चित्रकूट में धर्मशाला - Dharamshala in Chitrakoot / रामघाट के पास धर्मशाला / चित्रकूट में ठहरने की जगह
रामघाट चित्रकूट में एक प्रसिद्ध जगह है। चित्रकूट में बहुत सारी धर्मशालाएं हैं। मगर चित्रकूट में रामघाट के पास जो धर्मशालाएं हैं। वहां पर समय बिताने में बहुत अच्छा लगता है। उन्हीं में से एक धर्मशाला में हम लोगों ने समय बिताया और हमें अच्छा लगा। राम घाट के किनारे पर आपको बहुत सारे मंदिर देखने के लिए मिलते हैं। यहां पर बहुत सारी धर्मशालाएं भी है, जहां पर आप रुक सकते हैं। हम लोग भी राम घाट के किनारे पर इन्हीं धर्मशाला में रुके थे। धर्मशाला का किराया बहुत ही कम रहा। हमारा एक कमरे का किराया 250 था। जिसमें बाथरूम अटैच नहीं थी। अगर आप बाथरूम अटैच कमरा लेना चाहते हैं, तो उसका किराया यहां पर 400 था। हम जिस धर्मशाला में रुके थे। वह धर्मशाला मंदाकिनी आरती स्थल के सामने ही थी, जिससे हमें मंदाकिनी नदी का खूबसूरत नजारा भी देखने का आनंद मिल ही रहा था। रामघाट के दोनों तरफ बहुत सारी धर्मशाला है, जिनमें आप जाकर रुक सकते हैं।
हम लोगों का रामघाट के किनारे पर बनी धर्मशाला में रुकने का निर्णय बहुत ही अच्छा रहा, क्योंकि हम लोगों को यहां पर बहुत अच्छा लगा। यहां पर पूरा धार्मिक माहौल रहता है, तो यहां पर बहुत शांती मिलती है।
रामघाट के भरत मंदिर के पास ही हमारी धर्मशाला थी। हम इसी धर्मशाला में रुके हुए थे। इस धर्मशाला में मैनेजर थे, जिनसे हम लोगों ने बात की है और उन्होंने हम लोगों को कमरे दिखाएं। हम लोगों को उन्होंने अटैच बाथरूम और बिना अटैच बाथरूम दोनों प्रकार के कमरे दिखाए। दोनों प्रकार के रूम का रेट भी बताए। हम लोगों को दो कमरे लेने थे। इसलिए हम लोगों ने ढाई सौ वाले दो कमरे लिए। यहां पर आपको बहुत सारे संत लोग भी देखने के लिए मिल जाएंगे, जो इसी धर्मशाला में रहते हैं और भगवान की सेवा करते हैं। इस धर्मशाला में हम लोगों ने अपना सामान रखा और ब्रश करके, मंदाकिनी नदी में नहाने के लिए गए। मंदाकिनी नदी में कपड़े बदलने के लिए चेंजिंग रूम बने हुए हैं। मंदाकिनी नदी का पानी ज्यादा गहरा नहीं था। मगर ठंडा बहुत था। मंदाकिनी नदी का घाट पक्का बना हुआ है और इसमें फिसलन बहुत ज्यादा रहती है। इसलिए अगर आप यहां पर नहाते हैं, तो संभल कर नहाये। नहा धोकर हम लोगों को घूमने जाना था। मगर उसके पहले हम लोगों को खाना खाना था। खाना खाने के लिए हम लोग चित्रकूट के ऑटो स्टैंड की तरफ गए।
हम लोग चित्रकूट में खाना खाने के लिए अन्नपूर्णा होटल गए, जो ऑटो स्टैंड के बहुत ही करीब है और यहां पर आपको अच्छा खाना मिल जाता है और अच्छे रेट में मिल जाता है। अगर आप और कम रेट में खाना खाना चाहते हैं, तो आप छोटे होटलों में जा सकते हैं, जहां पर आपको लिमिटेड खाना मिलता है। मगर खाना पर्याप्त रहता है। आपका पेट भर जाएगा। हम लोग अन्नपूर्णा होटल में गए। अन्नपूर्णा होटल में आपको बहुत अच्छा खाना मिलता है। ₹120 की थाली मिलती है, जिसमें आपको अनलिमिटेड खाना मिल जाता है। थाली में आपका