माँ सरस्वती मंदिर भोजशाला धार - Maa Saraswati Mandir Bhojshala Dhar
भोजशाला धार जिले का एक प्रसिद्ध धार्मिक स्थल है। यह स्थल वर्तमान में मुस्लिम और हिंदू दोनों ही धर्म का धार्मिक स्थल है। यहां पर हर शुक्रवार को नमाज अदा की जाती है। यहां पर बसंत पंचमी के दिन लोग देवी सरस्वती जी की पूजा करने के लिए आते हैं। यह जगह प्राचीन है और इस जगह का रखरखाव भी बहुत अच्छी तरीके से किया गया है। हम लोग अपने धार जिले की यात्रा में इस भोजशाला में भी घूमने के लिए गए थे। यह भोजशाला धार किला से करीब 3 किलोमीटर दूर होगी। भोजशाला में प्राचीन समय में सरस्वती जी का मंदिर हुआ करता था। यह कला और संगीत के शिक्षण का एक केंद्र हुआ करता था। यहां पर लोगों को संगीत और कला की शिक्षा दी जाती थी। मुस्लिम शासकों के द्वारा इस जगह को नष्ट कर दिया गया और इस जगह को मस्जिद (दरगाह) में बदल दिया गया। आज यह जगह बहुत खूबसूरत है और इसे खूबसूरती से संभाल कर रखा गया है। भोजशाला के बाहर दरगाह देखने के लिए मिलती है और लोग यहां पर नमाज़ अदा करते हैं। हिंदू लोग यहां पर सरस्वती जी के पूजा करने के लिए आते हैं।
हमारी यात्रा में, हम लोग धार जिले की भोजशाला घूमने के लिए गए थे। यह भोजशाला जिस जगह में स्थित है। उस जगह को खोजने में थोड़ा सा टाइम लगता है। गूगल भी इस जगह की लोकेशन के बारे में अच्छे से जानकारी नहीं दे पाता है। हम लोगों ने लोगों से पूछ कर इस जगह पर पहुंचे थे। यहां पर रास्ते में लकड़ियों का बहुत सारा काम होता है और सीधा रास्ता भोजशाला की तरफ ही जाता है। यहां पर टिन के द्वारा इस जगह को कवर कर दिया गया है। यहां पर कार के द्वारा नहीं आया जा सकता है, क्योंकि इस जगह पर पार्किंग के लिए भी अच्छी जगह नहीं है और रोड भी उतनी अच्छी नहीं है। यहां पर पैदल और बाइक या स्कूटी से पहुंचा जा सकता है।
हम लोग अपनी स्कूटी से भोजशाला पहुंच गए हैं। भोजशाला परिसर के अंदर हम लोगों ने अपनी स्कूटी ले गए और यहां पर हमने अपनी स्कूटी को खड़ी कर दिया। यहां पर बहुत सारे सीताफल के पेड़ लगे हुए हैं। वैसे जब हम लोग यहां पर घूमने के लिए गए थे। तब सीताफल के पकने का टाइम था और यहां पर बहुत सारे सीताफल लगे हुए थे और पके भी थे। मगर यहां पर सीताफल को हाथ लगाना मना था। यहां पर नमाज पढ़ी जाती है। इसलिए यहां पर हाथ और पैर धोने के लिए नल लगाए गए थे। बाथरूम की सुविधा यहां पर उपलब्ध है। हम लोग आगे बढ़े, तो हम लोगों के यहां पर दरगाह देखने के लिए मिली। दरगाह के पास भोजशाला में जाने के लिए गेट बना हुआ था। भोजशाला के गेट के बाहर ही दरगाह का गेट भी है। हम लोग भोजशाला गए।
