कालिंजर किला के बारे में जानकारी - Kalinjar kila ki Jankari
कालिंजर का किला मध्य प्रदेश का एक प्रसिद्ध किला है। कालिंजर का किला बांदा जिले के अंतर्गत आता है। कालिंजर का किला विंध्याचल की पहाड़ियों पर स्थित है। यह किला एक ऊंची पहाड़ी पर बना हुआ है। इस किले में जाने का जो रास्ता है। वह भी बहुत सुंदर है। यह रास्ता घुमावदार है और किले में जाते समय बहुत मजा आता है। आपको कालिंजर किले से पूरे कालिंजर का सुंदर दृश्य देखने के लिए मिलेगा। यह किला ग्रामीण इलाके में स्थित है। कालिंजर किले से आपको दूर दूर तक सुंदर पहाड़ और मैदानों का दृश्य देखने के लिए मिल जाता है। कालिंजर किले के अंदर देखने के लिए बहुत सारी जगह है। किले के अंदर प्राचीन किले, मंदिर, मस्जिद, कब्र, जलाशय, संग्रहालय देखने के लिए मिल जाता है।
कालिंजर का किला घूमने के लिए सबसे पहले कालिंजर पहुंचना पड़ता है। कालिंजर तक पहुंचने के लिए सड़क माध्यम उपलब्ध है। आप सड़क के द्वारा इस किले में आराम से पहुंच सकते हैं। आप कालिंजर चित्रकूट से आ सकते हैं और पन्ना से भी आप कालिंजर किले में आ सकते हैं। हम लोग कालिंजर किले में खजुराहो पन्ना रोड से आए थे। मगर यह रोड बड़ी खराब है। गर्मी में कालिंजर का तापमान बहुत ज्यादा गर्म रहता है। यहां पर आप अप्रैल और मई में घूमने आएंगे, तो आपको बहुत ज्यादा गर्मी लगेगी और आप बहुत जल्दी थक जाएंगे। हम लोग कालिंजर घूमने के लिए अप्रैल के महीने में गए थे। यहां पर अप्रैल के महीने में भी बहुत ज्यादा गर्मी लग रही थी और हम लोग थक गए थे। आप यहां जाते हैंए तो पानी जरूर लेकर जाएं।
कालिंजर किले के दर्शन - Kalinjar fort sightings
हम लोग कालिंजर पहुंच गए। हम लोग कालिंजर पहुंचकर सबसे पहले यहां पर चाय की टपरी में चाय पिए। उसके बाद हम लोग कालिंजर किले की चढ़ाई चढ़ना शुरू किए। कालिंजर किले की जो चढ़ाई है। वह खड़ी चढ़ाई है। यह किला बहुत ऊंचाई में स्थित है। कालिंजर किले की चढ़ाई में चढ़ते समय बहुत सारे मोड़ भी मिलते हैं। यह मोड घुमावदार हैं और चढ़ाई चढ़ने में बहुत मजा आता है। कालिंजर किले की चढ़ाई चढ़कर हम लोग कालिंजर किले के मुख्य प्रवेश द्वार पर पहुंचे। मुख्य प्रवेश द्वार से अंदर जाकर हम लोगों को दो रास्ते देखने के लिए मिले। यह दोनों रास्ते ही कालिंजर किले के टिकट घर की तरफ जाते हैं। इनमें से किसी भी रास्ते से आप कालिंजर किले के टिकट घर में पहुंच सकते हैं। हम लोग कालिंजर किले की टिकट घर में पहुंचे और किले में प्रवेश के लिए टिकट लिया। कालिंजर किले के अंदर जितने भी किले, मंदिर, मस्जिद एवं तालाब स्थित है। इन सभी जगह पर आप अपनी गाड़ी, स्कूटी और कार से आराम से घूम सकते हैं।
हम लोग इस किले में अपनी स्कूटी से गए थे। इस किले में घूमने के लिए पक्के रास्ते हैं। इस किले में सबसे पहले हम लोगों को पातालगंगा, सीता कुंड और सीता सेज देखने के लिए मिला। यह जगह किले में प्रवेश करते ही थोड़ी दूरी पर हमे देखने के लिए मिल जाती हैं। इस जगह पर पैदल जाना पड़ता है, क्योंकि यह जगह पहाड़ी पर स्थित है। यहां पर आपकी गाड़ी नहीं जाएगी। यहां पर आपको कुंड देखने के लिए मिलता है, जो प्राचीन है। हम लोग इस जगह पर नहीं गए थे। हम लोग आगे चले गए और आगे जाकर हम लोगों को किला देखने के लिए मिला।