दाल, चावल, सब्जी, रोटी, अचार, पापड़ और एक मीठा आइटम रहता है। हम लोगों ने पेट भरकर खाना खाया। हम लोगों ने खाना पीना खाकर कामदगिरि के दर्शन करने गए। कामदगिरि दर्शन के बाद हम लोग चित्रकूट वापस आए और हम लोग खाना खाने के लिए इस बार छोटे होटल में गए। यहां पर महादेव होटल है। वहां पर हम लोगों को ₹60 की थाली मिली। यहां पर खाना आपको लिमिटेड मिलता है। मगर खाना पर्याप्त रहता है, तो आपका पेट आराम से भर जाता है। हम लोगों ने अपना खाना पैक करवाया और हम लोग धर्मशाला वापस आ गए। हम लोगों को रास्ते में यहां पर चार्ट और फुलकी का ठेला दिखाई दिया, जहां पर हम लोगों ने एक बर्गर बनवाया। लोकल बर्गर था , जिसका रेट 15 रुपये था और हम लोगों ने चाय भी पिया, उसके बाद हम लोग धर्मशाला वापस आ गए।
हम लोग धर्मशाला आकर हाथ पैर धोए और खाना खाने लगे, क्योंकि हम लोग कामदगिरि परिक्रमा करके आए थे और बहुत थक गए थे। इसलिए हम लोग खाना खाने लगे। हम लोगों को ₹60 में चावल, दाल, सब्जी, रोटी, अचार, सलाद मिल गया था। यह खाना भी हमारे लिए पर्याप्त था। हम लोग जब खाना खा रहे थे, तो हमारे दरवाजे पर एक बंदर आकर बैठ गया। हम लोगों ने बंदर को देखा और डर गए। मगर वह बंदर कुछ नहीं किया। मतलब हमारे खाने के पास नहीं आया। हम लोगों ने उस बंदर के पास एक रोटी दी। वह रोटी खाने लगा और हम लोग भी अपना खाना खाने लगे। बंदर की रोटी खत्म हो गई, तो हम लोगों ने उसको एक और रोटी दी। कुछ देर बाद बंदर के और साथी आ गए और अब हम लोगों को डर लगने लगा। हम लोगों ने दरवाजा बंद कर दिया। खाना खाकर हम लोग बाहर आए। बाहर यहां पर आग जल रही थी, तो हम लोग आग तपने लगे।
यहां पर रात के समय बहुत सारे बंदर घूमते रहते हैं और हम लोग बाहर बैठे थे। हम लोग को बन्दर से बहुत डर लग रहा था, तो हम लोगों को धर्मशाला के मैनेजर ने एक डंडा दिया। डंडे के कारण बंदर हमारे पास नहीं आये। हम लोग करीब 1 घंटे तक यहां पर आग तपते रहे और फिर बाद में सो गए।
रामघाट के पास धर्मशाला में ज्यादातर संत लोग ही आकर रुकते हैं, जो दूर-दूर से आते हैं ,हम लोगों को भी यहां रुकने का सौभाग्य प्राप्त हुआ और यहां पर आपको एक अलग ही ऊर्जा महसूस होती है, जो सकारात्मक होती है और भक्ति वाला माहौल रहता है। यहां आपको किसी भी तरह की टेंशन नहीं होती है। मंदाकिनी नदी के किनारे जिस धर्मशाला में हम लोग रुके थे। वहां पर बहुत सारे संत लोग भी रहते हैं। यहां पर रुक कर हम लोगों को बहुत अच्छा लगा। मंदाकिनी नदी के किनारे रुकने का हम लोगों का एक अलग अनुभव रहा। यहां पर सकारात्मक ऊर्जा का वास था और बहुत अच्छा लगा।
चित्रकूट की धर्मशालाएं की फोटो
रामघाट के इस धर्मशाला में हम लोग रुके थे |
रामघाट की अन्य धर्मशाला |
रामघाट के दूसरी तरफ स्थित धर्मशाला |
रामघाट का भरत मंदिर |
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वेणी माधव मंदिर इलाहाबाद (प्रयागराज)
Good information kahani har din
जवाब देंहटाएंGood and detailed information
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