रानी दुर्गावती समाधि - Rani Durgavati Samadhi sthal | Rani Durgavati punyatithi | रानी दुर्गावती का बलिदान दिवस
रानी दुर्गावती समाधि स्थल |
रानी दुर्गावती समाधि स्थल |
26 जनवरी को लगने वाला मेला |
मेले में मिलने वाला सामान |
रानी दुर्गावती एक गोंड रानी थी। रानी दुर्गावती का विवाह गोंड शासक संग्राम सिंह के बड़े पुत्र दलपति शाह के साथ सन 1542 में हुआ था। सन 1545 में रानी दुर्गावती ने पुत्र को जन्म दिया, जिसका नाम उन्होंने वीरनारायण रखा। कुछ ही वर्ष पश्चात सन 1550 में उनके पति दलपति शाह की मृत्यु हो गई। रानी ने शासन को अपने अधीन कर लिया और शासन की बागडोर संभाल ली। अकबर अपने राज्य का विस्तार कर रहा था, इसलिए उसने रानी के राज को हड़पने का सोचा।
रानी दुर्गावती की मृत्यु कैसे हुई - Rani durgavati died
अकबर का मानिकपुर का सूबेदार आसिफ अब्दुल मजीद आसिफ खा ने 50000 सैनिकों के साथ नरई नाले के समीप रानी दुर्गावती पर आक्रमण किया। रानी ने अपनी सेना के साथ उसका डटकर सामना किया और उसे मुंहतोड़ जवाब दिया और उसे पीछे धकेल दिया। दूसरे दिन आसिफ खा ने तोपखाने के साथ आक्रमण किया, जिससे रानी दुर्गावती को चोट आई और उन्होंने अपने आप को असुरक्षित पाया, जिसके कारण उन्होंने अपनी कटार से अपने आप पर आत्माघात करके अपने प्राण को त्याग दिया। 24 जून 1564 को उन्होंने अपने प्राणों को त्याग दिया और अमर हो गई। उनकी वीरता, बलिदान, मातृभूमि से प्यार के कारण ही वह प्रसिद्ध है और 24 जून को हर साल उनको श्रद्धांजलि दी जाती है।
रानी दुर्गावती समाधि मेला या समाधि मेला
Rani Durgavati Samadhi Mela or Samadhi Mela
रानी दुर्गावती की समाधि जबलपुर जिले में नरई नाला नाम की जगह पर स्थित है। इस जगह में पहुंचना बहुत ही आसान है। आप जब भी बरगी बांध जाते हैं, तो यह जगह आपको देखने के लिए मिलती है। तब आपको रानी दुर्गावती की समाधि देखने के लिए मिल जाएगी, क्योंकि यह मेन रोड में ही स्थित है। रानी दुर्गावती के समाधि के आसपास आपको चाय नाश्ते की दुकान भी देखने के लिए मिल जाती है। रानी दुर्गावती समाधि स्थल मुख्य रोड में ही स्थित है। यहां पर छोटा सा गार्डन बना हुआ है, जहां पर रानी दुर्गावती की समाधि है और यहां पर आपको रानी दुर्गावती की एक विशाल मूर्ति भी देखने के लिए मिलती है। यहां पर आपको हाथी की भी एक मूर्ति देखने के लिए मिलती है। 26 जनवरी के समय इस जगह में मेला लगता है, जिसमें दूर दूर से लोग आते हैं और यह मेला 8 दिनों तक लगता है। इस मेले में आप भी घूमने के लिए जा सकते हैं। यहां पर आसपास के गांव के लोग मेले में आते हैं। यहां पर आप आएंगे, तो रोड के एक तरफ रानी दुर्गावती की समाधि स्थित है और रोड की दूसरी तरफ आपको रानी दुर्गावती के पुत्र वीर नारायण जी की मूर्ति देखने के लिए मिलती है। मूर्ति के पास जाने के लिए एक छोटा सा पुल बना हुआ है और बरसात के समय इस पुल में पानी बहता है, जो बहुत ही खूबसूरत लगता है। बरसात के समय यहां पर चारों तरफ हरियाली रहती है और यहां पर जंगल है जो बहुत खूबसूरत लगता है और आपको भी अच्छा लगेगा। 26 जनवरी के समय रानी दुर्गावती की समाधि में सांस्कृतिक कार्यक्रम होते रहते हैं। यहां पर आप आते हैं, तो आपको यहां पर लोग रानी दुर्गावती की समाधि की पूजा करते हुए देखने के लिए मिल जाते हैं और यहां पर आकर आपको अच्छा अनुभव होगा। मेले में भी आप घूम सकते हैं। मेले में आपको तरह-तरह के झूले देखने के लिए मिल जाते हैं और यहां पर बहुत सारी दुकानें रहती हैं, जहां पर आप शॉपिंग कर सकते हैं। यहां पर खाने पीने की भी दुकानें लगाई जाती हैं, जहां पर आपको तरह तरह का खाना मिल जाता है। मेले में आपको आटे की मिठाई और गुड़ की जलेबी खाने के लिए मिलेगी और यहां पर आपको बहुत बड़ी तादाद में आपको यह देखने के लिए मिल जाता है, तो आप यहां पर इनका लुफ्त उठा सकते हैं। इस मेले में आप घूमने के लिए आ सकते हैं और आपको यहां पर बहुत अच्छा लगेगा। आप यहां पर अपने दोस्तों और फैमिली मेंबर्स के साथ आ सकते हैं। यहां पर पार्किंग के लिए भी व्यवस्थाएं रहती है।
दलदली माता मंदिर नैनपुर, मंडला,
वीरांगना दुर्गावती वन्य जीव अभ्यारण
रानी दुर्गावती की मृत्यु 24 जून 1564 में हुयी कृपया लेख में सुधार करें
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