सतधारा का मेला
Famous Fair in Madhya Pradesh :- Satdhara Mela
सतधारा का मेला प्राचीन समय से हिरन नदी के तट पर लगता आ रहा है। यहां का वातावरण बहुत अच्छा है। यहां पर दूर दूर से लोगों आते मेले को घूमने के लिए, यहां मेला लकडी से सम्बान्धित समान के लिए प्रसिध्द है। यहां पर नदी का नजारा बहुत शानदार होता है और नदी का पानी कंचन के सामान साफ है। यहां पर आपको बहुत अच्छा लगेगा। यहां पर अनेकों तरह की दुकानें लगती है।
मेला कब और कहाॅ लगता है
सतधारा का मेला जबलपुर (Satdhara Mela jabalpur)जिले की सिहोरा तहसील से 20 किमी की दूरी पर कुम्ही नाम के गाॅव के पास लगता है। यहां पर हिरन नदी बहती है, नदी के बाजू से ही मेला लगता है। यहां पर नदी के समीप ही शंकर जी का मंदिर है और नदी के समीप में अनोखी प्रातिमा विराजमान है जो देखने में बहुत आकर्षक है। यहां पर हिरन नदी का नजारा बहुत सुंदर लगता है। यहां पर हिरन नदी सात धाराओं में बॅट जाती है। यहां मेला मकर संक्राति के बाद लगता है। हम लोग 20 जनवरी को गए थे तब मेला लगना शुरू हुआ था। बहुत सी दुकान न्यू खुलने की तैयारी हो रही थी। यहां पर आप अपनी गाडी से आसानी से आ सकते है। गूगल मैप में भी सही दिशा निर्देश दिए गए है। आप यहां असानी से आ सकते है। इसके अलावा यहां पर बस भी चलती है मगर उनका टाइम टेबल का आपको ध्यान रखना होगा।
Satdhara Hiren river view |
सतधारा मेले (Satdhara Mela)का महत्व
सतधारा का मेला लकडी से बने समान के लिए पूरे देश में प्रसिध्द है। यहां मेला करीब 300 साल प्राचीन समय से लगता हुआ आ रहा है। हिरन नदी के बाजू में शिव भगवान का मंदिर स्थित है। यहां पर रानी दुर्गावती के कार्यभारी गंगाराम गोसाई ने एक पर्थिव शिवलिंग बनाकर उनकी पूजा करते है। वहां शिवलिंग पत्थर में परिवर्तित हो गया। उस शिवलिंग की स्थापना इस मंदिर में कराई गई है और इस मेले का आरम्भ हो गया है। गंगाराम गोसाई की अग्रेजों से मुठभेड में मृत्यु हो गई थी और उनकी समाधि मंदिर के बाजू में स्थित है।
सतधारा का मेला (Satdhara Mela)धार्मिक क्षेत्र भी है
यहां स्थान सात ऋषियों ने तपस्या और उनके प्रभाव के कारण जाना जाता था। कहा जाता है उनके तप के प्रभाव से नदी का वेग थम गया था। तब हिरन नदी ने ऋषियों से प्रर्थाना की उन्हे आगे जाने का मार्ग दिया जाये मगर ऋषियों ने कहा कि वह अपनी तपस्या बीच में नहीं छोडे सकते है, तब हिरन नदी अपने वेग को सात धाराओं में विभक्त करना पडा और नदी ऋषियों के बीच से होते हुए दूध की सामान धाराओं के सामान आगे प्रवहित हुई। इस कारण इस जगह का नाम सतधारा पडा। यहां पर कुम्ही गांव बसा हुआ है इसलिए इसे कुम्ही सतधारा कहा जाता है।
Hiren River view |
मेरे विचार
यहां पर गाडी स्टैड का चार्ज बहुत ज्यादा लगा है 20 रू एक गाडी का ये मुझे लगा है। आप अपने विचार जरूर बताये। बाकी मेला बहुत अच्छा ये जगह बहुत मस्त है। नदी इस जगह ज्यादा गहरी भी नहीं है। यहां पर कई सारी दुकाने एवं झूले लगे है जहां पर आप मजे कर सकते है। यहां पर शंकर जी का मंदिर बहुत अच्छा है।
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