मांडू दर्शन :-
मांडू के ऐतिहासिक इमारत - दाई का महल, दाई की छोटी बहन का महल, कारवां सराय, इको पॉइंट, मांडू झील, मलिक मुगीस की मस्जिद (Dai ka mahal mandu, Dai ki chhoti bahan ka mahal, caravan sarai, echo point, Mandu Lake, Malik Mughis Mosque)
मांडू शहर को सिटी ऑफ जॉय के नाम से जाना जाता है। वैसे यह सच में सिटी ऑफ जॉय है। यहां पर बहुत सारे ऐतिहासिक इमारत है। हम लोग भी ऐसे ही ऐतिहासिक इमारतों में घूमने के लिए गए थे। यहां पर ज्यादा भीड़ नहीं रहती है। हम लोग यहां पर दाई का महल, दाई की छोटी बहन का महल, कारवां सराय, इको पॉइंट, मांडू झील, मलिक मुगीस की मस्जिद यह सभी प्राचीन इमारतों को घूमने के लिए गए थे। यहां पर ज्यादा भीड़ भाड़ नहीं था। इसलिए यहां पर बहुत आराम से घूमा जा सकता है। यहां पर सरकार के द्वारा इन इमारतों की सुरक्षा के लिए बाउंड्री वॉल से घेर दिया गया है, ताकि कोई भी यहां पर कब्जा ना करें। यहां पर गांव वाले बच्चे और बकरियां घूमा रही थी। यह जगह खूबसूरत है। आप जब भी मांडू आते हैं, तो इस जगह पर आपको जरूर एक बार आकर घूमना चाहिए।
हम लोग अपनी मांडू की यात्रा में रानी रूपमती महल और सुल्तान बाज बहादुर का महल घूमने के बाद वापस आ रहे थे। तब हम लोगों को रास्ते में मांडू झील देखने के लिए मिली। मांडू झील बहुत ही सुंदर है और जब हम लोग गए थे। तब यह पानी से भरी हुई थी और यहां पर छोटा सा गार्डन बना हुआ है, जहां पर बैठा जा सकता है और झील के सुंदर नजारों को देखा जा सकता है। जब यहां पर बहुत ज्यादा पर्यटक आते हैं, तो यहां पर बोटिंग की सुविधा भी उपलब्ध रहती है, जिससे पर्यटक यहां पर झील में बोटिंग का मजा ले सकते हैं। यहां पर लोकल लोगों के द्वारा गन्ने का जूस और चाट वगैरह की दुकान लगी थी, जहां पर खाने के लिए सामग्री मिल जाती है।
हम लोगों ने मांडू झील देखा। उसके बाद मुख्य सड़क से ही हम लोगों को दाई का महल देखने के लिए मिला। यहां पर हम लोगों ने दाई का महल जाने का विचार बनाया और झील के सामने से दाई के महल की तरफ जाने के लिए रास्ता बना हुआ है। यह रास्ता कच्चा था। हम लोग अपनी स्कूटी लेकर उस तरफ चल दिए। करीब 200 या 300 मीटर की दूरी पर हम लोगों को यहां पर दाई के महल में जाने के लिए गेट मिल गया। यहां पर और भी प्राचीन इमारत देखने के लिए मिली। हम लोग ने अपनी गाड़ी गेट के बाहर खड़े किए और उसके बाद हम लोग इस प्राचीन इमारतों के परिसर में प्रवेश किये। यहां पर सबसे पहले हम लोगों को प्राचीन मस्जिद देखने के लिए मिली और मस्जिद के सामने कारवां सराय बना हुआ था। हम लोग सबसे पहले मस्जिद में घूमने के लिए गए।
मलिक मुगीस मस्जिद दो मंजिला है। ऊपरी मंजिल में मस्जिद बनी हुई है और नीचे की मस्जिद में तहखाना बना हुआ है, जहां पर कमरे बने है। यहां पर प्राचीन समय में, जो भी तीर्थयात्री यहां पर आते थे। वह यहां पर ठहरा करते थे। मस्जिद तक जाने के लिए सीढ़ियां बनी हुई है। हम लोग सीढ़ियों से मस्जिद के ऊपर पहुंचे। मस्जिद के सामने वाला भाग पूरी तरह नष्ट हो गया है। सामने वाले भाग को देखने से लगता है, कि यहां पर बहुत बड़ा गुंबद रहा होगा। यहां पर गुंबद को संभालने के लिए खंबे भी बने हुए हैं। मगर वह खंभे और गुंबद का भाग नष्ट हो गया है। थोड़ा सा ही गुंबद का भाग देखने के लिए मिलता है। मस्जिद का, जो प्रवेश द्वार है। वह भी बहुत खूबसूरत है। प्रवेश द्वार के ऊपर उर्दू में मस्जिद के बारे में जानकारी लिखी हुई है।