भोजशाला राज्य सरकार के द्वारा संरक्षित है। भोजशाला में प्रवेश के लिए शुल्क लिया जाता है। यहां पर 1 का रुपए का शुल्क लिया जाता है। हम लोग भोजशाला का टिकट लेकर भोजशाला में प्रवेश किया। यहां पर सामने बहुत बड़ा बरामदा देखने के लिए मिलता है। यह बरामदा पत्थर के स्तंभों पर टिका हुआ है। यह बरामदा बहुत ही सुंदर लगता है। स्तंभों पर बहुत ही जबरदस्त नक्काशी देखने के लिए मिलती है। यह स्तंभ लाइन से बने हुए हैं। यहां पर फोटो बहुत ही मस्त आती है। यहां पर मुस्लिम लोगों के पूजा करने का स्थल है। सीढ़ियां बनी हुई है। आले बना हुआ है और यहां पर सफेद मार्बल से बना हुआ छोटा सा पूजा का स्थल बना हुआ है। यह जो स्थल बना हुआ है। वह मुस्लिम शासकों के द्वारा बनवाया गया था और यह आज तक अच्छी अवस्था में है। यह पत्थर लगा हुआ है और उसमें कुछ उर्दू में लिखा हुआ है। मुझे इतनी जानकारी नहीं है, कि इसमें क्या लिखा हुआ है। मगर इसमें कुछ संदेश या वचन लिखा होगा। भोजशाला के बीच में बहुत बड़ा आंगन बना हुआ है। आंगन के बीच में एक छोटा सा कुंड बनाया गया है, जिसमें प्राचीन समय में शायद पानी भरा जाता होगा। यहां पर आजू बाजू भी बरामदे बने हुए हैं। मगर वह बरामदे ज्यादा बड़े नहीं है।
भोजशाला में बने स्तंभों को अगर बारीकी से देखा जाए, तो इसमें हिंदू नक्काशी देखने के लिए मिलती है। इस जगह को मुस्लिम धार्मिक स्थल में बदल दिया गया था। मगर जो नक्काशी हैं, उनको नहीं बदला गया था। यहां पर सरस्वती जी की जो मूर्ति थी। उसको हटा दिया गया है। सरस्वती माता को वाग्देवी देवी माता कहा जाता है। यहां पर प्राचीन समय में उनकी पूजा होती थी। इस जगह की देखभाल के लिए यहां पर गार्ड मौजूद थे। यह जगह अच्छी है।
आप लोग अगर धार जिले में आते हैं, तो आप इस जगह में भी घूमने के लिए आ सकते हैं। यहां पर पीने के पानी की व्यवस्था है और इस जगह घूमने के बाद, हम लोग बाहर आए और आगे अपनी यात्रा के लिए निकल गए। आगे हम लोगों को मांडू जाना था।
भोजशाला मंदिर का खुलने का समय - Bhojshala temple opening hours
भोजशाला मंदिर एक प्रसिद्ध मंदिर है। भोजशाला के खुलने का समय सूर्योदय से सूर्यास्त तक का है। आप दिन में कभी भी यहां पर घूमने के लिए आ सकते हैं।
भोजशाला में प्रवेश के लिए शुल्क - bhojshala entry fee
भोजशाला में बाहर ही टिकट घर है। यहां पर प्रवेश के लिए बहुत कम एक रुपए का शुल्क लिया जाता है। 15 वर्ष से कम उम्र के बच्चों के लिए यहां पर निशुल्क प्रवेश है। मंगलवार को निशुल्क प्रवेश किया जाता है। शुक्रवार दोपहर 1 बजे से 3 बजे तक निशुल्क प्रवेश किया जाता है, नमाज के लिए। यहां पर सप्ताह में किसी भी दिन घूमने के लिए आया जा सकता है। यहां पर वीडियो कैमरा का 25 रुपए का चार्ज है।
भोजशाला मंदिर कहां पर स्थित है - where is bhojshala temple
भोजशाला मंदिर धार जिले का एक प्रसिद्ध स्थल है। यह मंदिर मुख्य धार शहर से करीब 2 किलोमीटर दूर है। मंदिर में बाइक और स्कूटी से जाया जा सकता है और मंदिर परिसर के अंदर बाइक और स्कूटी खड़ा किया जा सकता है। यहां पर कार ले जाने में परेशानी हो सकती है और यहां पर पार्किंग की जगह भी उपलब्ध नहीं है।
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