नीलकंठ मंदिर कालिंजर किला बांदा - Neelkanth Temple Kalinjar Fort Banda
नीलकंठ मंदिर कालिंजर किले का एक प्रसिद्ध स्थल है। यह एक प्राचीन मंदिर है। यह मंदिर शिव भगवान जी को समर्पित है। इस मंदिर के गर्भ गृह में आपको शिव भगवान जी के एकमुखी शिवलिंग देखने के लिए मिलते हैं। यह मंदिर अद्भुत है और मंदिर में पर पत्थर पर की गई कलाकारी भी अविस्मरणीय है। कालिंजर का किला एक प्रसिद्ध किला है। इस किले के पश्चिमी तरफ शिव जी का यह प्रसिद्ध मंदिर स्थित है। इस मंदिर को नीलकंठ मंदिर नाम से जाना जाता है।
नीलकंठ मंदिर बहुत सुंदर है। नीलकंठ मंदिर में शिव जी के शिवलिंग के अलावा, भी यहां पर आपको बहुत सारी प्रतिमाएं देखने के लिए मिलती है, जो चट्टानों पर उकेर कर बनाई गई है। यहां पर आपको काल भैरव जी की एक विशाल प्रतिमा देखने के लिए मिलेगी, जो चट्टान में बनाई गई है। यह प्रतिमा बहुत विशाल है और देखने में बहुत ही अद्भुत लगती है। यहां पर आपको नरसिंह भगवान की प्रतिमा देखने के लिए मिलती है, जो बहुत अद्भुत है। यहां पर मुख्य मंदिर के ऊपर आपको स्वर्गारोहण कुंड देखने के लिए मिलता है। इस कुंड में चट्टानों से पानी रसकर गिरता है और इसका ही पानी सभी लोग पीते हैं। यहां पर आपको प्राचीन हनुमान मंदिर देखने के लिए मिलता है। इस जगह से आपको कालिंजर का सुंदर दृश्य देखने के लिए मिलता है। आप दूर तक कालिंजर के बड़े-बड़े मैदानों को देख सकते हैं, जो बहुत ही सुंदर दिखते हैं।
कालिंजर के नीलकंठ मंदिर के दर्शन - Visit to Neelkanth Temple Kalinjar
कालिंजर किले में हम लोग अपनी स्कूटी से आए थे। यहां पर आप किसी भी वाहन से आ सकते हैं। कालिंजर का जो नीलकंठ मंदिर है। वह किले के पश्चिम साइड स्थित है। इस मंदिर में आने के लिए आप लोगों को दो रास्ते मिल जाएंगे। एक रास्ता सीढ़ियों का है। सीढ़ियों वाले रास्ते में आपको पैदल ही चल कर आना पड़ेगा और दूसरा रास्ता रोड का है। रोड वाले रास्ते में आप चाहे, तो पैदल भी आ सकते हैं और गाड़ी से भी आ सकते हैं। यह मंदिर ऊंची पहाड़ी पर स्थित है। आप सीढ़ियों वाले रास्ते से जाएंगे, तो आपको बहुत ज्यादा एडवेंचर लगेगा। सीढ़ियों वाला रास्ता पहाड़ियों से होता हुआ जाता है, जो बहुत मस्त लगता है। मगर हम लोग सीढ़ियों वाले रास्ते से नहीं गए थे। हम लोग सड़क वाले रास्ते से इस मंदिर में गए थे।
नीलकंठ मंदिर में हम लोग अपनी गाड़ी से पहुंच गए और अपनी गाड़ी को, हम लोगों ने यहां पर विशाल पीपल का पेड़ है। उसके नीचे गाड़ी खड़ी कर दिया। उसके बाद हम लोग मंदिर के प्रवेश द्वार से अंदर प्रवेश किए। मंदिर के प्रवेश द्वार में बेल बूटी से सजा है और प्रवेश द्वार के दोनों तरफ सुंदर मूर्तियां बनी हुई है। यह मूर्तियां खंडित अवस्था में यहां पर देखने के लिए मिलती है। हम लोग जैसे ही मंदिर के अंदर प्रवेश किए। यहां पर कालिंजर का सुंदर दृश्य देखने के लिए मिला। दूर दूर तक फैला हुआ मैदान, पेड़ पौधे और पहाड़ों का दृश्य बहुत ही सुंदर था। उसके बाद हम लोगों को सीढ़ियों से नीचे आना था। मुख्य मंदिर नीचे साइड स्थित है। हम लोग सीढ़ियों से नीचे आए। यह सीढ़ियां भी पत्थर की बनी हुई है। यहां पर आपको हनुमान जी का प्राचीन मंदिर देखने के लिए मिलेगा। यह मंदिर भी बहुत प्राचीन है। इस मंदिर में हनुमान जी की प्रतिमा विराजमान है। यहां पर हम लोगों ने देखा, कि एक व्यक्ति बैठे हुए थे और हनुमान चालीसा का पाठ कर रहे थे। इस जगह में आ कर बहुत अच्छा लगता है और यहां पर ऐसा लगेगा कि यहीं पर रुके रहो। यहां पर एक अजीब तरह का शांति थी।