हम लोग मलिक मुगीस मस्जिद के प्रवेश द्वार से अंदर गए। प्रवेश द्वार से सीधे मस्जिद में बरामदे की तरफ जाने के लिए रास्ता बना हुआ है। रास्ते के दोनों तरफ सुंदर गार्डन बना हुआ है, जिसमें पेड़ पौधे और नीचे घास बिछी हुई है। मस्जिद प्रवेश द्वार से देखने पर बहुत ही सुंदर दिखाई दे रही थी। यह मस्जिद चौकोर आकृति में बना हुआ है और मस्जिद के चारों तरफ गलियारा बना है। एक तरफ खूबसूरत बरामदा बना हुआ है। गलियारे में सुंदर स्तंभ लगे हुए हैं। यह स्तंभ हिंदू वास्तु कला को दिखाते हैं। मस्जिद के बरामदे के ऊपर सुंदर गुंबद बनाए गए हैं। यहां पर 3 गुंबद देखने के लिए मिलते हैं। मस्जिद का प्रवेश द्वार पूर्व दिशा की ओर है। यह मस्जिद बहुत ही सुंदर लगती है। हम लोगों ने मस्जिद घूम लिया था। उसके बाद हम लोग कारवां सराय देखने के लिए गए थे।
मलिक मुगीस मस्जिद के बाहर बहुत सारे गांव वाले बच्चे घूम रहे थे और यहां पर बकरियां भी घूम रही थी और घास चर रही थी। हम लोग मस्जिद से घूमने के बाद, कारवां सराय घूमने के लिए गए। कारवां सराय मलिक मुगीस मस्जिद के सामने बनी हुई है और कारवां सराय का, जो प्रवेशद्वार बनाया गया है। वह बहुत ही सुंदर है। प्रवेश द्वार में फूलों की नक्काशी देखने के लिए मिलती है, जो बहुत ही अच्छी है। हम लोग कारवां सराय के अंदर गए। कारवां सराय भी चौकोर आकृति में बनी हुई है और यहां पर कमरे बने गए हैं। कारवां सराय का प्रवेश द्वार पश्चिम की तरफ है। यहां पर प्रवेश द्वार के अंदर जाते हैं, तो यहां पर बड़ा सा आंगन बना हुआ है और आंगन के तीनों तरफ कमरे बने हुए हैं। हम लोग कारवां सराय देखने के बाद बाहर आए और बाहर हम लोगों ने कारवां सराय से थोड़ा ही दूर दाई की छोटी बहन का मकबरा देखा।
दाई की छोटी बहन का मकबरा, एक महिला का मकबरा है। यहां पर बहुत बड़ा मैदान है और मैदान में बहुत सारी बकरियां घूम रही थी। हम लोग पैदल चलकर दाई की छोटी बहन के मकबरे में गए। दाई की छोटी बहन का महल या मकबरा एक ऊंचे मंडप के ऊपर बना हुआ है और यह मकबरा गुंबदाकार है और इस मकबरे में जिन पत्थरों का इस्तेमाल किया गया है। उन पत्थरों को छेनी से तोड़कर, इस मकबरे में लगाया गया है। यह मकबरा अष्टभुजाकार बना हुआ है। मकबरे के ऊपर एक बड़ा सा सुंदर गुंबद बना हुआ है, जो बहुत ही आकर्षक लगता है। यह मकबरा बहुत ही सुंदर लगता है और इस से थोड़ा आगे जाने पर दाई का महल या मकबरा देखने के लिए मिलता है।