सबसे पहले हम लोग कालिंजर किले में चौबे महल घूमने के लिए गए। चौबे महल दो मंजिला महल है और यह आयताकार बना हुआ है। यह महल प्रवेश द्वार पूर्व की तरफ है। यह महल सुंदर लगता है। महल में प्रवेश करेंगे, तो एक आंगन देखने मिलेगा। इस आंगन के चारों तरफ आपको भवन देखने के लिए मिलते हैं। यह महल सुंदर लगता है। इस महल का निर्माण 18वीं शताब्दी में किया गया है।
चौबे महल में ऊपर जाने के लिए सीढ़ियां भी बनी हुई है। हम लोग ऊपर जाकर चौबे महल से इस किले का दृश्य देखे, जो बहुत सुंदर दिख रहा था। उसके बाद हम लोग चौबे महल से बाहर आ गए। चौबे महल से कुछ दूरी में ही बड़ा दरवाजा देखने के लिए मिलता है। बड़ा दरवाजा बहुत सुंदर बना हुआ है और बड़े दरवाजे में ऊपर जाने के लिए सीढ़ियां बनी हुई है। इन सीढ़ियों से हम लोग ऊपर गए और हमें ऊपर से कालिंजर का सुंदर दृश्य देखने के लिए मिला। यहां पर बहुत ही अच्छी हवा चल रही थी। यहां पर बहुत सारे लोग आए हुए थे। बड़े दरवाजे में नीचे की तरफ कुछ रहने के लिए बनाया गया था। यहां पर प्राचीन समय में जो सिपाही पहरेदारी करते थे। वह यहां पर नीचे बने हुए रहने के स्थान पर रहा करते थे। बड़ा दरवाजा देखने के बाद हम लोग सीढ़ियों से नीचे उतरे और अपनी गाड़ी लेकर आगे बढ़े, तो हम लोगों को यहां पर प्राचीन कब्रे देखने के लिए मिली। यह कब्रे चौबे महल से थोड़ी ही दूरी पर स्थित है। यहां पर प्राचीन कब्रे और मकबरे बने हुए थे। वैसे यहां पर बहुत बड़ी बड़ी झाड़ियां थी। इसलिए हम लोग इन कब्रों को देखने के लिए नहीं गए। थोड़ा दूर जाने पर हमें यहां पर रानी महल देखने के लिए मिला।
हम लोगों को यहां पर रानी महल और वेंकट बिहारी मंदिर देखने के लिए मिला। रानी महल और वेंकट बिहारी मंदिर दोनों ही खंडहर अवस्था में यहां पर मौजूद है। यह दोनों महल आजू-बाजू बने हुए हैं और बहुत ही सुंदर लगते हैं। कालिंजर किले का वेंकट बिहारी मंदिर बहुत सुंदर लगता है। यह मंदिर एक ऊंचे चबूतरे पर बना हुआ है और मंदिर के ऊपर आपको बड़ा सा गुंबद देखने के लिए मिलता है। मंदिर में छोटे-छोटे गुंबद भी बने हुए हैं। यह मंदिर देखने में सुंदर दिखता है। इस मंदिर में जाने के लिए सीढ़ियां बनी हुई है। मंदिर के अंदर जाकर हम लोगों ने देखा, तो अंदर भी आपको छोटा सा गर्भ ग्रह देखने के लिए मिलता है। मगर यहां पर किसी भी तरह की मूर्ति विराजमान नहीं है। हम लोग वेंकट बिहारी मंदिर घूमने के बाद रानी महल घूमने के लिए गए। रानी महल वेंकट बिहारी मंदिर के बाजू में ही बना हुआ है। हम लोग वहीं से प्रवेश किये। रानी महल दो मंजिला खूबसूरत इमारत है और रानी महल के अंदर आपको खंडहर ही देखने के लिए मिलेगा, क्योंकि इसका अधिकांश भाग गिर गया है। मगर हम लोग इस महल के ऊपरी मंजिल में गए। इसमें ऊपरी सिरे में जाने के लिए, जो सीढ़ियां थी। वह भी गिर गई थी। मगर फिर भी हम लोग इस महल के ऊपरी सिरे में गए।
रानी महल में हम महल के अंदर प्रवेश करते हैं, तो एक बड़ा सा आंगन देखने के लिए मिलता है। आंगन के चारों ओर बरामदा देखने के लिए मिलता है। यह स्तंभ भी बने हुए हैं, जो सुंदर लगते हैं और इन स्तंभों में खूबसूरत नक्काशी की गई है। इन स्तंभों में फूल और पत्तियां बनाई गई है। रानी महल का प्रवेश द्वार भी बहुत सुंदर बना हुआ है। प्रवेश द्वार में ऊपर की तरफ सुंदर नक्काशी की गई है। यह महल बुंदेल खंड वास्तु कला में बनाया गया है और देखने में सुंदर लगता है।