हम लोग सीढ़ियों से नीचे उतर रहे थे और हम लोगों को यहां पर चट्टानों में सुंदर मूर्ति कला देखने के लिए मिल रही थी। यहां पर नीचे उतरते समय हम लोगों को छत विहीन मंडप का दृश्य देखने के लिए मिला, जो बहुत ही सुंदर लग रहा था। हम लोगों को सीढ़ियों के किनारे ही नंदी भगवान की एक आकर्षक प्रतिमा देखने के लिए मिली। यह नंदी प्रतिमा चट्टान को काटकर बनाई गई थी। यहां पर चट्टानों में मूर्तियां एक लाइन में बनाई गई थी, जिसमें मृत्यु के देवता, काल भैरव जी की मूर्ति , नारियों की मूर्ति , नृत्य करते हुए लोगों की मूर्ति , राजाओं की मूर्ति, साधुओं की बहुत सारी मूर्तियां देखने के लिए मिली। हम लोग सीढ़ियों के नीचे पहुंचे, तो यहां पर एक गुफा में ढेर सारे शिवलिंग विराजमान थे। यहां पर शिवलिंग हम लोगों ने गिना नहीं। मगर यहां पर करीब 25 से 30 शिवलिंग होंगे ही। इसके अलावा इस पूरे नीलकंठ मंदिर में आपको हर जगह शिवलिंग देखने के लिए मिलेंगे और शिवलिंग एक प्रकार के नहीं शिवलिंग यहां पर अनेकों प्रकार से बनाए गए हैं।
पूरे नीलकंठ मंदिर में अनेकों शिवलिंग देखने मिलते है। यहां पर अलग-अलग प्रकार की शिवलिंग आप लोगों को देखने के लिए मिल जाते हैं। यहां पर चट्टानों पर, जो शिवलिंग बनाए हुए हैं। उनमें मुख भी बनाए गए हैं। इसके अलावा एक शिवलिंग और यहां पर विराजमान था, जो जिसमें अनेकों छोटे छोटे शिवलिंग बने हुए हैं। यह बहुत आकर्षक लगते हैं। यहां पर मुख्य मंदिर में हम लोग पहुंच गए। मुख्य मंदिर के सामने हमे एक मंडप देखने के लिए मिला। यह स्तंभ युक्त है। इस मंडप के ऊपर छत नहीं है। स्तंभों में सुंदर नक्काशी देखने के लिए मिलती है। इसमें बेल बूटियों की बनाई गई है। यहां पर 16 स्तंभ देखने के लिए मिलते हैं। इन स्तंभों के ऊपर छत नहीं बनाई गई है। यह मंडप अष्टकोण है और यह मंडप एक चबूतरे में बना हुआ है। मंडप के दोनों तरफ से मुख्य मंदिर में जाने के लिए रास्ता है। हम लोग मंदिर के अंदर गए। मंदिर में शंकर जी की बहुत ही आकर्षक प्रतिमा देखने के लिए मिली।
नीलकंठ मंदिर के गर्भ गृह में भगवान शिव का शिवलिंग विराजमान है। यह एक मुखी शिवलिंग है। यहां पर आपको और भी मूर्तियां देखने के लिए मिलती हैं, जो बहुत ही आकर्षक लगती है। गुफा में ऊपर से पानी रिसता रहता है। यह गुफा बहुत ठंडी थी। इस गुफा के अंदर एक पंडित जी भी बैठे हुए थे। यहां पर हमे और भी शिवलिंग के दर्शन करने के लिए मिले। इस शिवलिंग के दर्शन कर के हम लोगों को बहुत अच्छा लगा और हम लोग धन्य हो गए।