दाई की छोटी बहन के मकबरे के थोड़ा आगे ही दाई का मकबरा या महल बना हुआ है। यहां पर एक सुंदर तालाब देखने के लिए मिलता है, जिसे सागर तालाब कहते हैं। बरसात में यह तालाब पानी से भर जाता है। गर्मी में पानी सूख जाता है। इन स्मारक के पास में खेत और पेड़ पौधे लगे हुए हैं। बरसात में यहां पर हरियाली रहती है, जिससे यह जगह बहुत ज्यादा खूबसूरत लगती है। तालाब के किनारे से रास्ता, दाई के मकबरे की तरफ जाता है। दाई का मकबरा, दाई की छोटी बहन के मकबरे से बड़ा है। यहां पर प्राचीन समय में महल में काम करने वाली दासियाँ की रहने के लिए यह मकबरा बनाया गया था। इस मकबरे के नाम से ही पता चलता है। यह मांडू राजाओं की दासियाँ के लिए बनाया गया महल था। यह जगह बहुत ही खूबसूरत बनाई गई है। यह मकबरा एक ऊंचे चबूतरे पर बना हुआ है। यहां पर मेहराबदार अनेक प्रकोष्ठ बने हुए हैं। इस मकबरे का भू विन्यास वर्गाकार है। यहां पर प्री वेडिंग फोटोशूट होते हुए देखा जा सकता है। मांडू में जितनी भी ऐतिहासिक इमारते देखने के लिए मिलती हैं। सभी जगह प्री वेडिंग फोटोशूट होते रहते हैं।
यहां पर एक इको पॉइंट नाम की भी जगह है। यहां पर चिल्लाते हैं, तो आवाज वापस आती है। यहां पर बहुत सारे लोग आकर चिल्लाते हैं। इसलिए इस जगह को इको पॉइंट कहते हैं। हम लोग यहां पर स्थित सभी इमारतों को घूमने के बाद, मांडू में अपने आगे के सफर में आगे बढ़े। आप लोग मांडू घूमने के लिए आते हैं, तो आप इन्हें इमारतों में जरूर घूमने आये, क्योंकि यह इमारतें मांडू मुख्य रोड के पास ही में स्थित है और बहुत खूबसूरत है।
मलिक मुघिस मस्जिद और कारवां सराय का इतिहास - History of Malik Mughis Mosque and Caravan Sarai
मलिक मुगीध मस्जिद मांडू शहर में स्थित ऐतिहासिक स्थल है। इस मस्जिद के प्रवेश द्वार के ऊपर स्थित लेख के अनुसार इस मस्जिद का निर्माण महमूद खिलजी के पिता मलिक मुगीध 1452 ईसवी में करवाया था। यह मस्जिद मालवा में मुस्लिम वास्तुकला के प्रथम चरण की है। इस मस्जिद को बनाने में जिस सामग्री का प्रयोग किया है। वह यहां पर निर्मित प्राचीन हिंदू भवनों की सामग्री है। इसलिए यहां पर हिंदू कारीगरी देखने के लिए मिलती है।
कारवां सराय मलिक मुगीध मस्जिद के सामने स्थित है। यह भी ऐतिहासिक स्थल है। इसका निर्माण 1436 ईसवी में किया गया था। यह एक विशाल सराय है। इसका विस्तृत प्रांगण यूरोप की मध्यकालीन सराय से मिलता-जुलता है। इस के कक्षों की छत मेहराबदार है।
मलिक मुघिस मस्जिद और कारवां सराय कहां पर है - Where is Malik Mughis Mosque and Caravan Sarai
दाई का महल, दाई की छोटी बहन का महल, मलिक मुघिस मस्जिद और कारवां सराय मांडू शहर में स्थित एक मुख्य पर्यटन स्थल है। यह मांडू में रानी रूपमती महल में जाने वाली मुख्य सड़क में स्थित है। यह महल मांडू झील के पास में स्थित है। मुख्य सड़क से ही यह स्मारक देखने के लिए मिल जाती है। मुख्य सड़क से करीब 200 से 300 मीटर की दूरी पर यह स्मारक है। यहां पर कार और बाइक से जाया जा सकता है। यहां पर पार्किंग सुविधा उपलब्ध है। यहां पर आने के लिए कच्ची सड़क है।
मांडू की कारवां सराय, इको पॉइंट, मांडू झील, मलिक मुगीस की मस्जिद की फोटो
Photo of Mandu's Caravan Sarai, Echo Point, Mandu Lake, Mosque of Malik Mugis
कारवां सराय का प्रवेश द्वार |
मलिक मुगीध मस्जिद |
दाई की छोटी बहन का महल |
कारवां सराय के अंदर का दृश्य |
मस्जिद का प्रवेश द्वार |
मस्जिद के अंदर का दृश्य |
मस्जिद के स्तंभ और गलियारा |
मांडू झील |
Good information kahani har din
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