रानी महल घूमने के बाद हम लोग नीलकंठ मंदिर घूमने के लिए गए। नीलकंठ मंदिर कालिंजर किले में घूमने के लिए एक प्रसिद्ध स्थल है। नीलकंठ मंदिर एक धार्मिक स्थल है और यहां पर एक मुखी भगवान शिव के दर्शन करने के लिए मिलते हैं। यहां पर एक मुखी भगवान शिव का शिवलिंग विराजमान है। नीलकंठ मंदिर पहाड़ी पर बना हुआ है। यहां पर नीचे जाने के लिए सीढ़ियां बनी हुई है। नीलकंठ मंदिर में मंडप देखने के लिए मिलता है। इस मंडप में आपको छत देखने के लिए नहीं मिलती है, यह सिर्फ स्तंभ देखने के लिए मिलते हैं। यह स्तंभों में सुंदर नक्काशी की गई है। नीलकंठ मंदिर में बहुत सारी प्राचीन मूर्तियां देखने के लिए मिलती हैं। यहां पर चट्टानों में भी उकेरकर मूर्तियां बनाई गई है। यहां पर भगवान, राजा, रानी, मृत्यु के देवता, काल भैरव जी, विष्णु भगवान जी, नरसिंह भगवान जी, गणेश जी, नंदी भगवान जी बहुत सारी प्रतिमाएं यहां पर देखने के लिए मिलती हैं। नीलकंठ मंदिर घूमने के बाद हम लोग कोटि तीर्थ तालाब घूमने के लिए गए।
कोटि तीर्थ तालाब जाने के रास्ते में हम लोगों को एक और तालाब देखने के लिए मिला। यह तालाब भी प्राचीन था. हम लोग को कोटि तीर्थ तालाब के पास पहुंचे, तो हम लोग को यहां पर पुरातात्विक संग्रहालय देखने के लिए मिला। पुरातात्विक संग्रहालय कोटि तीर्थ तालाब के पास में स्थित है। यह संग्रहालय राजा अमान सिंह के महल के अंदर स्थित है। जिस दिन हम लोग इस किले में घूमने के लिए गए थे। उस दिन यह संग्रहालय बंद था। हम लोग कोटि तीर्थ तालाब के चारों तरफ स्थित प्राचीन इमारतें और मंदिर घूमे। कोटि तीर्थ तालाब के पास में हम लोगों को पन्ना दरवाजा, रीवा दरवाजा, मेढुकी भैरव, पत्थर महल, बरादरी, राम जानकी मंदिर, शिव मंदिर देखने के लिए मिला। कोटि तीर्थ तालाब के पास में ही एक बड़ा सा बरगद का पेड़ है। यहां पर एक प्राचीन मूर्ति देखने के लिए मिली। यह मूर्ति विष्णु भगवान की थी। इस पेड़ के पास बहुत सारे बंदर भी थे। जब हम लोग कालिंजर का किला घूमने के लिए गए थे। तब यहां पर बहुत सारे साधु संत भी घूमने के लिए आए थे।
कोटि तीर्थ तालाब में घूमने के बाद हम लोग वापस आए। हम लोग कालिंजर किले के मुख्य दरवाजे की तरफ वापस आने लगे, तो हम लोगों को रंग महल देखने के लिए मिला। यहां पर एक बड़ा सा तालाब भी था। जिसे शनिचर तालाब कहते है। शनिचर तालाब के बाजू में एक मस्जिद बनी हुई है। इस मस्जिद के बाजू से रास्ता बना हुआ है। इस रास्ते से हम लोग आगे बढ़े, तो हम लोगों को यहां पर रानी महल देखने के लिए मिला। यह महल बहुत ही सुंदर था और यह महल दो मंजिला था। महल के ऊपर जाने के लिए भी रास्ता बना हुआ था और इस महल के अंदर एक मंदिर भी है। रानी महल देखने के लिए देखने के बाद हम लोग आगे बढ़े, तो हम लोगों को जखीरा महल देखने के लिए मिला। यह महल भी सुंदर है। इस महल के अंदर एक बड़ा सा आंगन बना हुआ है और आंगन के चारों तरफ गलियारा बना हुआ है। जखीरा महल देखने में बहुत सुंदर दिखता है।
कालिंजर किला का इतिहास - History of Kalinjar Fort
