने के लिए सीढ़ियां बनी है। माता के मंदिर से चारों तरफ का बहुत सुंदर दृश्य देखने के लिए मिलता है और यहां पर हरियाली देखने के लिए मिलती है।
चंडी माता मंदिर महासमुंद में बागबाहरा में स्थित है। यह मंदिर घुचापाली ग्राम में स्थित है। यहां पर मुख्य आकर्षण का केंद्र मां चंडी की प्रतिमा है, जो बहुत ही आकर्षित करती है। यहां पर बहुत सारे भक्त माता के दर्शन करने के लिए आते हैं। मंदिर परिसर में और भी बहुत सारे देवी देवता विराजमान हैं। यहां पर भैरव बाबा, हनुमान जी के मंदिर भी देखने के लिए मिलते हैं। भालू इस जगह का मुख्य अट्रैक्शन है और लोग यहां पर भालू को प्रसाद और फ्रूट खिलाते हैं। यहां पर मां काली की गुफा देखने के लिए मिलती है। यहां पर माताजी का एक बहुत बड़ा नगाड़ा देखने के लिए मिलता है। शिव भगवान जी का मंदिर देखने के लिए मिलता है। यहां पर नंदी भगवान जी की बहुत बड़ी प्रतिमा के दर्शन करने के लिए मिलते हैं। यहां आस-पास पहाड़ी का दृश्य भी लाजवाब रहता है। यहां पर चट्टानों का दृश्य बहुत ही आकर्षक है। यहां पर नवरात्रि में मेला लगता है, जिसमें बहुत ज्यादा संख्या में लोग यहां पर आते हैं। यहां पर लोग मन्नत मानते हैं और नारियल बांधते हैं। यह जगह बहुत सुंदर है और आपको यहां पर माता के दर्शन करने के लिए जरूर आने चाहिए।
श्वेत गंगा महासमुंद - White Ganga Mahasamund
श्वेत गंगा महासमुंद जिले का एक प्रमुख धार्मिक स्थल है। यह जगह श्वेत गंगा श्री ब्रम्हनेश्वर महादेव मंदिर के नाम से प्रसिद्ध है। यहां पर शंकर जी का मंदिर देखने के लिए मिलता है। यह मंदिर प्राचीन है। इस मंदिर के बारे में कहा जाता है, कि यहां पर बहुत साल पहले जंगल हुआ करता था। तब यहां के मालगुजार यहां पर शाम के समय टहलने के निकले। यहां पर मालगुजार को वटवृक्ष के नीचे, उन्हें एक संत मिले। संत ने उन्हें बताया कि यहां पर भगवान शिव शंकर स्वयं जटाशंकरी गंगा जी के साथ भूगर्भ में तप कर रहे है। उनकी साधना का समय पूरा हो गया है। वह भूगर्भ से प्रकट होने वाले हैं। इस कार्य को करने के लिए आप और मैं यहां पर उपस्थित है। इस तरह संत के मार्गदर्शन और मालगुजार के श्रमिकों द्वारा खुदाई की गई और यहां पर श्वेत गंगा का उद्गम हुआ।
श्री ब्रम्हनेश्वर महादेव मंदिर महासमुंद जिले में बम्हनी गांव में स्थित है। आप यहां पर घूमने के लिए आ सकते हैं और यहां पर श्वेत गंगा के दर्शन कर सकते हैं। यहां पर बहुत बड़ा वटवृक्ष देखने के लिए मिलता है। यहां पर शिवरात्रि के समय लोग श्वेत गंगा से जल लेकर जाते हैं और सिरपुर में शिवजी को अर्पित करते है। आपको यहां पर भगवान भोलेनाथ के दर्शन करना जरूर आना चाहिए।
महासमुंद जिला प्राकृतिक रूप से बहुत समृद्ध क्षेत्र है। यहां पर्यटन स्थल विकसित करने के लिए पर्यटन मण्डल को आगे आना होगा।
जवाब देंहटाएंहमारा बुढाडोंगर और भी ऐसे वन क्षेत्र हैं जहां प्रकृति का सानिध्य प्राप्त होता है। इन्हें प्रोत्साहित किया जाए।
bhai agar tum image use karte to jada achha hota baki likha achha hai nice
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