हम लोग नीलकंठ मंदिर में गर्भ ग्रह में शिव जी के दर्शन करने के बाद बाहर आए। बाहर यहां पर कुछ भक्तगण प्रसाद बांट रहे थे। हम लोगों को भी उन्होंने प्रसाद दिया। हम लोगों को उन्होंने पेठा दिया। यहां पर आपको बहुत सारे बंदर देखने के लिए मिलते हैं। यहां पर और भी लोग दर्शन करने के लिए आए थे, जो बंदरों को भी पेठा खिला रहे थे। यहां पर जो भक्तगण थे। वह भी बंदरों को पेठा खिला रहे थे। यहां पर हम लोगों को बहुत सारे साधु लोग भी देखने के लिए मिले। यह साधु मंडली के भगवान जी के दर्शन करने आई हुई थी। यहां पर जो भी साधु मंडली आती है, उनके रहने के लिए भी यहां पर व्यवस्था है। मंदिर में पीछे के साइड साधु मंडली रह सकती है। यहां पर हम लोग मंदिर के सामने कुछ देर बैठे रहे और पेठे खाए। उसके बाद हम लोग यहां के अन्य जगह में घूमने के लिए गए।
नीलकंठ मंदिर पर काल भैरव जी की एक बहुत ही विशाल प्रतिमा है। यह प्रतिमा 7.3 मीटर लंबी है। यह प्रतिमा एक बड़ी सी चट्टान पर बनाई गई है। यह प्रतिमा बहुत ही अद्भुत लगती है। काल भैरव भगवान जी मृत्यु के देवता। यह प्रतिमा बहुत ही अच्छी लगती है। हम लोगों ने इस प्रतिमा के साथ कुछ फोटो भी खींचे। यहां पर एक छोटी सी और काल भैरव की प्रतिमा बनी हुई है।
उसके बाद हम लोग यहां पर स्वर्गारोहण कुंड में गए। यह कुंड मुख्य मंदिर के ऊपर बना हुआ है। कुंड में जाने के लिए सीढ़ियां बनी हुई है। हम लोग सीढ़ियों से ऊपर गए। यहां पर बहुत सारे बंदर थे, तो हम लोगों को ऊपर जाने में डर भी लग रहा था। मगर बंदर यहां पर कोई नुकसान नहीं करते, जब तक आप उनको कुछ ना करें। कुंड के आप नजदीक नहीं जा सकते है। दूर से देख सकते है। ताकि कोई भी इस कुंड पर किसी भी चीज को ना डालें और कुंड में मछलियां भी देखने के लिए मिल जाती हैं। यहां पर जो भी लोग आते हैं। वह इस कुंड का ही पानी पीते हैं। इस कुंड में पानी चट्टानों से आता है और यहां पर हम लोग अप्रैल माह में गए थे। अप्रैल माह में भी पानी यहां पर चट्टानों से रिस कर कुंड में आ रहा था। यहां पर मुख्य मंदिर के परिसर में आपको एक विशाल मूर्ति देखने के लिए मिलती है। यह मूर्ति विष्णु भगवान जी की है। यह मूर्ति जमीन में लेटी हुई है और अच्छे लगती है। यहां पर बहुत अच्छा लगता है। बहुत शांति मिलती है। इस मंदिर में बहुत सारे शिलालेख पाए गए हैं। इन शिलालेखों में चंदेल शासक मदन वर्मा का 12 वीं शताब्दी का अभिलेख महत्वपूर्ण है, जिसमें नीलकंठ की स्तुति के साथ-साथ द्वारपाल संग्राम सिंह और नृत्यांगनाओं का वर्णन है। गर्भ ग्रह को गुप्तकालीन व इसके मंडप को चंदेल कालीन माना जाता है।
नीलकंठ मंदिर कहां पर है - Where is Neelkanth temple
नीलकंठ मंदिर एक प्रसिद्ध मंदिर है। यह मंदिर कालिंजर किले के अंदर स्थित है। कालिंजर का किला बांदा जिले में है। यह मंदिर कालिंजर किले के पश्चिम की तरफ स्थित है। इस किले में आप गाड़ी से आ सकते हैं और नीलकंठ मंदिर में आप पैदल और गाड़ी से भी आ सकते हैं। इस मंदिर में आने के लिए सीढ़ियां और सड़क माध्यम दोनों ही उपलब्ध हैं। यह मंदिर ऊंची पहाड़ी पर बना हुआ है।
नीलकंठ मंदिर कालिंजर की फोटो - Neelkanth Temple Kalinjar ki Photo
नीलकंठ मंदिर का दृश्य |
नीलकंठ मंदिर का ऊपर से दृश्य |
स्वर्गारोहण कुंड |
काल भैरव की प्रतिमा |
नीलकंठ मंदिर की चट्टानों में बनी हुई मूर्तियां |
नीलकंठ मंदिर का दृश्य |
नीलकंठ मंदिर का सामने से दृश्य |
नीलकंठ मंदिर के सामने गैलरी में विराजमान मूर्तियां |
नीलकंठ मंदिर से खूबसूरत दृश्य |
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