कालिंजर का किला मध्य प्रदेश में स्थित है। कालिंजर का किला एक प्राचीन किला है। कालिंजर किले का इतिहास भी बहुत प्राचीन है। यह किला मानवीय गतिविधियों के साक्ष्य पुरापाषाण काल से ही प्राप्त होते हैं। इस दुर्ग से गुप्तकालीन अभिलेखों के अतिरिक्त अनेक पूर्व मध्यकालीन मूर्तियां एवं अभिलेख प्राप्त हुए हैं। 1023 ईसवी में महमूद गजनवी के आक्रमण के समय यहां शक्तिशाली चंदेल शासक विद्याधर का शासन था। 1202 ईसवी कुतुबुद्दीन ऐबक तथा 1545 ईसवी में शेरशाह सूरी ने कालिंजर दुर्ग पर आक्रमण कर, इस पर अपना आधिपत्य स्थापित किया। आक्रमण के दौरान दुर्घटनाग्रस्त होने के कारण शेरशाह की मृत्यु हो गई। शेरशाह के पश्चात यह किला मुगलों एवं बुंदेलों के अधीन रहा। 1812 ईसवी में कालिंजर का किला ब्रिटिश अधिपत्य में आ गया।
कालिंजर दुर्ग की 5 मीटर चौड़ी आंतरिक सुरक्षा प्राचीर लगभग 5.7 किलोमीटर परिधि में विस्तृत है। कालिंजर दुर्ग में प्रवेश हेतु मुख्य मार्ग ग्राम की ओर से था, जिसमें 7 द्वार - आलमगीर द्वार, गणेश द्वार, चैबुर्जी द्वार, बुध भद्र द्वार, हनुमान द्वार, लाल दरवाजा, बड़ा दरवाजा है। कालिंजर दुर्ग से समय-समय पर प्राप्त मूर्तियों और अभिलेखों को अमान सिंह महल में रखा गया है, जो यहां के गौरवशाली इतिहास की गाथा कहते हैं।
कालिंजर का अर्थ - Meaning of Kalinjar
कालिंजर शब्द का अर्थ होता है काल पर विजय पाना। प्राचीन काल से ही शैव तपो स्थान होने के कारण यह स्थान कालजर या कालिंजर नाम से प्रसिद्ध हो गया। इस जगह का कालिंजर नाम इसलिए पड़ा, क्योंकि इस जगह के बारे में कहा जाता है, कि समुद्र मंथन के समय भगवान शिव ने जो जहर पिया था और उन्होंने इस जगह पर आकर तपस्या की। जिससे काल की गति धीमी हो गई। इसलिए इस जगह को कालिंजर कहा जाता है।
कालिंजर किले के दर्शनीय स्थल - Kalinjar Fort sightseeing
पातालगंगा
सीता कुंड
सीता सेज
बड़ा दरवाजा
चैबे महल
मध्यकालीन मकबरा और कब्रे
वेंकट बिहारी मंदिर
रानी महल मस्जिद
शनिचरी तालाब
रंग महल
जखीरा महल
मोती महल
बुड्ढा बुड्ढी तालाब
सिद्ध की गुफा
भगवान सेज
पन्ना दरवाजा
रीवा दरवाजा
मेढुकी भैरव
अमृतधारा
अमान सिंह महल
कोटि तीर्थ तालाब
पत्थर महल
बरादरी
राम जानकी मंदिर
राम कटोरा तालाब
नीलकंठ द्वार
हनुमान मंदिर
नीलकंठ मंदिर
स्वर्गारोहण कुंड
काल भैरव मूर्ति
मदार तालाब
लाल दरवाजा
खंबोरन तालाब
बलखंडी दरवाजा
बुध भद्र दरवाजा
हनुमान दरवाजा
चंडिका दरवाजा
गणेश दरवाजा
आलम दरवाजा
कालिंजर दुर्ग कहां स्थित है - Where is the kalinjar fort
कालिंजर दुर्ग मध्य प्रदेश की विंध्याचल पहाड़ियों में स्थित है। यह किला बहुत सुंदर है। यह किला ऊंची पहाड़ी में स्थित है। यह किला बांदा जिला के अंतर्गत आता है। कालिंजर का किला चित्रकूट से पन्ना आने वाले रास्ते में स्थित है। आप यहां आसानी से पहुंच सकते हैं।
कालिंजर किला की फोटो - Photo of Kalinjar Fort
चौबे महल कलिंजर का किला |
कालिंजर का सुंदर दृश्य |
वेंकट बिहारी मंदिर |
रानी महल |
वेंकट बिहारी मंदिर |
कालिंजर महादेव मंदिर का गेट |
काल भैरव की मूर्ति नीलकंठ मंदिर |
गणेश जी की मूर्ति नीलकंठ मंदिर |
पन्ना गेट कालिंजर किला |
नीलकंठ मंदिर कालिंजर किला बांदा
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